गदर 2 की अपार सफलता के बाद अब नीलाम होने जा रहा सनी देओल का बंगला, बैंक ने दिया विज्ञापन Gadar 2 Sunny Deol

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Gadar 2 Sunny Deol
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calendar30 Nov 2025 01:12 AM
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Gadar 2 Sunny Deol : 11 अगस्त को रिलीज हुई गदर 2 की आपार सफलता के बाद इस फिल्म का नाम हिट लिस्ट मे शामिल हो गया है। फिल्म के कारोबार ने 300 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। सनी ने एक से बढ़कर एक बेहतरीन हिट फिल्मों मे काम किया है। गदर ने बॉलीवुड की सबसे बड़ी फिल्म 'पुजारी' को भी पीछे छोड़ दिया है और इस फिल्म को देखने के लिए लोगों में काफी दीवानगी देखने को मिल रही है। आज इनकी फिल्म गदर 2 ने जब करोड़ों का आकड़ा पार कर चुकी है तो इनकी बड़ी प्रॉपर्टी पर बैंक का खतरा मंडराने लगा है।

Gadar 2 Sunny Deol

फिल्म की सफलता के बाद सनी देओल को लेकर बडी खबर सामने आ रही है कि उनका घर नीलाम होने वाला है। सनी देओल पर आरोप है कि उन्होनें बैंक से लोन लिया है और जिसे वो चुका नहीं पाएं हैं।

बैंक ब्याज वसूलने के लिये कर रही है नीलाम

Gadar 2 Sunny Deol

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सनी देओल ने लोन के लिए मुंबई के जुहू इलाके में स्थित अपना विला, जिसका नाम ‘सनी विला’ है, मॉर्टगेज पर दिया था। इसके बदले उन्हें बैंक को तकरीबन 56 करोड़ रुपये चुकाने थे, जो अभी तक नहीं चुकाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक कर्ज और ब्याज की वसूली के लिये उनका सनी विला नीलाम किया जा रहा है। बैंक से मिली जानकारी के मुताबिक उनकी प्रॉपर्टी की नीलामी के लिए एक विज्ञापन भी जारी किया है। नॉटिफिकेशन के मुताबिक ऑक्शन 25 सितंबर को किया जाएगा और इस ऑक्शन के लिए बेसिक प्राइज लगभग 51.43 करोड़ रुपये रखा गया है।

विज्ञापन में है सनी का नाम

विज्ञापन में कर्जदार/गारंटर के रूप में अजय सिंह देओल उर्फ सनी देऑल का नाम दिया गया। उनका ये विला नाम का आवास उत्तरी मुंबई के जुहू में गांधी ग्राम रोड पर स्थित है। फिलहाल सनी अपनी फिल्म 'गदर 2' का प्रचार के लिए दुबई में व्यस्त हैं। खबरों के मुताबिक इस प्रचार के बाद वे लंदन भी जायेंगे। Gadar 2 Sunny Deol

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POCSO Act केस निपटाने में लग रहे कई साल, रिपोर्ट में हुआ खुलासा, UP बिहार आगे

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POCSO Act 
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 11:16 PM
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POCSO Act जैसे केस निपटाने में दिल्ली की फास्ट ट्रैक कोर्ट में लग रहे कई साल लग रहे हैं। एफटीएससी ने 2021, 2022 और 2023 के शुरुआती तीन महीनों में क्रमशः 4.2%, 11% और 16.6% की दर से केसों का निपटारा किया, जबकि देश के औसत के आधार पर दिल्ली का औसत करीब-करीब दोगुना है।

POCSO Act

बच्चियों के खिलाफ रेप और यौन अपराधों से जुड़े मामलों में शीघ्रता से निपटाने के मसकद से POCSO कानून बनाया गया था, लेकिन राजधानी दिल्ली में ही फास्ट-ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) तेजी से न्याय दिलाने के वादे को पूरा करने में नाकाम रही है।

कानून और न्याय मंत्रालय की ओर से मई तक के मिले आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के फास्ट-ट्रैक स्पेशल कोर्ट में मामलों के निपटाने का परसेंटेज 19% है जिसे संख्या के आधार पर देखें तो यहां पर 16 स्पेशल कोर्ट हैं। यह स्पीड देश में सबसे कम निपटान दरों में से एक है। एक अंग्रेजी समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि यह जानकारी पिछले महीने 27 जुलाई को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक की ओर से राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब के आधार पर सामने आई है।

