Greater Noida /Noida News: दुष्कर्म की शिकार तड़पती बच्ची को देखकर नम हो रहीं हैं आंखें
भारत
चेतना मंच
12 Jul 2022 04:10 PM
Greater Noida / Noida: ग्रेटर नोएडा /नोएडा। उस बच्ची की उम्र सिर्फ सात माह है। छोटी सी जिंदगी में उसे सात जन्मों का दर्द एकमुश्त मिल गया। एक दरिंदे की हवस की शिकार बच्ची मौजूदा समय में सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई अस्पताल के बेड पर दर्द से तड़प रही है। उसे देखकर बरबस ही हर किसी की आंखें नम हो रहीं हैं। लोग आते हैं, उसे निहारते हैं और फिर अपने रास्ते चले जाते हैं। मजबूर पिता के सामने जख्मी बच्ची के इलाज की समस्या पहाड़ की तरह खड़ी है। सरकारी डाक्टर भी मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रखते हुए दुराचार की शिकार सात माह की बच्ची का इलाज करने से साफ इनकार कर दिया। हालांकि बाद में सीएमएस के दखल के बाद उसे दाखिला मिल गया।
सरकारी चिकित्सकों की संवेदनहीनता का मामला उत्तर प्रदेश के किसी पिछड़े जिले का नहीं, बल्कि प्रदेश का शो विंडो कहे जाने वाले गौतमबुद्धनगर जिले के ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स अस्पताल का है। दनकौर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में बीती 6 जुलाई को एक अधेड़ व्यक्ति की हैवानियत का शिकार बनी 7 माह की बच्ची को उसका पिता इलाज के लिए कासना स्थित जिम्स अस्पताल लेकर पहुंचा। बच्ची के पिता का आरोप है कि वहां चिकित्सकों ने पैसे के अभाव में उसका उपचार करने से इंकार कर दिया। आर्थिक रूप से कमजोर पिता बिना इलाज कराए बच्ची को घर ले आया। हैवानियत का शिकार हुई बच्ची की हालत देखकर उसने उपचार के लिए कई लोगों से मदद की गुहार लगाई। गांव के ही किसी व्यक्ति ने उसे नोएडा के सेक्टर 30 स्थित चाइल्ड पीजीआई अस्पताल ले जाने की सलाह दी। वह 11 जुलाई को किसी तरह बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचा। बच्ची के पिता का आरोप है कि यहां भी चिकित्सकों ने उसे एडमिट करने से इंकार कर दिया। उसने सीएमएस से बच्ची के उपचार की गुहार लगाई। सीएमएस के हस्तक्षेप के बाद बच्ची को भर्ती किया गया।
मुश्किल से होता है परिवार का गुजारा
बातचीत के दौरान बच्ची के पिता ने बताया कि उसके घर में तीन बेटियां और एक बेटा है। हैवानियत का शिकार हुई बच्ची सबसे छोटी है। गांव में उसके पास खेती की महज डेढ़ बीघा जमीन है, जिससे परिवार का गुजारा नहीं हो पाता है। परिवार के सात लोगों का भरण पोषण करने के लिए वह एक कंपनी में 10 हजार रुपये की पगार पर गार्ड की नौकरी करता है। चिकित्सक बच्ची की दवाइयों पर हजारों रुपये का खर्च बता रहे हैं, जिसे वहन करना उसके बूते में नहीं हैं। पीड़ित पिता ने बताया कि गार्ड की नौकरी में उसके परिवार का खर्च बमुश्किल चल रहा है। ऐसे में दवाइयों के खर्च को कहां से पूरा करेगा। बस यही चिंता उसे सताए जा रही है।
--------
सियासी नेता और समाजसेवियों की चुप्पी पर भी सवाल
छोटे-छोटे मुद्दों पर जमकर बयानबाजी कर अपनी राजनीति चमकाने वाले नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना पर चुप्पी साधे हुए हैं। किसी भी राजनीतिक दल के नेता व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने घटना के 6 दिन बीतने के बाद भी पीड़ित बच्ची व परिवार की सुध लेने की जहमत नहीं उठाई। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहे जाने वाले गौतमबुद्धनगर में छोटी से छोटी घटना को मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों में प्रमुखता मिलती है। जनपद में 7 माह की दुधमुंही बच्ची के साथ हुई हैवानियत की घटना पर किसी भी राजनीतिक दल और सामजिक संगठनों का आगे न आना यह साबित करता है कि उनकी भी संवेदना खत्म हो चुकी है।
