Ram V.Sutar: मिलिये एक ऐसे जादूगर से ,जो मिट्टी में भी डाल देते हैं जान ....

Murtikaar
RAM V SUTAR
locationभारत
userचेतना मंच
calendar18 Apr 2023 07:16 PM
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Ram V.Sutar: 98 वर्ष की अवस्था में राम वी सुतार अयोध्या में राम लला की मूर्ति बनाएँगे । इस उम्र में भी अपने काम के प्रति मूर्तिकार राम वी सुतार का जोश वैसा ही है जैसा बरसो पहले था । 200 से अधिक विशालकाय मूर्तियां बना चुके दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैचू ऑफ यूनिटी को बनाने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वी सुतार का जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के एक छोटे से गांव  गुंदूर में हुआ था ।

पिता थे कार्पेंटर 

उनके पुरखे गुजरात से थे जो काफी समय पहले महाराष्ट्र में आकर बस गए थे। उनके पिता वन जी हंसराज सुतार कारपेंटर का काम करते थे।  खेती-बाड़ी के लिए कुछ जमीन भी थी । 8 भाई बहनों में राम जी सुतार दूसरे स्थान पर थे । राम जी बचपन से ही अपने दादा के साथ उनके काम में हाथ बटाया करते थे।  उन्हें तस्वीरें बनाने का बहुत शौक था स्कूल में भी उनकी बनाई पेंटिंग की सब तारीफ करते थे । 10 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार अपने अध्यापक के लिए भगवान गणेश की 1 फुट की एक प्रतिमा बनाई थी जिसे बहुत पसंद किया गया।  उन्होंने साबुन पर ऐसी नक्काशी की जो सब देखते रह गए।  उनकी कला से उनके अध्यापक काफी  प्रभावित थे । उनकी पढ़ाई लिखाई आसान नहीं थी।  8 बच्चों के परिवार का गुजारा भी जैसे तैसे होता था । संघर्षों के साथ उनकी पढ़ाई लिखाई चलती रही ।  राम सुतार जी योगा और मलखंभ का अभ्यास भी किया करते थे । जिसने उनके भीतर के कलाकार को अनुशासित किया ।

 शिल्प साधना के लिए कई बार हो चुके हैं सम्मानित

[caption id="attachment_83002" align="aligncenter" width="550"]RAM V SUTAR RAM V SUTAR[/caption] Ram V.Sutar: पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने श्री राम कृष्ण जोशी के बारे में सुना जो एक प्रसिद्ध ड्राइंग टीचर थे । उनका नाम सुनकर उनके पास पेंटिंग सीखने के लिए चले गए ।  जोशी जी उनसे प्रभावित हुए और उन्हें अपना शिष्य स्वीकार कर लिया।  उनके गुरु जी ने उनके शिवाजी और भवानी  आर्ट वर्क को मुंबई में एक एग्जिबिशन में भेजा, जहां उन्हें सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ यह उनका पहला अवार्ड था।  फिर एक दौर ऐसा भी आया जब कला की तरफ ज्यादा झुकाव से उनकी पढ़ाई लिखाई प्रभावित होने लगी, मैट्रिक के इंतिहान के दौरान उनके पिता का भी देहांत हो गया इस सब का नतीजा यह हुआ कि वे परीक्षा में फेल हो गए ।

फेल होने के बाद निराशा में डूबे थे

फेल होने के बाद में निराशा में डूबे थे तब ऐसे में उनके गुरु उनके पास आए और उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और वो उनके गॉडफादर बन गए । उन्हीं के कहने पर राम सुतार ने  जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में दाखिला ले लिया और वहां उनकी कला दिन-ब-दिन निखरती चली गई।  गुरु जी ने ही उनकी शिक्षा और रहने का खर्च भी उठाया।

संसद भवन में 18 फीट ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति का किया निर्माण

वे  पारंपरिक भारतीय शैली में मूर्तियां बनाते थे धीरे-धीरे कला जगत में उनका बड़ा नाम हो गया उन्होंने एक के बाद एक कई शानदार शाहकार बनाए उसके बाद पैसा , नाम ,शोहरत सब उनकी झोली में आते चले गए लेकिन इससे उनके काम या कला के प्रति उनके समर्पण में जरा भी फर्क नहीं पड़ा। वे अनवरत काम करते रहे और आज भी  98 वर्ष की अवस्था में भी थके नहीं है और हमेशा यही कहते हैं कभी पीछे मत देखो

