Tripura Election 2023 : त्रिपुरा में भाजपा को मदद पहुंचाने को खेल खेल रही है टीएमसी: अजय कुमार

10 11
Tripura Election 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 05:04 PM
bookmark

Tripura Election 2023 : नई दिल्ली/अगरतला। त्रिपुरा के कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय कुमार ने रविवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मदद पहुंचाने के लिए ‘‘एक खेल खेल रही है", लेकिन वह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-वाम गठबंधन की संभावनाओं को बाधित नहीं कर पाएगी।

Tripura Election 2023

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वाम-कांग्रेस गठबंधन पर कटाक्ष किए जाने के एक दिन बाद, कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य में गठबंधन मजबूत स्थिति में है क्योंकि त्रिपुरा में कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के बीच "राजनीतिक समानता" है।

उन्होंने अगरतला से टेलीफोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘आप (वाम-कांग्रेस गठबंधन के लिए) जमीन पर भीड़ देख सकते हैं। नेताओं के बीच छोटे मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन कैडर के सभी लोग एकसाथ हैं। मैं पूरे त्रिपुरा में दौरे कर रहा हूं, यह देखकर काफी खुशी हो रही है।’’

टिपरा मोथा पार्टी द्वारा जनजातीय क्षेत्रों में आधार हासिल करने और यह पूछे जाने पर कि क्या इससे वाम-कांग्रेस गठबंधन पर असर पड़ेगा, कुमार ने त्रिपुरा में माकपा के प्रमुख जितेंद्र चौधरी की ओर इशारा किया, जो एक आदिवासी नेता हैं।

कुमार ने कहा, ‘‘वह (चौधरी) वास्तव में एक ऐसे नेता हैं जो उनकी (आदिवासियों की) भाषा बोलते हैं। वह धरतीपुत्र हैं। इसलिए मुझे लगता है कि आदिवासी भी समझ रहे हैं कि जितेंद्र चौधरी वास्तविक आदिवासी आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि राज्य के आदिवासी लोग चौधरी और कांग्रेस नेतृत्व की ओर बढ़ रहे हैं।

त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा में 20 सीट आदिवासी क्षेत्रों के लिए आरक्षित हैं।

टीएमसी के त्रिपुरा में मैदान में उतरने और इस बारे में पूछने पर कि क्या इससे वाम-कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा, कुमार ने कहा, ‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता (इससे वाम-कांग्रेस की संभावनाएं बाधित होंगी)। मेरा विश्लेषण यह है कि टीएमसी भाजपा की मदद करने के लिए एक खेल खेल रही है।’’

उन्होंने दावा किया कि ‘‘टीएमसी और भाजपा के बीच कुछ चल रहा है क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय के सभी मामले (टीएमसी नेताओं के खिलाफ) बंद कर दिए गए हैं।’’

कुमार ने विश्वास जताया कि त्रिपुरा में अगली सरकार वाम-कांग्रेस की होगी।

उन्होंने दावा किया कि भाजपा के खिलाफ काफी आक्रोश है। उन्होंने कहा कि मुख्य मुद्दा भाजपा के "झूठे वादों" और त्रिपुरा में "सबसे ज्यादा बेरोजगारी" होने का है।

कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार द्वारा किसानों, शिक्षकों और बच्चों के लिए कुछ नहीं किया गया। उन्होंने दावा किया कि त्रिपुरा में राजनीतिक हिंसा सबसे ज्यादा है और ‘‘जंगल राज’’ है।

कांग्रेस नेता कुमार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘लोग क्षुब्ध हैं, मुझ पर हमला किया गया। कोई सोच सकता है कि यदि मेरे जैसे किसी व्यक्ति पर हमला होता है, तो आम लोगों की कैसी स्थिति होगी। लड़कियों से बलात्कार होता है और शव पुलिस थाने से 50 मीटर की दूरी पर मिलता है, वे कार्यालयों को जलाते हैं, लोगों पर हमले करते हैं, कानून एवं व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो गई है।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना की वापसी का वादा किया है, वह बच्चों की शिक्षा में सहयोग करेगी, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों की महिलाओं को सालाना 12,000 रुपये देगी और 150 यूनिट मुफ्त बिजली देगी।

