गलियों मे पढ़ाने वाला टीचर कैसे बना ग्लोबल टीचर प्राईज का हकदार

पश्चिम बंगाल के रहने वाले दीप नारायण नायक की पहचान भारत के उन विशेष शिक्षकों में से है जिन्होंने विश्व में शिक्षा जगत में अपना अलग नाम बनाया है

फोटो 10 12
Global Teacher Prize 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:13 PM
bookmark
Global Teacher Prize 2023 पश्चिम बंगाल के रहने वाले दीप नारायण नायक की पहचान भारत के उन विशेष शिक्षकों में से है जिन्होंने विश्व में शिक्षा जगत में अपना अलग नाम बनाया है। दीप नारायण ने ग्लोबल टीचर प्राइज 2023 के टॉप 10 में जगह बनाई है।

दीप नारायण का पारिवारिक जीवन

दीप नारायण के पिता सत्य नारायण नायक पर 10 लोगों के परिवार को पालने की जिम्मेदारी थी। अपने परिवार मे बड़े होते हुए उन्होने परिवार में चीजों का आभाव देखा। उनके पिता पश्चिम बंगाल के आसनसोल के नंदी गांव में दिहाड़ी मजदूर थे। उनके पास कभी काम होता तो कभी खाली रहते थे। घर में इतने पैसे नहीं होते थे कि चाय के लिये दूध लिया जाये। इसलिये पॉउडर वाला दूध खरीदा जाता था और जिसे महीनेभर चलाना होता था। दीप नारायण पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। इनका बचपन बहुत कठिनाइयों से गुजरा था।

आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी पढ़ाई की

उन्होंने दूसरों से मांग कर चीजों का इस्तेमाल किया। स्कूल बैग, किताबें, कॉपियां, कपड़े या यूनिफॉर्म हों या फिर फटी-पुरानी पाठ्यपुस्तकें। लेकिन कभी ना नाउम्मीद ना होने वाले दीप नारायण ने जिन्दगी की इस लड़ाई में कभी हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखा। 2006 में आसनसोल से बर्दवान विश्वविद्यालय के बीबी कॉलेज से बायोसाइंसेज में ग्रेजुएशन किया। घर में आ रही आर्थिक परेशानी की वजह से उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। एमएससी की पढ़ाई पूरी ना कर पाने का दुख रहा। अपने परिवार की मदद करने के लिये और अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिये उन्होंने 200 रुपये के लिए रात में कैटरर के रूप में काम किया। सुबह ट्यूशन देने लगे।

टीचर बनने का सफर

उन्‍होंने 2010 में बर्दवान के बमुनिया प्राइमरी स्‍कूल में बतौर टीचर पढ़ाना शुरू किया था। इसके बाद दीप नारायण ने 2018 में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से लगभग 183 किमी दूर छोटे से गांव जमुरिया (आसनसोल) में तिलका मांझी आदिवासी फ्री प्राइमरी स्कूल में बतौर शिक्षक काम किया। Global Teacher Prize 2023 news in hindi

एमबीए की पढ़ाई ड्रॉप करी

दीप नारायण ने भले ही एमएससी पूरी नहीं की लेकिन उन्होंने एमबीए की पढ़ाई के लिये पैसे इकट्ठे किये और उन्होंने आईसीएफएआई, कोलकाता में दूसरा सेमेस्टर पूरा किया। लेकिन एक बार फिर घर की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। लेकिन उन्होने मुसीबतों का डट कर सामना किया।

गलियों की दीवारों को ब्लैक बोर्ड बनाया

दीप नारायण वो शिक्षक हैं जिन्होंने नवीन शिक्षण विधियों से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और शिक्षा तक पहुंच की कमी वाले वंचित बच्चों के लिए सीखने की खाई को पाट दिया है। उन्‍होंने क्‍लास को गरीब बच्‍चों की चौखट तक पहुंचा दिया है। कितने ही बच्चे उनकी क्लास में खुली हवा के नीचे पढ़ते थे। उनकी कक्षा पेड़ के नीचे चलती थी। 2014 में नायक के ओपन-एयर स्कूल में मिट्टी की दीवारें ब्लैकबोर्ड बन गईं। लॉकडाउन के समय में गलियों की दिवारों को ब्लैक बोर्ड बना दिया और वहीं क्लास लेने लगे । शिक्षा में उनके असाधारण प्रयासों के लिए उन्हें "सड़कों का शिक्षक" उपनाम मिला। उनका उद्देश्य डिजिटल अंतर को पाटना और दूरदराज और आर्थिक रूप से वंचित समुदायों में रहने वाले वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान करना था।