Ram V.Sutar:  जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में ली शिक्षा 

Ram V.Sutar: 1959 में वह दिल्ली आ गए और भारत सरकार के सूचना-प्रसारण मंत्रालय में काम करने लगे। इससे पहले वह फ्रीलांस मूर्तिकार के रूप में काम करते थे। दिल्ली के लक्ष्मीनगर में उन्होंने एक स्टूडियो खोला। 1990 से नोएडा में बस गए सुतार ने साहिबाबाद में साल 2006 में अपनी कास्टिंग फैक्ट्री स्थापित की।महात्मा गांधी से बहुत ज्यादा प्रभावित सुतार ने भारतीय ऐतिहासिक धरोहरों को पुनर्स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साल 1954 से 1958 के बीच उन्होंने अजंता और एलोरा की गुफाओं की कई पुरानी नक्काशियों को फिर से स्थापित करने में योगदान दिया। पत्थर की एक ही चट्टान से उन्होंने मध्य प्रदेश में चंबल स्मारक को शानदार तरीके से तराशा। साल 1959 की बात है। भाखड़ा-नांगल बांध बनाने वाले मजदूरों को सम्मानित करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 50 फुट के लेबर स्टैच्यू के शिल्प का काम सुतार को दिया था। यह प्रतिमा 16 जनवरी 1959 को स्थापित की गई, जो आज भी मई दिवस की प्रतिनिधि तस्वीर मानी जाती है। भारत में आज के 'विश्वकर्मा' [caption id="attachment_83003" align="aligncenter" width="657"]RAM V SUTAR RAM V SUTAR[/caption] सुतार ने भारत में राजनेताओं से लेकर ऐतिहासिक नायकों तक की इतनी मूर्तियों को बनाने में योगदान दिया है कि उन्हें आज का विश्वकर्मा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। गुजरात में बनी दुनिया की सबसे ऊंची 182 मीटर की मूर्ति राम वी सुतार ने ही तैयार की है। दिल्ली की 10 फीट लंबी गोविंद वल्लभ पंत की कांस्य प्रतिमा, बिहार में कर्पूरी ठाकुर, अनुग्रह नारायण सिन्हा की मूर्ति, अमृतसर में महाराजा रणजीत सिंह की 21 फीट ऊंची प्रतिमा के साथ संसद के अंदर लगी महात्मा गांधी की मूर्ति को भी सुतार ने ही आकार दिया है। संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के मुख्यालय पर  महात्मा गांधी की प्रतिमा का शिल्प भी राम वनजी सुतार ने किया था। महात्मा गांधी की यह पहली मूर्ति है, जिसे यूएन मुख्यालय में स्थापित किया गया। अयोध्या में लता मंगेशकर को समर्पित लगा चौक पर लगी वीणा की विशाल प्रतिमा भी सुतार ने ही तैयार की है।

अयोध्या में रामलला की प्रतिमा बनाएंगे राम वी. सुतार 

Ram V.Sutar:  रामजी सुतार अयोध्या के बहुप्रतीक्षित राम मंदिर में भगवान राम की रूप प्रतिमा का शिल्प तो करेंगे ही। इसके साथ ही अयोध्या में बनने वाली दुनिया की सबसे ऊंची भगवान राम की मूर्ति को भी बनाने में वह अपने बेटे अनिल सुतार के साथ लगे हैं। इसके अलावा मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज की 212 मीटर ऊंची और बाबा साहेब की 137.2 मीटर ऊंची प्रतिमा को बनाने में भी वह अपना योगदान दे रहे हैं। कर्नाटक में भगवान शिव की 46.6 मीटर ऊंची मूर्ति को भी सुतार ही तैयार कर रहे हैं। इन सम्मानों से सम्मानित राम वी सुतार को उनकी कलात्मक शिल्प साधना को सम्मानित करते हुए साल 1999 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पद्मश्री से अलंकृत किया था। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार और टैगोर कल्चरल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। सुतार बॉम्बे आर्ट्स सोसाइटी की ओर से 3 पुरस्कारों से सम्मानित हुए हैं।

