योगी सरकार का बड़ा मास्टरप्लान, सभी 75 जिलों में दौड़ेगा विकास का पहिया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संकेत दे दिया है कि खेल अब सिर्फ लखनऊ, नोएडा, वाराणसी या मेरठ तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि गांव–गांव और ब्लॉक–ब्लॉक तक पहुंचेंगे। सरकार के मुताबिक उत्तर प्रदेश के हर जिले में एक अत्याधुनिक स्टेडियम तैयार किया जाएगा।

योगी सरकार की स्पोर्ट्स पॉलिसी मैदान पर, उत्तर प्रदेश में हर कोने से निकलेगा नया चैंपियन
योगी सरकार की स्पोर्ट्स पॉलिसी मैदान पर, उत्तर प्रदेश में हर कोने से निकलेगा नया चैंपियन
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar05 Dec 2025 10:30 AM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश में खेलों को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा मिशन मोड अभियान शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने साफ संदेश दिया है कि अब उत्तर प्रदेश सिर्फ आबादी के आधार पर नहीं, बल्कि खेल प्रदर्शन के आधार पर भी देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाएगा। इसी सोच के साथ उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में जिला स्तरीय स्टेडियम और हर ब्लॉक में मिनी स्टेडियम विकसित करने की दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। कई जिलों में तो निर्माण और स्वीकृति की प्रक्रिया धरातल पर उतर चुकी है।

यूपी के हर कोने तक खेल सुविधाएं पहुंचाने की तैयारी

कभी उत्तर प्रदेश में खेल सुविधाएं कुछ चुनिंदा बड़े शहरों तक सिमटी रहती थीं, लेकिन अब तस्वीर तेजी से बदल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संकेत दे दिया है कि खेल अब सिर्फ लखनऊ, नोएडा, वाराणसी या मेरठ तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि गांव–गांव और ब्लॉक–ब्लॉक तक पहुंचेंगे। सरकार के मुताबिक उत्तर प्रदेश के हर जिले में एक अत्याधुनिक स्टेडियम तैयार किया जाएगा। प्रदेश के हर ब्लॉक में एक मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा। 18 ज़िलों के सरकारी कॉलेजों में मिनी स्टेडियम के लिए लगभग 5–5 करोड़ रुपये की स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है। गोरखपुर, महाराजगंज और पूर्वांचल के कई अन्य जिलों में भी खेल संरचना विकसित करने के प्रस्तावों पर तेजी से काम चल रहा है, ताकि उत्तर प्रदेश का कोई भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी केवल सुविधाओं की कमी की वजह से पीछे न रह जाए।

वीर बहादुर सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज से पूरे उत्तर प्रदेश के लिए संदेश

गोरखपुर स्थित वीर बहादुर सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में 69वीं राष्ट्रीय स्कूली खेल प्रतियोगिता 2025 (ग्रीको–रोमन कुश्ती) के समापन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खिलाड़ियों और कोचों को संबोधित करते हुए यह बड़ा विजन सामने रखा। अंडर-17 और अंडर-19 वर्ग के पदक विजेताओं का सम्मान तो हुआ, लेकिन असली चर्चा मुख्यमंत्री की उस सोच की रही, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश अब देश के खेल नक्शे पर ‘नए पावर सेंटर’ के रूप में उभरने जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत आज वैश्विक स्तर पर खेल शक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है और उत्तर प्रदेश इस यात्रा में पीछे रहने को तैयार नहीं है। उन्होंने दो टूक कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार खेलों के मामले में किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगी और खिलाड़ियों को सर्वोत्तम सुविधाएं देने के लिए संरचनात्मक बदलाव किए जा रहे हैं।

