बीते कुछ दिनों से कतर में चल रहे फीफा वर्ल्ड कप का असर सभी फुटबॉल प्रेमियों पर दिखायी पड़ रहा है। इसे देखने के लिए भारी संख्या में दर्शक पहुंच भी रहे हैं। लेकिन, इसी बीच आयी एक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई खबर ने देश-विदेश के लोगों में चिंता पैदा कर दी है। यह खबर जुड़ी हुई है ‘कैमल फ़्लू’ नाम के संक्रमण के फैलने से। एक ओर जहां विश्वभर के कई देशों में कोरोना एवं मंकी पॉक्स के मामले बढ़ते हुए दिख रहे हैं, वहीं इस नये वायरस ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है। इस आयोजन में पहुंचने वाली भारी भीड़ संक्रमण के फैलने की गति को और भी ज्यादा तेज़ कर सकती है।
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Camel flu :
क्या है यह ‘कैमल फ़्लू’ संक्रमण?
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है, यह एक ऊंट से फैलने वाला जूनोटिक संक्रमण है, जो पहले एक ऊंट से किसी मनुष्य में और फिर एक मनुष्य से दूसरे में आसानी से संक्रामित हो जाता है। कैमल फ़्लू भी कोरोना महामारी की तरह एक प्रकार से श्वास से सम्बंधित बीमारी है, जिसे मिडिल ईस्ट रेसपाइरेटरी सिंड्राम (मेर्स) के नाम से जाना जाता है। इस तरह के संक्रमण को अभी तक ज्यादातर मध्य, पूर्व अफ्रीका एवं दक्षिण एशिया में देखा गया है।
क्या है कैमल फ़्लू के लक्षण?
जैसा कि आपको बताया गया कि यह एक श्वसन तंत्र से जुड़ी हुई बीमारी है अतः इसमें लोगों को सांस लेने में कठिनाई होना, खांसी आना, बुखार आना एवं हाथ पैर की मांसपेशीयों में दर्द की शिकायत होती है। कुछ लोगों में पेट संबंधित दिक्कतें भी देखी जाती हैं। जैसे कि जी मिचलाना, उल्टियां होना व दस्त होना आदि। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इससे प्रभावित लोगों में से लगभग 35% व्यक्तियों की इससे मृत्यु तक हो सकती है। ज़्यादातर ऐसे लोग आसानी से संक्रमित होते हैं जिनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर है। गंभीर रोगियों को वेंटीलेटर पर रखने की नौबत तक आ सकती है।
Camel flu :
क्या हैं इससे बचने के उपाय?
सबसे ज्यादा चिंता का विषय यह है कि इस संक्रमण का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं ढूंढा गया है। ऐसे में बचाव ही सबसे ज्यादा अहमियत रखता है। लोगों को यह सुझाव दिया जा रहा है कि वे अपनी इम्युनिटी को बेहतर रखने की पूरी कोशिश करें और ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जो प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत बनाते हैं। इसके अतिरिक्त विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि प्रभावित देशों से लौटने वाले लोगों को शुरुआती दिनों में निगरानी में रखा जाए और बाकी लोग उनके सम्पर्क में न आएं। चूंकि यह बीमारी ऊंट के संक्रमण से फ़ैल रही है, इसलिए यह भी सुझाव दिया गया है कि लोगों को ऐसे इलाकों में नहीं जाना चाहिये जहां ऊंट बाहुल्यता में है। हालांकि अभी कतर से लौटने वाले किसी भी व्यक्ति में इस संक्रमण के लक्षण देखने को नहीं मिले हैं, किन्तु सावधानी ही विश्व को एक और बड़े संक्रमण से बचा सकती है।