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चेतना मंच को दिए खास इंटरव्यू में राम सुतार जी ने अपने जीवन की कई दिलचस्प बातें बताई हैं ।  देखिए वीडियो https://youtu.be/Wt-p4hfMl1E
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World Heritage Day 2023- इस थीम के साथ मनाया जा रहा विश्व धरोहर दिवस

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calendar30 Nov 2025 07:12 AM
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World Heritage Day 2023-आज विश्व धरोहर दिवस है। प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य विश्व भर के लोगों में समृद्ध विरासत के प्रति जागरूकता फैलाना तथा लोगों को अपनी संस्कृति और परंपरा के करीब लाना है। प्रतिवर्ष ICOMOS द्वारा विश्व धरोहर दिवस की थीम निर्धारित की जाती है।

History of World Heritage Day: विश्व धरोहर दिवस का इतिहास –

दुनिया भर की मशहूर इमारतों एवं स्थलों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन (International Organization) द्वारा स्टॉकहोम में आयोजित होने वाले एक इंटरनेशनल समिति में दुनिया भर की मशहूर इमारतों और स्थलों की सुरक्षा का प्रस्ताव पेश किया था। मशहूर इमारतों और स्थलों की सुरक्षा के लिए यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर (Unesco World Heritage center) की स्थापना की गई। जिसके बाद से प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को विश्व स्मारक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। बाद में सन 1982 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स द्वारा इसका नाम विश्व धरोहर दिवस कर दिया गया। इसके बाद साल 1983 में यूनेस्को द्वारा इस दिन का ऐलान किया गया इसके बाद से प्रतिवर्ष 18 अप्रैल का दिन विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) के रूप में मनाया जाने लगा।

क्या है इस दिन का महत्व –

ऐतिहासिक इमारतें एवं स्थल किसी भी देश की संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक होते हैं। इमारतें भले ही पुरानी एवं जर्जर हो जाए लेकिन वह कई बड़े इतिहास का गवाह होती है। इन से जुड़े कई हार जीत के किस्से होते हैं। इनसे देश की सभ्यता एवं संस्कृति जुड़ी होती है। अतः इन इमारतों को सजाकर संभाल कर रखने का अर्थ अपने स्वर्णिम इतिहास सभ्यता एवं संस्कृति को संभाल कर रखना होता है। विश्व धरोहर दिवस पूरी दुनिया में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन कई ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की शपथ ली जाती है। कई जगहों पर इस दिन हेरिटेज वॉक का आयोजन भी किया जाता है।

भारत के प्रसिद्ध विश्व धरोहर स्थल-

भारत की कुल 3691 ऐसे स्मारक और स्थल हैं, जिन्हें यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के रूप में नामित किया गया है। इसमें अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, ताजमहल इत्यादि शामिल है। इसके अलावा असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान जैसे प्राकृतिक स्थल भी इसमें शामिल किए गए हैं।

विश्व धरोहर दिवस 2022 की थीम –

प्रतिवर्ष ICOMOS द्वारा विश्व धरोहर दिवस के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। विश्व धरोहर दिवस 2023 (World Heritage Day 2023) के लिए जो थीम निर्धारित की गई है वो है - ' विरासत परिवर्तन (Heritage Changes). इस वर्ष इसी थीम के तहत विश्व धरोहर दिवस मनाया जाएगा।

World Homeopathy Day - वर्ल्ड होम्योपैथी डे का क्या है इतिहास एवं महत्व

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Gulabi Gang: डेनमार्क में सजेगी गुलाबी गैंग की लीडर संपत पाल की पेंटिंग

Sampat
Gulabi Gang:
locationभारत
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calendar12 Apr 2023 09:58 PM
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  सैय्यद अबु साद Gulabi Gang:  बुंदेलखंड की वीरबाला गुलाबी गैंग की गाथा अब सात समंदर पार भी पहुंच चुकी है। देश के साथ दुनिया मे अपना स्थान बनाने वाला ‘गुलाबी गैंग’ का सामान लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम में रखे जाने के बाद अब गैंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष संपत पाल के काम का कायल डेनमार्क भी हो गया है। वहां की मशहूर पेंटिंग डिजाइनर मारिया बांदा आईं हैं। वह संपत पाल के घर पर रुककर उनकी तस्वीर को अपने हाथों से बनाएंगी। इस पर संपत पाल ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हम नारी के उत्थान के लिए काम करते हैं। ऐसे पुरस्कार के साथ सम्मान मिलने से अंदर से सुकून मिलता है।