प्रधानमंत्री मोदी की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि कांग्रेस और वाम दल केरल में ‘‘कुश्ती’’ लड़ते हैं और त्रिपुरा में ‘‘दोस्ती’’ करते हैं, कुमार ने कहा कि कांग्रेस और माकपा के बीच त्रिपुरा में राजनीतिक समानता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम एक बुरी ताकत से लड़ रहे हैं और हमें मिलकर लड़ने की जरूरत है। हमें लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है और हमें लोगों को बचाने की जरूरत है।’’

माकपा त्रिपुरा की 43 सीट पर, कांग्रेस 13 सीट पर चुनाव लड़ेगी, जबकि गठबंधन के अन्य घटक- फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और भाकपा- एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेंगे। गठबंधन पश्चिम त्रिपुरा में रामनगर निर्वाचन क्षेत्र में एक निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन भी कर रहा है।

राज्य विधानसभा के लिए मतदान 16 फरवरी को होगा और मतगणना दो मार्च को होगी। 2018 में, भाजपा त्रिपुरा में सत्ता में आई थी।

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुकपर लाइक करें या ट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

Political News : ऐसा कोई नियम नहीं कि सदन में सदस्य आरोप नहीं लगा सकते : पीडीटी आचारी

Achary
There is no such rule that members cannot level allegations in the House: PDT Achari
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 07:06 PM
bookmark
Political News : नई दिल्ली। पिछले दिनों हिंडनबर्ग रिपोर्ट के संदर्भ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद में अपने भाषण में अडानी समूह का उल्लेख करते हुए सरकार एवं प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया। संसद के दोनों सदनों में उनके भाषण के कई अंशों को कार्यवाही से हटा दिया गया। ऐसे में सांसदों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उनके विशेषाधिकारों के हनन के मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई है। इस बारे में लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी से पूछे गए पांच सवाल और उनके जवाब :

Political News

सवाल : संसद में पिछले दिनों चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों के भाषण के कुछ अंशों को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया। इसे विपक्ष ने सांसदों के विशेषाधिकारों का हनन बताया है। संसदीय नियमों के आलोक में आपकी इस पर क्या राय है?

Political News : जम्मू कश्मीर ने रोजगार और प्यार चाहा था, लेकिन मिला भाजपा का बुलडोजर : राहुल गांधी

जवाब : संसद में सदस्यों द्वारा दिए जाने वाले भाषण में कोई शब्द या संदर्भ अगर अमर्यादित या अशोभनीय होता है, तब अध्यक्ष को यह अधिकार होता है कि वह उसे कार्यवाही से हटा सकते हैं। ऐसा हमेशा से होता आया है। लेकिन, अभी प्रधानमंत्री पर कुछ आरोप लगाए गए हैं। ऐसे में आरोपों की पुष्टि करने के लिए सबूत मांगे जा रहे हैं। ऐसे मामलों को लेकर संसदीय प्रक्रिया में कोई तय नियम नहीं है। 1950 के बाद से विभिन्न लोकसभा अध्यक्षों द्वारा दी गई व्यवस्थाओं के आधार पर ऐसे विषयों पर प्रक्रिया तय की गई है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई सदस्य आरोप लगाते हैं तो वे तथ्यों के आधार पर उसकी पुष्टि करें और उसकी जिम्मेदारी लें। ऐसी स्थिति में ही आरोप लगाए जा सकते हैं।

Political News

सवाल : हाल में उच्चतम न्यायालय ने एक फैसला दिया कि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संविधान के अनुच्छेद 19(2) के अलावा अतिरिक्त प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते और उन्हें अन्य नागरिकों के समान अधिकार प्राप्त हैं। इस फैसले की पृष्ठभूमि में संसदीय कामकाज की प्रक्रिया के साथ सामंजस्य बनाने में किस प्रकार की चुनौतियां आ सकती हैं?

