Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा शहर के पास जेवर एयरपोर्ट बनकर तैयार हो गया है। जेवर एयरपोर्ट भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनेगा। हाल ही में जेवर एयरपोर्ट के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। जेवर एयरपोर्ट पर ऐसे आधुनिक उपकरण लगा दिए गए हैं जो दुनिया के चुनिंदा एयरपोर्ट पर ही लगे हैं। जेवर एयरपोर्ट पर लगाए गए आधुनिक उपकरणों के कारण यहां से बारिस तथा घने कोहरे में भी हवाई उड़ान संचालित की जा सकेंगी।
जेवर एयरपोर्ट पर लगाई गई है विशेष तकनीक
आपको बता दें कि जेवर एयरपोर्ट पर इंस्ट्रूमेंट लैडिंग सिस्टम (ILS) तथा प्रिसिजन अप्रोच पथ इंडिकेटर (PAPI) को एक साथ जोडक़र लगाया गया है। जेवर एयरपोर्ट पर ILS तथा PAPI लगाने का काम 10 अक्टूबर-2024 से शुरू हुआ था। इस काम को सफलपूर्वक पूरा कर लिया गया है। जेवर एयरपोर्ट पर बेहद आधुनिक तकनीक ILS तथा PAPI को लगाने का काम एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भारत के नागरिक उडडयन महानिदेशालय (DGCA) के सहयोग से किया है। एयरपोर्ट संचालन की जानकारी रखने वाले DGCA के अधिकारियों ने बताया कि ILS तथा PAPI लगाने से सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस तकनीक के द्वारा घने कोहरे तथा बारिस में भी विमानों का संचालन आसानी के साथ किया जा सकता है। जेवर एयरपोर्ट पर लगाई गई इस प्रकार की तकनीक दुनिया के मात्र कुछ ही एयरपोर्ट पर उपलब्ध है। इस प्रकार इन उपकरणों के लगने से जेवर एयरपोर्ट के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है।
अप्रैल 2025 में शुरू हो जाएगी नियमित उड़ान
जेवर एयरपोर्ट से दिसंबर 2024 में उड़ान शुरू करने की योजना थी। एयरपोर्ट के निर्माण में थोड़ा विलम्ब हो गया है। इस कारण जेवर एयरपोर्ट से नियमित हवाई यातायात अप्रैल-2025 में शुरू हो जाएगा। सबको पता है कि 26 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जेवर एयरपोर्ट की आधारशिला रखी थी। जेवर एयरपोर्ट के निर्माण का अधिकतर काम पूरा हो चुका है। इस एयरपोर्ट से हवाई उड़ान की टेस्टिंग भी की जा चुकी है। जेवर एयरपोर्ट का पूरा नाम नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अडडा है। यानि कि NIA है। जेवर कस्बे के पास स्थित होने के कारण NIA का नाम जेवर एयरपोर्ट के नाम से प्रचलित हो गया है। जेवर एयरपोर्ट भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनेगा। इतना ही नहीं जेवर एयरपोर्ट दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा।
क्या होती है ILS तथा PAPI तकनीक
लगे हाथ जेवर एयरपोर्ट पर लगाई गई ILS तथा PAPI को भी समझ लेना जरूरी है। दरअसल इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम यानी ILS एक रेडियो नेविगेशन तकनीक है। यह पायलटों का कम दृश्यता वाली परिस्थितियों में एप्रोच और लैंडिंग के दौरान सटीक मार्गदर्शन करती है। आईएलएस दो मुख्य घटकों, लोकलाइजर और ग्लाइड पथ एंटीना से मिलकर बनी है। लोकलाइजर विमान को रनवे की केंद्र रेखा से संरेखित करने में मदद करता है, जबकि ग्लाइड पथ एंटीना ऊर्ध्वाधर मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिससे विमान सुरक्षित रूप से रनवे पर लैंड कर सके। Greater Noida News
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