Uttarakhand elections जानिए हरिद्वार विधानसभा सीट के बारे में सभी कुछ

Hardwar
Uttarakhand elections
locationभारत
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calendar01 Dec 2025 10:16 PM
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Uttarakhand elections : हरिद्वार (Haridwar news) विधानसभा सीट उत्तराखंड की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। इस बार हरिद्वार विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। हरिद्वार विधानसभा सीट उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में आती है। 2017 में हरिद्वार में कुल 66.00 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से मदन कौशिक ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ब्रम्हस्वरूप ब्रम्हचारी को 35927 वोटों के मार्जिन से हराया था। हरिद्वार विधानसभा सीट हरिद्वार के अंतर्गत आती है। इस संसदीय क्षेत्र से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक हैं, जो भारतीय जनता पार्टी से हैं। उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस के अंबरीश कुमार को 258729 से हराया था।

मतदान की तारीख: सोमवार, 14 फरवरी 2022 मतगणना की तारीख: गुरुवार, 10 मार्च 2022

[caption id="attachment_14976" align="alignnone" width="533"]Uttarakhand elections Uttarakhand elections[/caption]

2017 हरिद्वार विधानसभा चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नाम                         पार्टी                        स्थान                                 कुल वोट मदन कौशिक                                 भाजपा                    विजेता                                61,742 ब्रम्हस्वरूप ब्रम्हचारी                       का‍ँग्रेस                     दूसरे स्थान पर                     25,815 अंजू मित्त                                     बसपा                     3rd                                      2,661 रविश भटिजा                                 स्वतंत्र                    4th                                        1,571 नोटा नोटा                                                                  5th                                         632 राजकुमार अग्रवाल                         स्वतंत्र                    6th                                         364 आदेश                                          यूकेकेडी                  7th                                          329 विजयलक्ष्मी                                 स्वतंत्र                     8th                                           232 आदेश कुमार                                एवीआईआरपी          9th                                            125 मनोज शर्मा                                  स्वतंत्र                    10th                                          78

हरिद्वार अब तक विधानसभा चुनाव परिणाम साल             उम्मीदवार का नाम                       पार्टी          कुल वोट 2017           मदन कौशिक                               भाजपा विजेता  61,742 ब्रम्हस्वरूप ब्रम्हचारी                     का‍ँग्रेस दूसरे स्थान पर 25,815 2012           मदन कौशिक                               भाजपा विजेता  42,297 सतपाल ब्रम्हचारी                         का‍ँग्रेस दूसरे स्थान पर 33,677 2007           मदन कौशिक                               भाजपा विजेता 45,093 अंबरीश कुमार कुमार                      सपा दूसरे स्थान पर 16,453 2002           मदन कौशिक                              भाजपा विजेता 18,962 पारस कुमार जैन                         का‍ँग्रेस दूसरे स्थान पर 15,970
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Inspirational Story : वह मौत से बचा लाया अपनी पत्नी को...

locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 10:40 PM
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यह प्रेरणादायक कहानी अजमेर (Ajmer) के रहने वाले विजेंद्र सिंह राठौड़ (Vijender Singh Rathore) और उनकी धर्मपत्नी लीला की है. साल 2013 में लीला ने विजेंद्र से आग्रह किया कि वह चार धाम की यात्रा करना चाहती हैं. विजेंद्र एक ट्रैवल एजेंसी में कार्यरत थे और उसी दौरान ट्रैवेल एजेंसी का एक टूर केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) पर जाने के लिए निश्चित हुआ. बस फिर क्या था, इन दोनों पति-पत्नी ने भी अपना बोरिया-बिस्तर बांधा और केदारनाथ (Kedarnath) जा पहुंचे. वहां, विजेंद्र और लीला एक लॉज में रुके थे. लीला को लॉज में छोड़ विजेंद्र कुछ दूर ही गए थे कि चारों ओर हाहाकार मच गया. उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ (Uttarakhand Floods) का उफनता पानी केदारनाथ आ पहुंचा था. विजेंद्र ने बमुश्किल अपनी जान बचाई. मौत का तांडव और उफनते हुए पानी का वेग शांत हुआ, तो विजेंद्र बदहवास होकर उस लॉज की ओर दौड़े, जहां वह लीला को छोड़कर आए थे. लेकिन वहां पहुंचकर उन्हें जो नज़ारा दिखा, वह दिल दहला देने वाला था. सब कुछ बह चुका था. प्रकृति के इस तांडव के आगे वहां मौजूद हर इंसान बेबस दिख रहा था. तो क्या लीला भी… नहीं-नहीं, ऐसा नहीं हो सकता. विजेंद्र ने अपने मन को समझाया. "वह जीवित है" विजेंद्र का मन कह रहा था. इतने वर्षों का साथ पल भर में तो नहीं छूट सकता. लेकिन आस-पास कहीं जीवन दिखाई नहीं दे रहा था. हर ओर मौत तांडव कर रही थी. लाशें बिखरी हुई थीं. किसी का बेटा, किसी का भाई, तो किसी का पति बाढ़ के पानी में बह गया था. Motivational Story : आज भी समाज में मौजूद हैं राम व लक्ष्मण जैसे भाई विजेंद्र के पास लीला की एक तस्वीर थी, जो हर समय उसके पर्स में रहती थी. अगले कुछ दिन वह घटनास्थल पर हाथ में तस्वीर लिए घूमता रहा और हर किसी से पूछता, "भाई इसे कहीं देखा है?" और जवाब मिलता … "ना" बस एक विश्वास था, जिसने विजेंद्र को यह स्वीकारने से रोक रखा था कि लीला अब इस दुनिया में नहीं है. दो हफ्ते बीत चुके थे. राहत कार्य जोरों पर थे. इसी दौरान उसे फौज के कुछ अफसर भी मिले, जिन्होंने उससे बात की. लगभग सबका यही निष्कर्ष था कि लीला बाढ़ में बह चुकी है. विजेंद्र ने मानने से इनकार कर दिया. घर में फोन मिलाकर बच्चों को इस हादसे के बारे में सूचित किया. बच्चे अनहोनी के डर से घबराए हुए थे. रोती बिलखती बिटिया ने पूछा कि "क्या अब मां नहीं रही?" तो विजेंद्र ने उसे ज़ोर से फटकार दिया और कहा, "वह ज़िंदा है." एक महीना बीत चुका था. अपनी पत्नी की तालाश में विजेंद्र दर-दर भटक रहे थे. हाथ मे एक तस्वीर थी और मन में एक आस, "वह जीवित है". इसी बीच विजेंद्र के घर सरकारी विभाग से एक फोन आया. एक कर्मचारी ने कहा कि लीला मृत घोषित कर दी गई है और हादसे में जान गवां चुके लोगों को सरकार मुआवजा दे रही है. मृत लीला के परिजन भी सरकारी ऑफिस में आकर मुआवजा ले सकते हैं. विजेंद्र ने मुआवज़ा लेने से भी इंकार कर दिया. परिजनों ने कहा कि अब तो सरकार भी लीला को मृत मान चुकी है. अब तलाशने से कोई फ़ायदा नहीं है, लेकिन विजेंद्र ने मानने से इनकार कर दिया, जिस सरकारी कर्मचारी ने लीला की मौत की पुष्टि की थी, उसे भी विजेंद्र ने कहा… "वह जीवित है". पढ़ें : केदारनाथ के बहाने नरेंद्र मोदी गढ़ रहे हैं एक नई छवि! विजेंद्र फिर से लीला की तलाश में निकल पड़े. उत्तराखंड (Uttarakhand) का एक-एक शहर नापने लगे. हाथ में एक तस्वीर और ज़ुबां पर एक सवाल, "भाई इसे कहीं देखा है?" और हर बार सवाल का एक ही जवाब, "ना". लीला से विजेंद्र को बिछड़े अब 19 महीने बीत चुके थे. इस दरमियां वह लगभग 1000 से अधिक गांवों में लीला को तालाश चुके थे. 27 जनवरी 2015, उत्तराखंड (Uttarakhand) के गंगोली गांव (Gangoli Village) में एक राहगीर को विजेंद्र सिंह राठौर ने एक तस्वीर दिखाई और पूछा, "भाई इसे कहीं देखा है". राहगीर ने तस्वीर ध्यान से देखी और बोला…"हां, देखा है, इसे देखा है. यह औरत तो बौराई सी हमारे गांव में घूमती रहती है." विजेंद्र राहगीर के पांव में गिर पड़े और राहगीर के साथ भागते-भागते वह Uttarakhand के उस गांव पहुंचे. वहीं एक चौराहा था और सड़क के दूसरे कोने पर एक महिला बैठी थी. "लीला"... वह नज़र जिससे नज़र मिलाने को "नज़र" तरस गई थी. वह लीला थी. विजेंद्र, लीला का हाथ पकड़कर अबोध बच्चे की तरह रोते रहे. इस तलाश ने उन्हें तोड़ दिया था. भावनाएं और संवेदनाएं आखों से अविरल बह रही थीं. आंखें पत्थर हो चुकी थीं, फिर भी भावनाओं का वेग उन्हें चीरता हुआ बह निकला था. पढ़ें : Char Dham Project: डबल लेन तक चौड़ी होंगी चारधाम परियोजना की सड़कें, SC ने दी मंजूरी लीला की मानसिक हालत उस समय स्थिर नहीं थी. वह उस शख्स को भी नहीं पहचान पाई, जो उसे इस जगत में सबसे ज्यादा प्यार करता था. विजेंद्र ने लीला को उठाया और घर ले आए. 12 जून 2013 से बिछड़े बच्चे अपनी मां को 19 महीने के अंतराल के बाद देख रहे थे. आखों से आंसुओं का सैलाब बह रहा था. यह 19 महीने विजेंद्र सिंह राठौर के जीवन का सबसे कठिनतम दौर था. परन्तु इस कठिनाई के बीच भी विजेंद्र के हौसले को एक धागे ने बांधे रखा. वह "प्रेम" का धागा है. एक पति का अपनी पत्नी के प्रति प्रेम और समर्पण, जिसने प्रकृति के आदेश को भी पलट कर रख दिया. लीला के साथ बाढ़ में बह जाने वाले अधिकतर लोग नहीं बचे, लेकिन लीला बच गई. शायद विजेंद्र प्रभु से भी कह रहे थे… "वह जीवित है" और प्रभु को भी विजेंद्र के प्रेम और समर्पण के आगे अपना फैसला बदलना पड़ा. Uttarakhand की सभी खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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Uttarakhand: PM मोदी का कांग्रेस पर निशाना, कहा- उत्‍तराखंड को विकास से वंचित रखा गया

