मेरे पहले प्यार को मिला सबका प्यार
नोएडा शहर से प्रकाशित होने वाले लोकप्रिय समाचार-पत्र चेतना मंच का 27वां स्थापना दिवस उस समय और भी खास हो गया जब चेतना मंच का 28 पेज का स्थापना दिवस विशेषांक लाखों पाठकों के हाथों में पहुंचा। चेतना मंच के इस विशेषांक के पहले पन्ने पर एक विशेष संपादकीय लेख प्रकाशित किया गया।

27th Foundation Day of Chetna Manch : हाल ही में 21 दिसंबर 2025 को चेतना मंच का 27वां स्थापना दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया। चेतना मंच के स्थापना दिवस के अवसर पर चेतना मंच के नोएडा कार्यालय में हवन-पूजन तथा भंडारे का आयोजन किया गया। नोएडा शहर से प्रकाशित होने वाले लोकप्रिय समाचार-पत्र चेतना मंच का 27वां स्थापना दिवस उस समय और भी खास हो गया जब चेतना मंच का 28 पेज का स्थापना दिवस विशेषांक लाखों पाठकों के हाथों में पहुंचा। चेतना मंच के इस विशेषांक के पहले पन्ने पर एक विशेष संपादकीय लेख प्रकाशित किया गया।
संपादकीय लेख को मिला पाठकों को भरपूर प्यार
चेतना मंच के स्थापना दिवस के अवसर पर प्रकाशित विशेष संपादकीय लेख का शीर्षक बहुत अनूठा था। इस संपादकीय पेज का शीर्षक था-‘‘मेरा पहला प्यार”। मेरा पहला प्यार शीर्षक से प्रकाशित चेतना मंच के संपादकीय लेख को पांच लाख से अधिक पाठकों ने पढ़ा है। इस संपादकीय लेख को पढ़नेे वाले पाठक लगातार इस विषय में अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं। ज्यादातर पाठकों ने ‘‘मेरा पहला प्यार” शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय लेख की खूब तारीफ की है। चेतना मंच की पूरी टीम पाठकों के इस प्यार से अभिभूत हुई है। चेतना मंच न्यूज पोर्टल www.chetnamanch.com के पाठकों को यह संपादकीय लेख पढ़वाने के मकसद से यहां उस संपादकीय लेख को ज्यों का त्यों प्रकाशित किया जा रहा है।
मेरा पहला प्यार
इस हैडिंग (शीर्षक) को पढक़र कृपया यह न समझें कि मैं किसी रूमानी प्रसंग की बात कर रहा हूँ। आप यह बिल्कुल भी ना समझें कि अमुक कक्षा में पढ़ते हुए किसी से प्रेम हो गया, उसकी हर अदा दिलकश लगने लगी, सामने आते ही मंदिर की घंटियाँ बज उठीं, दिल धडक़ना भूल गया या सर्दियों की गुनगुनी धूप-सा सुकून मिलने लगा। नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है। क्योंकि मैं तो उस प्रकृति-प्रेमी संवेदना का व्यक्ति हूँ जो यह सोच रखता है कि :“छोड़ द्रुमों की मृदु छाया, तोड़ प्रकृति से भी माया,
बाले तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा दूं लोचन।“
दरअसल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक छोटे से गाँव में जन्मे व्यक्ति को प्रकृति की मृदु छाया का आनंद लेने का अवकाश कहाँ था? इस गाँव में गन्ने की खेती ने भले ही लोगों के जीवन में मिठास घोली हो, लेकिन किसानों का स्वयं का जीवन अत्यंत कष्टसाध्य और दुर्वह था। गाँव, गली, खेत-खलिहान, झोपड़पट्टियाँ हर ओर शोषण, पीड़ा और मौन फैला हुआ था। इन्हीं परिस्थितियों में एक जज़्बा जन्मा। वह जज़्बा यह था कि गाँव, किसान, मज़दूर, शोषित-दमित और वंचित वर्ग की पीड़ा को समाज और सत्ता के सामने निर्भीकता से रखना जरूरी है। इसी उत्कट भावना से आज से 27 वर्ष पूर्व, आज ही के दिन 21 दिसंबर 1998 को आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र ‘‘चेतना मंच’’ का जन्म हुआ। लेकिन जन्म देना कभी आसान नहीं होता। मैंने तथा चेतना मंच की पूरी टीम ने भी चेतना मंच नामक इस रचना को आकार देने में गहरी प्रसव पीड़ा सही है। जैसे एक माँ शिशु का मुख देखते ही सारी पीड़ा भूल जाती है उसके हृदय में अथाह, नि:स्वार्थ प्रेम उमड़ पड़ता है वैसे ही मुझे भी अपनी