Dr. Bheemrao Ambedkar- इस वजह से आज ही के दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपना लिया था बौद्ध धर्म

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calendar30 Nov 2025 07:58 AM
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Dr. Bheemrao Ambedkar- आज ही के दिन 1956 में कुछ ऐसा हुआ था कि हर तरफ सनसनी मच गई थी। भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने 3 लाख 65 हज़ार फॉलोवर्स के साथ अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था। डॉ. अंबेडकर ने हिंदू धर्म का त्याग करते हुए बौद्ध धर्म को अपना लिया था। अंबेडकर का धर्म परिवर्तन हमेशा से तर्क- वितर्क का एक मुद्दा रहा है। उनके धर्म परिवर्तन के पीछे भी एक विशेष कारण था। इसे हम ऐसे ही नहीं समझ सकते हैं। इसके लिए हमें इतिहास को थोड़ा खंगालना होगा। हमें अंबेडकर के 1935 के भाषण पर एक नज़र डालनी होगी। इस भाषण में उन्होंने नीच जाति को सोचने पर मजबूर कर दिया था। अस्पृश्यता को इसी भाषण से समझा जा सकता है। इस भाषण पर उस समय तो कोई कदम नहीं उठाए गए और ये महज भाषण ही रह गया, परन्तु 20 साल बाद उनका ये भाषण हकीकत में तब्दील हुआ। इस भाषण में उन्होंने साफ साफ इस बात पर जोर दिया था कि अगर ताकत, सत्ता या समानता चाहते हैं तो धर्म बदलिए। उनका मानना था कि बौद्ध धर्म में समानता विशेष रूप में विद्यमान है। अंबेडकर (Dr. Bheemrao Ambedkar) ने अपने इसी भाषण में ये भी एलान कर दिया था कि वो भले ही हिंदू धर्म में पैदा हुए हैं, लेकिन हिंदू नहीं मरेंगे। हालांकि अंबेडकर जब ऐसा करें तो इसका विरोध न हो, ऐसा कहां संभव था। कई बड़े बड़े नेता उनके विरोध में आगे आए और उन पर आरोप लगाए गए कि वो अपने साथ बाकी लोगों को भी धर्म परिवर्तन करने के लिए भड़का रहे हैं। यहां तक कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस बात का विरोध किया और कहा कि धर्म परिवर्तन किसी बात का हल नहीं है।गांधीजी ने धर्म परिवर्तन से बेहतर समाज सुधार के रास्ते को माना था। गांधीजी का कहना था कि, 'धर्म कोई मकान या चोगा नहीं है जिसे जब चाहो बदल लो या उतार दो।' अंबेडकर का ये मानना था कि जो अस्पृश्य लोग होते हैं, वो बौद्ध धर्म के अनुयायी ही हैं। उनका ये मानना था कि इसीलिए ब्राह्मण उनसे नफरत करते थे। 1944 में अंबेडकर ने अपने भाषण से ये साबित कर दिया कि बौद्ध धर्म सबसे ज्यादा तर्क संगत और वैज्ञानिक धर्म है। उनका इस धर्म के प्रति झुकाव बढ़ता चला गया और अंत में उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया। फिर आज ही के दिन 14 अक्टूबर को 1956 में उन्होंने नागपुर में स्थित दीक्षाभूमि में पूरे विधि विधान से बौद्ध धर्म को चुना। इसके बाद अंबेडकर ने अपने अनुयायियों को भी शपथ दिलाई और कहा कि बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद कोई भी हिंदू देवी देवता को नहीं मानेगा। न तो हिंदू धर्म के हिसाब से कोई भी कर्मकांड किये जाएंगे और न ही ब्राह्मणों से कोई पूजा पाठ करवाया जाएगा। डॉ. अंबेडकर (Dr. Bheemrao Ambedkar) 1948 से ही डायबिटीज के पेशेंट थे। वो जून से लेकर 1954 तक बहुत ज्यादा बीमार रहे। फिर 6 दिसंबर 1956 में दिल्ली में उनका देहांत हो गया। 7 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार किया गया। डॉ. अंबेडकर का अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म के अनुसार चौपाटी समुद्र तट पर किया गया।
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Surya Grahan 2022: 25 अक्टूबर को है सूर्य ग्रहण, जानें सूतक काल, क्या करें क्या नहीं

Surya grahan
Surya Grahan 2022
locationभारत
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calendar14 Oct 2022 04:54 PM
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Surya Grahan 2022: आगामी 24 अक्टूबर को जहां दीपावली का पर्व मनाया जाएगा, वहीं अगले दिन यानि 25 अक्टूबर को साल 2022 का दूसरा सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। 25 सूर्य ग्रहण होने के कारण ही इस बार दिवाली पर्व एक दिन पहले ही मनायी जाएगी। 24 अक्टूबर की रात से ही इसका सूतक काल शुरू हो जाएगा। आइए जानते हैं दूसरे सूर्य ग्रहण की तिथि और दिवाली तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में।

एक बात समझने की है कि ग्रहण कोई भी हो, इसे लेकर कतई भी भयभीत होने की जरूरत नहीं है। इसे तो सिद्धियों का महापर्व माना जाता है, इसलिए ऋषि इसे सिद्धिकाल कहते थे। भगवान श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ और श्रीकृष्ण ने संदीपन गुरु से ग्रहण काल में ही दीक्षा ली थी। शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद पड़ने वाला सूर्यग्रहण बहुत प्रभावी नहीं रहता है।

