उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं अनेक विशेषताएं, जानें 10 सबसे छोटे जिलों को

Smallest districts of Uttar Pradesh
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calendar01 Dec 2025 08:59 AM
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उत्तर प्रदेश आबादी के मामले में भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है। भारत में पिछली जनगण्ना वर्ष-2011 में हुई थी। वर्ष-2011 में हुई जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश की आबादी 24 करोड़ 10 लाख 66 हजार 874 थी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की आबादी 35 करोड़ तक होने का अनुमान है। आकार अथवा भौगोलिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश दूसरा सबसे बड़ा प्रदेश है। भौगोलिक दृष्टि से राजस्थान प्रदेश उत्तर प्रदेश से बड़ा है। उत्तर प्रदेश भारत की 240928 वर्ग किलोमीटर जमीन पर फैला हुआ है। पूरे भारत के हिसाब से बात करें तो उत्तर प्रदेश भारत के कुल आकार के 7.7 प्रतिशत के बराबर है। Uttar Pradesh Samachar

गौरवशाली इतिहास रहा है उत्तर प्रदेश का

दुनिया का हर देश तथा प्रदेश अपने इतिहास पर गर्व करता है। उत्तर प्रदेश का इतिहास बहुत ही गौरवशाली इतिहास है। उत्तर प्रदेश में जन्म लेने वाली अनेक हस्तियों ने प्रदेश तथा देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। उत्तर प्रदेश को पूर्व में उत्तर-पश्चिम प्रांत के नाम से जाना जाता था। हालांकि, बाद में ब्रिटिश ने इसका नाम बदलकर संयुक्त प्रांत कर दिया। देश आजाद हुआ, तो साल 1950 में प्रदेश का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया। नवंबर, 2000 में इसमें से एक अलग राज्य का गठन किया गया, जिसे उत्तरांचल नाम दिया गया। वहीं, साल 2006 में यह उत्तराखंड हो गया।

कुल 75 जिलों में फैला हुआ है उत्तर प्रदेश

आबादी की दृष्टि से नम्बर-1 उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश पूरे भारत में सबसे अधिक जिले वाला राज्य है। यहां कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये सभी मंडल कुल चार संभागों का हिस्सा हैं, जिनमें पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और बुंदेलखंड शामिल है। उत्तर प्रदेश में कुल 351 तहसील, 17 नगर निगम, 28 विकास प्राधिकरण, 75 नगर पंचायत और 5 विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण मौजूद हैं।  इसके अलावा भी उत्तर प्रदेश की ढ़ेर सारी विशेषताएं हैं। यहां जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे जिले कौन से हैं।

उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे जिलों की पूरी सूची

हापुड़ (Hapur): यह उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला माना जाता है, जो कि 660 वर्ग किलोमीटर में है। जिले को स्टील सिटी के रूप में भी जाना जाता है। हापुड़ जिले को गाजियाबाद जिले से अलग करके बनाया गया है। गाजियाबाद (Ghaziabad): गाजियाबाद जिला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का प्रमुख हिस्सा है। यह प्रदेश का दूसरा सबसे छोटा जिला है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 1,034 वर्ग किलोमीटर है। हापुड़ तथा गौतमबुद्धनगर जिले गाजियाबाद जिले में से ही बने हैं। भदोही (Bhadohi)/संत रविदास नगर: यह जिला कालीन उद्योग के लिए जाना जाता है। जिले का कुल एरिया करीब 1,116 वर्ग किलोमीटर है। हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कुछ जगहों पर इस जिले को दूसरा सबसे छोटा जिला माना जाता है। शामली (Shamli): शामली जिला पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रमुख जिला है। जिले का कुल एरिया लगभग 1,167.5 वर्ग किलोमीटर है। गौतमबुद्धनगर (Gautam Buddha Nagar): यह जिला प्रदेश का सबसे पढ़ा-लिखा जिला है, जिसमें नोएडा और ग्रेटर नोएडा भी शामिल हैं। जिले का क्षेत्रफल लगभग 1,269 वर्ग किलोमीटर है। बागपत (Baghpat):  बागपत जिला पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिलों में शामिल है। इसका कुल एरिया 1,321 वर्ग किलोमीटर है। मऊ (Mau): यह जिला पूर्वी उत्तर प्रदेश में आता है और कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। जिले का कुल एरिया 1,713 वर्ग किलोमीटर है। हाथरस (Hathras): इस जिले को हींग उद्योग के लिए जाना जाता है। जिले का कुल एरिया 1,752 वर्ग किलोमीटर है। कौशांबी (Kaushambi): कौशांबी जिला दाल प्रोसेसिंग के लिए जाना जाता है। जिला का कुल एरिया1,837 वर्ग किलोमीटर है। फर्रुखाबाद (Farrukhabad): यह जिला कपड़ा छपाई के लिए जाना जाता है। जिले का कुल एरिया करीब 2,279 वर्ग किलोमीटर है। Uttar Pradesh Samachar