आरोपियों को मिले कड़ी सजा: पिता
पीड़ित बच्ची के पिता का कहना है कि उसकी बच्ची को इलाज के साथ-साथ जल्द न्याय मिले और दोषी को इस जघन्य अपराध के लिए कड़ी से कड़ी सजा मिले। पीड़िता के पिता ने कहा कि वर्ष 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड को लेकर जमकर प्रतिरोध हुआ था। नतीजतन सरकार को गंभीर रूप से घायल निर्भया को इलाज के लिए विदेश तक भेजना पड़ा था। समाज व सरकारी मशीनरी पर सवाल उठाते हुए पीड़ित ने कहा कि उसकी बेटी के साथ हुई हैवानियत पर समाज का हर तबका चुप्पी साधे हुए है।
अगली खबर पढ़ें
भारत
चेतना मंच
12 Jul 2022 04:10 PM
Greater Noida / Noida: ग्रेटर नोएडा /नोएडा। उस बच्ची की उम्र सिर्फ सात माह है। छोटी सी जिंदगी में उसे सात जन्मों का दर्द एकमुश्त मिल गया। एक दरिंदे की हवस की शिकार बच्ची मौजूदा समय में सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई अस्पताल के बेड पर दर्द से तड़प रही है। उसे देखकर बरबस ही हर किसी की आंखें नम हो रहीं हैं। लोग आते हैं, उसे निहारते हैं और फिर अपने रास्ते चले जाते हैं। मजबूर पिता के सामने जख्मी बच्ची के इलाज की समस्या पहाड़ की तरह खड़ी है। सरकारी डाक्टर भी मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रखते हुए दुराचार की शिकार सात माह की बच्ची का इलाज करने से साफ इनकार कर दिया। हालांकि बाद में सीएमएस के दखल के बाद उसे दाखिला मिल गया।
सरकारी चिकित्सकों की संवेदनहीनता का मामला उत्तर प्रदेश के किसी पिछड़े जिले का नहीं, बल्कि प्रदेश का शो विंडो कहे जाने वाले गौतमबुद्धनगर जिले के ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स अस्पताल का है। दनकौर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में बीती 6 जुलाई को एक अधेड़ व्यक्ति की हैवानियत का शिकार बनी 7 माह की बच्ची को उसका पिता इलाज के लिए कासना स्थित जिम्स अस्पताल लेकर पहुंचा। बच्ची के पिता का आरोप है कि वहां चिकित्सकों ने पैसे के अभाव में उसका उपचार करने से इंकार कर दिया। आर्थिक रूप से कमजोर पिता बिना इलाज कराए बच्ची को घर ले आया। हैवानियत का शिकार हुई बच्ची की हालत देखकर उसने उपचार के लिए कई लोगों से मदद की गुहार लगाई। गांव के ही किसी व्यक्ति ने उसे नोएडा के सेक्टर 30 स्थित चाइल्ड पीजीआई अस्पताल ले जाने की सलाह दी। वह 11 जुलाई को किसी तरह बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचा। बच्ची के पिता का आरोप है कि यहां भी चिकित्सकों ने उसे एडमिट करने से इंकार कर दिया। उसने सीएमएस से बच्ची के उपचार की गुहार लगाई। सीएमएस के हस्तक्षेप के बाद बच्ची को भर्ती किया गया।
मुश्किल से होता है परिवार का गुजारा
बातचीत के दौरान बच्ची के पिता ने बताया कि उसके घर में तीन बेटियां और एक बेटा है। हैवानियत का शिकार हुई बच्ची सबसे छोटी है। गांव में उसके पास खेती की महज डेढ़ बीघा जमीन है, जिससे परिवार का गुजारा नहीं हो पाता है। परिवार के सात लोगों का भरण पोषण करने के लिए वह एक कंपनी में 10 हजार रुपये की पगार पर गार्ड की नौकरी करता है। चिकित्सक बच्ची की दवाइयों पर हजारों रुपये का खर्च बता रहे हैं, जिसे वहन करना उसके बूते में नहीं हैं। पीड़ित पिता ने बताया कि गार्ड की नौकरी में उसके परिवार का खर्च बमुश्किल चल रहा है। ऐसे में दवाइयों के खर्च को कहां से पूरा करेगा। बस यही चिंता उसे सताए जा रही है।
