दिल्ली सरकार का बड़ा कदम, यमुना की सफाई के लिए नया एसटीपी प्लान

दिल्ली सरकार ने यमुना नदी की सफाई के लिए बड़ा कदम उठाया है। दिल्ली के बाहरी इलाकों से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीट करने के लिए पहली बार एक मॉडर्न सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने का फैसला किया है।

Delhi CM Rekha Gupta
दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar08 Dec 2025 12:30 PM
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बता दें कि यमुना को गंदा करने वाले नजफगढ़ ड्रेन से गंदा पानी रोजाना यमुना में गिरता है, जिसके कारण नदी की स्थिति और भी खराब हो रही है। अब, सरकार इस पानी को ट्रीट कर यमुना में गिरने से पहले साफ करेगी। इसके लिए दिल्ली सरकार ने 247.33 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।

27 महीने में बनेगा एसटीपी

इस परियोजना के तहत ताजपुर खुर्द में 25,546 वर्ग मीटर क्षेत्र में एक नई तकनीक आधारित एसटीपी का निर्माण होगा। इसके लिए 27 महीने की डेडलाइन तय की गई है। एसटीपी से पानी नजफगढ़ ड्रेन में छोड़ा जाएगा, जिससे यमुना की गंदगी कम हो सकेगी। इस कार्य को पूरा करने के लिए बाहरी दिल्ली के सैकड़ों इलाकों से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीट करने का प्लान है। इसके साथ ही, कॉलोनियों से गंदे पानी को एसटीपी तक लाने के लिए सीवर नेटवर्क विकसित किया जाएगा। ताजपुर खुर्द से द्वारका सेक्टर-17 तक एक नया सीवर नेटवर्क बिछाया जाएगा और कुछ जगहों पर सीवेज पंपिंग स्टेशन भी स्थापित किए जाएंगे।

योजनाओं का विस्तार

नजफगढ़ ड्रेन से जुड़े इस प्रोजेक्ट के तहत, दिल्ली सरकार ने 300 करोड़ रुपये की लागत से नई पाइपलाइन बिछाने का भी प्लान तैयार किया है। इस नई योजना से यमुना की सफाई में मदद मिलने के साथ-साथ इलाके के प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। यह परियोजना दिल्ली सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल यमुना की सफाई में मदद करेगा, बल्कि दिल्ली की पर्यावरणीय स्थिति को भी बेहतर बनाएगा।

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प्रदूषण के मामले में यूपी का यह शहर अव्वल, दिल्ली को भी छोड़ा पीछे

गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर बन चुका है। CREA रिपोर्ट के अनुसार, टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहरों में केवल NCR के शहर शामिल हैं जिनमें नोएडा, मेरठ, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली भी शामिल हैं। जानिए कौन से शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

Delhi-NCR Pollution
दिल्ली-एनसीआर समेत इन शहरों में प्रदूषण से बुरा हाल
locationभारत
userअसमीना
calendar07 Dec 2025 02:18 PM
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नवंबर 2025 में देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची सामने आई है जिसमें उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद पहले स्थान पर रहा। थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद में नवंबर महीने का औसत पीएम 2.5 स्तर 24 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) के हिसाब से गाजियाबाद में 19 दिन बहुत खराब, 10 दिन गंभीर और एक दिन खराब श्रेणी में रहा।

टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची

गाजियाबाद के बाद नोएडा दूसरे, हरियाणा का बहादुरगढ़ तीसरे और दिल्ली चौथे नंबर पर रहा। कुल मिलाकर, टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची में केवल NCR के शहर ही शामिल हैं। इस सूची में उत्तर प्रदेश के छह शहर, हरियाणा के तीन और दिल्ली शामिल हैं। दिल्ली में स्थिति और भी चिंताजनक रही। नवंबर में दिल्ली चौथा सबसे प्रदूषित शहर रही जहां मासिक औसत पीएम 2.5 स्तर 215 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। अक्टूबर की तुलना में यह आंकड़ा दोगुना हो गया। दिल्ली में कुल 23 दिन हवा बहुत खराब, 6 दिन गंभीर और एक दिन खराब रही।

पराली जलाने के कारण हो रहा प्रदूषण

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं का प्रदूषण में योगदान लगभग 7% रहा। पिछले साल यह योगदान 20% था। इसका मतलब यह है कि अन्य कारणों से भी प्रदूषण बढ़ा है और NCR की हवा लगातार खराब होती जा रही है। नवंबर 2025 में सबसे प्रदूषित शहरों की सूची इस प्रकार है।

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

नोएडा (उत्तर प्रदेश)

बहादुरगढ़ (हरियाणा)

दिल्ली (दिल्ली)

हापुड़ (उत्तर प्रदेश)

ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

बागपत (उत्तर प्रदेश)

सोनीपत (हरियाणा)

मेरठ (उत्तर प्रदेश)

रोहतक (हरियाणा)

पर्यावरणीय नियमों का पालन करना जरूरी

CREA की इस रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि NCR के शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि हवा रहने योग्य नहीं रही। प्रदूषण में वृद्धि के कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआँ, औद्योगिक गतिविधियां और निर्माण कार्य प्रमुख हैं। गाजियाबाद और उसके आसपास के शहरों में पर्यावरणीय नियमों का पालन सुनिश्चित करना अब बहुत जरूरी हो गया है।


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जाने नए साइबर नियमों के बीच संचार साथी ऐप पर घमासान—क्या है असल कहानी?