Karnataka News : कर्नाटक में ट्रांसजेंडरों ने खोला ढाबा, ये रहेगी इसकी खूबियां

जवाब : संसद के निर्देश में सदस्यों को सभा के अंदर अपनी बात रखने की पूरी आजादी है और यह अनुच्छेद 105 के माध्यम से सुनिश्चित किया गया है। अनुच्छेद 19 (2) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सामान्य प्रावधान है। लेकिन अनुच्छेद 105 के तहत सदस्यों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर खास अधिकार दिए गए हैं। इसमें सदन में कही गई बातों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। कोई भी स्वतंत्रता अपने आप में पूर्ण नहीं होती और अनुच्छेद 105 को लेकर भी यह कहा जाता है कि यह सदन के नियमों के अनुरूप हो। हालांकि अध्यक्ष/सभापति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अनुच्छेद 105 के तहत प्रदत्त अधिकारों को कम नहीं किया जाए। सवाल : संसद में सदस्यों को मुक्त रूप से अपनी बात रखने को लेकर किस प्रकार की व्यवस्था है और सदन से बाहर किसी व्यक्ति के उल्लेख को लेकर क्या प्रावधान हैं? जवाब : संसद के भीतर सदस्यों को अपनी बात रखने की उपयुक्त व्यवस्था है, जो नियमों एवं प्रक्रियाओं में भी स्पष्ट है। अनुच्छेद 105 में इसका प्रावधान किया गया है। ऐसा कोई नियम नहीं है कि आरोप नहीं लगाए जा सकते। सदस्यों को अपनी बात रखते हुए दो चीजों का ध्यान रखना चाहिए, पहला यह कि वे जो भी कहें, उसकी जिम्मेदारी लें और दूसरा कि उनकी कही बातें या आरोप तथ्यों के आधार पर हों। ऐसा इसलिए जरूरी है कि क्योंकि अगर उक्त मामले की कोई जांच होती है और आरोप बेबुनियाद साबित होते हैं तब विशेषाधिकार हनन का मामला चलाया जा सके। सवाल : संसद की प्रक्रियाओं के तहत असंसदीय शब्दों एवं संदर्भों की क्या परिभाषा है। क्या इसको लेकर कोई मानक तय होना चाहिए? जवाब : असंसदीय शब्दों को लेकर कोई नियम मानदंड तय नहीं है। यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि उक्त, शब्द या बातें किस संदर्भ में कही गई हैं। मिसाल के तौर पर एक समय केंद्र सरकार में मंत्री रहे सरदार स्वर्ण सिंह जब सदन में अपनी बात रख रहे थे, तब जनसंघ के एक सदस्य हुकुमचंद ने कहा था कि अध्यक्ष जी 12 बज गए हैं। इस पर सरदार स्वर्ण सिंह ने आपत्ति व्यक्त की थी और इसे कार्यवाही से हटा दिया गया था। ऐसे में सदन में किसी सदस्य द्वारा कही गई बातों का संदर्भ महत्वपूर्ण होता है और उसी के आधार पर उसे असंसदीय करार दिया जाता है या कार्यवाही से हटाया जाता है। सवाल : बदलते समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए क्या संसद में कामकाज की प्रक्रिया और नियमों में संशोधन किए जाने की जरूरत है? जवाब : संसद में नियम चर्चा और कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए होते हैं। अगर सदस्य नियमों के मुताबिक चलेंगे, नियमों को मानेंगे तब सदन में कामकाज अच्छे ढंग से चलेगा। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि इसमें बदलाव की कोई जरूरत है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

MP Election 2023 : चौहान और कमलनाथ ने की एक दूसरे पर सवालों की बौछार

09 9
MP Election 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 02:42 PM
bookmark

