Police Memorial Day : आज एक बहुत बड़ा दिन है , मनाया जा रहा है पुलिस स्मृति दिवस

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Police Memorial Day :
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 05:30 AM
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Police Memorial Day : भारत में हर सा‌ल आज के दिन को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है। इस साल आज  भारत 62वां पुलिस स्मृति दिवस मना रहा है। इस दिन को पुलिस-अर्धसैनिक बलों से जुड़े तमाम लोग पुलिस शहीदी दिवस या फिर पुलिस परेड डे के नाम से भी जानते हैं। आज भारत में हर साल पुलिस स्मृति दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 21 अक्टूबर सन् 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग में सीमा की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के जांबाज सैनिकों के एक छोटे से गश्ती दल पर चीनी सेना द्वारा भारी संख्या में घात लगाकर हमला किया गया था। लेकिन हमारे जवानों ने बहादुरी से चीनी सैनिकों का सामना किया और शहीद हो गए। इस हमले में हमारे 10 केरिपुबल के रण बांकुरो ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। उन्ही की याद में हर साल पुलिस स्मृति दिवस 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। पुलिस स्मृति दिवस के दिन देश के सुरक्षा बल, चाहे वो राज्य पुलिस हो, केंद्रीय सुरक्षा बल हो या फिर अर्धसैनिक बल हो, सभी एक साथ मिलकर इस दिन को मनाते हैं।

Police Memorial Day :

भारत के तिब्बत में 2,500 मील लंबी चीन के साथ सीमा है। 21 अक्टूबर 1959 के वक्त इस सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की थी। चीन के घात लगाकर हमला करने से ठीक एक दिन पहले 20 अक्टूबर 1959 को भारत ने तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स के इलाके में तैनात किया था। इस कंपनी को तीन टुकड़ियों में बांटकर सीमा के सुरक्षा की जिम्मेदारी गी गई थी। हमेशा की तरह इस कपंनी के जवान लाइन ऑफ कंट्रोल में गश्त लगाने के लिए निकले। 20 अक्टूबर को दोपहर तक तीनों टुकड़ियों में से दो टुकड़ी के जवान दोपरहर तक लौट आए। लेकिन तीसरी टुकड़ी के जवान उस दिन नहीं लौटे। उस टुकड़ी में दो पुलिस कांस्टेबल और एक पोर्टर था। [caption id="attachment_38522" align="alignnone" width="682"]Police Memorial Day Police Memorial Day[/caption]

Police Memorial Day :

21 अक्टूबर की सुबह वापस नहीं लौटे टुकड़ी के जवानों के लिए तलाशी अभियान चलाने की योजना बनाई गई। जिसका नतृत्व तत्कालीन डीसीआईओ करम सिंह कर रहे थे। इस टुकड़ी में लगभग 20 जवान थे। करम सिंह घोड़े पर सवार हुए और बाकी जवान पैदल मार्च पर थे। पैदल चलने वाली सैनिकों को 3 अलग-अलग टुकड़ियों में बांट दिया गया था। तलाशी अभियान के दौरान ही चीन के सैनिकों ने घात लगाकर एक पहाड़ के पीछे से फायरिंग शुरू कर दी। भारत के जवान, जो अपने साथी को खोजने निकले थे, वो हमले के लिए तैयार नहीं थे। उनके पास जरूरी हथियार नहीं थे। इस हमले में 10 जवान शहीद हो गए थे और ज्यादातर जवान घायल हो गए थे, 7 की हालत गंभीर थी। [caption id="attachment_38523" align="alignnone" width="724"]Police Memorial Day Police Memorial Day[/caption] लेकिन चीन यहीं नहीं रूका, चीनी सैनिकों ने गंभीर रूप से घायल जवान को बंदी बनाकर अपने साथ ले गई। बाकी अन्य जवान वहां से किसी तरह से निकलने में सफल हुए। इस घटना के बाद 13 नवंबर 1959 को शहीद हुए 10 पुलिसकर्मियों के शव को चीनी सैनिकों ने लौटा दिया था। भारतीय सेना ने उन 10 जवानों का अंतिम संस्कार हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ किया। इन्ही शहीदों के सम्मान में हर साल भारत में 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है। [caption id="attachment_38524" align="alignnone" width="547"]Police Memorial Day Police Memorial Day[/caption]
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Statue of Oneness- मध्यप्रदेश में बन रही आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:21 PM
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Statue of Oneness- मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल जिले के ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई जा रही है। 9 फरवरी 2017 को नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (MP CM Shivraj Singh Chouhan) ने इस प्रतिमा को बनाने का संकल्प लिया था। इस प्रतिमा को स्थापित करने का लक्ष्य साल 2023 में रखा गया है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए प्रतिमा के निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है।

108 फीट ऊंची होगी प्रतिमा -

मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में बन रही आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा 108 फीट ऊंची होगी, जिसे 54 फीट ऊंचे प्लेटफार्म पर स्थापित किया जाएगा। इस प्रतिमा को बनाने के लिए दो हजार करोड़ रुपए की लागत लगेगी। यह प्रतिमा आदिगुरु शंकराचार्य के बाल स्वरूप की होगी। प्रतिमा का निर्माण कंस्ट्रक्शन कंपनी, पर्यटन विकास निगम के जरिए किया जा रहा है।