शिक्षा के साथ खेल को बराबर दर्जा

उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार संस्थागत स्तर पर खेलों के लिए अलग और ठोस बजट देने की पहल की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के अनुसार उत्तर प्रदेश के प्रत्येक कॉलेज को खेल सामग्री और गतिविधियों के लिए 25,000 रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है।बेसिक और माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों को 5,000 रुपये तक की सहायता दी जा रही है। जूनियर हाई स्कूलों के लिए 10,000 रुपये तक की राशि खेल सामग्री खरीदने, कोचिंग बढ़ाने और स्थानीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए स्वीकृत की गई है। यह पहली बार है जब उत्तर प्रदेश में इतने व्यापक स्तर पर स्कूलों और कॉलेजों को सीधे खेल बजट से जोड़ा गया है। उत्तर प्रदेश सरकार का इरादा साफ है – “खेल को क्लासरूम के बाहर की गतिविधि नहीं, बल्कि शिक्षा के बराबर महत्व दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ में बन रही स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी को उत्तर भारत के लिए “स्पोर्ट्स हब” बताते हुए कहा कि यह सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के खिलाड़ियों के लिए केंद्र बिंदु साबित होगी। इस विश्वविद्यालय का नाम हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखा जा रहा है। यहां खेल विज्ञान, खेल चिकित्सा, फिटनेस, कोचिंग, हाई परफॉर्मेंस ट्रेनिंग और रिसर्च पर विशेष फोकस रहेगा। सरकार का मानना है कि जब उत्तर प्रदेश के युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग, टेक्नोलॉजी और रिसर्च की सुविधाएं एक ही कैंपस में मिलेंगी, तो राज्य के मेडल टैली में स्वाभाविक उछाल दिखेगा।

2030 कॉमनवेल्थ गेम्स यूपी के युवा खिलाड़ियों के लिए बड़ा लक्ष्य

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के युवा खिलाड़ियों के सामने एक स्पष्ट लक्ष्य रखा – 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स। उन्होंने कहा कि आज जो अंडर-17 और अंडर-19 श्रेणी के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं, वही 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की रीढ़ बन सकते हैं। मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों से कहा -अहमदाबाद में होने वाले 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स को अपना लक्ष्य मानकर अभी से तैयारी शुरू कर दीजिए “आपको वहां तिरंगा लहराना है, यह संकल्प अभी अपने मन में पक्का कर लें। उन्होंने यह भी संदेश दिया कि जो खिलाड़ी इस बार पदक से चूक गए हैं, उनके लिए यह हार यात्रा का अंत नहीं, बल्कि अगली तैयारी की शुरुआत है।

उत्तर प्रदेश के युवाओं से ‘स्वस्थ और सशक्त भारत’ की उम्मीद

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर और विकसित भारत’ के विजन का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी असली ताकत युवा पीढ़ी है और उत्तर प्रदेश की युवा आबादी इस मिशन की सबसे बड़ी पूंजी है। उन्होंने कहा –“स्वस्थ युवा ही सशक्त उत्तर प्रदेश और सशक्त भारत की नींव हैं। इसकी शुरुआत खेलों से होती है, इसलिए यूपी के हर संस्थान में खेलों को शिक्षा के समान दर्जा दिया जाना जरूरी है।

खेलों में पंजाब–हरियाणा–महाराष्ट्र को टक्कर देने की तैयारी

सरकारी अधिकारियों का मानना है कि जिस पैमाने और फोकस के साथ उत्तर प्रदेश में खेल ढांचा खड़ा किया जा रहा है, आने वाले वर्षों में प्रदेश खेल प्रदर्शन के मामले में पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे पारंपरिक मजबूत राज्यों को कड़ी चुनौती दे सकता है। जिला–स्तरीय स्टेडियम,ब्लॉक–स्तरीय मिनी स्टेडियम,स्कूल–कॉलेज स्तर पर सीधे खेल बजट,मेरठ में अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी इन सब पहलुओं को मिलाकर देखा जाए तो तस्वीर साफ दिखाई देती है कि उत्तर प्रदेश अब सिर्फ “सबसे बड़ा राज्य” नहीं, बल्कि “खेलों में सबसे आगे बढ़ने को तैयार राज्य” की पहचान गढ़ रहा है। UP News

अगली खबर पढ़ें

क्या साध्वी निरंजन बनेंगी यूपी बीजेपी की नई कप्तान? नड्डा संग तस्वीर से अटकलें तेज

