उत्तर प्रदेश का ये शहर है सबसे महंगा, क्या आपका शहर भी लिस्ट में है शामिल

उत्तर प्रदेश का ये शहर है सबसे महंगा, क्या आपका शहर भी लिस्ट में है शामिल
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userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 10:00 AM
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उत्तर प्रदेश की तस्वीर तेजी के साथ बदली है। देश की राजधानी दिल्ली में आवासीय, औद्योगिक व व्यापारिक स्थानों की कमी के बाद अब दिल्ली के सबसे नजदीकी राज्य उत्तर प्रदेश के शहरों में लाइफ स्टाइल बदल गया है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद जहां कई बड़े प्रोजेक्ट, एयरपोर्ट व इंफ्रास्टक्चर का तेजी के साथ विकास हुआ है। उससे उत्तर प्रदेश के शहरों में प्रोपर्टी के दाम भी आसमान पर पहुंच गए हैं। हम यहां आपको बता रहे हैं उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा महंगे 10 शहर जहां की तस्वीर अब बदल चुकी है।  Uttar Pradesh Samachar

उत्तर प्रदेश का ये शहर है सबसे महंगा

नोएडा ( Noida)  : उत्तर प्रदेश के सबसे महंगे शहरों की लिस्ट में पहला नम्बर एशिया की सबसे बड़ी औद्योगिक टॉउनशिप के रूप में विकसित नोएडा का नाम है। नोएडा आज औद्योगिक टाउनशिप ही नहीं आवासीय व मल्टीनेशनल कंपनियों का शहर भी बन चुका है। नोएडा में आईटी सेक्टर तेजी के साथ विकसित हुआ है। आईटी से जुड़ी कई बड़ी कंपनियां नोएडा में चल रही हैं। वहीं मोबाइल मैनूफेक्चरिंग में भी नोएडा नाम दुनिया भर में लिया जा रहा है। यहां प्रोपर्टी खरीदना आज एक सपना बन चुका है। गाजियाबाद (Ghaziabad )  : उत्तर प्रदेश के सबसे महंगे शहरों की लिस्ट में दूसरा नम्बर गाजियाबाद का है। राजधानी दिल्ली से अच्छी कनेक्टिविटी और आधुनिक आवासीय सुविधाओं के कारण गाजियाबाद शहर तेजी के साथ बदला है। गाजियाबाद में कई मॉडर्न हाउसिंग सोसायटीज हैं। गाजियाबाद में भी जमीनों का रेट आसमान छू रहा है।  Uttar Pradesh Samachar लखनऊ ( Lucknow)  : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर है। नवाबों के शहर लखनऊ में विकास योजनाएं तेजी के साथ बढ़ रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के आसपास एक नया शहर बसाने की भी योजना पर अमल शुरू कर दिया है। आगरा ( Agra) : ताजमहल के कारण दुनिया भर में अपनी पहचान बनाने वाले आगरा शहर में प्रोपर्टी के रेट तेजी के साथ बढ़े हैं। आगरा में अब कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं साथ ही यहां उत्तर प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं ला रही है। वाराणसी ( Varanasi ) : धार्मिक नगरी तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी अब आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। वाराणसी के विकास पर केन्द्र सरकार खास फोकस बना चुकी है। यहां गंगा घाटों के विकास के अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर के नए स्वरूप ने दुनिया भर के लोगों को वाराणसी की ओर आकर्षित किया है। जिस कारण बड़ी संख्या में देश व विदेश के लोग वाराणसी में प्रोपर्टी खरीदने के लिए इंवेस्ट कर रहे हैं जिससे यहां प्रोपर्टी के दाम तेजी के साथ बढ़े हैं। प्रयागराज ( Prayagraj ) : कुंभ के बाद धार्मिक नगरी प्रयागराज में रियल एस्टेट का बाजार गर्म हो गया है। यहां प्रोपर्टी में बड़े पैमाने पर इंवेस्ट किया गया है। जिस कारण प्रयागराज में भी जमीनों की कीमत बढ़ी है और उत्तर प्रदेश का प्रयागराज शहर भी मंहगे शहरों की लिस्ट में शामिल हो गया है।  Uttar Pradesh Samachar यह भी पढ़े: लखनऊ में मेट्रो के फेज -1 बी को केंद्र की मंजूरी, चारबाग से बसंत कुंज तक दौड़ेगी मेट्रो मेरठ ( Meerut ) : उत्तर प्रदेश का मेरठ शहर गन्ने और खेल के लिए मशहूर है। केन्द्र सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ शहर में विकास पर विशेष फोकस किया है। आवासीय सुविधाओं को बढ़ाने के लिए मेरठ एक खास शहर बन गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के दायरे को बढ़ाते हुए मेरठ में भी अब कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। मेरठ और दिल्ली को जोडऩे के लिए आरआरटीएस प्रोजेक्ट बनकर तैयार है इस पर मेरठ से दिल्ली तक नमो भारत ट्रेन दौडऩे लगी है। कानपुर ( Kanpur ) : उत्तर प्रदेश के सबसे पुराने औद्योगिक शहरों में शुमार कानपुर तेजी के साथ आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। कानपुर में विकास योजनाएं तेजी के साथ बढ़ रही हैं। जिस कारण यहां प्रोपर्टी के दाम काफी उछाल पर हैं। कानपुर के औद्योगिक विकास को आधुनिक रूप देने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार खास तौर पर काम कर रही है। बरेली ( Bareilly ) : अपने हस्तशिल्प और सांस्कृतिक धरोहर के लिए विशेष पहचान रखने वाले बरेली शहर में आधुनिक सुख-सुविधाओं ने तेजी के साथ जगह बनाई है। बरेली शहर अब आवासीय तथा व्यापारिक क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। झांसी ( Jhansi ) : उत्तर प्रदेश के सबसे महंगे शहरों की लिस्ट में 10वें नम्बर पर ऐतिहासिक शहर झांसी है। झांसी अब एक आधुनिक और तेजी से विकसित होता शहर बन गया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने झांसी क्षेत्र में कई योजनाएं लांच की हैं जिनका असर यहां की प्रोपर्टी पर दिख रहा है।  Uttar Pradesh Samachar
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लखनऊ में मेट्रो के फेज -1 बी को केंद्र की मंजूरी, चारबाग से बसंत कुंज तक दौड़ेगी मेट्रो

