Health Update :
सैय्यद अबू साद
Health Update : मनुष्य के शरीर का मस्तिष्क ऐसा हिस्सा है, जो लगातार बिना रुके काम करता रहता है। थकने पर इसे भी आराम की जरूरत है। यदि आप इसे आराम नहीं देंगे और लगातार इसका इस्तेमाल बिना रुके करते रहेंगे, तो काम की अधिकता से आपका मस्तिष्क गंभीर समस्याओं से घिर सकता है। ब्रेन ट्यूमर इनमें से एक समस्या है। हालांकि जब ब्रेन ट्यूमर डेवलप होता है, तो इसके संकेत शरीर को मिलने शुरू हो जाते हैं। व्यक्ति लक्षणों या संकेतों का अनुभव करने लगता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि समय रहते यदि उन संकेतों को पहचान लिया जाए, तो ब्रेन ट्यूमर से लड़ने में आसानी होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रेन ट्यूमर का अभी तक कोई इलाज नहीं है। इस बीमारी के तीन स्टेज होते हैं। अगर समय रहते ही इस बीमारी का पता चल गया तो आपकी जान बच सकती है, लेकिन आपने इसके लक्षण को बिल्कुल इग्नोर कर दिया तो फिर आप भगवान के भरोसे ही है।
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खतरनाक है ब्रेन ट्यूमर
मस्तिष्क में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि को ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ कैंसर रहित यानी बिनाइन होते हैं, जबकि कुछ ट्यूमर कैंसर से संक्रमित यानी मलिग्नेंट होते हैं। ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत आपके मस्तिष्क में ही होती है, जबकि कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में शुरू हो सकता है और फिर शरीर के अन्य हिस्सों के साथ ही मस्तिष्क तक भी पहुंच सकता है। जब कैंसर शरीर के किसी अन्य हिस्से में शुरू होकर मस्तिष्क तक पहुंचता है तो इसे सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है।
वर्तमान लाइफस्टाइल में ब्रेन ट्यूमर एक गंभीर समस्या बन गई है। सबसे डराने वाली बात यह है कि ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षण का जिक्र करते हुए डॉक्टर कहते हैं कि इस बीमारी को हल्के में बिल्कुल न ले। इसकी शुरुआत आपके सिर में हल्के दर्द से ही होता है लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है यह दर्द बढ़ने लगता है। एक समय के बाद सिर में यह दर्द इतना तेज हो जाता है कि आप इसे बर्दाश्त भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में सबसे जरूरी बात जो अक्सर ध्यान में रखनी है, वह यह कि अगर लगातार सिर में दर्द रहता है तो वह हल्का हो या तेज आपको बिना देर किए डॉक्टर से तुरंत कॉन्टैक्ट करना चाहिए।
आने का संकेत देता है ब्रेन ट्यूमर
वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ए.ए. हाशमी कहते हैं कि ब्रेन ट्यूमर होने पर इसे महसूस किया जा सकता है। यह ब्लड प्रेशर मापने या प्रयोगशाला परीक्षण से पता चल सकता है। कभी-कभी ब्रेन ट्यूमर वाले लोगों में कुछ लक्षण संकेत दे सकते हैं या किसी लक्षण या संकेत का कारण कोई दूसरी चिकित्सीय स्थिति भी हो सकती है। यह ब्रेन ट्यूमर नहीं भी हो सकता है। सामान्य लक्षण में मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी पर ट्यूमर का दबाव बन सकता है। जब ट्यूमर के कारण मस्तिष्क का एक विशिष्ट भाग अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा होता है, तो लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
डॉ. हाशमी के अनुसार, गंभीर सिरदर्द हो सकता है। यह एक्टिविटी के साथ सुबह के समय बढ़ भी सकता है। लोग विभिन्न प्रकार के दौरे का अनुभव कर सकते हैं। कुछ दवाएं उन्हें रोकने या नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। बिना काम में लाये मांसपेशियों में अचानक अनैच्छिक गति हो सकती है। इसके कारण व्यक्तित्व में परिवर्तन या मेमोरी प्रभावित हो सकती है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
ब्रेन ट्यूमर मुख्यतः इसके आकार पर निर्भर करते हैं। इसके अलावा ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के किस हिस्से में है और इसकी ग्रोथ की रफ्तार क्या है, इन बातों का भी ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों दिखने पर असर पड़ता है।