बीजेपी के रणनीतिकार मानते हैं कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और कठिन चुनावी राज्य में प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा ऐसा होना चाहिए जो ओबीसी, पिछड़े और निचले वर्गों तक संदेश दे सके कि पार्टी संगठन उनके सामाजिक प्रतिनिधित्व को तवज्जो दे रही है।

फतेहपुर से फोकस में आईं साध्वी निरंजन, यूपी बीजेपी अध्यक्ष की दौड़ में तस्वीर बनी संकेत
फतेहपुर से फोकस में आईं साध्वी निरंजन, यूपी बीजेपी अध्यक्ष की दौड़ में तस्वीर बनी संकेत
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar05 Dec 2025 10:06 AM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश बीजेपी में नए प्रदेश अध्यक्ष की खोज ने अब खुलकर सियासी रफ्तार पकड़ ली है। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से पूर्व सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुकीं साध्वी निरंजन ज्योति की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए कयासों को हवा दे दी है। सोशल मीडिया पर साझा की गई एक तस्वीर को लेकर अब सवाल उठ रहा है – क्या यही मुलाकात उत्तर प्रदेश बीजेपी की कमान बदलने का इशारा है?

दो–तीन दिन में यूपी में बड़ा ऐलान संभव?

उत्तर प्रदेश यूनिट में लंबे समय से नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर मंथन चल रहा है। संगठन के भीतर से इशारे मिल रहे हैं कि दो–तीन दिनों के अंदर यूपी बीजेपी के नए कप्तान का नाम सामने आ सकता है। विधानसभा चुनाव 2027, लोकसभा 2029 और शहरी निकाय चुनावों की तैयारी के लिहाज से उत्तर प्रदेश में संगठन की नई टीम को पार्टी हाईकमान बेहद रणनीतिक निर्णय मान रहा है।

सोशल मीडिया पर तस्वीर और बढ़ती चर्चा

साध्वी निरंजन ज्योति ने गुरुवार को दिल्ली में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से शिष्टाचार भेंट की। मुलाकात के बाद उन्होंने अपनी और नड्डा की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में “प्रचंड विजय” के लिए उन्हें बधाई दी। यहीं से उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि क्या यह केवल औपचारिक भेंट थी, या फिर यूपी संगठन के भविष्य को लेकर कोई गंभीर बातचीत भी हुई।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्यों बढ़ गया साध्वी निरंजन ज्योति का कद?

साध्वी निरंजन ज्योति उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से आती हैं और अति पिछड़े निषाद–मल्लाह समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो पूर्वी और मध्य यूपी की कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है। मोदी सरकार में मंत्री रह चुकीं साध्वी निरंजन ज्योति को हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ सह–पर्यवेक्षक बनाया गया था। बीजेपी के रणनीतिकार मानते हैं कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और कठिन चुनावी राज्य में प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा ऐसा होना चाहिए जो ओबीसी, पिछड़े और निचले वर्गों तक संदेश दे सके कि पार्टी संगठन उनके सामाजिक प्रतिनिधित्व को तवज्जो दे रही है। इसी समीकरण में साध्वी निरंजन ज्योति का नाम और भी मज़बूत दिखाई दे रहा है।

उत्तर प्रदेश से कई दिग्गज भी रेस में

उत्तर प्रदेश में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में केशव प्रसाद मौर्य, धर्मपाल सिंह, बाबूराम निषाद, रामशंकर कठेरिया, दिनेश शर्मा और स्वतंत्र देव सिंह जैसे कई दिग्गज नेताओं के नाम लगातार चर्चा में हैं। फिर भी, नड्डा से ताज़ा मुलाकात, बिहार चुनाव में सक्रिय भूमिका और अति पिछड़े वर्ग की पृष्ठभूमि ने साध्वी निरंजन ज्योति को इस दौड़ में फिलहाल सबसे चर्चित चेहरा बना दिया है। प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकार मानते हैं कि अगर उत्तर प्रदेश में संगठन को नए सामाजिक समीकरण के साथ रीसेट करना है, तो पार्टी किसी ऐसे ही चेहरे की तलाश में है, जो उत्तर प्रदेश की ग्रामीण, पिछड़ी और नदी–किनारे बसे समाजों की नब्ज़ को समझता हो।

