रामलला को लेकर उत्तराखंड सरकार की पहल, पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा नया अध्याय

Ram Lala Uttarakhand Connection
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 Jan 2024 10:43 PM
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Uttarakhand News : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद से, देश के कई राज्यों में भगवान राम से जुड़े कई किस्से लोगों की तरफ से सुनाएं जा रहे हैं। इन किस्से कहानियों को एक नया रूप देते हुए देवनगरी उत्तराखंड ने नई पहल की शुरूआत की है। हाल ही में उत्तराखंड के शिक्षा विभाग ने अपने पाठ्यक्रम में भगवान राम के उत्तराखंड से जुड़े किस्से-कहानियों को शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है।

नए सिलेबस में जोड़ा जाएगा चैप्टर

आपको बता दें उत्तराखंड शिक्षा विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने हाल ही में बताया कि शिक्षा विभाग ने भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा के बाद 'उत्तराखंड की विरासत' नाम से एक नई पहल की शुरूआत की है। 'उत्तराखंड की विरासत' नाम से बनाए गए नए सब्जेक्ट को उत्तराखंड के सीबीएसई और उत्तराखंड बोर्ड के स्कूलों की कक्षा 1 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में लाया जाएगा। बताया जा रहा है कि भगवान राम के देवभूमि आगमन और उनके यहां (उत्तराखंड) बिताए गए समय पर कुछ चैप्टर होंगे। इसके अलावा भगवान राम के देवप्रयाग में रघुनाथ मंदिर के बारे में डिटेल में जानकारी दी जाएगी।

उत्तराखंड में कई जगहों पर है भगवान राम के मंदिर

उत्तराखंड शिक्षा विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने कहा कि राज्य में 18 से अधिक ऐसी जगह हैं, जो सीधे तौर पर भगवान राम से ताल्लुक रखती है। उत्तराखंड के ऋषिकेश, देवप्रयाग, उत्तरकाशी, और पिथौरागढ़ में भगवान राम के पौराणिक मंदिर स्थित हैं। जिनके बारे में इन किताबों में बताया जाएगा।

2025 में शुरू होगी नई नीति

उत्तराखंड सरकार का प्रयास है की वह इस पहल को साल 2025 में लागू करके एक नई शुरुआत करें। यह पहल भगवान राम के सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को स्कूलों में प्रोत्साहित करने का एक प्रयास है। इससे छात्रों को भगवान राम की कथाओं और पौराणिक महत्व का अध्ययन करने का भी अवसर मिलेगा। Uttarakhand News ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुकपर लाइक करें या  ट्विटरपर फॉलो करें।
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RTO Inspected: देहरादून के RTO ने किया कुछ ऐसा, हो रही है खूब तारीफ

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RTO Inspected
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 Jan 2024 06:12 AM
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RTO Inspected: आधुनिक समय में सरकारी महकमों के बारे में एक धारणा बन गई है कि सरकारी विभाग काम करना पसंद नहीं करते हैं। वो अपने काम को टालते रहते हैं और लटका कर रखते हैं। लेकिन ऐसे भी सरकारी लोग होते हैं, जो अपनी ड्यूटी का पूरी तरह निर्वहन करते हैं। इस सर्द मौसम में अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए देहारादून के आरटीओ शैलेश तिवारी ने ऐसा ही उदाहरण पेश किया। उन्होंने सिटी बसों की आम यात्री बनकर सुध ली।

सामान्य यात्री बन आरटीओ ने जाना बसों का हाल, RTO Inspected

देहारादून के आरटीओ शैलेश तिवारी ने शहर में संचालित होने वाली सिटी बसों की स्थिति जानने के लिए अनोखे अंदाज में हालचाल जाना। वो अपने सरकारी वाहन से उतरकर पैदल ही परेड ग्राउंड पहुंचे और वहां से कुछ दूर स्थित बस स्टाप पहुंचे। फिर वो राजपुर-क्लेमेनटाउन मार्ग पर चलने वाली राजपुर की तरफ से आ रही सिटी बस में सामान्य यात्री बनकर सवार हो गए। उन्होंने देखा बस में सभी सीटें फुल थीं और कुछ यात्री खड़े हुए थे। सिटी बस के चालक और परिचालक अपनी यूनिफार्म में भी नहीं थे। इस दौरान आरटीओ ने पूरी बस का निरीक्षण किया और यात्रियों से सामान्य पूछताछ की। निरीक्षण के दौरान आरटीओ को महिला आरक्षित सीटों पर पुरुष यात्री बैठे हुए मिले। सिटी बस में सवार सवारियों से बातचीत और निरीक्षण के बाद जब आरटीओ ने स्वयं का परिचय दिया, तो चालक-परिचालक के हाथ पैर फूल गए।