ग्लोबल टीचर पुरस्कार मे जगह बनायी

गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले वंचित समाज के बच्चों को उनके इस विशेष तरीके का काफी लाभ मिला। दीप नारायण नें ग्लोबल टीचर प्राइज 2023 की शीर्ष 10 सूची में जगह बनाई है। यह पुरस्कार एक असाधारण शिक्षक को पहचानने के लिए बनाया गया था, जिसने पेशे में उत्कृष्ट योगदान दिया है और साथ ही समाज में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला है।10 लाख डॉलर का पुरस्कार वर्की फाउंडेशन की ओर से यूनेस्को और दुबई केयर के सहयोग से दिया जाता है। दीप नारायण की इस शिक्षा नीति से गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रहे बच्चों के के लिए विशेष फायदेमंद रहा। उन्होंने बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी शिक्षित किया। शैक्षिक और सामाजिक रूप से चुनौतियों का सामना कर रहे वर्ग में उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी शिक्षा की ज्योति जलाए रखी।

प्राधिकरण का बड़ा एक्‍शन: अतीक से जुड़ा लेटर लीक होने के बाद कर्मचारी पर गाज

ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुकपर लाइक करें या  ट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

बड़ी खबर: प्रधानमंत्री ने तेजस में उड़ान भरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के बेंगलुरु में तेजस विमान से भ्रमण किया। दरअसल, वह शनिवार को बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमटेड (HAL) की फैसिलिटी के दौरे पर गए थे

2 15 e1700897361991
Bengaluru News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:32 AM
bookmark
Bengaluru News एजेंसी, बेंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के बेंगलुरु में तेजस विमान से भ्रमण किया। दरअसल, वह शनिवार को बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमटेड (HAL) की फैसिलिटी के दौरे पर गए थे। इस समय वहां पर एयर शो चल रहा है जिसके दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेजस विमान में भ्रमण किया।

तेजस के मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी का लिया जायजा

इस दौरान पीएम मोदी ने को-पायलट की भूमिका निभाई। मालूम हो कि तेजस मेड-इन-इंडिया विमान है। बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमटेड के दौरे पर पीएम मोदी ने तेजस के मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी समेत अन्य सुविधाओं की समीक्षा की और वहां मौजूद लोगों से बात की।

प्रधानमंत्री को तेजस विमान में देख लोगों में उत्‍साह का माहौल

बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमटेड के दौरे पर गए पीएम मोदी ने जब तेजस विमान में बैठकर उड़ान भरी तो वहां मौजूद लोगों में जबरदस्‍त उत्‍साह का माहौल दिखाई दिया। विमान में बैठकर प्रधानमंत्री ने लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन भी किया। प्रधानमंत्री ने मैन्‍यूफैक्‍चरिंग फैसिलिटी का जायजा लेने के साथ तेजस का आनंद भी लिया। Bengaluru News in hindi

भारत में बना विमान है तेजस

यह सर्वविदित है कि तेजस विमान मेड-इन-इंडिया विमान है। यानि इसका निर्माण भारत में ही भारतीय संशाधनों का उपयोग करते हुए की गई है। बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमटेड इस तेजस विमान का निर्माण और रखरखाव कर रही है।

प्राधिकरण का बड़ा एक्‍शन: अतीक से जुड़ा लेटर लीक होने के बाद कर्मचारी पर गाज

ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुकपर लाइक करें या  ट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

बच्चों को कारोबार सौंपने से पहले पढ़ लें ये खबर, रेमंड CMD के फादर ने बताई सच्चाई

02 13
Raymond
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 12:04 PM
bookmark

Raymond : यदि आप एक कारोबारी हैं। वह चाहे छोटे हैं या बड़े और आप अपना कारोबार अपने बच्चों यानि बेटे बेटियों को सौंपना चाहते हैं तो उससे पहले आपको यह खबर जरुर पढ़ लेनी चाहिए। यह खबर भारत के एक बड़े कपड़ा व्यापारी के परिवार से जुड़ी है। जिस कपड़ा व्यापारी के बारे में हम यहां आपको बताएंगे, वह एक ब्रांडेड कपड़ा तैयार करते हैं ओर उनके ब्रांडेड कपड़ों की भारत ही नहीं विदेश में भी बेहद ही मांग है।