संचार साथी ऐप को लेकर फैली चिंताओं के बीच सरकार ने साफ किया है कि यह ऐप सुरक्षा बढ़ाने और साइबर फ्रॉड रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। ऐप से जुड़े सभी बड़े फीचर नागरिकों की सहायता पर केंद्रित हैं और इसे अनइंस्टॉल करने की आजादी भी यूज़र्स के पास जारी रहेगी।

Communication companion app
संचार साथी ऐप (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar04 Dec 2025 02:54 PM
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भारत में मोबाइल सुरक्षा और साइबर फ्रॉड पर बढ़ती चिंता के बीच संचार मंत्रालय द्वारा मई 2023 में लॉन्च किया गया ‘संचार साथी ऐप’ तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। खोए हुए फोन को ट्रेस करने से लेकर फर्जी कॉल्स की रिपोर्टिंग तक—यह ऐप अब आम नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण डिजिटल टूल बन चुका है।

भारत सरकार के आदेश के बाद अब देश में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोन में संचार साथी (Sanchar Saathi) ऐप प्री-इंस्टॉल होकर आएगा। इस फैसले के बाद संसद से लेकर सोशल मीडिया तक बहस छिड़ गई है—क्या यह ऐप सुरक्षित है? क्या इससे लोगों की प्राइवेसी पर खतरा हो सकता है? इसी बीच सरकार ने ऐप से जुड़े मिथकों को दूर करते हुए इसके असली फीचर्स और सुरक्षा उपायों की जानकारी साझा की है।

संचार साथी के 5 बड़े फीचर्स

सरकारी ऐप में पांच नागरिक-केंद्रित फीचर शामिल हैं, जो साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए तैयार किए गए हैं:

1. चक्षु: संदिग्ध धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग सिस्टम

अगर किसी यूज़र को ठगी वाले कॉल/SMS आते हैं तो वे ऐप के ज़रिए तुरंत रिपोर्ट कर सकते हैं।

2. खोए/चोरी हुए मोबाइल का ब्लॉक

फोन गुम या चोरी होने पर, ऐप या उसके वेब पोर्टल से IMEI नंबर को ब्लॉक किया जा सकता है। फोन मिलने पर IMEI फिर से अनब्लॉक किया जा सकता है।

3. अपने नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन हैं—जाँचें

यूज़र यह पता कर सकते हैं कि उनके नाम पर कुल कितने सिम कार्ड जारी हुए हैं।

4. स्मार्टफोन की असलियत जांचें

नया या पुराना मोबाइल खरीदते समय IMEI दर्ज कर फोन का ‘रिपोर्ट कार्ड’ देखा जा सकता है—यानी फोन असली है या नहीं।

5. भारतीय नंबर से आने वाली इंटरनेशनल कॉल्स की रिपोर्ट

फर्जी इंटरनेशनल कॉल्स, जो भारतीय नंबर दिखाती हैं, उनकी शिकायत भी की जा सकती है।

सरकार का स्पष्टीकरण: ऐप से कोई प्राइवेसी खतरा नहीं

सवाल : क्या ऐप प्राइवेसी के लिए सुरक्षित है?

जवाब : सरकार का कहना है कि ऐप कोई भी संवेदनशील डेटा इकट्ठा नहीं करता, और न ही माइक्रोफोन, ब्लूटूथ या लोकेशन डेटा लेता है।

सवाल : क्या ऐप अनिवार्य है, अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता?

जवाब : सरकार के मुताबिक यह प्री-इंस्टॉलेशन का नियम सिर्फ मोबाइल निर्माताओं पर अनिवार्य है। यूज़र चाहें तो ऐप को हटा सकते हैं, उस पर कोई रोक नहीं।

सवाल : क्या ऐप को ज्यादा परमिशन चाहिए?

जवाब : सरकार का कहना है कि ऐप केवल सीमित और जरूरत-आधारित परमिशन लेता है। कॉल/SMS लॉग जैसी बेसिक परमिशन केवल तभी ली जाती है, जब कोई फ्रॉड रिपोर्ट प्रक्रिया में हो। सबूत अपलोड करने की स्थिति में कैमरा/स्टोरेज एक्सेस की जरूरत पड़ती है।

क्या है संचार साथी ऐप?

सरकार द्वारा शुरू किया गया यह ऐप एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां यूज़र खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन की शिकायत दर्ज करके IMEI को तुरंत ब्लॉक करा सकते हैं। साथ ही यह संदिग्ध लिंक की रिपोर्टिंग, फ्रॉड कॉल्स की शिकायत और अपने नाम पर रजिस्टर्ड सभी मोबाइल कनेक्शन की जानकारी भी देता है। इसके अलावा, ऐप से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कोई स्मार्टफोन असली है या नकली और क्या वह पहले चोरी तो नहीं हुआ था।

कानूनी आधार क्या है?

यह आदेश Telecom Cybersecurity Rules 2024 और Telecommunications Act 2023 के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है, इसलिए यह कानूनन वैध है।


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