--------
सियासी नेता और समाजसेवियों की चुप्पी पर भी सवाल
छोटे-छोटे मुद्दों पर जमकर बयानबाजी कर अपनी राजनीति चमकाने वाले नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना पर चुप्पी साधे हुए हैं। किसी भी राजनीतिक दल के नेता व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने घटना के 6 दिन बीतने के बाद भी पीड़ित बच्ची व परिवार की सुध लेने की जहमत नहीं उठाई। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहे जाने वाले गौतमबुद्धनगर में छोटी से छोटी घटना को मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों में प्रमुखता मिलती है। जनपद में 7 माह की दुधमुंही बच्ची के साथ हुई हैवानियत की घटना पर किसी भी राजनीतिक दल और सामजिक संगठनों का आगे न आना यह साबित करता है कि उनकी भी संवेदना खत्म हो चुकी है।
आरोपियों को मिले कड़ी सजा: पिता
पीड़ित बच्ची के पिता का कहना है कि उसकी बच्ची को इलाज के साथ-साथ जल्द न्याय मिले और दोषी को इस जघन्य अपराध के लिए कड़ी से कड़ी सजा मिले। पीड़िता के पिता ने कहा कि वर्ष 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड को लेकर जमकर प्रतिरोध हुआ था। नतीजतन सरकार को गंभीर रूप से घायल निर्भया को इलाज के लिए विदेश तक भेजना पड़ा था। समाज व सरकारी मशीनरी पर सवाल उठाते हुए पीड़ित ने कहा कि उसकी बेटी के साथ हुई हैवानियत पर समाज का हर तबका चुप्पी साधे हुए है।
Health : भारत के सबसे पुराने फलों में से एक, 'बेर' फल ही नहीं औषधि भी है!
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 07:27 AM
विनय संकोचीHealth : बेर (Berry) एक फल है, जिसे लोग बड़े स्वाद से खाते हैं। खट्टा मीठा देर भारत के सबसे प्राचीन फलों में से एक है। रामायण का वह प्रसंग बेर की प्राचीनता को प्रमाणित करता है, जिसमें भीलनी ने भगवान राम को बेर खिलाए थे और राम जी ने बड़े चाव से खाए थे। बेर के फल को सीधा खाया जा सकता है, लोग खाते ही हैं। लेकिन कम लोग जानते हैं कि अचार, मुरब्बा, जूस और ब्रांडी बनाने में भी बेर का उपयोग किया जाता है। बेर को खाने का कोई निश्चित समय नहीं है। इसे सुबह, दोपहर, शाम जब मन करे खाया जा सकता है। यदि विशेषज्ञों की माने तो प्रतिदिन तीन-चार बेर का सेवन ही स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित रहता है। बेर पोषक तत्वों से भरपूर फल है। इसमें प्रोटीन (Protein) ,कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), वसा (Fat), आयरन (Iron), मैग्नीशियम (Magnesium), कैल्शियम (Calcium), पोटेशियम (Potassium), सोडियम (Sodium), फास्फोरस (Phosphorus), मैग्नीज (Manganese), कॉपर (Copper), जिंक(Zinc), विटामिन सी (Vitamin-C), विटामिन बी6 (Vitamin-B6), नियासिन (Niacin), राइबोफ्लेविन (Riboflavin), फाइबर (Fiber )और विटामिन ए (Vitamin-A) जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं, जो इसे सेहत के लिए लाभकारी बनाते हैं।
आइए जानते हैं बेर के उपयोग और इसके खाने से होने वाले लाभ के बारे में-