दिल्ली में 4 हजार के करीब मामले पेंडिंग

यौन अपराधों से जुड़े पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने और “न्यायिक प्रणाली पर पेंडिंग पड़े केसों के बोझ को कम करने” के लिए पेंडिंग रेप और POCSO एक्ट के मामलों के जल्द निपटारे के लिए FTSCs की स्थापना की गई थी। केंद्र सरकार की ओर से 2019 में 389 ePOCSO कोर्ट समेत 1,023 स्पेशल कोर्ट स्थापित करने के लिए एक सेंट्रल स्पॉन्सर्ड स्कीम लागू की गई थी। यह स्कीम शुरुआत 2019-20 और 2020-21 के बीच एक साल की अवधि के लिए की गई थी। बाद से इसे आगे भी बनाए रखने को मंजूरी दे दी गई।

नियम के अनुसार स्पेशल कोर्ट में इन मामलों का निस्तारण व्यवहारिक रूप से एक साल के अंदर कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है कि राजधानी उस लक्ष्य को पूरा करने से बहुत दूर है। सरकार की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि मई 2023 तक, राजधानी दिल्ली (कुल 5,418 केस) ने करीब 1,049 मामलों का निपटारा किया था, जबकि उसके पास 4,369 पेंडिंग मामले थें। सिर्फ पुड्डुचेरी का ही प्रदर्शन राजधानी दिल्ली से खराब रहा, क्योंकि यहां सिर्फ एक ही फास्ट-ट्रैक स्पेशल कोर्ट है और वह अपने यहां 209 लंबित पेंडिंग मामलों में से एक भी केस को खत्म नहीं कर पाया था।

UP और बिहार दिल्ली से आगे

दिल्ली की तुलना में अन्य बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में मामलों का निपटान दर क्रमशः 36% और 32% के रूप में अधिक रहीं। इसी तरह मेघालय और जम्मू-कश्मीर दोनों जगहों पर केसों निपटान का दर 22% रहा। सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में मिजोरम और केरल रहे जहां केसों का निपटान दर क्रमशः 66.5% और 65% रहा था।

देखा जाए तो पिछले कुछ सालों की तुलना में दिल्ली का प्रदर्शन इस बार पॉजिटिव रहा है। यहां पर एफटीएससी ने 2021, 2022 और 2023 के शुरुआती तीन महीनों में क्रमशः 4.2%, 11% और 16.6% की दर से केसों का निपटारा किया, जो इस मामले में बढ़ोतरी की ओर इशारा करता है। इस बीच 2021 से 2022 तक, देश में कुल लंबित मामलों की संख्या में 17% की वृद्धि हुई, इसमें दिल्ली के लिए यह बढ़ोतरी महज 0.36% रही थीं। देश में जहां POCSO मामलों के निपटाने की दर 98% रही, जबकि दिल्ली का आंकड़ा 183% तक बढ़ गया और यह राष्ट्रीय औसत की तुलना में दोगुने के करीब है।

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POCSO Act - क्यों नहीं जल्द खत्म हो रहे केस

कोर्ट में मामलों के निपटाने की दर के स्लो होने की कई वजहें सामने आती रही हैं। सबसे बड़ी वजह कोर्ट में जजों के खाली पद हैं। 2022 में देशभर में निचली अदालतों में जजों के लिए 25,042 स्वीकृत पद रखे गए थे, जबकि 5,850 पद खाली रहे और इस तरह वैकेंसी रेट 23 फीसदी रही। इसके अलावा फास्ट-ट्रैक कोर्ट्स के साथ-साथ फास्ट-ट्रैक कानूनों की भी जरूरत है। जजों के खाली पद के अलावा स्पेशल ट्रेनिंग भी इनकी बड़ी वजह हैं। इसकी वजह से केसों का तुरंत निपटारा भी नहीं हो पाता है।