आधिकारिक घोषणा का इंतजार 

फिलहाल बीजेपी की ओर से आधिकारिक रूप से कुछ भी घोषित नहीं किया गया है। पार्टी ने साफ़ संदेश दिया है कि उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में प्रदेश अध्यक्ष का चयन पूरी राजनीतिक और सामाजिक गणित को ध्यान में रखकर किया जाएगा। अब सबकी नजर इसी बात पर टिकी है कि बिहार जीत की गूंज के बीच दिल्ली की इस मुलाकात से निकला संदेश आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश बीजेपी संगठन की कमान साध्वी निरंजन ज्योति के हाथों में सौंपता है या तस्वीर किसी और दिशा में मुड़ती है। UP News

अगली खबर पढ़ें

कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे शुरू होने में लगेगा अभी इतना समय

पहले उम्मीद जताई गई थी कि 30 नवंबर 2025 तक इस मार्ग पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी, लेकिन निर्माण कार्य अभी अधूरा है। ताजा रिपोर्टों के अनुसार अब इसके मार्च 2026 में चालू होने की संभावना है।

eway
कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar05 Dec 2025 11:39 AM
bookmark

UP News : उत्तर प्रदेश में कानपुर और लखनऊ के बीच बन रहा एक्सप्रेसवे अब पहले घोषित समय पर शुरू नहीं हो पाएगा। पहले उम्मीद जताई गई थी कि 30 नवंबर 2025 तक इस मार्ग पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी, लेकिन निर्माण कार्य अभी अधूरा है। ताजा रिपोर्टों के अनुसार अब इसके मार्च 2026 में चालू होने की संभावना है।

निर्माण कार्य अभी है अधूरा

63 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे में लगभग 18 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड बनाया जा रहा है, जबकि करीब 45 किलोमीटर का हिस्सा ग्रीनफील्ड रूट पर तैयार हो रहा है। लखनऊ में स्कूटर इंडिया के पास चल रहा निर्माण अभी पूरा होना बाकी है, और इसी वजह से पूरे प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। अधिकारियों का कहना है कि बचे हुए कार्य पूरे होते ही मार्च 2026 तक इस पर गाड़ियाँ दौड़ने लगेंगी। परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 4700 करोड़ रुपये हबनने के बाद कानपुर और लखनऊ के बीच यात्रा बेहद आसान

एक्सप्रेसवे की शुरुआत लखनऊ के शहीद पथ के पास से होगी। यहाँ से यह बनी, कांथा और अमरसास से गुजरते हुए कानपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगाघाट क्षेत्र के कडेर पतारी गाँव के पास समाप्त होगा। मार्ग में 3 बड़े पुल, 28 छोटे पुल, 6 फ्लाईओवर, 38 अंडरपास और 4 इंटरचेंज बनाए जा रहे हैं। इसके चालू होने के बाद कानपुर और लखनऊ के बीच यात्रा बेहद आसान और तेज हो जाएगी। जहाँ अभी दोनों शहरों के बीच की दूरी तय करने में करीब 3 घंटे लगते हैं, वहीं नए एक्सप्रेसवे पर यह सफर केवल 45 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। शुरुआत में इसे 6 लेन में खोला जाएगा, जिसे भविष्य में 8 लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। इस परियोजना का निर्माण जनवरी 2022 में शुरू हुआ था और अब लगभग चार वर्ष पूरे होने वाले हैं। आगे इसे लखनऊ रिंग रोड और गंगा एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा जाएगा। एक्सप्रेसवे में कुल पाँच स्थानों पर प्रवेश की सुविधा होगी। लखनऊ और उन्नाव के दो-दो पॉइंट तथा कानपुर का एक पॉइंट इसमें शामिल है।ै।