विज्ञान की अनोखी खोज है एक्स-रे, जाने इतिहास

विल्हेम कॉनराड रॉन्टजन की 1895 में एक्स-रे की खोज ने चिकित्सा और विज्ञान में क्रांति ला दी, साथ ही इसके साथ जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को भी सामने लाया। उनकी खोज वास्तव में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी क्योंकि पहली बार मानव शरीर के आंतरिक भागों को गैर-आक्रामक तरीके से देखना संभव बनाया था

X-ray history
विल्हेम कॉनराड रॉन्टजन एक्स-रे की खोज करते हुए (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar01 Dec 2025 08:55 AM
bookmark

बता दे कि मानव इतिहास के अधिकांश समय तक किसी व्यक्ति के शरीर के अंदर झांकना असंभव था—जब तक कि 1895 में जर्मन भौतिक विज्ञानी विल्हेम कॉनराड रॉन्टजन ने एक रहस्यमयी विकिरण की खोज नहीं की। उन्होंने इसे “एक्स-रे” नाम दिया—एक ऐसी किरण जो मांस के पार होकर हड्डियों और अंगों की तस्वीर खींच सकती थी। इस खोज ने चिकित्सा जगत, विज्ञान और यहां तक कि लोकप्रिय संस्कृति में भी क्रांति ला दी—हालांकि इसके साथ स्वास्थ्य जोखिमों की चेतावनी भी आई।

एक अनोखी फ्लोरोसेंट चमक से शुरू हुआ चमत्कार

बता दे कि विल्हेम कॉनराड रॉन्टजन ने 8 नवंबर 1895 को इन "एक्स" किरणों की खोज की थी। उन्होंने अपनी पत्नी, अन्ना बर्था लुडविग की, उनके हाथ की पहली मेडिकल एक्स-रे छवि ली, जिसमें उनकी शादी की अंगूठी साफ दिखाई दे रही थी। इस छवि ने प्रदर्शित किया कि ये किरणें नरम ऊतकों से गुजर सकती हैं लेकिन घने ऊतकों, जैसे हड्डियों और धातु, द्वारा अवशोषित हो जाती हैं।

रहस्यमय के लिए

बता दे कि विल्हेम कॉनराड रॉन्टजन ने सात हफ़्तों तक खुद को प्रयोगशाला में बंद रखा और इस नई किरण की प्रकृति को समझने की कोशिश की। क्योंकि इसका स्वरूप अज्ञात था, उन्होंने इसे “X-Ray” कहा—जहाँ ‘X’ का अर्थ होता है “अज्ञात”।

पहली एक्स-रे तस्वीर

बता दे कि विल्हेम कॉनराड रॉन्टजन ने जब इन किरणों को अपने हाथ पर डाला, तो उन्होंने अपनी हड्डियों की परछाई देखी। थोड़ी ही देर में उन्होंने अपनी पत्नी के हाथ की ऐतिहासिक एक्स-रे तस्वीर ली—जिसमें उसकी अंगूठी के साथ उंगलियों की हड्डियाँ साफ़ दिखाई दीं। यह वही तस्वीर थी जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया।

खोज जिसने दुनिया हिला दी

बता दे कि दिसंबर 1895 में जब रॉन्टजन ने अपनी खोज सार्वजनिक की, तो विज्ञान जगत में सनसनी मच गई।लेखक ओटो ग्लासर के अनुसार, विज्ञान के इतिहास में शायद ही कभी कोई खोज इतनी तेजी से फैली हो।

चिकित्सा में क्रांति

कुछ ही महीनों में एक्स-रे का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में होने लगा और 1897 के ग्रीको-तुर्की युद्ध में घायलों के शरीर से गोलियाँ खोजने में मदद मिली। मैरी क्यूरी ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मोबाइल एक्स-रे यूनिट्स तैयार कीं। यही वह दौर था जब रेडियोलॉजी एक स्वतंत्र चिकित्सा शाखा के रूप में जन्मी।

एक्स-रे संस्कृति में

1896 तक एक्स-रे ने पॉप संस्कृति में भी प्रवेश कर लिया था और “एक्स-रे प्रूफ अंडरवियर” के विज्ञापन दिए गए। “The X-Rays” नामक हास्य फिल्म बनी और 1930 के दशक में, सुपरमैन ने एक्स-रे दृष्टि से अपराधियों से लड़ाई शुरू की।