भारत सहित इन देशों में दिखेगा सूर्य ग्रहण

भारतीय मानक समय के अनुसार सूर्य ग्रहण का स्पर्श दिन में 4:31 बजे होगा, मध्य 5:14 बजे एवं मोक्ष 5:57 बजे होगा। इसका सूतक भारतीय समय अनुसार प्रातः 4:31 बजे से प्रारंभ होगा। ग्रहण स्वाति नक्षत्र और तुला राशि पर है, इसलिए इस नक्षत्र और राशि वालों को रोग, पीड़ा , कष्ट रहेगा। इस नक्षत्र एवं राशि वालों को ग्रहण का दर्शन नहीं करना चाहिए।

यह ग्रहण भारत सहित ग्रीनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे , यूनाईटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, यमन, ओमान, सऊदी अरब, इजिप्ट, इटली, पोलैंड, रोमानिया, ऑस्ट्रिया, ग्रीस, टर्की, इराक, ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उत्तरी एवं पश्चिमी श्रीलंका, मॉस्को, पश्चिमी रूस, नेपाल व भूटान में दिखेगा।

ग्रहण का सूतक काल समय 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने जा रहे ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले से शुरू हो जाता है। इसलिए दिवाली की रात 2 बजे से सूर्य ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा।

सूर्य ग्रहण में क्या करें, क्या नहीं

तुलसी दल को पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही यह नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाव करती है। इसलिए ग्रहण से पहले ही खाने-पीने की चीजों में तुलसी की कुछ पत्तियां डाल दें, जिससे भोजन में किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव न पड़े और उसे बाद में खा सके।

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को अपना खास ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि सूर्य की हानिकारक किरणों से बच्चे के साथ-साथ मां पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए बच्चे को नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिलाएं घर पर ही रहें।

माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के समय मंत्रों का जाप करना शुभ होता है। इसलिए आप ग्रहण के वक्त सूर्य के मंत्रों का जाप कर सकते हैं। इसके अलावा नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए गायत्री मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।

मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय कोई चीज काटनी या फिर सिलना नहीं चाहिए। इसलिए ग्रहण के समय कैंची, सुई आदि का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।

सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में झाड़ू-पोछा लगाने के बाद घर के हर एक सदस्य को नहाना चाहिए। इसके साथ ही मंदिर आदि जगहों पर गंगाजल छिड़क देना चाहिए, जिससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाए। इसके साथ ही जरूरतमंद को दान दें। इससे भी आपको लाभ मिलेगा।

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Agartala News : दूसरी बार त्रिपुरा पहुंचे भाजपा प्रभारी,बाइक रैली को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

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Dr Mahesh Sharma in Agartala
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:49 PM
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Agartala News : अगरतला/नोएडा । भारतीय जनता पार्टी के त्रिपुरा प्रदेश के प्रभारी उत्तर प्रदेश के  सांसद गौतमबुद्धनगर से  डा. महेश शर्मा दूसरी  बार त्रिपुरा पहुंचे। त्रिपुरा पहुचने पर उनका एयरपोर्ट पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा जोरदार  स्वागत किया गया।

Agartala News :

प्रदेश प्रभारी डॉ महेश शर्मा ने त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा सिपाहिजला उत्तर जिला के कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित बाइक रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया । इस अवसर पर भाजपा त्रिपुरा  प्रदेश के अध्यक्ष राजीब भट्टाचार्य, प्रदेश संगठनमंत्री फनेन्द्रनाथ शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष युवा मोर्चा नबादल बनिक की उपस्थिति में सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे । उसके बाद  प्रभारी ने उत्तर सिपाहजला जिले के जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की। त्रिपुरा राज्य में आगामी वर्ष 2023 फरवरी माह में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सिपाहिजला उत्तर जिला में पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राजीब भट्टाचार्य, संगठन मंत्री फनेन्द्रनाथ शर्मा व जिलाध्यक्ष गौरांग भौमिक अन्य विशिष्ट जनों की उपस्थिति में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन को भी डॉ महेश शर्मा ने  संबोधित किया।

हुई एक अहम बैठक : 

इस बीच भाजपा नेताओं की एक अहम बैठक भी आयोजित की गयी । इस  बैठक में आगामी दिनों की सांगठनिक रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री प्रो. डॉ. माणिक साहा,प्रदेश अध्यक्ष श्री राजीव भट्टाचार्य, राज्य प्रभारी डॉ. महेश शर्मा , महामंत्री संगठन श्री फणींद्रनाथ शर्मा , पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद श्री बिप्लब कुमार देब , केंद्रीय राज्य मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक, मंत्री श्री रतन लाल नाथ , मंत्री श्री राम प्रसाद पॉल , मंत्री श्री सुशांत चौधरी और मेयर श्री दीपक मजूमदार मौजूद थे । [caption id="attachment_37716" align="alignnone" width="1080"]Dr Mahesh Sharma meeting with BJP leaders in Tripura Dr Mahesh Sharma meeting with BJP leaders in Tripura[/caption]