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उत्तर प्रदेश के खास युवा एक सुर में बोले, थैंक्यू योगी जी

Uttar Pradesh
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calendar30 Jul 2025 08:47 PM
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार को विशेष नजारा देखने को मिला। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से आयोजित एक समारोह में प्रदेश के खास युवक एक सुर में बोल उठे कि - ‘‘थैंक्यू योगी जी”। यह नजारा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित CM युवा कॉन्क्लेव में देखने को मिला। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित CM युवा कॉन्क्लेव के दौरान योजना के पांच लाभार्थियों ने मंच से अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे यह योजना उनके लिए सिर्फ एक आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की राह का मार्गदर्शन बनी। इन पांचों युवाओं ने सिर्फ अपनी सफलता की कहानी साझा नहीं की, बल्कि इस बात पर भी जोर दिया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना को सिर्फ घोषणाओं तक सीमित नहीं रखा, बल्कि प्रभावी कार्यान्वयन के जरिए इसे युवाओं के जीवन से जोड़ा है। इसके लिए सभी ने मुख्यमंत्री का आभार जताया और एक सुर में कहा कि-  ‘‘थैंक्यू योगी जी”। Uttar Pradesh Samachar

उत्तर प्रदेश के युवा वर्ग की सफलता की कहानी बनी योजना

दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने CM युवा योजना घोषित कर रखी है। उत्तर प्रदेश सरकार की CM युवा योजना प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की CM युवा योजना के लाभार्थियों के साथ सीधा संवाद करने के मकसद से लखनऊ में दो दिन का CM युवा कॉन्क्लेव आयोजित किया गया है। इस कॉन्क्लेव के पहले दिन पांच होनहार युवाओं ने अपनी सफलता की कहानी को स्टेज से बयान किया। नीचे पांचों युवाओं की कहानी आप उन्हीं की जबानी पढ़ सकते हैं।

कानपुर की प्रभनूर कौर : बेंगलुरू से सीखी ट्रेनिंग, अब केक्स की क्वीन

कानपुर निवासी प्रभनूर कौर एक प्रोफेशनल बेकरी चलाती हैं, जिसमें लग्जरी और कस्टमाइज केक बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि बेंगलुरु से ट्रेनिंग लेने के बाद वे कुछ करना चाहती थीं लेकिन संसाधनों की कमी आड़े आ रही थी। जब उन्हें जिला उद्योग कार्यालय से सीएम युवा योजना की जानकारी मिली, तो उन्होंने आवेदन किया और ₹4.25 लाख का लोन प्राप्त किया। इस सहायता से उन्होंने एक बेकरी स्टूडियो खोला और अब अपने साथ-साथ कई अन्य लोगों को भी रोजगार दे रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “सरकार ने ऐसा मंच दिया जहां युवाओं को अपने सपने पूरे करने का अवसर मिल रहा है।”

लखनऊ के विजय पांडे: लकड़ी के खिलौनों से 16 जिलों में कारोबार

विजय पांडे लकड़ी के खिलौने बनाते हैं और अब उत्तर प्रदेश के 16 ज़िलों में उनकी सप्लाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास हुनर तो था, लेकिन पूंजी नहीं। सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें सीएम युवा योजना के बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद जिला उद्योग केंद्र से संपर्क कर उन्होंने आवेदन किया। 15 से 20 दिनों के भीतर लोन स्वीकृत हुआ और अब वे 15 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। विजय कहते हैं, “मुख्यमंत्री जी ने न केवल यह योजना बनाई, बल्कि इसे धरातल पर भी पूरी प्रतिबद्धता से लागू किया।”

शशांक चौरसिया: फार्मा की नौकरी छोड़ शुरू किया क्रिएटिव स्टूडियो

लखनऊ के शशांक चौरसिया मूलतः फार्मासिस्ट हैं और बेंगलुरु में नौकरी करते थे, लेकिन उन्होंने खुद का कुछ शुरू करने का फैसला किया। सीएम युवा योजना के तहत उन्होंने एक स्टूडियो की शुरुआत की, जिसमें वेडिंग फोटोशूट और कॉमर्शियल शूट्स किए जाते हैं। आज वे खुद के लिए ही नहीं, अन्य युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर बना रहे हैं। आज उनका टर्नओवर 4-5 लाख पहुंच गया है।