MP Election 2023 : भोपाल। मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं लेकिन इससे पहले ही सियासी माहौल में गर्माहट आनी शुरू हो गयी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ‘अधूरे’ चुनावी वादों का आरोप लगाते हुए एक-दूसरे पर सवालों की बौछार कर रहे हैं।

MP Election 2023

दिसंबर 2018 में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में सरकार बनाई थी लेकिन मार्च 2020 में विधायकों के पाला बदलने के कारण सत्ता खो दी। कांग्रेस ने आगामी चुनाव के मद्देनजर कृषि ऋण माफी और कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने सहित कई वादे किए हैं।

मुख्यमंत्री चौहान ने लगभग हर रोज विपक्षी दल कांग्रेस पर सवाल उठाने की कड़ी में हाल ही में मीडियाकर्मियों से कहा कि कांग्रेस ने फिर से झूठे वादे करने शुरू कर दिए हैं। वह 15 महीने सत्ता में रही और 973 सूत्री घोषणा पत्र जारी किया था। भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया। उस समय, भाजपा विपक्ष में थी। अब हम उन झूठे वादों के आधार पर सवाल पूछ रहे हैं क्योंकि चुनावों को देखते हुए कांग्रेस ने फिर से झूठे वादे करने शुरू कर दिए हैं।

चौहान ने पूछा कि कांग्रेस ने गेहूं, चना, सरसों और चावल सहित कई फसलों पर बोनस देने का वादा किया है। क्या उन्होंने सवा साल (15 माह के शासन) के दौरान किसी फसल पर यह दिया था? वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चौहान पर पलटवार करते हुए कहा, "सुना है कि शिवराज जी मुझसे सवाल पूछ रहे हैं कि हमने कौन सा वादा पूरा किया और कौन सा नहीं किया। अस्थिर मन वाला व्यक्ति ही ऐसे प्रश्न पूछ सकता है। मुख्यमंत्री का काम सवाल पूछना नहीं बल्कि जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करना है। अगर हमारी घोषणाएं जनहित में हैं तो उन्हें उन पर अमल करना चाहिए।" नाथ ने दावा किया कि लोग चौहान को सत्ता से बेदखल कर देंगे और सवाल उठाने का पूरा मौका देगें। उन्हें भविष्य के लिए सवालों को सहेज कर रखना चाहिए।

हालांकि, चौहान ने पलटवार करते हुए कहा कि शर्म की बात है कि वे सवाल का जवाब देने के बजाय सड़क छाप भाषा में बात कर रहे हैं। वादे पूरे किए हैं तो जवाब दीजिए। आप को घुटन क्यों महसूस हो रही है? चौहान ने कहा कि जब उन्होंने नाथ से सवाल किया, तो वह परेशान हो गए और पूछा कि क्या कोई मुख्यमंत्री सवाल पूछ सकता है।

चौहान ने कहा कि आप (नाथ) लोगों को गुमराह किए जा रहे हैं, झूठी बातें करते रहते हैं और हमसे उम्मीद करते हैं कि सवाल नहीं करें। कमलनाथ जी आप इधर-उधर की बात मत करो। ये बताओं का काफिला लुटा क्यों। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने अपने 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में दूध उत्पादक किसानों को प्रति लीटर पांच रुपये का बोनस देने का वादा किया था। उन्होंने सवाल किया, "क्या आपने 15 महीने में ऐसा किया?" नाथ ने चौहान के सवाल का जवाब देने के बजाय भाजपा सरकार द्वारा दूध के प्राथमिक प्रसंस्करण के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को 20 लाख रुपये ब्याज मुक्त दीर्घकालिक ऋण देने के वादे के बारे में पूछा।

कांग्रेस नेता ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी में कहा, "उस वादे का क्या हुआ? या आपने दूध के उस वचन को दही में बदल दिया है?” नाथ ने कहा कि मैं आपसे फिर से अनुरोध करता हूं कि आप मुख्यमंत्री पद की मर्यादा का पालन करें। गाल बजाना बंद करें और हाथ चलाना शुरू करें। (बयानबाजी बंद कर काम करना शुरू करें।) खरीद फरोख्त कर सत्ता में आई आपकी सरकार का जो थोड़ा सा समय बचा है उसमें जन कल्याण का कम से कम एक काम तो कीजिए।

