Bhubaneswar : ओडिशा ने शुरू की चक्रवात से निपटने की तैयारियां

Bhubaneswar
नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का फैसला
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ओडिशा सरकार ने एक मई से सभी जिलों में सातों दिन, चौबीसों घंटे काम करने वाले नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का फैसला किया है, ताकि स्थिति पर नजर रखी जा सके। अधिकारी के मुताबिक, चक्रवात की स्थिति में उससे निपटने की राज्य सरकार की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए मुख्य सचिव पीके जेना की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें सभी जिलों में नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि इस बैठक में कई सरकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस महानिदेशक, अग्निशमन सेवा महानिदेशक, विशेष राहत आयुक्त और आईएमडी भुवनेश्वर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिस्सा लिया।नेहा सिंह राठौर के एक और गीत ने मचाया तहलका, केंद्र पर कसे तंज Neha Singh Rathore New Video
हालात से निपटने को तैयार रहें विभाग
अधिकारी के अनुसार, बैठक में जेना ने राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, ग्रामीण विकास, आवास एवं शहरी विकास, स्वास्थ्य, गृह, पंचायती राज और पेयजल सहित अन्य विभागों को गर्मियों में ओडिशा में चक्रवात आने की स्थिति में उससे निपटने के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने बताया कि बैठक में पारादीप और गोपालपुर में तैनात डॉपलर रडार से आंकड़े प्राप्त करने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। ये दोनों रडार गर्मियों में बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनने वाले किसी भी चक्रवात का पता लगाने में मदद करेंगे। ओडिशा को 2019 में गर्मियों में फानी चक्रवात का सामना करना पड़ा था, जबकि 2020 में अम्फान और 2021 में यास चक्रवात उसके तट से टकराए थे। हालांकि, 2022 में राज्य में गर्मियों में कोई चक्रवात नहीं आया था।Bhubaneswar
फिलहाल नहीं है चक्रवात की संभावना
दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने चक्रवात से होने वाली तबाही से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं। वहीं, राज्य सरकार ने उन्हें चक्रवात के दौरान निर्बाध सेवाएं सुनिश्चित करने और इससे जुड़ी ताजा जानकारी के बारे में लोगों को अलर्ट भेजने के लिए कहा है। बैठक में शामिल आईएमडी के अधिकारी और वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक यूएस डैश ने कहा कि रेडियो और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से मौसम बुलेटिन और चक्रवात अपडेट प्रसारित करने के लिए कदम उठाए गए हैं। डैश ने बताया कि बैठक में राज्य सरकार को सूचित किया गया कि अगले 15 दिनों में बंगाल की खाड़ी के ऊपर निम्न दबाव वाला क्षेत्र बनने की कोई संभावना नहीं है, जिसके चलते राज्य में चक्रवात आने के भी आसार नहीं हैं।UP News : घर से भागे मासूम को आवारा कुत्तों ने नोच-नोचकर मार डाला
राज्य के 317 दमकल केंद्र अलर्ट पर
एक अधिकारी ने कहा कि चूंकि, पुरी में 20 जून को एक उत्सव का आयोजन किया जाना है, इसलिए उसे छोड़कर ओडिशा के प्रत्येक जिले में 18 और 19 जून को ‘साइक्लोन मॉक ड्रिल’ आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य के 317 दमकल केंद्रों के अधिकारियों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखा गया है। मुख्य सचिव के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस साल गर्मियों में ओडिशा में किसी भी चक्रवात के आने की स्थिति में बचाव और पुनर्वास कार्य के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कम से कम 17 दलों को तैनात किया जाएगा। बयान के मुताबिक, चक्रवात की स्थिति में लोगों को अस्थायी आश्रय प्रदान करने के लिए राज्य में कुल 879 बहुउद्देशीय चक्रवात/बाढ़ केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को बचाव और पुनर्वास कार्य के लिए सभी उपकरण तैयार रखने को कहा गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जिला मुख्यालय के अस्पतालों में पर्याप्त दवाइयां और अन्य जरूरी चिकित्सकीय सामान का भंडारण करेगा। खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण विभाग को पर्याप्त मात्रा में सूखे भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करने का निर्देश दिया गया है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।अगली खबर पढ़ें