▪ सिरदर्द के पैटर्न में बदलाव या नए सिरे से सिरदर्द होना
▪ सिरदर्द जो धीरे-धीरे अधिक गंभीर होता जाए और बार-बार हो
▪ बिना किसी वजह के उल्टी और मतली आना
▪ दृष्टि दोष, जैसे धुंधला दिखना, डबल विजन और पेरिफरल विजन को नुकसान पहुंचना
▪ हाथ और पैरों को छूने का एहसास धीरे-धीरे खत्म हो जाना
▪ संतुलन बनाए रखने में दिक्कत होना
▪ बोलनें में समस्या होना
▪ बहुत अधिक थकान महसूस करना
▪ रोजमर्रा के मामलों में भी उलझन होना
▪ निर्णय लेने में कठिनाई होना
▪ सरल आदेशों के पालन में भी दिक्कत होना
▪ व्यक्तित्व और व्यवहार में बदलाव आना
▪ दौरे पड़ना, खासतौर पर ऐसे लोगों में जिनमें पहले से दौरे का कोई इतिहास न रहा हो
▪ सुनने में भी समस्या होना
कैसे हो सकता है ब्रेन ट्यूमर का निदान
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रजनीश बताते हैं कि परिष्कृत इमेजिंग तकनीकें ब्रेन ट्यूमर का पता लगा सकती हैं। डायग्नोस्टिक उपकरणों में कंप्यूटेड टोमोग्राफी और मैग्नेटिक रेजोनेन्स इमेजिंग भी शामिल हैं। टिश्यू की बायोप्सी और ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी के दौरान इंट्राऑपरेटिव एमआरआई का भी उपयोग किया जाता है।’ मैग्नेटिक रेजोनेन्स स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग ट्यूमर के केमिकल प्रोफाइल की जांच करने और एमआरआई पर देखे गए घावों की प्रकृति का निर्धारण करने के लिए किया जाता है। पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी स्कैन) बार-बार होने वाले ब्रेन ट्यूमर का पता लगाने में मदद कर सकता है।
ब्रेन ट्यूमर के रिस्क फैक्टर
प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर के ज्यादातर मरीजों में ट्यूमर का कारण स्पष्ट नहीं होता, लेकिन डॉक्टरों में कुछ रेसिक फैक्टर का पता लगाया है, जो ब्रेन ट्यूमर के रिस्क फैक्टर बढ़ा सकते हैं। जो लोग आयोनाइजिंग रेडिएशन के संपर्क में आते हैं उनमें ब्रेन ट्यूमर का खतरा ज्यादा होता है। आयोनाइजिंग रेडिएशन के उदाहरणों में कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली रेडिएशन थेरेपी और एटॉम बम आते हैं। अगर आपके परिवार में ब्रेन ट्यूमर का इतिहास रहा है तो आपको ब्रेन ट्यूमर का खतरा ज्यादा है।
ब्रेन ट्यूमर से संबंधित टेस्ट
▪ सीटी स्कैन- सीटी स्कैन की मदद से ब्रेन के अंदर के सभी पार्ट की फोटोज ली जाती है।
▪ एमआरआई स्कैन- ब्रेन ट्यूमर का सही इलाज के लिए सबसे पहले इमेजिंग टेस्ट किए जाते हैं। इसमें रेडियो सिग्नल की मदद से ब्रेन की संरचना से संबंधित सभी जानकारी ली जाती है, जो सीटी स्कैन में नहीं मिल पाती है।
▪ एंजियोग्राफी- इस टेस्ट में डाई का उपयोग इंजेक्शन के तौर पर किया जाता है। डाई आपके ब्रेन की टिश्यूज में डाला जाता है। इसके जरिए डॉक्टर यह पता लगाते हैं कि ट्यूमर तक ब्लड कैसे पहुंच रही है। ब्रेन की सर्जरी के वक्त यह जानकारी बेहद जरूरी होती है।
▪ एक्स रे- ब्रेन ट्यूमर खोपड़ी की हड्डियों में फैक्चर के कारण भी हो सकता है। एक्स रे करके खोपड़ी की हड्डियों के फैक्चर का पता लगाया जाता है।
ब्रेन ट्यूमर का उपचार
कभी-कभी ब्रेन ट्यूमर का निदान करने का एकमात्र तरीका बायोप्सी होता है। ब्रेन ट्यूमर की गंभीरता के आधार पर उसका उपचार किया जाता है। प्राइमरी या मेटास्टैटिक, बिनाइन या मेलिगनेंट की जांच में आये निष्कर्ष के आधार पर सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी के साथ इलाज किया जाता है।
▪ सर्जरी- ब्रेन ट्यूमर का इलाज सर्जरी के जरिए ही मुमकिन है। सर्जरी तब ही हो सकती है जब ट्यूमर का आकार छोटा हो। और कैंसर ज्यादा दूर तक फैला नहीं हो।
▪ रेडिएशन थेरेपी- ट्यूमर के टिश्यूज को मारने के लिए एक्स-रे या प्रोटॉन जैसे रेडिएशन का यूज किया जाता है। इस रेडिएशन थेरेपी कहते हैं।
▪ कीमोथेरेपी- कीमोथेरेपी में ट्यूमर के टिश्यूज को खत्म करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है।