लखनऊ में मेट्रो के फेज -1 बी को केंद्र की मंजूरी, चारबाग से बसंत कुंज तक दौड़ेगी मेट्रो
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calendar01 Dec 2025 09:45 PM
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मेट्रो सेवा के विस्तार को लेकर बड़ी खुशखबरी मिली है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस वार्ता में घोषणा की है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ मेट्रो के फेज 1बी को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है, जिसके लिए 5801 करोड़ रुपये की आर्थिक स्वीकृति भी स्वीकृत की गई है। यह फैसला न केवल लखनऊ की सड़कों पर यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की शहरी परिवहन व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है।  Uttar Pradesh Samachar

फेज 1बी: चारबाग से वसंत कुंज तक 11.2 किमी का नया रूट

फेज 1बी परियोजना के तहत चारबाग से वसंत कुंज तक मेट्रो लाइन विकसित की जाएगी, जिसकी कुल लंबाई 11.2 किलोमीटर होगी। इसमें 6.9 किलोमीटर मार्ग भूमिगत और 4.3 किलोमीटर एलिवेटेड होगा। इस रूट पर 12 स्टेशन होंगे, जिनमें से 7 स्टेशन अंडरग्राउंड और 5 एलिवेटेड होंगे। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह मार्ग पूर्व से पश्चिम की दिशा में बनेगा, जिससे शहर के हर कोने तक बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी और लखनऊ का विकास गति पकड़ने लगेगा।

किन स्टेशनों से गुजरेगी मेट्रो ?

इस नए फेज के मार्ग में चारबाग, गौतमबुद्ध मार्ग, अमीनाबाद, पांडेयगंज, सिटी रेलवे स्टेशन, मेडिकल चौराहा, चौक, ठाकुरगंज, बालागंज, सरफाजगंज, मूसाबाग और वसंतकुंज मेट्रो स्टेशन शामिल हैं। चारबाग से चौक तक के स्टेशन भूमिगत होंगे, जबकि ठाकुरगंज से वसंतकुंज तक के स्टेशन एलिवेटेड होंगे। चारबाग स्टेशन इस रूट का इंटरचेंज पॉइंट होगा जहां यात्री अपने मार्ग को बदल सकते हैं।

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व्यापार और पर्यटन के केंद्र होंगे जुड़े

इस मेट्रो रूट के बनने से न केवल लखनऊ के नागरिकों को यात्रा में आसानी होगी, बल्कि यह व्यावसायिक और पर्यटन दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। अमीनाबाद, यहियागंज, पांडेयगंज और चौक जैसे व्यस्त व्यावसायिक क्षेत्र इस लाइन से सीधे जुड़े रहेंगे। साथ ही किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का मेडिकल कॉलेज भी इस रूट के जरिए आसान पहुंच में होगा। पर्यटकों के लिए भी यह रूट विशेष लाभदायक साबित होगा क्योंकि बड़े इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, भूलभुलैया, घंटाघर और रूमी दरवाजा जैसे ऐतिहासिक स्थल अब ट्रैफिक जाम से मुक्त होकर देखे जा सकेंगे।  Uttar Pradesh Samachar

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2027 चुनावों में छाएंगे राहुल-अखिलेश, बन गई यूपी की सबसे शानदार जोड़ी !