सुरुवाती अनदेखे खतरे

बता दे कि जब चालु किया गया तो एक्स-रे के दुष्प्रभाव भी होने लगे तो जो कि जल्द ही सामने आने लगे। जैसे जलन, आँखों की क्षति, यहाँ तक कि ल्यूकेमिया के मामले भी सामने आए। 1904 में थॉमस एडिसन के सहायक की विकिरणजनित कैंसर से मृत्यु के बाद एडिसन ने एक्स-रे प्रयोग रोक दिए। आज भी, एक्स-रे चिकित्सा में अनिवार्य हैं, लेकिन सीसा सुरक्षा उपकरणों और सख्त नियंत्रण के तहत। अमेरिकी FDA के अनुसार,सही परिस्थितियों में एक्स-रे आपकी जान बचा सकता है।

रॉन्टजन की विरासत

बता दे कि विल्हेम कॉनराड रॉन्टजन को 1901 में पहला भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने कभी व्यक्तिगत प्रसिद्धि की इच्छा नहीं जताई, लेकिन उनकी खोज ने मानव सभ्यता की दिशा हमेशा के लिए बदल दी।

अगली खबर पढ़ें

जाने केले की खेती का आर्थिक महत्व और भविष्य

आम के बाद भारत में केला सबसे महत्वपूर्ण फल फसलों में से एक है। अपने स्वाद, पोषक तत्वों और औषधीय गुणों के कारण यह पूरे वर्ष भर लगभग हर जगह उपलब्ध रहता है। यह हर वर्ग के लोगों का पसंदीदा फल है और इसमें कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन, विशेषकर विटामिन बी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।

Banana cultivation
केले की खेती (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar12 Nov 2025 02:36 PM
bookmark

बता दे कि विशेषज्ञों के अनुसार, केला दिल की बीमारियों के खतरे को कम करने में मददगार होता है। साथ ही यह गठिया, उच्च रक्तचाप, अल्सर, गैस्ट्रोएन्टराइटिस और किडनी से संबंधित रोगों में भी लाभकारी है। केले से कई उत्पाद जैसे चिप्स, प्यूरी, जैम, जैली और जूस तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा, केले के फाइबर से बैग, बर्तन, वॉली हैंगर, रस्सी और उच्च गुणवत्ता वाला पेपर भी बनाया जाता है, जिससे किसानों की आय के नए साधन खुलते हैं।

भारत में केले का उत्पादन

भारत केले के उत्पादन में विश्व में पहले स्थान पर है। देश के भीतर महाराष्ट्र केले की सर्वोच्च उत्पादकता वाला राज्य है, जबकि कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और असम अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

मिट्टी और जलवायु

  • उपयुक्त मिट्टी: गहरी गाद चिकनी, दोमट और उच्च दोमट मिट्टी
  • पीएच मान: 6 से 7.5 के बीच
  • बचाव करें: जल जमाव, रेतली, नमक वाली, अत्यधिक चिकनी और कैल्शियमयुक्त मिट्टी से

खेती से पहले मिट्टी में 10 टन गोबर की खाद या रूड़ी की खाद मिलाना लाभदायक होता है। निमाटोड की समस्या वाले क्षेत्रों में रोपाई से पहले निमाटीसाइड और धूमन का प्रयोग आवश्यक है।

बिजाई का समय और फासला

  • उपयुक्त समय: मध्य फरवरी से मार्च का पहला सप्ताह
  • फासला: 1.8 मीटर x 1.8 मीटर (न्यूनतम), या 2 मीटर x 2.5 मीटर
  • बीज की गहराई: 45x45x45 सें.मी. या 60x60x60 सें.मी. के गड्ढों में

गड्ढों को धूप में खुला छोड़ना चाहिए ताकि हानिकारक कीट मर जाएं। मिट्टी में गोबर की खाद, नीम केक और कार्बोफ्युरॉन मिलाना पौधों के लिए लाभदायक होता है।