चौहान ने विभिन्न योजनाओं के बारे में पूछकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कुछ दिन पहले कहा था कि उन्होंने विपक्षी पार्टी के 2018 के चुनाव घोषणा पत्र के आधार पर नाथ से अब तक 10 सवाल पूछे हैं।

मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को "झूठ का पुलिंदा" करार दिया।

एक दिन जब मुख्यमंत्री ने कोई सवाल नहीं किया तो नाथ ने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री का काम है जनता के कल्याण के लिए कार्य करना। आज जब सूर्यास्त तक आपका कोई कोई सवाल नहीं आया तो मैंने महसूस किया कि आखिरकार आप को समझ आ गयी है।’’

नाथ ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को अपने 2018 के चुनावी घोषणापत्र को ध्यान से पढ़ना चाहिए और लोगों से किए गए वादों को पूरा करना चाहिए। उन्हें युवाओं, किसानों, मजदूरों, बेरोजगारों, महिलाओं के सवालों का जवाब देना चाहिए और सरकार का कार्यकाल समाप्त होने से पहले उनसे किए गए वादों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।

अगले दिन चौहान ने नाथ पर दो सवाल दागे। इस पर कांग्रेस नेता ने सिर्फ दो सवाल करने की वजह पूछी और पूछा कि क्या मुख्यमंत्री के लिए सवालों की कमी है।

इस बीच, चौहान ने मुख्यमंत्री पद के चेहरे के मुद्दे पर कांग्रेस पर कटाक्ष किया और विपक्षी पार्टी के "हाथ से हाथ जोड़ो" अभियान को "कमलनाथ से पीछा छुड़ाओ’’ अभियान बताया।

मुख्यमंत्री चौहान ने कथित मतभेदों के चलते कांग्रेस के पदाधिकारियों के नामों की सूची रोकने के लिए नाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी और नाथ के नेतृत्व में पूरी विपक्षी पार्टी ‘ होल्ड’ पर है।

चौहान ने चुटकी लेते हुए कहा कि यहां तक कि लोग इसे (कांग्रेस को) होल्ड पर रखने जा रहे हैं। इस बीच, नाथ ने सरकार द्वारा 108 नंबर एंबुलेंस की संख्या दोगुनी करने, मसूर की फसल की 100 प्रतिशत खरीद सुनिश्चित करने, अप्रत्याशित आपदा के लिए किसानों को मुआवजा देने के बारे में किए गए वादों से संबंधित सवाल पूछा और यह भी जानना चाहा कि किसानों को प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि के तहत मिले पैसे वापस करने के लिए नोटिस क्यों मिल रहे हैं।

नाथ ने कहा कि हूं की फसल पर 160 रुपये का बोनस क्यों रोका गया और आप किसानों से इतने जलते क्यों हैं? भाजपा ने एक परिवार के कम से कम सदस्य के लिए आय सृजन सुनिश्चित करने का वादा किया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में 30 लाख से अधिक पंजीकृत बेरोजगार हुए। भाजपा ने 100 करोड़ रुपये के साथ मध्य प्रदेश कृषि स्टार्टअप फंड स्थापित करने का भी वादा किया था।" उन्होंने दावा किया कि "चौहान के नेतृत्व वाली फिल्म" (सरकार) के केवल छह महीने और बचे हैं और उसके बाद मध्य प्रदेश "गोल्डन स्टेट" बनाने के लिए सच्चाई के रास्ते पर चला जाएगा।

UPGIS 2023 कोई ताकत यूपी और विकास के बीच में बाधा नहीं बन सकती : पीयूष गोयल

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुकपर लाइक करें या ट्विटरपर फॉलो करें।