Srikant Tyagi Noida : नोएडा/प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी नोएडा के चर्चित श्रीकांत त्यागी प्रकरण के संबंध में ‘चेतना मंच’ को कुछ चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। जिन ‘नेताओं’ के आशीर्वाद से यह छुटभैया नेता श्रीकांत त्यागी रातो-रात ‘वीआईपी’ बना था, वे सब नेता अपनी पूरी ताकत लगाकर उसे जेल से बाहर निकालने में जुट गए हैं। ‘चेतना मंच’(Chetna Manch ) के हाथ कुछ ठोस सबूत लगे हैं, जिससे पता चलता है कि साम, दाम, दंड, भेद के जरिये श्रीकांत त्यागी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत दिलाने की व्यापक मुहिम चलाई जा रही है।
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पाठक जानते ही हैं कि श्रीकांत त्यागी एक संभ्रांत महिला को सरेआम बेइज्जत करके देशभर में ‘विलेन’ घोषित हो चुका है। इन दिनों वह गौतमबुद्ध नगर जिले के लुक्सर जेल में अपने गुनाहों की सजा भुगत रहा है। पूरा सभ्य समाज उसकी करतूत को अक्षम्य अपराध मानता है। घटियापन की हद तक जाकर महिला को सरेआम बेइज्जत करने वाले इस ‘विलेन’ की करतूतों के अनेक किस्से आपने पढ़े व सुने होंगे। जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा करना व करवाना, स्क्रैप माफिया को राजनीतिक संरक्षण प्रदान कराना, लोगों को डरा-धमका कर वसूली करना व समाज में भय फैलाने जैसे अनेक अपराधों के मुकदमे इस विलेन के खिलाफ अलग-अलग थानों में दर्ज हैं। यहां तक कि उसने बेहद चरित्रवान खानदान की बेटी अपनी पत्नी श्रीमती अनु त्यागी को भी ‘चीट’ किया था। पराई महिला के साथ रंगरेलियां मनाते हुए सरेआम लखनऊ के एक होटल में रंगे हाथों पकड़ लिया गया था। वह मामला भी अब तक लंबित है।
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नोएडा के सेक्टर-93बी स्थित ग्रैंड ओमेक्स सोसायटी में महिला से की गई बदतमीजी के मामले में इस विलेन की जिला अदालत से जमानत हो गई है। नोएडा पुलिस ने उसके विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट भी लगा रखा है। पुलिस का स्पष्ट आरोप है कि यह व्यक्ति एक बड़ा गिरोह चलाता है। गिरोहबंद अपराधियों के विरुद्ध ही गैंगस्टर एक्ट लगाया जाता है।v(क्या होता है गैंगस्टर एक्ट, नीचे पढ़ें.) |
Srikant Tyagi Case : अभी जेल में ही रहेगा श्रीकांत त्यागी, गैंगस्टर कोर्ट ने खरिज की जमानत अर्जी
गैंगस्टर एक्ट में जमानत देने का अधिकार जिला न्यायालय को नहीं है। इस कारण केस की जमानत के लिए श्रीकांत त्यागी इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण में गया हुआ है। हाईकोर्ट में उसकी जमानत पर दो सुनवाई हो चुकी है। अगली सुनवाई 29 सितंबर 2022 को होनी है।
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पता चला है कि 29 सितंबर को उसकी जमानत कराने के मकसद से उस ‘विलेन’ को संरक्षण देने वाले सभी ‘नेतागण’ एकजुट हो गए हैं। इन नेताओं में वे भी शामिल बताए जाते हैं, जिन्होंने श्रीकांत त्यागी की गाड़ी के लिए विधानसभा सचिवालय का पास उपलब्ध कराया था। साथ ही वे संरक्षक भी शामिल हैं, जो इस विलेन से स्क्रैप माफिया को संरक्षण देने की एवज में हर महीने ‘करोड़ों’ का माल अपनी जेब में डाला करते थे। अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि क्या ‘नेतागणों’ का यह गिरोह हाईकोर्ट में क्या गुल खिलाता है।
क्या होता है गैंगस्टर एक्ट?
इस एक्ट की धारा 2(बी) के अनुसार, गैंग का मतलब ऐसे लोगों के समूह से है, जो व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं और जान-बूझकर सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालना चाहते हैं। इस एक्ट में जो बिना समूह इस तरह की गतिविधियों में शामिल रहता है, उसे गैंगस्टर कहा गया है। इस एक्ट में दोषी पाए जाने वाले गैंगस्टर को 10 साल तक की सजा और कम से कम 5000 रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है। इसके साथ ही हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी अपराधी ने पहली बार भी अपराध किया है तो भी उस पर इसके तहत कार्रवाई की जा सकती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी पर पहले से मुकदमे दर्ज हो। गैंगस्टर एक्ट में यूपी सरकार को किसी के खिलाफ त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने की अनुमति मिलती है। यूपी गैंगस्टर एक्ट गैंगस्टरों की संपत्तियों को कुर्क करने की भी अनुमति देता है।