Greater Noida : ग्रेटर नोएडा । गौतमबुद्धनगर के गठन के बाद नोएडा आने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवा देने का मिथक को तोडऩे वाले उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों मं विकास की कोई बड़ी सौगात अभी तक नहीं दे पाये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी विकास की कई परियोजनाएं आधी-अधूरी पड़ी हैं।
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प्रमुख समाजसेवी कर्मवीर नागर ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक को एक बार नहीं बल्कि दर्जनों बार तोड़ा है। लेकिन जनपद गौतम बुद्ध नगर आने का मिथक तोडऩे से ग्रामीण क्षेत्र को विकास की कोई खास सौगात अभी तक नहीं मिल पाई है। भले ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और नेता इसका कारण रहे हों। क्योंकि स्थानीय जनप्रतिनिधि और नेता ही मुख्यमंत्री तक क्षेत्र की समस्याओं और मुद्दों को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने का काम करते हैं। स्थानीय प्रशासन तो आमतौर पर कमियों को छुपाने का काम करता है।
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मुख्यमंत्री पहले भी जनपद गौतमबुद्धनगर कई बार पधार चुके हैं हो सकता है पहले भी कई सौगात दी हों लेकिन ये सौगात अधिकतर शहरी क्षेत्र तक ही सीमित रहीं। ग्रामीण क्षेत्रों को तो भूमि अधिग्रहण करने की ही सौगात दी जाती रही है जिसके मुआवजे, बैकलीज और अर्जित भूमि की एवज में आवंटित होने वाले भूखंड के लिए काश्तकारों को प्राधिकरण के चक्कर काटने पड़ते हैं।
श्री नागर ने बताया कि विधानसभा चुनाव से पूर्व विगत वर्ष जब प्रदेश के मुख्यमंत्री दादरी आए थे तो उस वक्त देहात क्षेत्र के लोगों को मुख्यमंत्री द्वारा विकास की सौगात देने की एक उम्मीद जगी थी क्योंकि उसी मौके पर पिलखुवा आदि क्षेत्रों को मुख्यमंत्री ने भारी सौगात दी थी। लेकिन मुख्यमंत्री का दादरी दौरा पूरी तरह मिहिर भोज प्रकरण की भेंट चढ़ गया और मुख्यमंत्री से मिलने वाली सौगातों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। इतना ही नहीं इस मौके पर जनपद गौतम बुध नगर के ग्रामीण भाईचारे को भारी नुकसान हुआ क्योंकि आपस में भाईचारा रखने वाली दो जातियों के बीच राजा मिहिर भोज प्रकरण को लेकर अच्छी खासी दूरियां बढ़ गई।
मुख्यमंत्री के जनपद गौतमबुद्धनगर आगमन पर कर्मवीर नागर ने कहा कि यहां मैं दादरी विधानसभा क्षेत्र के लोगों की अति ज्वलंत समस्याओं और मुद्दों को माननीय मुख्यमंत्री तक पहुंचा कर सौगातों से अछूते ग्रामीणों को भी सौगात दिलाने की अपील करता हूं। मुख्यमंत्री के समक्ष रखने लायक जनपद गौतमबुद्धनगर के ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर नजर डालें तो इनमें प्रथम मुद्दा पुश्तैनी और गैर पुश्तैनी काश्तकारों की जांच के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट आज तक उजागर नहीं की गई है।
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द्वितीय किसानों को अपनी भूमि की बैकलीज और अर्जित भूमि की एवज में मिलने वाले 4 प्रतिशत, 6 प्रतिशत, 8 प्रतिशत और 10 प्रतिशत भूखंड आवंटित कराने के लिए प्राधिकरण के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। लेकिन बगैर सुविधा शुल्क कोई कार्य नहीं हो रहा है। जब जनप्रतिनिधियों के सामने इस समस्या को उठाया जाता है तो वह भी लाचार नजर आते हैं। तृतीय छपरौला के आधे अधूरे रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण को पूर्ण कराने और सादुल्लापुर मारीपत रेलवे स्टेशन के पास एक और रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण की अनुमति प्रदान करना एवं निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत करना। यह भी बताना अनिवार्य होगा कि दोनों ब्रिज का एस्टीमेट बनकर शासन को जा चुका है।
