भारत के चार पड़ोसी देशों में तख्तापलट, चार सालो में बदली सियासत

भारत के चार पड़ोसी देशों में तख्तापलट, चार सालो में बदली सियासत
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:06 AM
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पिछले चार सालों में भारत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक हलचल ने अस्थिरता की नई परिभाषा गढ़ दी है। पिछले चार सालों में भारत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक हलचल ने ऐसा तूफान खड़ा किया है कि अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अब नेपाल—सबकी सत्ता हिल गई। काबुल में तालिबान का कब्जा, श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शनकारियों का ‘स्विमिंग पूल पार्टी’, और नेपाल में युवा-जनरेशन का जबरदस्त Gen-Z क्रेज—ये सब घटनाएं साबित करती हैं कि सत्ता अब किसी के लिए भी सुरक्षित नहीं रही।    Nepal Protest

नेपाल में सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शन इतने तेज़ी से फैल गए कि संसद और सुप्रीम कोर्ट तक आंदोलन की लहर पहुंच गई। पांच मंत्रियों के इस्तीफे, विपक्षी सांसदों की सामूहिक बगावत और राष्ट्रपति के घर तक प्रदर्शनकारियों का घेराव—प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा महज एक शुरुआत थी; विरोध की आग अब भी धधक रही है।

अफगानिस्तान: तालिबान की वापसी

2021 में अफगानिस्तान का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह उलट-पुलट गया। अमेरिकी मदद से स्थापित अशरफ गनी सरकार धराशायी हो गई और तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया। अगस्त के महीने में शहर में दाखिल होते ही तालिबान ने राष्ट्रपति भवन पर नियंत्रण जमा लिया, जबकि एयरपोर्ट पर भगदड़ में 170 से अधिक लोग मारे गए। भ्रष्टाचार, कमजोर सेना और अमेरिकी सैनिकों की वापसी ने विद्रोह को हवा दी। आज भी तालिबान का शासन कायम है, महिलाओं के अधिकारों पर पाबंदियाँ हैं और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की धमक लगातार बनी हुई है।

श्रीलंका: आर्थिक संकट से राजनीति तक

अफगानिस्तान के संकट के ठीक एक साल बाद, 2022 में श्रीलंका आर्थिक तूफ़ान की चपेट में आ गया। महंगाई, ईंधन और दवाइयों की किल्लत ने राजधानी कोलंबो की सड़कों को जलते हुए अंगारों में बदल दिया। लाखों लोग प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए, राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को रातोंरात देश छोड़ना पड़ा और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा देना पड़ा। विरोध इतना उग्र था कि राष्ट्रपति भवन और संसद तक प्रदर्शनकारियों के कदमों की आवाज गूंज उठी।

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बांग्लादेश: छात्र आंदोलन और सत्ता परिवर्तन

2024 में बांग्लादेश के छात्र आंदोलनों ने ऐसा तूफ़ान खड़ा कर दिया कि शेख हसीना की सरकार सत्ता की कुर्सी से खिसक गई। भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन और आरक्षण नीति के खिलाफ सड़कों पर उतरे छात्रों ने पूरे देश की राजनीति हिला कर रख दी। हिंसक झड़पों और गोलीबारी में 300 से अधिक लोग अपनी जान गंवा बैठे। इसके बाद सेना ने अंतरिम सरकार बना दी, लेकिन आम चुनाव अब तक नहीं हो पाए हैं और देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल अब भी गरम है। बांग्लादेश आज भी संघर्ष और आंदोलन की ज्वाला में झुलस रहा है।

अन्य पड़ोसी देश: पाकिस्तान और मालदीव

पाकिस्तान में इमरान खान के हटने के बाद राजनीति का पारा लगातार उँचा है। इमरान समर्थकों की रैलियां, हिंसक झड़पें और देशभर में तनाव ने सरकारी तंत्र को हिला कर रख दिया है। वहीं, बलूचिस्तान में अलगाववादी गुट सत्ता के लिए लगातार चुनौती बने हुए हैं। दूसरी तरफ़ मालदीव में नव निर्वाचित राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के ‘भारत विरोधी’ रुख़ और उनकी रूढ़िवादी नीतियों ने द्विपक्षीय संबंधों में खटास पैदा कर दी है। घरेलू स्तर पर भी उनका प्रशासन पिछली सरकार की तुलना में कड़ा और जुझारू नजर आ रहा है।    Nepal Protest