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नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का फैसला
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ओडिशा सरकार ने एक मई से सभी जिलों में सातों दिन, चौबीसों घंटे काम करने वाले नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का फैसला किया है, ताकि स्थिति पर नजर रखी जा सके। अधिकारी के मुताबिक, चक्रवात की स्थिति में उससे निपटने की राज्य सरकार की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए मुख्य सचिव पीके जेना की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें सभी जिलों में नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि इस बैठक में कई सरकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस महानिदेशक, अग्निशमन सेवा महानिदेशक, विशेष राहत आयुक्त और आईएमडी भुवनेश्वर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिस्सा लिया।नेहा सिंह राठौर के एक और गीत ने मचाया तहलका, केंद्र पर कसे तंज Neha Singh Rathore New Video
हालात से निपटने को तैयार रहें विभाग
अधिकारी के अनुसार, बैठक में जेना ने राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, ग्रामीण विकास, आवास एवं शहरी विकास, स्वास्थ्य, गृह, पंचायती राज और पेयजल सहित अन्य विभागों को गर्मियों में ओडिशा में चक्रवात आने की स्थिति में उससे निपटने के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने बताया कि बैठक में पारादीप और गोपालपुर में तैनात डॉपलर रडार से आंकड़े प्राप्त करने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। ये दोनों रडार गर्मियों में बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनने वाले किसी भी चक्रवात का पता लगाने में मदद करेंगे। ओडिशा को 2019 में गर्मियों में फानी चक्रवात का सामना करना पड़ा था, जबकि 2020 में अम्फान और 2021 में यास चक्रवात उसके तट से टकराए थे। हालांकि, 2022 में राज्य में गर्मियों में कोई चक्रवात नहीं आया था।Bhubaneswar
फिलहाल नहीं है चक्रवात की संभावना
दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने चक्रवात से होने वाली तबाही से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं। वहीं, राज्य सरकार ने उन्हें चक्रवात के दौरान निर्बाध सेवाएं सुनिश्चित करने और इससे जुड़ी ताजा जानकारी के बारे में लोगों को अलर्ट भेजने के लिए कहा है। बैठक में शामिल आईएमडी के अधिकारी और वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक यूएस डैश ने कहा कि रेडियो और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से मौसम बुलेटिन और चक्रवात अपडेट प्रसारित करने के लिए कदम उठाए गए हैं। डैश ने बताया कि बैठक में राज्य सरकार को सूचित किया गया कि अगले 15 दिनों में बंगाल की खाड़ी के ऊपर निम्न दबाव वाला क्षेत्र बनने की कोई संभावना नहीं है, जिसके चलते राज्य में चक्रवात आने के भी आसार नहीं हैं।UP News : घर से भागे मासूम को आवारा कुत्तों ने नोच-नोचकर मार डाला
राज्य के 317 दमकल केंद्र अलर्ट पर
एक अधिकारी ने कहा कि चूंकि, पुरी में 20 जून को एक उत्सव का आयोजन किया जाना है, इसलिए उसे छोड़कर ओडिशा के प्रत्येक जिले में 18 और 19 जून को ‘साइक्लोन मॉक ड्रिल’ आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य के 317 दमकल केंद्रों के अधिकारियों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखा गया है। मुख्य सचिव के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस साल गर्मियों में ओडिशा में किसी भी चक्रवात के आने की स्थिति में बचाव और पुनर्वास कार्य के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कम से कम 17 दलों को तैनात किया जाएगा। बयान के मुताबिक, चक्रवात की स्थिति में लोगों को अस्थायी आश्रय प्रदान करने के लिए राज्य में कुल 879 बहुउद्देशीय चक्रवात/बाढ़ केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को बचाव और पुनर्वास कार्य के लिए सभी उपकरण तैयार रखने को कहा गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जिला मुख्यालय के अस्पतालों में पर्याप्त दवाइयां और अन्य जरूरी चिकित्सकीय सामान का भंडारण करेगा। खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण विभाग को पर्याप्त मात्रा में सूखे भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करने का निर्देश दिया गया है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।संबंधित खबरें