चौथे स्थानीय उद्योगों में जनपद गौतमबुद्धनगर के युवाओं को रोजगार दिलाने हेतु सख्त सरकारी आदेश जारी करना।
निजी स्कूलों और विद्यालयों में आरटीई के तहत प्रवेश दिलाने के लिए सख्त आदेश पारित किए जाएं। क्योंकि नामचीन स्कूल एडमिशन देना तो दूर ग्रामीण परिवेश के लोगों को स्कूल में प्रवेश तक नहीं करने देते।
छंठे, जिन 288 गांवों में पंचायत राज प्रणाली को समाप्त करके औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित किया गया है उन गांवों के समुचित विकास हेतु वार्षिक योजना का प्रारूप तैयार करके विकास कार्य कराना। अथवा इन गांवों के लिए नगर निगम का गठन किया जाना चाहिए।
श्री नागर ने कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में ग्रामीण विकास के कार्यों के लिए जितनी धनराशि का प्रावधान किया जाता है उसकी आधी धनराशि भी विकास कार्यों पर खर्च नहीं हो पाती है। कालोनाइजर्स द्वारा बसाई जा रही अवैध कालोनियों पर पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए या फिर सरकारी आदेशों के नियमानुसार चोडे रास्ते कॉलोनी में छोड़े जाएं।
सरकारी भूमि से कब्जा हटाने का ढोल ज्यादा पीटा जा रहा है और काम कम किया जा रहा है। नई सरकार के 6 माह बीत जाने के बाद भी गौतम बुद्ध नगर में न तो पूरी तरह से अवैध कब्जे हट पाए हैं और नाही अवैध निर्माण रुक पाया है। अब भी सरकारी भूमि और तालाबों पर अवैध कब्जा बरकरार हैं। यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अवैध निर्माण कराने के मामले में नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अव्वल हैं। इन दोनों प्राधिकरण में सुविधा शुल्क देने के बाद अधिकारी अवैध निर्माण की तरफ आंख उठाकर देखना भी मुनासिब नहीं समझते हैं।
सरकार के सख्त आदेश के बाद भी सड़कों के गड्ढों को नहीं भरा गया है। उदाहरण के तौर पर ग्रेटर नोएडा के पतवाडी गांव के बीच से गुजरने वाली पीडब्ल्यूडी की सड़क के गड्ढों को देखा जा सकता है यही नहीं बल्कि ऐसे अनेकों उदाहरण हैं।
श्री नागर ने सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री को विधायक निधि और सांसद निधि की भी प्रॉपर समीक्षा करनी चाहिए ताकि जानकारी लग सके कि यह सरकारी निधि जरूरी विकास कार्यों में लगाई जा रही है या फिर दुरुपयोग कर बंदरबांट की जा रही है। क्योंकि इस निधि के दुरुपयोग की खबरें आमतौर पर मिलती रहती हैं।
निधि के विषय में अगर सरकारी अधिकारियों से रिपोर्ट ली गई तो लीपापोती होना संभव है। इसलिए विधायक निधि और सांसद निधि से जिन कार्यों को कराने के प्रस्ताव दिए जाएं पहले वह विज्ञापन के जरिए जनता के समक्ष रखे जाने चाहिए। ताकि सच्चाई सामने आ सके और गलत जगह इस्तेमाल पर आम जनता उंगली उठा सकें।
वेवसिटी के किसानों को भूमि अधिग्रहण की एवज में 10 प्रतिशत विकसित भूखंड आवंटित करने हेतु आदेश पारित किए जाएं। ताकि भविष्य में वेवसिटी के ग्रामीण भी रेन बसेरा बना सकें।
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मुख्यमंत्री को सीएसआर फंड के दुरुपयोग पर पाबंदी लगाने के लिए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि सीएसआर फंड के दायरे में आने वाली संस्थाओं/ कंपनियों ने अपने ट्रस्ट और फाउंडेशन बना लिए हैं जिनके जरिए भारी गोलमाल किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त शहरी क्षेत्र की हाउसिंग सोसाइटीज में आशियाना बुक कराने वाले बायर्स को समय पर आशियाना उपलब्ध कराने हेतु सख्त आदेश पारित किए जाएं और बिल्डर्स द्वारा बायर्स पर लगाए जाने वाले अनाप-शनाप चार्जर्स को समाप्त कराया जाए।
कर्मवीर नागर ने कहा कि मुख्यमंत्री को ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर ज्यादा जोर देने चाहिए। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति भी बदल सके।