According to the Scriptures : हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद कुछ विशेष नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण माना जाता है, विशेषकर महिलाओं के लिए। इन नियमों का पालन न करने पर जीवन में अशुभ प्रभाव पड़ सकते हैं। शास्त्रों में इन नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
महिलाओं के लिए नियम
हिंदू धर्म और शास्त्रों में यह कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद महिलाओं को बाल खुले नहीं रखने चाहिए। यह एक विशेष नियम है, जिसका पालन न करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जब दादी-नानी रात में खुले बाल देखती हैं, तो वे तुरंत टोकती हैं, और इसके पीछे एक गहरी धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यता है।
शास्त्रों के अनुसार बाल खुले रखने का परिणाम
शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद खुले बाल रखने से नकारात्मक शक्तियां आकर्षित होती हैं। जब महिलाएं खुले बालों के साथ बाहर जाती हैं, तो यह तंत्र क्रिया या अन्य नकारात्मक शक्तियों की चपेट में आने का कारण बन सकता है।
पौराणिक मान्यताएं और बालों का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, सीता जी की मां सुनयना ने विवाह के समय सीता के बाल बांधे थे और उन्हें कहा था कि बाल खुले मत रखना, क्योंकि बंधे हुए बाल रिश्तों को मजबूत और बांधकर रखते हैं। इसके अलावा, शास्त्रों में उलझे हुए बालों को अमंगलकारी माना गया है। जैसे कि कैकई के खुले बाल, जो उनके क्रोधित होने की निशानी थे, यह दर्शाते हैं कि खुले बाल अमंगलकारी होते हैं।
रात को बाल खुले रखने की मान्यता
एक और मान्यता है कि महिलाएं जब अकेले सोती हैं, तो उन्हें बाल खुले नहीं रखने चाहिए। हालांकि, अगर महिला अपने पति के साथ सोती है, तो बाल खुले रख सकती हैं। यह विश्वास है कि एक व्यक्ति के साथ सोने से नकारात्मक ऊर्जा का असर कम होता है।
विज्ञान की दृष्टि से बाल खुले रखना
विज्ञान के दृष्टिकोण से, रात में बाल खुले रखने की मनाही इसलिए है, क्योंकि इससे बाल उलझ सकते हैं और टूटने की संभावना बढ़ जाती है। सोते समय बाल अक्सर चेहरे पर आते हैं, जिससे नींद में परेशानी हो सकती है और त्वचा पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए बालों को बांधने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
नकारात्मक प्रभाव
हिंदू धर्म और शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद बाल खुले नहीं रखने चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक प्रभावों को आकर्षित कर सकता है। इसके अलावा, विज्ञान भी इस बात का समर्थन करता है कि रात में खुले बालों से बालों के टूटने और त्वचा समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, दादी-नानी की यह सलाह एक धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकती है।
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