 बीज का चयन और उपचार

  • स्वस्थ और संक्रमण रहित जड़ों का चयन करें।
  • क्लोरपाइरीफॉस (2.5 मि.ली./ली.) से जड़ों को उपचारित करें।
  • कार्बोफ्युरॉन (3%) से भुंडी और निमाटोड के हमले से बचाव करें।

फुज़ारियम सूखे से सुरक्षा के लिए कार्बेनडाज़िम (2 ग्राम/लीटर) में 15-20 मिनट डुबोना लाभकारी है।सिंचाई और जल प्रबंधन

  • केले की जड़ें अधिक गहराई तक नहीं जातीं, इसलिए फसल को पर्याप्त नमी की जरूरत होती है।
  • कुल सिंचाइयाँ: 70–75 बार
  • सर्दियों में: 7–8 दिन के अंतराल पर
  • गर्मियों में: 4–5 दिन के अंतराल पर
  • बारिश के मौसम में: आवश्यकता अनुसार

अधिक जल से बचें क्योंकि यह पौधों की वृद्धि को प्रभावित करता है।

तुपका (ड्रिप) सिंचाई: आधुनिक तकनीक से पानी की बचत

वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, तुपका सिंचाई तकनीक से 58% तक पानी की बचत और 23–32% तक उपज में वृद्धि देखी गई है।

  • पहले 4 महीने: 5–10 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति पौधा
  • पाँचवे महीने से टहनियों के निकलने तक: 10–15 लीटर प्रतिदिन
  • तुड़ाई से 15 दिन पहले तक: 15 लीटर पानी प्रतिदिन

बता दे कि भारत में केले की खेती न केवल पोषण और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह किसानों के लिए एक लाभकारी व्यावसायिक फसल भी बन चुकी है। सही मिट्टी, समय पर सिंचाई, रोग नियंत्रण और वैज्ञानिक तकनीकों के प्रयोग से इसकी उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है।

अगली खबर पढ़ें

बिहार में 14 नवंबर को खुलेगा पिटारा, तय होगा सरताज

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार रिकॉर्ड 66.91% मतदान हुआ है, जो 1951 के बाद का सर्वाधिक आंकड़ा है। महिला मतदाताओं की 71.6% भागीदारी ने इस बार चुनाव की दिशा तय कर दी है। अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब मतगणना के नतीजे तय करेंगे कि एक बार फिर सत्ता में कौन लौटेंगा।

Bihar election  AI 2025
बिहार में किसकी सरकार (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar30 Nov 2025 11:40 PM
bookmark

बता दे कि बिहार विधानसभा चुनाव ने इस बार ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाते हुए अब तक का सबसे अधिक 67.14% मतदान (मतदाता द्वारा बताए गए 66.91% के अंतिम आंकड़ों में थोड़ा संशोधन हो सकता है) हासिल किया है, जिसने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। दो चरणों में संपन्न हुए इस चुनाव के बाद, 14 नवंबर को होने वाली मतगणना से पहले आए एग्जिट पोल्स ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान जताया है।

एग्जिट पोल्स का अनुमान: नीतीश या तेजस्वी?

बता दे कि अधिकांश प्रमुख एग्जिट पोल (जैसे दैनिक भास्कर, डीवी रिसर्च, जेवीसी, मैट्राइज़) ने एनडीए गठबंधन के लिए 135 से 167 सीटें जीतने की संभावना जताई है। बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए आवश्यक 122 सीटों के आंकड़े को देखते हुए, ये अनुमान नीतीश कुमार की वापसी की ओर इशारा करते हैं। हालांकि, एक-दो एग्जिट पोल ने महागठबंधन (RJD, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों का गठबंधन) को भी कड़ी टक्कर में या जीत के करीब दिखाया है, जिससे मुकाबले की अनिश्चितता बनी हुई है।

एग्जिट पोल का संकेत: NDA को स्पष्ट बहुमत

मतदान समाप्त होते ही जारी हुए 9 प्रमुख एग्जिट पोल में लगभग सभी ने एनडीए गठबंधन को बहुमत के साथ वापसी की भविष्यवाणी की है।

  • Matrize Exit Poll: NDA को 147–167 सीटें
  • People’s Pulse: NDA 133–159, महागठबंधन 75–101
  • P-Marq: NDA 142–162, महागठबंधन 76–95