इस रचना ‘‘चेतना मंच” से गहरा प्रेम हो गया। साथ ही प्रेम हो गया चेतना मंच के उन लाखों पाठकों से जिन्होंने चेतना मंच को अपना भरपूर प्यार दिया। मेरे प्रिय पाठकों, अब आप समझ ही गए होंगे कि मेरा पहला प्यार ‘‘चेतना मंच” समाचार-पत्र तथा चेतना मंच के पाठक हैं। दिन-प्रतिदिन ‘‘चेतना मंच” का प्रकाशन करते हुए यह अनुभूति होती है कि मैं अत्यंत सौभाग्यशाली हूँ कि मेरा पहला प्यार हमेशा मेरे साथ है। चेतना मंच के माध्यम से सच को सच कहने का जो रंग मुझ पर चढ़ा है, वह कभी फीका नहीं पड़ेगा। मैं जीवन भर इसी शिद्दत के साथ इस पहले प्यार के पीछे चलता रहूँगा। ठीक उसी प्रकार कि मानो कोई सपना साकार हो गया हो, मानो आसमान मेरी मुट्ठी में आ गया हो। चेतना मंच की यह यात्रा केवल समाचार देने की नहीं है, बल्कि सच की खोज और सच से आपको रूबरू कराने की है कदम दर कदम। आज के इंटरनेट और ऑनलाइन प्रकाशनों के युग में इस प्रेम को निभाना आसान नहीं है। किन्तु प्रेम निभाना कब आसान रहा है? क्योंकि प्रेम तो वही है।
“आग का दरिया है और डूब के जाना है।“
इसी संकल्प के साथ, चार वर्ष पूर्व चेतना मंच का ऑनलाइन संस्करण www.chetnamanch.com आरंभ किया गया। आप सुधी पाठकों ने चेतना मंच समाचार पत्र की तरह से ही चेतना मंच के न्यूज पोर्टल को भरपूर प्यार से नवाजा है। चेतना मंच के पाठकों ने चेतना मंच को जो अपार स्नेह और विश्वास दिया है, उसके लिए मैं हृदय से प्रत्येक पाठक का बारम्बार आभार व्यक्त करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि चेतना मंच आगे भी सच का सजग प्रहरी बना रहेगा तथा शोषित, पीडि़त, निर्बल वर्ग का सच्चा साथी और सहयोगी बना रहेगा। 27 वर्षों की यह यात्रा केवल समय की नहीं, बल्कि संघर्ष, विश्वास और सच के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की यात्रा है और यह सफर यूँ ही निरंतर चलता रहेगा :-
मंजिलें क्या हैं, रास्तों से पूछो।
चलते-चलते कारवां बन जाते हैं।।- 27th Foundation Day of Chetna Manch
27th Foundation Day of Chetna Manch : हाल ही में 21 दिसंबर 2025 को चेतना मंच का 27वां स्थापना दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया। चेतना मंच के स्थापना दिवस के अवसर पर चेतना मंच के नोएडा कार्यालय में हवन-पूजन तथा भंडारे का आयोजन किया गया। नोएडा शहर से प्रकाशित होने वाले लोकप्रिय समाचार-पत्र चेतना मंच का 27वां स्थापना दिवस उस समय और भी खास हो गया जब चेतना मंच का 28 पेज का स्थापना दिवस विशेषांक लाखों पाठकों के हाथों में पहुंचा। चेतना मंच के इस विशेषांक के पहले पन्ने पर एक विशेष संपादकीय लेख प्रकाशित किया गया।
संपादकीय लेख को मिला पाठकों को भरपूर प्यार
चेतना मंच के स्थापना दिवस के अवसर पर प्रकाशित विशेष संपादकीय लेख का शीर्षक बहुत अनूठा था। इस संपादकीय पेज का शीर्षक था-‘‘मेरा पहला प्यार”। मेरा पहला प्यार शीर्षक से प्रकाशित चेतना मंच के संपादकीय लेख को पांच लाख से अधिक पाठकों ने पढ़ा है। इस संपादकीय लेख को पढ़नेे वाले पाठक लगातार इस विषय में अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं। ज्यादातर पाठकों ने ‘‘मेरा पहला प्यार” शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय लेख की खूब तारीफ की है। चेतना मंच की पूरी टीम पाठकों के इस प्यार से अभिभूत हुई है। चेतना मंच न्यूज पोर्टल www.chetnamanch.com के पाठकों को यह संपादकीय लेख पढ़वाने के मकसद से यहां उस संपादकीय लेख को ज्यों का त्यों प्रकाशित किया जा रहा है।
मेरा पहला प्यार