2027 चुनावों में छाएंगे राहुल-अखिलेश, बन गई यूपी की सबसे शानदार जोड़ी !
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calendar01 Dec 2025 12:45 PM
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2024 के लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हवा में उठा फासला भले ही सपा और कांग्रेस के बीच अस्थायी लग रहा हो, लेकिन अब राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी फिर से सियासी मैदान में मजबूती से उभर रही है। संसद की गलियों से लेकर यूपी की सड़कों तक, ये दोनों युवा नेता मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होकर 2027 के चुनावों के लिए अपनी रणनीति को और पुख्ता कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में राहुल-अखिलेश की केमिस्ट्री न केवल गठबंधन की नई जान डाल रही है, बल्कि भाजपा को भी कड़ी टक्कर देने का संकेत दे रही है।  Uttar Pradesh Samachar

यूपी की सियासत में सपा-कांग्रेस का गठबंधन रहा असरदार

2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा-कांग्रेस के इस गठबंधन ने बीजेपी की दहाड़ को ठहराया था, जहां भाजपा को अकेले बहुमत नहीं मिल पाया और उसे सहयोगी दलों की सहायता से सरकार बनानी पड़ी। इसके बाद दोनों दलों के बीच अनबन की खबरें आईं, खासकर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के विवादित बयानों ने दोस्ती पर सवाल खड़े कर दिए थे। लेकिन संसद के मॉनसून सत्र से लेकर सड़कों तक राहुल और अखिलेश की जोड़ी ने विरोध के स्वर एक किए। बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) और चुनाव में कथित वोट चोरी के मुद्दे पर दोनों नेताओं ने न केवल संसद में आवाज उठाई, बल्कि चुनाव आयोग तक मार्च भी किया।

संसद मार्ग पर पुलिस की रोक के बीच अखिलेश यादव ने बैरिकेड पार कर प्रदर्शनकारियों के साथ अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। राहुल गांधी और अखिलेश यादव के अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और सपा सांसद डिंपल यादव भी विपक्ष के जोश को बुलंद करते दिखे। यह साफ संकेत है कि ‘दो लड़कों की जोड़ी’ सिर्फ लोकसभा चुनाव तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि अगले विधानसभा चुनाव में भी इसका असर बरकरार रहेगा।

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सड़क से संसद तक मोदी सरकार के खिलाफ एक सुर

राजनीतिक मंच पर राहुल और अखिलेश की केमिस्ट्री पिछले चुनावों के दौरान भी बेहद कारगर साबित हुई। कन्नौज में राहुल गांधी का चुनाव प्रचार और रायबरेली में अखिलेश यादव की जनसभाएं इस जोड़ी की ताकत को दर्शाती हैं। 2024 में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में भाजपा की पकड़ आधी हो गई, जबकि सपा-कांग्रेस गठबंधन ने कुल 43 सीटें जीतीं। यह बदलाव सीधे तौर पर दोनों नेताओं के संयुक्त प्रयासों का नतीजा था।

हालांकि चुनाव के बाद कुछ मतभेद भी उभरे, खासकर यूपी के उपचुनावों और अन्य राज्यों में मिले परिणामों के बाद। कांग्रेस और सपा के बीच सीटों के बंटवारे, संभल हिंसा मामले, और गठबंधन नेतृत्व को लेकर विवाद ने मित्रता की नींव को हिला दिया था। लेकिन अब राहुल गांधी के वोटर लिस्ट और चुनावी धांधली के आरोपों पर अखिलेश यादव के समर्थन ने इस रिश्ते को फिर से सुदृढ़ किया है। दोनों नेता न केवल सदन में एक सुर में नजर आ रहे हैं, बल्कि सड़क पर भी एक साथ विपक्षी ताकतों को संगठित कर रहे हैं।

2027 के विधानसभा चुनाव के लिए यह गठबंधन न केवल राजनीतिक रणनीति बल्कि दोनों दलों की सत्ता में वापसी की उम्मीद भी बन चुका है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की दोस्ती में दोनों को अपनी-अपनी राजनीतिक ताकत और लाभ नजर आता है। इसलिए आने वाले समय में ‘दो लड़कों की जोड़ी’ यूपी की सियासत में अपनी पकड़ और मजबूत करती दिखेगी।  Uttar Pradesh Samachar