Noida : नोएडा । एमिटी लॉ स्कूल नोएडा और एमिटी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज द्वारा ‘संवैधानिक न्यायशास्त्र और लोकतांत्रिक संस्थान सामाजिक इंजिनियरिंग के उपकरण’ विषय पर ऑनलाइन शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डा अमन हिंगोरानी, वाइयूएम की लीगल प्रमुख सुश्री प्रियंका वालेशा, एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय और एमिटी लॉ स्कूल की एडिशनल डायरेक्टर डा शेफाली रायजादा द्वारा किया गया।
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डा अमन हिंगोरानी ने संबोधित करते हुए कहा कि जब हम छात्रों को व्याख्यान देते है तो उन्हे न्यायालयों द्वारा दिये गये बेहतरीन निर्णय का संर्दभ देते है, जब आप शिक्षण के दौरान उसकी व्याख्या करते है तो और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। हमें केवल निर्णय को ही नही बल्कि संस्थानों को भी पढऩा चाहिए। शिक्षण संस्थानों को उच्चतम न्यायालय के हर निर्णय को बारिकी से अध्ययन करना चाहिए और उस पर चर्चा करनी चाहिए जिससे छात्रों को निर्णय की जानकारी हो सके। उन्होनें कहा कि युवा शिक्षकों को ऑडिटिंग जजमेंट की संस्कृती को प्रारंभ करना चाहिए। वर्तमान समय में आज कल लगभग हर जानकारी गूगल पर उपलब्ध है इसलिए कक्षा में छात्रों की रूचि को बनाए रखना आवश्यक है और केस मेथड, लेक्चर मेथड और पीपीटी प्रस्तुती सब अप्रचलित पुराने तरीके है।
वाइयूएम की लीगल प्रमुख सुश्री प्रियंका वालेशा ने संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल युग में संविधान की व्याख्या जरूरी है, हम नये तंत्र और मेथड को आत्मसात करना होगा। डिजिटाइजेशन, भारतीय संविधान के सभी भागों के लिए आवश्यक है। तकनीकी के कार्यो के मध्य संतुलन बनाना आवश्यक है। एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने संबोधित करते हुए कहा कि छात्रों को जानकारी प्रदान करने के लिए आवश्यक है कि हमारे शिक्षक समय समय पर स्वंय को नई तकनीकों, मेथडों से अपडेट करते रहे और यह शिक्षक विकास कार्यक्रम इसी श्रृखंला की कड़ी है। एमिटी छात्रों के सर्वागीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर एमिटी लॉ स्कूल नोएडा की फैकल्टी कोआर्डीनेटर सुश्री रिचा यादव और डा शशी पराशर उपस्थित थी।