• बेर के सेवन से तनाव मुक्त हुआ जा सकता है। बेर न केवल तनाव के विरुद्ध मोर्चा संभालने में सक्षम है, अपितु यह मस्तिष्क की न्यूरॉनल कोशिकाओं की रक्षा करता है और सीखने की क्षमता को भी बढ़ाता है।
• बेर में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, जिसके चलते बेर के सेवन से मांसपेशियों की सूजन को कम किया जा सकता है।
• बेर आंखों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। बेर के उपयोग से आंखों के संक्रमण का उपचार किया जा सकता है। ऐसा बेर की एंटी माइक्रोबियल गतिविधि की वजह से होता है।
• बेर के सेवन से दिमागी दौरे के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। बेर के हाइड्रोक्लोरिक अर्क में मौजूद एक तत्व विशेष के कारण यह संभव हो सकता है।
• बेर के सेवन से आंतों की सूजन को कम किया जा सकता है। इसके अलावा बेर के पत्ते खाने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी विकारों से बचा जा सकता है।
• बेर के सेवन से पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान की जा सकती है। बेर खाने से कब्ज की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है। फाइबर की मौजूदगी के कारण बेर पाचन से जुड़ी अनेक समस्याओं में औषधि का काम कर सकता है।
• बेर वजन कम करने में सहायक होता है। इसके सेवन से बॉडी मास इंडेक्स के साथ फैट और वजन कम हो सकता है।
• बेर के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार किया जा सकता है। यदि रोजाना खुराक में बेर को शामिल कर लिया जाए, तो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाया जा सकता है।
• कॉपर की कमी से भी हड्डियां कमजोर होती हैं। बेर में मौजूद कॉपर और कैल्शियम व फॉस्फोरस हड्डियों के निर्माण और उनके स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
• बेर के सेवन से रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है। बेर के अर्क में रक्त संचार को सुचारू करने के गुण पाए जाते हैं।
• बेर में मौजूद अमीनो एसिड बायोएक्टिव पदार्थ और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सहायता कर सकते हैं।
जरूरी बात : मधुमेह रोगियों को बेर का अधिक सेवन नुकसानदायक होता है। अधिक मात्रा में बेर खाने से गैस और पेट की सूजन जैसी समस्या पैदा हो सकती है। एलर्जी की स्थिति में बेर का सेवन हानिकारक हो सकता है।विशेष : यहां बेर से जुड़ी विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है, जिसे चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं माना जा सकता है। हम बेर के किसी भी रूप में उपयोग, प्रयोग से लाभ का कोई दावा नहीं करते है। बेर को किसी भी रोग विशेष में औषधि के रूप में प्रयोग से पूर्व योग्य चिकित्सक/आयुर्वेदाचार्य/आहार विशेषज्ञ से परामर्श आवश्यक/अनिवार्य है।
अगली खबर पढ़ें
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 07:27 AM
विनय संकोचीHealth : बेर (Berry) एक फल है, जिसे लोग बड़े स्वाद से खाते हैं। खट्टा मीठा देर भारत के सबसे प्राचीन फलों में से एक है। रामायण का वह प्रसंग बेर की प्राचीनता को प्रमाणित करता है, जिसमें भीलनी ने भगवान राम को बेर खिलाए थे और राम जी ने बड़े चाव से खाए थे। बेर के फल को सीधा खाया जा सकता है, लोग खाते ही हैं। लेकिन कम लोग जानते हैं कि अचार, मुरब्बा, जूस और ब्रांडी बनाने में भी बेर का उपयोग किया जाता है। बेर को खाने का कोई निश्चित समय नहीं है। इसे सुबह, दोपहर, शाम जब मन करे खाया जा सकता है। यदि विशेषज्ञों की