RTO Inspected: चालक-परिचालक और यात्रियों को पढ़ाया पाठ

महिला आरक्षित सीटों पर बैठे पुरुषों को देख आरटीओ ने न सिर्फ सीट पर बैठे पुरुषों को नियम और नैतिकता का पाठ पठाया, बल्कि परिचालक को चेतावनी देकर महिलाओं की सीट आरक्षित रखने के निर्देश दिए। साथ ही आरटीओ ने चालक-परिचालक को सख्त हिदायत देते हुए कहा, कि यदि बस से बच्चे उतर रहे हों, तो उन्हें सावधानी से उतारें। बस कंडक्टर को उन्होंने ये भी बताया कि यात्रियों को उतारते हुए यह सुनिश्चित कर लें, कि पीछे से कोई वाहन बायीं तरफ से ओवरटेक न कर रहा हो। साथ ही महिला एवं बुजुर्ग यात्रियों का सामान चढ़ाने व उतारने में सहायता करने को भी कहा। आरटीओ ने अन्य बसों की जांच भी की और बसों में दिव्यांग यात्रियों के लिए सीट आरक्षित रखने, बसों में डस्टबीन रखने, चालक व परिचालक के वर्दी में होने की हिदायत भी दी। इसके अलावा चालकों की एल्कोमीटर से भी जांच की गई। आरटीओ की चेकिंग के दौरान कुल 37 बसों की जांच की गई। जिनमें नियमों का पालन न होने व चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर कुल 9 बसों का चालान किया गया। इस दौरान उनके साथ परिवहन कर अधिकारी अनुराधा पंत भी उपस्थित रहीं।

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उत्तराखंड के बच्चों को मिलेगी भारी बस्ते से राहत,लागू होगी नई व्यवस्था

राज्य के बच्चों को मिलेगी भारी बस्ते से राहत, जल्द जारी होगी नई व्यवस्था

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Uttarakhand News
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 10:00 PM
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Uttarakhand News - स्कूली बच्चों के दिन पर दिन बढ़ते बस्ते के बोझ को कम करने के लिए उत्तराखंड सरकार जल्द नई शिक्षा नीति लागू करने वाली है। राज्य के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने एससीईआरटी (SCERT) उत्तराखंड के अधिकारियों को एक प्रस्ताव तैयार करने और इसे सरकार को सौंपने का निर्देश दिया है।

अगले सत्र से होगी नई व्यवस्था लागू

इस पूरे मामले पर शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने कहा, आगामी शिक्षा सत्र से छात्र-छात्राओं के बस्ते का बोझ कम होगा। शिक्षा महानिदेशालय में विभिन्न बोर्ड के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में मंत्री ने कहा, इसके लिए सरकार की ओर से जल्द दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे। आदेश के पालन की जिम्मेदारी मुख्य शिक्षाधिकारियों की होगी। इसके अलावा राज्य के विभिन्न स्कूलों में अनुबंध और तय वेतनमान पर काम करने वाले अस्थायी शिक्षकों को भी अन्य शिक्षकों की तरह अवकाश का लाभ दिया जाएगा। इस बारे में विभागीय स्तर से सभी जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए जाएंगे। साथ ही मंत्री ने कहा कि राज्य के सभी स्कूलों में बच्चों के बस्ते का बोझ अनुशंसित मानकों के अनुरूप कम किया जायेगा। इसके लिए एससीईआरटी(SCERT) उत्तराखंड के अधिकारियों को एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने और इसे सरकार को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। और जल्द ही उसे लागू भी किया जाएगा। Uttarakhand News

जल्द होगी जागरूकता अभियान की शुरूआत

नई व्यवस्था के लागू होने से पहले पूरे राज्य में 26 जनवरी तक निजी स्कूल संचालकों, प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों और अभिभिवकों के साथ जिला और राज्य स्तर पर बैठकों का आयोजन होगा, जिसकी मदद से राज्य में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इस बारे में जानकारी देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य में आईसीएसई, सीबीएसई, उत्तराखंड बोर्ड और भारतीय शिक्षा बोर्ड के तहत कक्षा- 1 से 12 तक के निजी विद्यालय संचालित की किए जा रहे हैं, जिनमें पढ़ने वाले बच्चों के बोझ को कम करने के लिए नई शिक्षा नीति-2020 में भी सिफारिश की गई है। इसके अलावा मद्रास हाईकोर्ट की तरफ से भी साल 2019 में जारी आदेश के क्रम में राज्य सरकार पहले ही बस्ते का बोझ कम करने का आदेश जारी कर चुकी है। लेकिन किन्हीं कारणों के चलते उनका पालन राज्य में नहीं हो सका था।

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