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iPhone 17 Pro : यहां जानिए इसके फीचर्स और कीमत

iPhone 17 Pro : यहां जानिए इसके फीचर्स और कीमत
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userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 05:14 PM
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टेक वर्ल्ड का सबसे बहुप्रतीक्षित इवेंट Apple Event 2025 आज यानी 9 सितंबर को होने जा रहा है। इस साल कंपनी ने इस इवेंट को Awe-Dropping नाम दिया है और इसके तहत iPhone 17 सीरीज से पर्दा उठाया जाएगा। इस बार Apple चार नए iPhone, iPhone 17, iPhone 17 Air, iPhone 17 Pro और iPhone 17 Pro Max लॉन्च करने जा रही है। Apple iphone 17 Pro Max Launch यह मेगा लॉन्च इवेंट अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित एप्पल हेडक्वार्टर, क्यूपर्टिनो में आयोजित किया जाएगा और इसकी शुरुआत Apple के CEO टिम कुक करेंगे। भारतीय समय के अनुसार यह इवेंट रात 10:30 बजे शुरू होगा।

यूजर्स मुफ्त में देख सकेंगे लाइव स्ट्रीमिंग

इवेंट की लाइव स्ट्रीमिंग को दुनिया भर के यूजर्स बिल्कुल मुफ्त में देख सकते हैं। भारत में भी आप इसे अपने स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप या डेस्कटॉप पर आसानी से लाइव देख सकते हैं। लाइव स्ट्रीमिंग के लिए आप सीधे Apple की ऑफिशियल वेबसाइट (apple.com), Apple TV ऐप, Apple के YouTube चैनल या उसके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स पर जा सकते हैं।

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क्या-क्या हो सकता है लॉन्च?

Apple Event 2025 में सबसे ज्यादा चर्चा में हैं नए iPhones। खासतौर पर iPhone 17 Air, जो एक स्लिम और हल्का डिजाइन लेकर आ सकता है यह मॉडल iPhone Plus की जगह लेगा। इसके अलावा, कंपनी iPhone 17 सीरीज में नई डिजाइन लैंग्वेज, बेहतर कैमरा सेटअप, और दमदार चिपसेट पेश कर सकती है।मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो इस इवेंट में Apple Watch Ultra 3 और AirPods Pro 3 को भी पेश किया जा सकता है, हालांकि कंपनी ने इन प्रोडक्ट्स को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। टेक एक्सपर्ट्स और Apple फैंस की नजरें इस इवेंट पर टिकी हैं क्योंकि हर साल की तरह इस बार भी Apple अपने प्रोडक्ट्स में कुछ क्रांतिकारी बदलाव कर सकती है। Apple iphone 17 Pro Max Launch
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Big Breaking: नेपाल के PM केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा

Big Breaking: नेपाल के PM केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा
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userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:14 AM
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नेपाल में पिछले कई दिनों से जारी भारी जनविरोध और सरकार के भीतर गहराते संकट के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के अनुसार, सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उठे Gen-Z आंदोलन और उसके बाद भड़की हिंसा में 20 से अधिक लोगों की मौत के बाद प्रधानमंत्री पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा था। सहयोगी दलों की नाराजगी, मंत्रियों के इस्तीफे और जनता के आक्रोश को देखते हुए ओली ने अंततः पद छोड़ने का फैसला किया।

प्रदर्शनकारियों का घुसपैठ

नेपाल में जारी राजनीतिक उथल-पुथल अब पूर्ण संकट का रूप ले चुकी है। राजधानी काठमांडू समेत कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन, आगजनी, पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। सबसे गंभीर मामला राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी आवास से सामने आया जहां प्रदर्शनकारियों ने घुसपैठ कर तोड़फोड़ की और आग लगा दी।

नेताओं के घरों पर भी हमले

इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवीर महासेठ और माओवादी प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड के घरों पर भी भीड़ ने हमला किया। हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि अब तक PM सहित गृहमंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल सहित पांच मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं।

पूरे देश में फैल रहा आंदोलन

सरकार ने कई शहरों में कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की है, लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे। आंदोलन अब सिर्फ काठमांडू तक सीमित नहीं रहा यह देश के अन्य प्रमुख शहरों तक फैल चुका है।