माने तो प्रतिदिन तीन-चार बेर का सेवन ही स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित रहता है। बेर पोषक तत्वों से भरपूर फल है। इसमें प्रोटीन (Protein) ,कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), वसा (Fat), आयरन (Iron), मैग्नीशियम (Magnesium), कैल्शियम (Calcium), पोटेशियम (Potassium), सोडियम (Sodium), फास्फोरस (Phosphorus), मैग्नीज (Manganese), कॉपर (Copper), जिंक(Zinc), विटामिन सी (Vitamin-C), विटामिन बी6 (Vitamin-B6), नियासिन (Niacin), राइबोफ्लेविन (Riboflavin), फाइबर (Fiber )और विटामिन ए (Vitamin-A) जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं, जो इसे सेहत के लिए लाभकारी बनाते हैं।
आइए जानते हैं बेर के उपयोग और इसके खाने से होने वाले लाभ के बारे में-
• बेर के सेवन से तनाव मुक्त हुआ जा सकता है। बेर न केवल तनाव के विरुद्ध मोर्चा संभालने में सक्षम है, अपितु यह मस्तिष्क की न्यूरॉनल कोशिकाओं की रक्षा करता है और सीखने की क्षमता को भी बढ़ाता है।
• बेर में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, जिसके चलते बेर के सेवन से मांसपेशियों की सूजन को कम किया जा सकता है।
• बेर आंखों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। बेर के उपयोग से आंखों के संक्रमण का उपचार किया जा सकता है। ऐसा बेर की एंटी माइक्रोबियल गतिविधि की वजह से होता है।
• बेर के सेवन से दिमागी दौरे के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। बेर के हाइड्रोक्लोरिक अर्क में मौजूद एक तत्व विशेष के कारण यह संभव हो सकता है।
• बेर के सेवन से आंतों की सूजन को कम किया जा सकता है। इसके अलावा बेर के पत्ते खाने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी विकारों से बचा जा सकता है।
• बेर के सेवन से पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान की जा सकती है। बेर खाने से कब्ज की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है। फाइबर की मौजूदगी के कारण बेर पाचन से जुड़ी अनेक समस्याओं में औषधि का काम कर सकता है।
• बेर वजन कम करने में सहायक होता है। इसके सेवन से बॉडी मास इंडेक्स के साथ फैट और वजन कम हो सकता है।
• बेर के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार किया जा सकता है। यदि रोजाना खुराक में बेर को शामिल कर लिया जाए, तो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाया जा सकता है।
• कॉपर की कमी से भी हड्डियां कमजोर होती हैं। बेर में मौजूद कॉपर और कैल्शियम व फॉस्फोरस हड्डियों के निर्माण और उनके स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
• बेर के सेवन से रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है। बेर के अर्क में रक्त संचार को सुचारू करने के गुण पाए जाते हैं।
• बेर में मौजूद अमीनो एसिड बायोएक्टिव पदार्थ और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सहायता कर सकते हैं।
जरूरी बात : मधुमेह रोगियों को बेर का अधिक सेवन नुकसानदायक होता है। अधिक मात्रा में बेर खाने से गैस और पेट की सूजन जैसी समस्या पैदा हो सकती है। एलर्जी की स्थिति में बेर का सेवन हानिकारक हो सकता है।विशेष : यहां बेर से जुड़ी विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है, जिसे चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं माना जा सकता है। हम बेर के किसी भी रूप में उपयोग, प्रयोग से लाभ का कोई दावा नहीं करते है। बेर को किसी भी रोग विशेष में औषधि के रूप में प्रयोग से पूर्व योग्य चिकित्सक/आयुर्वेदाचार्य/आहार विशेषज्ञ से परामर्श आवश्यक/अनिवार्य है।