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 सीटें है। औसतन एग्जिट पोल NDA को 140–157 सीटें दे रहे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

महिला मतदाताओं की ऐतिहासिक भागीदारी

बता दे कि इस बार का चुनाव महिलाओं की शक्ति को दर्शाने वाला साबित हुआ। पहले चरण में 68.5%, दूसरे चरण में 74.7% महिलाओं ने वोट डाला और पुरुष मतदान से 9% अधिक भागीदारी ने साफ किया कि महिलाएं अब बिहार की राजनीति में निर्णायक शक्ति बन चुकी हैं। नीतीश सरकार की साइकिल योजना, जीविका दीदी कार्यक्रम, पंचायतों में 50% आरक्षण और महिला रोजगार योजना ने महिला वोटर्स को एनडीए की ओर झुकाया है।

तेजस्वी का वादा बनाम नीतीश की योजनाएं

जहां तेजस्वी यादव ने ‘माई बहिन मान योजना’ के तहत महिलाओं को ₹30,000 देने का वादा किया, वहीं नीतीश सरकार ने चुनाव से पहले ही 1.4 करोड़ महिलाओं के खाते में ₹10,000 ट्रांसफर किए। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) ही NDA के पक्ष में निर्णायक साबित हो सकता है।

जन सुराज पार्टी — प्रशांत किशोर का पहला इम्तिहान

बता दे कि तीसरे मोर्चे के रूप में उतरे प्रशांत किशोर (PK) की जन सुराज पार्टी को एग्जिट पोल्स में झटका लगा है।अधिकांश सर्वेक्षणों ने पार्टी को 0–5 सीटों और लगभग 4–7% वोट शेयर का अनुमान दिया है। तीन साल की पदयात्रा और 1 करोड़ सदस्य के दावे के बावजूद, पार्टी फिलहाल ‘स्पॉयलर’ की भूमिका में दिख रही है।

जातीय समीकरणों की पुरानी कहानी, नए समीकरणों का असर

बता दे कि बिहार की राजनीति अभी भी जातीय संतुलन पर निर्भर है। MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण RJD का आधार लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण JD(U) की रीढ़ सवर्ण वोट भाजपा की मजबूती है और इस बार कुशवाहा समुदाय (8%) सबसे निर्णायक ब्लॉक बनकर उभरा है। सभी प्रमुख दलों ने इस वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

युवाओं और रोजगार का मुद्दा

बतो दे कि बिहार के कुल मतदाताओं में 51% युवा (20–40 वर्ष) हैं।तेजस्वी यादव ने हर परिवार में एक सरकारी नौकरी का वादा किया एनडीए ने 5 साल में 2 करोड़ रोजगार देने की बात कही केंद्र की PM-SETU योजना और राज्य की निश्चय सहायता योजना को रोजगार बढ़ाने वाला कदम बताया गया।

सीमांचल में रिकॉर्ड मतदान

बता दे कि किशनगंज जिले में 76.26% मतदान दर्ज हुआ है और राज्य में सबसे अधिक है। इसके बाद कटिहार (75.23%), पूर्णिया (73.79%) और सुपौल (70.69%) में भी जबरदस्त वोटिंग हुई। इन जिलों में मुस्लिम आबादी अधिक है और RJD-कांग्रेस गठबंधन की मजबूत पकड़ मानी जाती है, जिससे कुछ सीटों पर मुकाबला रोमांचक रहेगा।

एआई का आकलन: क्या होगा 14 नवंबर को?

बता दे कि एग्जिट पोल और जमीनी आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर AI का प्रेडिक्शन यह कहता है कि 

  • NDA: 140–157 सीटें
  • महागठबंधन: 85–92 सीटें
  • जन सुराज: 0–5 सीटें

एग्जिट पोल औश्र एआई के हिसा से फिर से नीतीश कुमार की सरकार की वापसी लगभग तय मानी जा रही है, जबकि तेजस्वी यादव मजबूत विपक्ष के रूप में बने रहेंगे। महिलाओं ने इस बार नीतीश की सत्ता में वापसी का सबसे बड़ा रास्ता तैयार किया है।