UP Election 2022 बसपा के लिए खोया जनाधार पाना चुनौतीपूर्ण

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Jan 2022 06:15 PM
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UP Election 2022 :  कभी दलित राजनीति का केन्द्र रहा सहारनपुर बसपा (BSP) का गढ़ भी रहा है। सहारनपुर की हरोड़ा विधानसभा सीट से दो बार चुनाव जीतकर मायावती (Mayawati) मुख्यमंत्री भी बनी थीं, लेकिन वर्ष 2012 के बाद से सहारनपुर जनपद में लगातार बसपा  (BSP) का ग्राफ गिरता जा रहा है। अब 2022 में हो रहे विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में बसपा (BSP) के सामने अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने की बड़ी चुनौती होगी।

पश्चिम उत्तर प्रदेश में दलित मतदाता निणार्यक की भूमिका निभाते रहे हैं। इसमें सहारनपुर में दलितों का कुछ अधिक ही प्रभाव है। वह किसी भी सियासी हवा का रुख मोड़ने में सक्षम है। इसी के चलते बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने संघर्ष के शुरूआती दिनों में सहारनपुर को अपना केन्द्र बिंदू बनाकर रखा। यहां से वह वर्ष 1996 में चुनाव लड़ीं और विधायक बनीं। सहारनपुर से ही विधायक बनकर वह पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनी थीं। इसके बाद वर्ष 2002 में भी मायावती सहारनपुर की हरौड़ा सीट से चुनाव जीतीं और दोबारा मुख्यमंत्री बनीं।

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इसके बाद बसपा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2002 में बसपा ने हरौड़ा से मायावती के साथ ही बेहट सीट से जगदीश राणा, नकुड़ सीट से डा. धर्म सिंह सैनी, नागल सुरक्षित सीट से इलम सिंह और देवबंद से राजेन्द्र राणा ने चुनाव लड़ा। वर्ष 2007 में भी जिले की सात में से पांच सीटों पर बसपा ने विजय प्राप्त की थीं। वर्ष 2012 में सपा की लहर के बावजूद यहां बसपा का प्रदर्शन खासा चौंकाने वाला रहा और सात में से चार सीटों पर बसपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। उसके बाद बसपा का जिले में जनाधार लगातार कम होता रहा। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में तो बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी।

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मायवती का सहारनपुर से खासा लगाव रहा है। बहुचर्चित शब्बीरपुर कांड के विरोध में उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बसपा के संस्थापक कांशीराम के लिए भी सहारनपुर खासा प्रिय रहा है। उन्होंने यहां से वर्ष 1999 में लोकसभा का चुनाव लड़ा था। हालांकि वह उस समय भाजपा प्रत्याशी स्व. नकली सिंह से हार गए थे।

बसपा को अब तक मिली सीटें वर्ष 2002 में 4 सीट वर्ष 2007 में 5 में सीट वर्ष 2012 में 4 सीट वर्ष 2017 में एक भी नहीं

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Greater Noida News : उप्र में अपने दम पर चुनाव लड़ेेंगे: चंद्रशेखर

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 07:27 PM
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Greater Noida: ग्रेटर नोएडा । आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लडऩे का  ऐलान किया है। आजाद समाज पार्टी ने 33 सीटों पर उम्मीदवारों उतारने की घोषणा कर दी है।ग्रेटर नोएडा स्थित वाईएमसीए क्लब (YMCA Club) में आयोजित प्रेसवार्ता में आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि मैं एक युवा हूं और मैंने सिर्फ परेशानियों से लडऩा सीखा है। मैंने पांच साल में बहुत कुछ देखा औए खोया है।चंद्रशेखर आजाद ने कहा, ‘मैं सरकार से कभी डरा नहीं। मेरा डर था कि विपक्ष के बिखराव की वजह से बीजेपी वापस लौटी है तो अच्छा नहीं है। सबको सत्ता से मतलब लेकिन हमारी लड़ाई सत्ता की नहीं है।’ आजाद ने कहा कि पिछले दो महीने में हमारे साथ छल हुआ, कुछ लोगों के हंसी का विषय होगा कि चंद्रशेखर को बेवकूफ बना दिया। लेकिन मैंने इस बार भी मंत्रिपद और बाकी चीजों को ठोकर मार दी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चंद्रशेखर ने कहा कि छोटे-छोटे दलों से बातचीत अभी भी चल रही है। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उनकी पार्टी प्रत्याशी नहीं उतारेगी। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने कहा कि उनकी लड़ाई केवल भाजपा से है। अगर पार्टी कहेगी तो गोरखपुर से चुनाव भी लडूंगा। उन्होंने कहा कि मेरे साथ एक पार्टी के नेता से 25 सीटों पर बात हुई थी। जिन नेता से बात हुई थी अब उनके साथ नहीं जायेंगे।
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UP Elections 2022 क्या सपा की मान्यता हो सकती है रद्द, SC में होगी सुनवाई

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userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:37 AM
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UP Elections 2022 : खबर यूपी के लखनऊ है, जहां विधानसभा चुनाव 2022 की तारीखों का ऐलान हुआ चुका है और पहले चरण के लिए 10 फरवरी को मतदान होना है। मतदान से से पहले समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल, भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में समाजवादी पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है। इस अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है।

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भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जानकारी वेबसाइट, सोशल मीडिया, प्रिंट एवं टीवी मीडिया पर नहीं दी गई है। यह निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले की अवमानना है। ऐसे में समाजवादी पार्टी समेत ऐसे सभी दलों का पंजीकरण खत्म होना चाहिए, जो अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं करते हैं। याचिकाकर्ता ने गैंगस्टर ऐक्ट में जेल गए सपा के प्रत्याशी रहे नाहिद हसन का जिक्र किया।

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इस याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कैराना से सपा ने नाहिद हसन को चुनावी मैदान में उतारने घोषणा की है। उनका आरोप है कि हसन एक गैंगस्टर है लेकिन सपा ने इस उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड को समाचार पत्र, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में प्रकाशित-प्रसारित नहीं किया।

यही नहीं उनके चयन की वजह भी नहीं बताई। याचिकाकर्ता का कहना है कि उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में जानकारी नहीं देना उच्चतम न्यायालय के फरवरी 2020 के फैसले के खिलाफ है। उपाध्याय का कहना है कि अपने फैसले में शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करते वक्त राजनीतिक दलों के लिए संबंधित व्यक्ति का अपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक करना अनिवार्य है।

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सपा प्रत्याशी नाहिद हसन गैंगस्टर एक्ट में वांछित चल रहे थे, जिन्हें 15 जनवरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तार उस वक्त हुई जब नाहिद हसन कलक्ट्रेट में अपने नामांकन से संबंधित काम के लिए जा रहे थे। इस दौरान पुलिस ने हसन को कैराना शामली मार्ग पर गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से कोर्ट ने हसन को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था।