Stock Market: शेयर बाजार में गिरावट से निवेशकों को हुआ नुकसान, सेंसेक्स 300 अंक से अधिक लुढ़का
Pic Source: AAJ Tak
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 09:51 AM
नई दिल्ली: ग्लोबल मार्केट से मिलने वाली कमजोर संकेतों के बाद घरेलू शेयर बाजार में मंगलवार को गिरावट होना शुरु हो गई है। कारोबारी की शुरुआत में सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान के साथ खुल गया था। कारोबरी सत्र की शुरुआत में 30 अंक वाला सेंसेक्स 175 अंक गिरने के बाद 54,219.78 के स्तर पर खुल गया था वहीं, 50 अंक वाला निफ्टी 90 अंक टूटने के बाद 16,126.20 के स्तर पर खुल गया था।
ग्लोबल मार्केट में हावी हो चुकी है गिरावट
दूसरी तरफ ग्लोबल बाजार में कमजोरी बीच अमेरिकी बाजार दबाव में दिखाई देना शुरु कर दिया है। डाओ जोंस 165 अंक गिरकर बंद हुआ वहीं नैस्डेक में 2.25 प्रतिशत की टूट देखी जा चुकी है। एलन मस्क के ट्विटर डील से पीछे हटने के बाद देखा जाए तो शेयर में 11 प्रतिशत की गिरावट होना शुरु हो गई है। यूरोपीय बाजार में मिला-जुला रुख दिखाना शुरु कर दिया है। एशियन मार्केट में भी गिरावट हुई है।
इससे पहले हफ्ते के पहले कारोबार दिन शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हो गया था। कारोबारी सत्र के अंत में 30 अंक वाला सेंसेक्स 86.61 अंक गिरने के बाद 54,395.23 पर बंद हो गया था। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 4.60 अंक टूटने के बाद 16,216 अंक पर पहुंच गया था।
शेयर बाजार में 175 अंक गिरने के बाद 54,219 पर खुल गया था। फिलहाल सेंसेक्स 204 अंक गिरने के बाद 54,190 पर पहुंच गया है।
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 09:51 AM
नई दिल्ली: ग्लोबल मार्केट से मिलने वाली कमजोर संकेतों के बाद घरेलू शेयर बाजार में मंगलवार को गिरावट होना शुरु हो गई है। कारोबारी की शुरुआत में सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान के साथ खुल गया था। कारोबरी सत्र की शुरुआत में 30 अंक वाला सेंसेक्स 175 अंक गिरने के बाद 54,219.78 के स्तर पर खुल गया था वहीं, 50 अंक वाला निफ्टी 90 अंक टूटने के बाद 16,126.20 के स्तर पर खुल गया था।
ग्लोबल मार्केट में हावी हो चुकी है गिरावट
दूसरी तरफ ग्लोबल बाजार में कमजोरी बीच अमेरिकी बाजार दबाव में दिखाई देना शुरु कर दिया है। डाओ जोंस 165 अंक गिरकर बंद हुआ वहीं नैस्डेक में 2.25 प्रतिशत की टूट देखी जा चुकी है। एलन मस्क के ट्विटर डील से पीछे हटने के बाद देखा जाए तो शेयर में 11 प्रतिशत की गिरावट होना शुरु हो गई है। यूरोपीय बाजार में मिला-जुला रुख दिखाना शुरु कर दिया है। एशियन मार्केट में भी गिरावट हुई है।
इससे पहले हफ्ते के पहले कारोबार दिन शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हो गया था। कारोबारी सत्र के अंत में 30 अंक वाला सेंसेक्स 86.61 अंक गिरने के बाद 54,395.23 पर बंद हो गया था। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 4.60 अंक टूटने के बाद 16,216 अंक पर पहुंच गया था।
शेयर बाजार में 175 अंक गिरने के बाद 54,219 पर खुल गया था। फिलहाल सेंसेक्स 204 अंक गिरने के बाद 54,190 पर पहुंच गया है।