स्पेशल कोर्ट्स की संख्या पर नजर डालें तो दिल्ली भी बड़े राज्यों से पीछे नहीं है। 2023 में दिल्ली में जहां 12.5 लाख लोगों के लिए एक स्पेशल कोर्ट था तो वहीं यूपी में 10 लाख लोगों के लिए एक स्पेशल कोर्ट थी। महाराष्ट्र और गुजरात में क्रमशः 4.1 लाख और 4 लाख लोगों के लिए एक स्पेशल कोर्ट थी। (यह संख्या भारत सरकार की ओर से जारी किए गए अनुमानित जनसंख्या अनुमान के आधार तय किया गया है, चेतना मंच इस पर किसी प्रकार का कोई अपना विचार व्यक्त नहीं करता है।) POCSO Act

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दिल्ली में अंग्रजों ने खोली थी शानदार शेक की दुकान, आज भी बरकरार है 72 साल पुराने स्वाद का जादू

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New Delhi News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 Aug 2023 07:18 PM
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New Delhi News : जब भी आप दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस (राजीव चौक) जाएंगे तो वहां आपको दुकानें, शोरूम और खाने-पीने के ऐसे आउटलेट्स मिल जाएंगे, जो सालों से देश के इस पहले ओपन मॉल में आज भी अपने जलवे बिखेर रहे हैं। यहां पर ऐसी ही एक मिल्क शेक शॉप पर आपको ले चलते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस शॉप को सालों तक एक अंग्रेज ने चलाया और बाद में एक भारतीय के जिम्मे यह काम आ गया।

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इस दुकान पर मिलने वाले कुछ शेक आजादी के समय से चल रहे हैं और उनका स्वाद आज भी वैसा ही है। विशेष बात यह है कि इन शेक को गिलास के बजाय कांच की बोतलों में सर्व किया जाता है। सालों पहले यह शॉप स्टूडेंट्स की पसंदीदा थी और आज भी यहां आपको शेक पीते युवा दिख जाएंगे।

35 तरह के शेक हैं मौजूद

कनॉट प्लेस के इनर सर्कल में आप ए ब्लॉक में पहुंचेगे तो पेट्रोल पंप के पास ही आपको 'शेक स्क्वेयर' नाम की यह शॉप दिख जाएगी। इस दुकान का नाम इतना मशहूर है कि आप यहां पहुंचते ही किसी से पूछेंगे कि कांच की बोतल वाले मिल्क शेक की दुकान कहां है, तो आपको कोई भी बता देगा। बहुत पहले इस शॉप पर चार शेक ही मिलते थे, लेकिन अब इस दुकान पर आपको 35 तरह के शेक मिल जाएंगे, जिनका स्वाद सालों पहले जैसा था, वैसा आज भी है। इनमें स्ट्राबरी, पाइन एप्पल, वनीला चॉकलेट, कॉफी, मैंगो और बटर स्कॉच शामिल हैं। वहीं इन शेक की क़ीमत की बात करें तो बटर स्कॉच शेक यहां आपको 100 रुपये में मिल जाएगा और सभी शेक की कीमत 100 से लेकर 150 रुपए तक है.

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अंग्रेजों के समय की दुकान

इनके सिग्नेचर मिल्क शेक के स्वाद में कोई बदलाव नहीं हुआ है। शॉप ऑनर का कहना है जो स्वाद अंग्रेजों के वक्त था, वह आज भी है। शेक बनाने का इनका फार्मूला सीक्रेट है। हम आपको बताते चलें कि इस शॉप का नाम पहले 'केवेंटर्स' था। यह नाम अंग्रेज मालिकों द्वारा दिया गया था। साल 1971 में इस दुकान का अधिकार सागर पाहूजा परिवार के पास आ गया। बाद में विभिन्न कारणों से साल 2011 में इस शॉप का नाम बदलकर 'शेक स्क्वेयर' हो गया। सुबह से लेकर रात तक कभी भी जाइए शेक पीने वालों का मजमा यहां दिखाई देगा। कनॉट प्लेस की इस मशहूर दुकान पर कोई अवकाश नहीं होता।

इस दुकान के टाइम की बात करें तो यह सुबह 10:30 से लेकर रात 12:30 बजे तक खुली रहती है। वहीं इसकी लोकेशन की बात करें तो इसका नजदीकी मेट्रो स्टेशन राजीव चौक है। New Delhi News

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