संघ प्रमुख ने कहा-गीता विश्व का कर सकती है मार्गदर्शन

गीता में 700 श्लोक हैं, और यदि हर दिन दो श्लोक पढ़े और उनके अर्थ पर विचार किया जाए, तो एक साल में पूरा जीवन गीता के अनुसार जीने योग्य बन सकता है।

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संघ प्रमुख मोहन भागवत और सीएम योगी आदित्यनाथ
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar29 Nov 2025 04:23 PM
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डॉ. मोहन राव भागवत ने अपने भाषण में गीता को केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन का कालातीत मार्गदर्शन बताया। उनके अनुसार आज का विश्व नैतिक भ्रम, संघर्ष और शांति की कमी से जूझ रहा है। ऐसे समय में गीता सही निर्णय लेने, जीवन में स्थिरता बनाए रखने और मानसिक संतुलन के लिए मार्गदर्शन देती है। भागवत ने कहा कि गीता किसी भी व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक रूप से बदलने की क्षमता रखती है। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि हम सब गीताजीवी हैं, यानी गीता को केवल पढ़ने या सुनने तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने दैनिक जीवन में उतारें। उनके अनुसार, गीता में 700 श्लोक हैं, और यदि हर दिन दो श्लोक पढ़े और उनके अर्थ पर विचार किया जाए, तो एक साल में पूरा जीवन गीता के अनुसार जीने योग्य बन सकता है। इस दृष्टिकोण में भागवत ने गीता को व्यावहारिक जीवन दर्शन के रूप में प्रस्तुत किया, जो नैतिकता, संघर्ष प्रबंधन और शांति के लिए आज भी प्रासंगिक है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश : गीता और जीवन की कला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में गीता को धार्मिक ग्रंथ से परे देखा। उनके विचार इस प्रकार हैं कि गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक सनातन धर्मावलंबियों के लिए जीवन का मंत्र हैं। धर्म केवल उपासना या अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।

गीता हमें संतुलित दृष्टिकोण, जीवन की नैतिकता और वास्तविक आचार्य जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने भारत की परंपरा वसुधैव कुटुंबकम (संपूर्ण विश्व एक परिवार) की भी चर्चा की, और इसे विश्व शांति और मानवता के लिए प्रेरणा बताया। उनका यह भी कहना था कि हमने कभी अपनी श्रेष्ठता का डंका नहीं बजाया, बल्कि जीवन जीने की अवधारणा और सहिष्णुता का संदेश विश्व को दिया।

कार्यक्रम का महत्व: दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव

इस आयोजन का नाम दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव रखा गया था। यह लखनउऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोगों को गीता के अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा देना था। इसका मुख्य विषय गीता के श्लोकों के माध्यम से नैतिक जीवन, व्यक्तिगत विकास और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देना है। गीता की शिक्षाएं व्यक्तिगत, सामाजिक और वैश्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। भारतीय संस्कृति ने जीवन जीने की कला और विश्व कल्याण का संदेश दिया है, जो आज भी प्रासंगिक है।

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उत्तर प्रदेश में ईंट भट्ठे पर गिरी आसमान से बर्फ की सिल्ली, मजदूर बाल-बाल बचे

मजदूरों के बीच अचानक आसमान से बड़ी बर्फ की सिल्ली गिर गई। इस घटना ने मजदूरों और आसपास के लोगों को स्तब्ध कर दिया। आसमानी बर्फ की सिल्ली को देखने के लिए काफी लोग इकट्ठे हो गए। सभी अपने अपने तरीके से इसके गिरने का कारण बता रहे थे।

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भट्ठे पर गिरा हुआ बर्फ और जांच करती पुलिस
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar30 Nov 2025 09:32 PM
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उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के बिल्सी में रविवार सुबह एक अनोखी और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के इस मोहल्ला नंबर 8 स्थित बाबा ईंट भट्ठे पर काम कर रहे मजदूरों के बीच अचानक आसमान से बड़ी बर्फ की सिल्ली गिर गई। इस घटना ने मजदूरों और आसपास के लोगों को स्तब्ध कर दिया। आसमानी बर्फ की सिल्ली को देखने के लिए काफी लोग इकट्ठे हो गए। सभी अपने अपने तरीके से इसके गिरने का कारण बता रहे थे।

घटना का विवरण

घटना उस समय हुई जब भट्ठे पर ईंट बनाने का काम चल रहा था। दिधोनी निवासी वीर सिंह ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ सुबह लगभग नौ बजे काम कर रहे थे, तभी अचानक बर्फ का बड़ा टुकड़ा आसमान से उनके पास आ गिरा। गिरने की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास मौजूद अन्य मजदूर नंदनी, सोमेंद्र, काजल, पूनम और संगीता बाल-बाल बच गए। बर्फ की सिल्ली जमीन पर गिरते ही चकनाचूर हो जाने से टुकड़े चारों ओर फैल गए। मजदूरों की तुरंत प्रतिक्रिया के कारण कोई चोटिल नहीं हुआ, लेकिन आवाज और अचानक घटना ने वहां मौजूद सभी को डर और आश्चर्य में डाल दियग्रामीणों और लोगों की प्रतिक्रिया

