संघ प्रमुख ने कहा-गीता विश्व का कर सकती है मार्गदर्शन
गीता में 700 श्लोक हैं, और यदि हर दिन दो श्लोक पढ़े और उनके अर्थ पर विचार किया जाए, तो एक साल में पूरा जीवन गीता के अनुसार जीने योग्य बन सकता है।

डॉ. मोहन राव भागवत ने अपने भाषण में गीता को केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन का कालातीत मार्गदर्शन बताया। उनके अनुसार आज का विश्व नैतिक भ्रम, संघर्ष और शांति की कमी से जूझ रहा है। ऐसे समय में गीता सही निर्णय लेने, जीवन में स्थिरता बनाए रखने और मानसिक संतुलन के लिए मार्गदर्शन देती है। भागवत ने कहा कि गीता किसी भी व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक रूप से बदलने की क्षमता रखती है। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि हम सब गीताजीवी हैं, यानी गीता को केवल पढ़ने या सुनने तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने दैनिक जीवन में उतारें। उनके अनुसार, गीता में 700 श्लोक हैं, और यदि हर दिन दो श्लोक पढ़े और उनके अर्थ पर विचार किया जाए, तो एक साल में पूरा जीवन गीता के अनुसार जीने योग्य बन सकता है। इस दृष्टिकोण में भागवत ने गीता को व्यावहारिक जीवन दर्शन के रूप में प्रस्तुत किया, जो नैतिकता, संघर्ष प्रबंधन और शांति के लिए आज भी प्रासंगिक है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश : गीता और जीवन की कला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में गीता को धार्मिक ग्रंथ से परे देखा। उनके विचार इस प्रकार हैं कि गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक सनातन धर्मावलंबियों के लिए जीवन का मंत्र हैं। धर्म केवल उपासना या अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।
गीता हमें संतुलित दृष्टिकोण, जीवन की नैतिकता और वास्तविक आचार्य जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने भारत की परंपरा वसुधैव कुटुंबकम (संपूर्ण विश्व एक परिवार) की भी चर्चा की, और इसे विश्व शांति और मानवता के लिए प्रेरणा बताया। उनका यह भी कहना था कि हमने कभी अपनी श्रेष्ठता का डंका नहीं बजाया, बल्कि जीवन जीने की अवधारणा और सहिष्णुता का संदेश विश्व को दिया।
कार्यक्रम का महत्व: दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव
इस आयोजन का नाम दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव रखा गया था। यह लखनउऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोगों को गीता के अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा देना था। इसका मुख्य विषय गीता के श्लोकों के माध्यम से नैतिक जीवन, व्यक्तिगत विकास और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देना है। गीता की शिक्षाएं व्यक्तिगत, सामाजिक और वैश्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। भारतीय संस्कृति ने जीवन जीने की कला और विश्व कल्याण का संदेश दिया है, जो आज भी प्रासंगिक है।
डॉ. मोहन राव भागवत ने अपने भाषण में गीता को केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन का कालातीत मार्गदर्शन बताया। उनके अनुसार आज का विश्व नैतिक भ्रम, संघर्ष और शांति की कमी से जूझ रहा है। ऐसे समय में गीता सही निर्णय लेने, जीवन में स्थिरता बनाए रखने और मानसिक संतुलन के लिए मार्गदर्शन देती है। भागवत ने कहा कि गीता किसी भी व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक रूप से बदलने की क्षमता रखती है। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि हम सब गीताजीवी हैं, यानी गीता को केवल पढ़ने या सुनने तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने दैनिक जीवन में उतारें। उनके अनुसार, गीता में 700 श्लोक हैं, और यदि हर दिन दो श्लोक पढ़े और उनके अर्थ पर विचार किया जाए, तो एक साल में पूरा जीवन गीता के अनुसार जीने योग्य बन सकता है। इस दृष्टिकोण में भागवत ने गीता को व्यावहारिक जीवन दर्शन के रूप में प्रस्तुत किया, जो नैतिकता, संघर्ष प्रबंधन और शांति के लिए आज भी प्रासंगिक है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश : गीता और जीवन की कला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में गीता को धार्मिक ग्रंथ से परे देखा। उनके विचार इस प्रकार हैं कि गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक सनातन धर्मावलंबियों के लिए जीवन का मंत्र हैं। धर्म केवल उपासना या अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।
गीता हमें संतुलित दृष्टिकोण, जीवन की नैतिकता और वास्तविक आचार्य जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने भारत की परंपरा वसुधैव कुटुंबकम (संपूर्ण विश्व एक परिवार) की भी चर्चा की, और इसे विश्व शांति और मानवता के लिए प्रेरणा बताया। उनका यह भी कहना था कि हमने कभी अपनी श्रेष्ठता का डंका नहीं बजाया, बल्कि जीवन जीने की अवधारणा और सहिष्णुता का संदेश विश्व को दिया।
कार्यक्रम का महत्व: दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव
इस आयोजन का नाम दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव रखा गया था। यह लखनउऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोगों को गीता के अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा देना था। इसका मुख्य विषय गीता के श्लोकों के माध्यम से नैतिक जीवन, व्यक्तिगत विकास और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देना है। गीता की शिक्षाएं व्यक्तिगत, सामाजिक और वैश्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। भारतीय संस्कृति ने जीवन जीने की कला और विश्व कल्याण का संदेश दिया है, जो आज भी प्रासंगिक है।