Uttarakhand: PM मोदी का कांग्रेस पर निशाना, कहा- उत्‍तराखंड को विकास से वंचित रखा गया
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Dec 2021 10:16 PM
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हल्‍द्वानी/नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को उत्तराखंड (Uttarakhand) में 17,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली 6 परियोजनाओं का उद्घाटन और लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना सहित 17 परियोजनाओं का शिलान्यास किया है. इन परियोजनाओं की कुल लागत 3,400 करोड़ रुपये है. पीएम मोदी ने कार्यक्रम के बाद जनसभा को भी संबोधित किया. इस दौरान उन्‍होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्‍होंने कहा उत्‍तराखंड को विकास से वंचित रखा गया था. कांग्रेस ने उत्तराखंड की महत्वपूर्ण योजनाओं को भी लंबित रखा, जिसका खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ा. पीएम मोदी ने कहा कि वहीं दूसरी ओर राज्य (Uttarakhand) के सर्वांगीण विकास के लिए भाजपा ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है ताकि राज्य के सामर्थ्य का सदुपयोग करते हुए इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाया जा सके. पीएम मोदी ने उत्‍तराखंड की पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा, 'वैसे आज जब जनता जनार्दन इन लोगों की सच्चाई जान चुकी है, तो इन लोगों ने एक नई दुकान खोल रखी है. वो दुकान है- अफवाह फैलाने की. अफवाह बनाओ,फिर उसे प्रवाहित करो और उसी अफवाह को सच मानकर दिनरात चिल्लाते रहो.' उन्‍होंने कहा, 'उत्तराखंड (Uttarakhand) अपनी स्थापना के 20 साल पूरे कर चुका है. इन वर्षों में आपने ऐसे भी सरकार चलाने वाले देखे हैं जो कहते थे- चाहे उत्तराखंड को लूट लो, मेरी सरकार बचा लो. इन लोगों ने दोनों हाथों से उत्तराखंड को लूटा. जिन्हें उत्तराखंड से प्यार हो, वो ऐसा सोच भी नहीं सकते.' उन्‍होंने कहा, 'विकास योजनाओं को 4 दशक तक लटकाया गया. पहले की असुविधा और अभाव को अब सुविधा और सद्भाव में बदला जा रहा है. उन्होंने आपको मूल सुविधाओं का अभाव दिया, हम हर वर्ग हर क्षेत्र तक शत प्रतिशत बुनियादी सुविधाओं को पहुंचाने के लिए दिनरात एक कर रहे हैं.' पीएम मोदी ने कहा, 'विकास परियोजनाओं में बाधा डालने के लिए यह उन लोगों का स्थायी ट्रेडमार्क रहा है जो पहले सरकार में थे. आज शुरू हुई लखवार परियोजना का वही इतिहास है, जिसके बारे में पहली बार 1976 में सोचा गया था. आज 46 साल बाद हमारी सरकार ने इसके काम की आधारशिला रखी है.' रैली में उन्‍होंने कहा, 'मेरा 7 साल का रिकॉर्ड देख लीजिए. खोज खोज कर ऐसी पुरानी चीजों को ठीक करने में ही मेरा समय जा रहा है. अब मैं काम को ठीक कर रहा हूं, आप उनकों ठीक कीजिये.'