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Pushkar Temple of Brahma Ji[/caption]
अंबिका माता मंदिर :
ये मंदिर राजस्थान से 50 किलोमीटर दूर जगत नामक गांव में स्थित है। इस मंदिर में माता दुर्गा दिव्य स्वरूप स्थापित है। इस मंदिर में कई बेहतरीन मूर्तियाँ भी संरक्षित हैं, जिसकी वजह से इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहां जाता है। नवरात्रि में इस मंदिर की छटा देखते बनती है।इस मंदिर की संरचना और वास्तु इतना आकर्षक है कि यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।
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Ambika Mata Temple[/caption]
करणी माता का मंदिर :
ये मंदिर बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। जिसका निर्माण महाराजा गंग सिंह ने करवाया था। इस मंदिर में लगभग 20,000 चूहे रहते हैं। यहां जो प्रसाद चढ़ाया जाता है, उसे पहले चूहे खाते हैं, फिर उस प्रसाद को भक्तों में बांट दिया जाता है। यह मंदिर चूहों के मंदिर के नाम से भी फेमस है। यहां पूजी जाने वाली देवी भी माता दुर्गा का ही अवतार हैं। चैत्र और अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को यहां मेला लगता है।
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Karni Mata Temple[/caption]
मोती डूंगरी मंदिर :
मोती डूंगरी मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था। जयपुर में स्थित यह भगवान गणेश को समर्पित है। इस मंदिर की नींव सेठ जय राम पालीवाल ने रखी थी। मोती डूंगरी मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था। उन्होंने यह मंदिर 1761 में बनवाया था। इस मंदिर में एक शिवलिंग भी है, जो साल में एक बार खुलता है। इस मन्दिर में बुधवार को भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां कई नेता और व्यवसायी भी इस मंदिर मे दर्शन करने आते हैं।
[caption id="attachment_85017" align="alignnone" width="921"]
Moti Dungri Temple[/caption]
बिड़ला मंदिर :
यह मंदिर मोती डूंगरी मन्दिर के पास ही बना है। ये मन्दिर लक्ष्मीनारायण भगवान को समर्पित है। बिरला मंदिर का निर्माण सन 1998 में बिरला परिवार द्वारा किया गया था। इस मंदिर के तीन बड़े गुंबद यहां के आकर्षण का केंद्र हैं। चूंकि इस मंदिर को बनाने में संगमरमर का उपयोग किया गया है, इसलिए यह सौंदर्य की दृष्टि से सभी आगंतुकों को आकर्षित करता है।इस मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय नवरात्रि में है।
[caption id="attachment_85025" align="alignnone" width="927"]
Birla Mandir[/caption]
दिलवाड़ा जैन मंदिर :
ये मंदिर राजस्थान के माउंट आबू में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण विपुल शाह और वास्तुपाल तेजपाल ने 11वीं और 13वीं शताब्दी में कराया था। यह दुनिया के सबसे खूबसूरत जैन मंदिरों में से एक है। यहां पांच दिलवाड़ा जैन मंदिर है। मंदिर में देवताओं की मूर्तियां, अर्थात् भगवान आदिनाथ, भगवान ऋषभदेव, भगवान नेमिनाथ, भगवान महावीर स्वामी और भगवान पार्श्वनाथ, पांच अलग-अलग मंदिरों में मौजूद हैं। इस मंदिर की वास्तुकला आकर्षण का केंद्र है। ये मंदिर जैन के तीर्थ स्थल के रूप में देखा जाता है।
[caption id="attachment_85027" align="alignnone" width="948"]
Dilwara Jain Temple[/caption]
तनोट माता मंदिर :
तनोट माता मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले के तनोट नामक गाँव में भारत-पाकिस्तान सीमा के करीब स्थित है। ये मंदिर जैसलमेर से 120 किलोमीटर दूर स्थित है। देवी हिंगलाज के अवतार तनोट माता को समर्पित यह मंदिर हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक बना हुआ है। तनोट माता का मंदिर देशभर के श्रद्धालुओं की भी श्रद्धा का केन्द्र है। नवरात्रि के मौके पर तनोट मंदिर में आस्था का ज्वार उमड़ता है। भारत-पाकिस्तान के 1960 के युद्ध के दौरान इस मंदिर की ख्याति बढ़ी थी। कहा जाता है कि बमबारी के दौरान एक भी बम विस्फोट नहीं हुआ था।बीएसएफ के नौजवानों की इस मन्दिर के प्रति बहुत आस्था है। वे इस मंदिर की मिट्टी ले जाते और अपने वाहन और खुद पर लगाते हैं। उनका मानना है कि माता उनकी रक्षा करती हैं।
[caption id="attachment_85029" align="alignnone" width="1024"]
Tanot Mata Temple[/caption]
बबिता आर्या