Raymond CMD

आपने रेमंड के कपड़ों के बारे में अवश्य सुना होगा। रेमंड एक विश्व प्रसिद्ध ब्रांड है। गुरुवार को रेमंड के CMD यानि मालिक गौतम सिंघानिया के पिता विजयपत सिंघानिया का दर्द सामने आया है। दरअसल, विजयपत वर्ष 2015 में रेमंड की बागडौर गौतम के हाथों में सौंप दी थी। जिसके बाद वह अलग रह रहे हैं। रेमंड के मालिक गौतम सिंघानिया के परिवार में इस समय कुछ सही नहीं चल रहा है। गौतम के पिता विजयपत ने इस पारिवारिक संकट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विजयपत ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को सब कुछ सौंपकर बेवकूफी की है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों को सब कुछ देने से पहले बहुत सावधानी से सोचना चाहिए।

2017 में विजयपत को निकाल दिया था घर से बाहर

आपको बता दें कि रेमंड के पूर्व मालिक रहे विजयपत सिंघानिया ने वर्ष 2015 में अपने कारोबार की बागडौर अपने बेटे गौतम को सौंप दी थी। जिसके बाद वर्ष 2017 में कुछ पारिवारिक विवाद उत्पन्न हो गए। 2017 में विजयपत ने अपने बेटे गौतम पर दक्षिणी मुंबई में अपनी पारिवारिक संपत्ति जेके हाउस बिल्डिंग से बाहर निकालने का आरोप लगाया था। नवंबर 2023 की शुरुआत में, उनकी बहू नवाज मोदी ने कहा था कि गौतम सिंघानिया ने दिवाली समारोह के दौरान उन्हें घर में नहीं आने दिया, जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।

महाराष्ट्र मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में विजयपत ने कहा कि पहले गौतम कंपनी के कुछ हिस्सों को वापस देने के लिए सहमत हुए थे, लेकिन फिर वह पीछे हट गए। उन्होंने कहा कि मेरा कोई बिजनेस नहीं है। वह मुझे कंपनी के कुछ हिस्से देने के लिए सहमत हो गए थे, लेकिन फिर वे निश्चित रूप से पीछे हट गए। इसलिए मेरे पास और कुछ नहीं है। मैंने उसे सब कुछ दे दिया। गलती से, मेरे पास कुछ पैसे बच गए थे, जिस पर मैं आज जीवित हूं। अन्यथा, मैं सड़क पर होता।

पूर्व कपड़ा कारोबारी ने कहा कि गौतम उन्हें सड़क पर देखकर खुश होंगे। मुझे इस बात का यकीन है। अगर वह अपनी पत्नी को इस तरह बाहर फेंक सकता है, उसने पिता को इस तरह बाहर कर दिया। तो मुझे नहीं पता कि वह कैसा इंसान है।

रेमंड के मौजूदा चेयरमैन और सीएमडी गौतम सिंघानिया ने 13 नवंबर को अपनी पत्नी नवाज मोदी से अलग होने की घोषणा की थी। अलग होने के बाद नवाज मोदी ने कथित तौर पर गौतम सिंघानिया की 11000 करोड़ रुपये की संपत्ति का 75 प्रतिशत हिस्सा मांगा है।

इस मांग पर विजयपत ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अलग होने की स्थिति में पति की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी स्वत: ही पत्नी के पास चली जाती है। उसे इसके लिए लड़ने की आवश्यकता नहीं हो सकती है। एक बहुत ही साधारण वकील उसे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यह दिला सकता है।

विजयपत ने कहा कि गौतम सिंघानिया अपनी संपत्ति का 75 प्रतिशत उन्हें देने के लिए कभी राजी नहीं होंगे। वह 75 प्रतिशत के लिए क्यों लड़ रही है ? गौतम कभी हार नहीं मानने वाले हैं, क्योंकि उनका आदर्श वाक्य है- हर किसी को खरीदें और सब कुछ खरीदें। यही उसने मेरे साथ किया। मेरे पास उससे लड़ने के लिए इतना पैसा नहीं बचा था। उसने सब कुछ खरीद लिया। वह सब कुछ खरीद लेगा। इस तरह से लड़ने से, मुझे नहीं लगता कि उसे बहुत कुछ मिलेगा। जब तक कि उनके पास हरीश साल्वे, मुकुल रोहतगी, कपिल सिब्बल जैसा व्यक्ति न हो।

भारत के दो ऐसे राज्य, जहां की महिलाओं को दिन निकलते ही चाहिए शराब के दो पैग

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुकपर लाइक करें या  ट्विटरपर फॉलो करें।