तूबा सिद्दीकी: नेचुरल क्लीनर से देशभर में पहचान बनाई

लखनऊ की रहने वाली बायोटेक्नोलॉजिस्ट तूबा सिद्दीकी ने नेचुरल क्लीनर प्रोडक्ट के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। शुरुआत में उन्होंने लोन लेने को लेकर संकोच किया, लेकिन जब सीएम युवा योजना के बारे में सुना तो उन्होंने प्रयास किया और सिर्फ 15 दिन में लोन स्वीकृत हो गया। अब वे 10 से अधिक लोगों को रोजगार दे रही हैं और उनके उत्पाद दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों तक पहुंच रहे हैं। तूबा कहती हैं, “आज मैं गर्व से कह सकती हूं कि मैंने अपनी जगह खुद बनाई है, वो भी एक महिला उद्यमी के रूप में।”

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सीतापुर के अमरदीप सिंह: फिजियोथेरेपिस्ट से बन गए सेंटर ओनर

सीतापुर के अमरदीप सिंह, जो कि एक फिजियोथेरेपिस्ट हैं, पारिवारिक जिम्मेदारियों और आर्थिक स्थिति के चलते बाहर नहीं जा सके। एक मित्र के माध्यम से उन्हें सीएम युवा योजना की जानकारी मिली। लोन मिलने के बाद उन्होंने अपना रिकवरी सेंटर शुरू किया और अब 4-5 लोगों को रोज़गार दे पा रहे हैं। वे कहते हैं, “सीएम युवा योजना ने न केवल मुझे व्यवसाय शुरू करने का हौसला दिया बल्कि मेरी जिंदगी की दिशा ही बदल दी।” Uttar Pradesh Samachar
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यूपी में अनोखी 'पीडीए पाठशाला': बच्चों को 'अ फॉर अखिलेश, इ फॉर आंबेडकर' सिखा रहे नेताजी!

Pda pathshala
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calendar01 Dec 2025 10:30 AM
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Uttar Pradesh Sarkar : उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के नया गांव (सिद्पुरा), मल्हीपुर रोड स्थित एक गांव इन दिनों एक अनोखी पाठशाला को लेकर चर्चा में है। समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में चल रही इस "पीडीए पाठशाला" (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का उद्देश्य सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाना बताया गया है, लेकिन इसने सियासी रंग भी खूब बटोरा है।

क्या है पीडीए पाठशाला?

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर यह अभियान शुरू किया गया है। सपा नेताओं का दावा है कि यह स्कूल उन गरीब बच्चों के लिए है जिन्हें सरकारी नीतियों के चलते शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। जिले की पहली पीडीए पाठशाला का संचालन वरिष्ठ सपा नेता फरहाद आलम गाड़ा की अगुवाई में हुआ। उन्होंने बताया कि "बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने हमें शिक्षा का जो अधिकार दिया है, वो आज खतरे में है। गरीब बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, इसलिए हमने यह पाठशाला शुरू की है।"

अ से अखिलेश, इ से आंबेडकर, बदला हुआ एबीसीडी!

इस पाठशाला की सबसे दिलचस्प बात यह रही कि इसमें बच्चों को पढ़ाया गया: -अ फॉर अखिलेश यादव -इ फॉर बाबा साहब आंबेडकर -उ फॉर चौधरी चरण सिंह -ऊ फॉर डिंपल यादव -ट फॉर मुलायम सिंह यादव यानी, परंपरागत ए फॉर एप्पल वाली शिक्षा प्रणाली की जगह, सियासी 'एबीसीडी' ने बच्चों की किताबें रंग दी हैं।

नेता जी ने क्या कहा?

फरहाद आलम ने कहा कि "यदि सरकार ने कोर्ट के फैसले और संविधान सम्मत अधिकारों का सम्मान नहीं किया, तो हमारी पाठशालाओं में हम यही पाठ पढ़ाएंगे।" उनका आरोप है कि सरकार शिक्षा के निजीकरण और सुविधाओं की कटौती के जरिए गरीब तबकों को पढ़ाई से दूर कर रही है। इस अनोखी पहल पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। जहां एक ओर समाजवादी पार्टी इसे एक सामाजिक जागरूकता अभियान बता रही है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी समर्थक इसे बच्चों के राजनीतिक ब्रेनवॉश की कोशिश करार दे रहे हैं। पीडीए पाठशाला एक ओर गरीब बच्चों को पढ़ाने की पहल है, तो दूसरी ओर यह शिक्षा को लेकर चल रही राजनीति का प्रतीक भी बन चुकी है। सवाल यह है कि क्या राजनीति अब पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगी या यह सिर्फ एक आंदोलनात्मक प्रतीक रहेगा? इसका जवाब समय और समाज दोनों को मिलकर देना होगा।