ओंकारेश्वर से है आदि गुरु शंकराचार्य का खास रिश्ता -

मध्यप्रदेश में स्थित ओमकारेश्वर से आदि गुरु शंकराचार्य का एक बेहद खास रिश्ता है। यह आदि गुरु शंकराचार्य की दीक्षा स्थली है। गुरु शिष्य के सम्मान भरे रिश्ते की प्रतीक इस तीर्थ स्थली में शंकराचार्य के गुरु गोविंदपाचार्य की गुफा है। इस गुफा में आदि गुरु शंकराचार्य को मां नर्मदा को अपना कमंडल लेते हुए दिखाने वाली एक मूर्तियां स्थापित की गई। ओंकारेश्वर आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे पहले गोविंदपाचार्य की मूर्ति के ही दर्शन प्राप्त होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नर्मदा नदी में बाढ़ आने से उसका पानी गोविंदपाचार्य की गुफा तक पहुंच चुका था। उस समय गोविंदपाचार्य गुफा के अंदर तपस्या कर रहे हैं। उस समय गुरु की तपस्या भंग ना हो इसलिए शंकराचार्य ने मां नर्मदा से शांत हो जाने की प्रार्थना की थी। उसी समय मां नर्मदा शंकराचार्य के कमंडल में समा गई थी। इसके बाद से ही इस गुफा की महत्वता और भी अधिक बढ़ गई है।

हिंदू धर्म के रक्षक थे शंकराचार्य-

हिंदू धर्म के रक्षक आदि गुरु शंकराचार्य का उल्लेख शास्त्रों में भी किया गया है। सनातन धर्म में इन्हें शिव का अवतार माना जाता है। उन्होंने वेदों में लिखे ज्ञान का प्रचार प्रसार किया है, और भारत के चार कोनों में चार मठों की स्थापना की है। 8 वर्ष की अवस्था में ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के ठीक नीचे इन्होंने गोविंदाचार्य से दीक्षा लेकर सन्यास ग्रहण किया था। इसके बाद वाराणसी होते हुए बद्रिकाश्रम तक पैदल यात्रा की थी। 16 वर्ष की आयु में बद्रिकाश्रम में इन्होंने ब्रह्मसूत्र विषय पर भाष्य लिखा था।
Modi in Uttrakhand मोदी ने पर्वतीय पोशाक पहन किया केदारनाथ का पूजन, 3400 करोड़ की परियोजनाओं का करेंगे शिलान्यास
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Modi in Uttrakhand मोदी ने पर्वतीय पोशाक पहन किया केदारनाथ का पूजन, 3400 करोड़ की परियोजनाओं का करेंगे शिलान्यास

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Modi in Uttrakhand
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userचेतना मंच
calendar21 Oct 2022 06:23 PM
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Modi in Uttrakhand : खबर उत्त्तराखंड से हैं। जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे पर पहुंच चुके हैं। उन्होंने केदारनाथ मंदिर में दर्शन किए और डोरा चोला, जिसे एक विशेष प्रकार की पर्वतीय पोशाक कहा जाता है और भगवान की पूजा के लिए पहना जाता है, पहन कर भगवान केदारनाथ का पूजन किया। इससे पूर्व पीएम मोदी देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री अपनी दो दिवसीय यात्रा के दाैरान 3400 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास भी करेंगे।

Modi in Uttrakhand

देहरादून हवाई अड्डे के बाद प्रधानमंत्री केदारनाथ पहुंचे, जहां पर उन्होंने पूजा अर्चना की। भगवान केदारनाथ के बाद प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी भगवान बदरीश की भक्ति में लीन हो गए। मंत्र उच्‍चारण के बीच उन्‍होंने विधिविधान से पूजा अर्चना की और देश की सम्‍पन्‍नता की आशीर्वाद मांगा। बदरीनाथ में पूजा अर्चना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी धाम से बाहर आए और जनता का अभिवादन किया। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने पूजा के बाद बदरीनाथ मास्‍टर प्‍लान के कार्यों का जायजा लिया।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री केदारनाथ व बद्रीनाथ की अपनी इस यात्रा के दौरान केदारनाथ रोपवे परियोजना की आधारशिला रखेंगे। वह आदि गुरु शंकराचार्य समाधि स्थल के दर्शन करेंगे। वह मंदाकिनी अस्थापथ और सरस्वती आस्थापथ के साथ विकास कार्यों की प्रगति की भी समीक्षा करेंगे। बाद में पीएम बद्रीनाथ पहुंचेंगे जहां वह श्री बद्रीनाथ मंदिर में दर्शन और पूजा करेंगे। इसके बाद वह रिवरफ्रंट के विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे, इसके बाद माणा गांव में सड़क और रोपवे परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे।

इन स्थानों की यात्रा का समय हो जाएगा पीएम आगमन प्लाजा और झीलों के विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। केदारनाथ में रोपवे लगभग 9.7 किलोमीटर लंबा होगा और गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा। इससे यात्रा का समय वर्तमान में 6-7 घंटे से कम होकर लगभग 30 मिनट हो जाएगा। हेमकुंड रोपवे गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगा। यह लगभग 12.4 किमी यात्रा के समय को एक दिन से कम करके केवल 45 मिनट तक ही सीमित कर देगा। बयान में कहा गया कि यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है। रोपवे लगभग 2,430 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। यह धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा क्षेत्र में आर्थिक विकास और राेजगाार को बढ़ावा देगा।

यात्रा के दौरान करीब एक हजार करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया जाएगा। दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं - माणा से माना दर्रा (एनएच07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) तक सीमावर्ती क्षेत्रों में हर मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करने की दिशा में एक और कदम होगा। कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के अलावा, ये परियोजनाएं रणनीतिक दृष्टि से भी फायदेमंद साबित होंगी। केदारनाथ और बद्रीनाथ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से एक हैं। यह क्षेत्र एक श्रद्धेय सिख तीर्थ स्थल - हेमकुंड साहिब के लिए भी जाना जाता है। कनेक्टिविटी परियोजनाओं का उद्देश्य धार्मिक महत्व के स्थानों तक पहुंच को आसान बनाना और बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।