घटना की तेज आवाज सुनकर आसपास के लोग और ग्रामीण तुरंत मौके पर जमा हो गए। लोग बर्फ के टुकड़े को देखने के लिए उत्सुकता से इकट्ठा हुए। स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी बर्फ की सिल्ली का अचानक गिरना बेहद असामान्य है और इसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। स्थानीय प्रशासन ने अभी तक इस घटना की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। पुलिस ने सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचकर घटना की जांच शुरू कर दी है। प्रशासन का कहना है कि यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि बर्फ का यह टुकड़ा आसमान से कैसे गिरसंभावित कारण

स्थानीय लोग और विशेषज्ञ इस घटना को लेकर तरह-तरह के अनुमान लगा रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह बर्फ का टुकड़ा किसी ऊंची जगह से गिरा, जबकि अन्य इसे असामान्य मौसमीय घटना मान रहे हैं। अभी तक कोई वैज्ञानिक या आधिकारिक रिपोर्ट सामने नहीं आई है। यह घटना न केवल मजदूरों के लिए बल्कि पूरे इलाके के लोगों के लिए चौंकाने वाली रही। बर्फ की सिल्ली के आसमान से गिरने और बाल-बाल बचने वाली यह घटना लोगों में आश्चर्य और चर्चा का विषय बन गई है।ा।

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उत्तर प्रदेश के किस शहर से निकला था पहला अखबार?

उत्तर प्रदेश का पहला अखबार बनारस अखबार उत्तर प्रदेश से निकलने वाला पहला समाचार पत्र था। बनारस अखबार जिसका प्रकाशन जनवरी 1845 में शुरू हुआ था।

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अखबार का प्रकाशन गृह
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar23 Nov 2025 03:46 PM
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आज हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ स्मार्टफोन पर एक क्लिक में दुनिया की हर खबर हमारे सामने होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उत्तर प्रदेश से पहला अखबार कब और कहाँ से निकला था? उस समय प्रिंटिंग कैसी थी, भाषा कैसी थी और उसे कौन लोग निकालते थे? 21वीं सदी की नई पीढ़ी में इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को है। तो चलिए, 180 साल पीछे चलकर इस ऐतिहासिक अखबार की कहानी से आपको रूबरू कराते हैं। उत्तर प्रदेश का पहला अखबार बनारस अखबार उत्तर प्रदेश से निकलने वाला पहला समाचार पत्र था। बनारस अखबार जिसका प्रकाशन जनवरी 1845 में शुरू हुआ था। यह अखबार उस दौर का एक महत्वपूर्ण प्रिंट माध्यम था, जब अंग्रेज शासन में भारतीय भाषाओं के अखबारों की संख्या बहुत कम थी।संपादक कौन थे?

गोविंद रघुनाथ थत्ते (या गोविंद नारायण थत्ते) इसके संपादक थे। वे शिक्षित, सामाजिक रूप से जागरूक और उस समय की प्रिंट संस्कृति से जुड़े प्रमुख व्यक्तित्वों में गिने जाते थे। इस अखबार के संचालक और मालिक थे शिवप्रसाद सितारे हिंद, जिन्हें आधुनिक हिंदी गद्य और पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है।अखबार की खास बातें

इसका प्रकाशन देवनागरी लिपि में होता था। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इसकी भाषा पर फारसी और अरबी शब्दों का गहरा प्रभाव था। आम जनता के लिए शब्दावली थोड़ी कठिन होती थी, क्योंकि उस समय प्रशासन, न्याय और शिक्षा में फारसी का प्रभाव अभी भी मौजूद था। पन्नों की प्रिंट क्वालिटी, लेआउट और समाचारों का चयन आज के अखबारों की तुलना में बिल्कुल साधारण होते थे, लेकिन उस समय यह एक बड़ी सांस्कृतिक और बौद्धिक उपलब्धि थीक्या यह हिंदी का पहला अखबार था?

कुछ लोग बनारस अखबार को हिंदी का पहला अखबार भी मानते हैं, लेकिन इतिहासकारों के अनुसार भारत का पहला हिंदी समाचार पत्र था उदंत मार्तंड (1826, कलकत्ता)। जिसका प्रकाशन: 30 मई 1826 को हुआ था। उसके संपादक/प्रकाशक: पंडित जुगल किशोर शुक्ल थे। यह भारत का पहला पूर्ण रूप से हिंदी भाषा में प्रकाशित साप्ताहिक अखबार था। सुधाकर यूपी का पहला विशुद्ध हिंदी अखबार (1853) था। उत्तर प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता के विकास में एक और नाम बेहद महत्वपूर्ण है सुधाकर। इसका प्रकाशन 1850 में शुरू हुआ था, पूर्ण हिंदी संस्करण 1853 में प्रकाशित हुआ था। इसके संपादक: तारा मोहन मैत्रेय थे। यह बंगला और हिंदी दोनों भाषाओं में छपता था। हिंदी भाषा के दृष्टिकोण से इसे उत्तर प्रदेश का पहला सम्पूर्ण हिंदी समाचार पत्र माना जाता है।।