कौन हैं संपत पाल

[caption id="attachment_81801" align="aligncenter" width="780"]Gulabi Gang: Gulabi Gang:[/caption] संपत पाल मूल रूप से बिसंडा थाना के तैरी गांव की रहने वाली हैं। उनका ससुराल चित्रकूट जिले के एक छोटे से गांव रौली है, जहां से उन्होंने गुलाबी गैंग बनाकर महिलाओं के हक के लिए कई आंदोलन किए। संपत पाल ने बुंदेलखंड क्षेत्र में गुलाबी गैंग के नाम से एक संगठन खड़ा किया, जिसमें आज करीब 21 लाख सक्रिय महिला सदस्य हैं। इस गैंग की लीडर संपत पाल हैं, जिन्होंने एक एक महिलाओं को जोड़कर एक बड़ा संगठन तैयार किया है। गुलाबी गैंग की वेशभूषा भी गुलाबी है।

लंदन के म्यूजियम की बढ़ाएंगी शान

संपत पाल ने बताया कि आज महिलाओं की एकता के दम पर गुलाबी गैंग, देश के प्रमुख संगठनों में पहचान रखता है। गुलाबी गैंग की वेशभूषा एक जोड़ी (जिसमें एक गुलाबी साड़ी और डंडा) को म्यूजियम में रखने की मांग की गई है, जो ब्रिटिश म्यूजियम में रखी जायेगी। बता दें कि म्यूजियम की हेड ने संपत पाल से संपर्क करके उनसे वेशभूषा भेजने की मांग की थी। जिसे संपत पाल ने भिजवा दिया है।

मारिया बनाएंगी संपत की पेंटिंग

[caption id="attachment_81798" align="aligncenter" width="480"]Gulabi Gang: Gulabi Gang:[/caption] संपत पाल ने बताया कि डेनमार्क की रहने वाली मारिया ने उन्हें फोन किया था। मारिया ने उनसे कहा था कि वह बांदा आना चाहती हैं। उनके घर पर रुकना चाहती हैं। साथ ही उनकी जिंदगी के किस्से सुनकर उन्हें तस्वीर में उकेरना चाहती हैं। जिस पर संपत पाल ने अपनी तस्वीर बनाए जाने की रजामंदी दे दी। संपत पाल ने बताया कि मारिया ने मलाला के अलावा उनके पिता की तस्वीर बनाई है। इसके अलावा अन्य महापुरुषों की पेटिंग अपने हाथों से तैयार की है।
फ्रांस की मैग्जीन ने छापी किताब
साल 2011 में अंतरराष्ट्रीय अखबार द गार्जियन ने संपत पाल को दुनिया की 100 प्रभावशाली प्रेरक महिलाओं की सूची में शामिल किया था। इसके बाद कई देश-विदेशी संस्थाओं ने उन पर डॉक्यूमेंट्री फिल्में तक बना डाली। फ्रांस की एक मैग्जीन ओह ने साल 2008 में संपत पाल के जीवन पर आधारित एक पुस्तक भी प्रकाशित की जिसका नाम था ‘मॉय संपत पाल चेफ द गैंग’ रखा गया। इसके अलावा संपत पाल को बिग बॉस में जाने का मौका मिला। बॉलीवुड की एक्टर माधुरी दीक्षित ने संपत पाल पर बनी फिल्म में उनका किरदार निभाया था। संपत पाल को कई बड़े पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
पहचान हाथ में लाठी और गुलाबी साड़ी
बता दें कि बुंदेलखंड के बांदा और चित्रकूट के आसपास के इलाके में गुलाबी गैंग का अपना अलग ही रुतबा हैं। इस गैंग की मुखिया संपत पाल की पहचान हाथ में लाठी और गुलाबी साड़ी है। मऊ थाने में अवैध खनन के आरोप में पकड़े गए मजदूरों को छोड़ने की मांग को लेकर गुलाबी गैंग की महिलाएं तहसील परिसर में धरने पर बैठ गईं थी ।  पुलिस ने बलप्रयोग किया और इसके बाद गुलाबी गैंग की महिलाओं ने एसडीएम और सीओ को दौड़ा-दौड़ा कर ना सिर्फ पीटा बल्कि उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। इन घटनाओं के बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने गुलाबी गैंग को नक्सली संगठन करार दिया था और संपत पाल सहित कई महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया था।

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