इस हैडिंग (शीर्षक) को पढक़र कृपया यह न समझें कि मैं किसी रूमानी प्रसंग की बात कर रहा हूँ। आप यह बिल्कुल भी ना समझें कि अमुक कक्षा में पढ़ते हुए किसी से प्रेम हो गया, उसकी हर अदा दिलकश लगने लगी, सामने आते ही मंदिर की घंटियाँ बज उठीं, दिल धडक़ना भूल गया या सर्दियों की गुनगुनी धूप-सा सुकून मिलने लगा। नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है। क्योंकि मैं तो उस प्रकृति-प्रेमी संवेदना का व्यक्ति हूँ जो यह सोच रखता है कि :“छोड़ द्रुमों की मृदु छाया, तोड़ प्रकृति से भी माया,
बाले तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा दूं लोचन।“
दरअसल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक छोटे से गाँव में जन्मे व्यक्ति को प्रकृति की मृदु छाया का आनंद लेने का अवकाश कहाँ था? इस गाँव में गन्ने की खेती ने भले ही लोगों के जीवन में मिठास घोली हो, लेकिन किसानों का स्वयं का जीवन अत्यंत कष्टसाध्य और दुर्वह था। गाँव, गली, खेत-खलिहान, झोपड़पट्टियाँ हर ओर शोषण, पीड़ा और मौन फैला हुआ था। इन्हीं परिस्थितियों में एक जज़्बा जन्मा। वह जज़्बा यह था कि गाँव, किसान, मज़दूर, शोषित-दमित और वंचित वर्ग की पीड़ा को समाज और सत्ता के सामने निर्भीकता से रखना जरूरी है। इसी उत्कट भावना से आज से 27 वर्ष पूर्व, आज ही के दिन 21 दिसंबर 1998 को आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र ‘‘चेतना मंच’’ का जन्म हुआ। लेकिन जन्म देना कभी आसान नहीं होता। मैंने तथा चेतना मंच की पूरी टीम ने भी चेतना मंच नामक इस रचना को आकार देने में गहरी प्रसव पीड़ा सही है। जैसे एक माँ शिशु का मुख देखते ही सारी पीड़ा भूल जाती है उसके हृदय में अथाह, नि:स्वार्थ प्रेम उमड़ पड़ता है वैसे ही मुझे भी अपनी इस रचना ‘‘चेतना मंच” से गहरा प्रेम हो गया। साथ ही प्रेम हो गया चेतना मंच के उन लाखों पाठकों से जिन्होंने चेतना मंच को अपना भरपूर प्यार दिया। मेरे प्रिय पाठकों, अब आप समझ ही गए होंगे कि मेरा पहला प्यार ‘‘चेतना मंच” समाचार-पत्र तथा चेतना मंच के पाठक हैं। दिन-प्रतिदिन ‘‘चेतना मंच” का प्रकाशन करते हुए यह अनुभूति होती है कि मैं अत्यंत सौभाग्यशाली हूँ कि मेरा पहला प्यार हमेशा मेरे साथ है। चेतना मंच के माध्यम से सच को सच कहने का जो रंग मुझ पर चढ़ा है, वह कभी फीका नहीं पड़ेगा। मैं जीवन भर इसी शिद्दत के साथ इस पहले प्यार के पीछे चलता रहूँगा। ठीक उसी प्रकार कि मानो कोई सपना साकार हो गया हो, मानो आसमान मेरी मुट्ठी में आ गया हो। चेतना मंच की यह यात्रा केवल समाचार देने की नहीं है, बल्कि सच की खोज और सच से आपको रूबरू कराने की है कदम दर कदम। आज के इंटरनेट और ऑनलाइन प्रकाशनों के युग में इस प्रेम को निभाना आसान नहीं है। किन्तु प्रेम निभाना कब आसान रहा है? क्योंकि प्रेम तो वही है।
“आग का दरिया है और डूब के जाना है।“
इसी संकल्प के साथ, चार वर्ष पूर्व चेतना मंच का ऑनलाइन संस्करण www.chetnamanch.com आरंभ किया गया। आप सुधी पाठकों ने चेतना मंच समाचार पत्र की तरह से ही चेतना मंच के न्यूज पोर्टल को भरपूर प्यार से नवाजा है। चेतना मंच के पाठकों ने चेतना मंच को जो अपार स्नेह और विश्वास दिया है, उसके लिए मैं हृदय से प्रत्येक पाठक का बारम्बार आभार व्यक्त करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि चेतना मंच आगे भी सच का सजग प्रहरी बना रहेगा तथा शोषित, पीडि़त, निर्बल वर्ग का सच्चा साथी और सहयोगी बना रहेगा। 27 वर्षों की यह यात्रा केवल समय की नहीं, बल्कि संघर्ष, विश्वास और सच के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की यात्रा है और यह सफर यूँ ही निरंतर चलता रहेगा :-
मंजिलें क्या हैं, रास्तों से पूछो।
चलते-चलते कारवां बन जाते हैं।।- 27th Foundation Day of Chetna Manch












