Health Update :
सैय्यद अबू साद
Health Update : अच्छे मसल्स पाने के लिए प्रोटीन शेक का इस्तेमाल इन दिनों बहुत बढ़ गया है। सेलिब्रिटीज से लेकर आम लोग सभी फिट रहने के नाम पर प्रोटीन शेक का इस्तेमाल करने लगे हैं। असल में यह पाउडर के रूप में होता है और कंपनियों की तरफ से दावा किया जाता है कि यदि आप इसका नियमित उपयोग करेंगे तो आपकी बॉडी अच्छी बनेगी। इसका ज्यादा इस्तेमाल करने के संभावित नुकसान के बारे में कंपनियों की ओर से नहीं बताया जाता है। यदि आप ज्यादा मात्रा में प्रोटीन शेक का उपयोग करते हैं तो इसके कई नुकसान हो सकते हैं। कुछ ऐसा ही वाक्या हुआ है ब्रिटेन में, जहां एक भारतीय मूल के किशोर की प्रोटीन शेक पीने से मौत हो गई। लंबी रिसर्च के बाद जब रिजल्ट सामने आया कि युवक की मौत प्रोटीन शेक पीने से हुई है, तो उसके बाद चिकित्सा क्षेत्र में फिर से बहस छिड़ गई है कि प्रोटीन सप्लिमेंट्स पर लेबल पर चेतावनी लिखी होनी चाहिए या नहीं।
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दरअसल, लंदन में रहने वाले 16 साल के रोहन की तबीयत 15 अगस्त 2020 को अचानक बिगड़ गई थी और उसके तीन दिन बाद उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया था। करीब तीन साल तक चली गहन पड़ताल के बाद जांचकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि रोहन की मौत उस प्रोटीन शेक के कारण हुई थी, जो उनके पिता ने वजन बढ़ाने के लिए दिया था। जांचकर्ताओं के मुताबिक़, रोहन को ऑर्निथीन ट्रांसकार्बामिलेज डेफिशिएंसी नाम की एक आनुवांशिक समस्या थी, जिसकी वजह से प्रोटीन शेक लेने के बाद उनके शरीर में अमोनिया जानलेवा स्तर पर पहुंच गया था। जांचकर्ता ने अदालत में कहा कि उनकी राय में प्रोटीन सप्लिमेंट के लेबल पर ये चेतावनी छापनी चाहिए। उनके अनुसार, भले ही ऑर्निथीन ट्रांसकार्बामिलेज डेफिशिएंसी आम समस्या नहीं है लेकिन जिन्हें यह डिसऑर्डर है उनके लिए अतिरिक्त प्रोटीन लेना खतरनाक हो सकता है।
इस खबर के बाद ब्रिटेन ही नहीं पूरी दुनिया में प्रोटीन सप्लिमेंट्स को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं और कहा जा रहा है कि प्रोटीन सप्लिमेंट के लेबल पर इस तरह की चेतावनी हो क्योंकि युवाओं, खासकर बॉडी बनाने के शौकीनों के लिए प्रोटीन शेक खासा लोकप्रिय है।
कितना खतरनाक प्रोटीन सप्लिमेंट
कानपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर गणेश शंकर कहते हैं कि अगर आप 50 किलो के हैं तो 50 ग्राम प्रोटीन रोज लेने में कोई समस्या नहीं है। प्रोटीन को पचाने के बाद बनने वाले अतिरिक्त अमोनिया को शरीर यूरिया में बदल देता है, जो पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है। मगर कई लोगों के शरीर में अमोनिया को यूरिया में बदलने वाले एंजाइम नहीं होते यानी उन्हें यूरिया साइकल डिसऑर्डर होता है। डॉक्टर गणेश बताते हैं कि इसका नुकसान ये होता है कि शरीर में अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है जो दिमाग के लिए बहुत हानिकारक होता है।ये यूरिया डिसऑर्डर अलग-अलग तरह के होते हैं और जिन लोगों में इस तरह की समस्या होती है उनके लिए अधिक प्रोटीन लेना ख़तरनाक हो सकता है। मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, वैशाली में इंटरनल मेडिसिन के एसोसिएट निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता प्रोटीन शेक के हानिकारक प्रभावों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि इन शेक्स में प्रोटीन होता है, इसलिए एलर्जी के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। इसकी वजह से कई गंभीर परिणाम यहां तक कि मौत भी हो सकती है। प्रोटीन शेक से होने वाली मौत की वजह एलर्जी हो सकती हैं, क्योंकि अगर आपको किसी एक खास तरह के प्रोटीन से एलर्जी है और वह प्रोटीन या अमीनो एसिड आपके शेक में मौजूद है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। नियमित रूप से प्रोटीन शेक का सेवन करने वाले लोगों में एलर्जी के काफी मामले देखने को मिल रहे हैं। खासतौर पर इससे वो लोग परेशान हैं, जो बिना किसी एक्सपर्ट की सहायता लिए प्रोटीन शेक का सेवन कर रहे हैं। प्रोटीन शेक का अधिक सेवन करने से गले में सूजन, पेट में दर्द, दस्त, ऐंठन, स्किन बर्न, छाती में जकड़न और सांस फूलने की समस्या हो सकती है।
फायदे कम नुकसान ज्यादा
ये देखा जा रहा है कि युवा, ख़ासकर बॉडी बिल्डिंग और खेलकूद में शामिल रहने वाले लोगों में सप्लिमेंट लेने का चलन काफी बढ़ा है। दिल्ली के पुष्पांजलि मेडिकल सेंटर के वरिष्ठ चिकित्सक मनीष सिंह बताते हैं कि उनके पास कई ऐसे मामले सामने आते हैं जब युवाओं ने बिना सोचे-समझे प्रोटीन सप्लिमेंट लेना शुरू कर दिया और फिर बीमार पड़ गए। वे बताते हैं, “हम प्रोटीन शेक लेने के लिए मना करते हैं, क्योंकि कई बार इससे कोशिकाओं के अंदर होने वाली प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। मैंने युवाओं के लीवर के अंदर मवाद (पस) भरने के कई मामले देखे हैं। डील-डौल अच्छी होने के बावजूद किसी को निमोनिया हो गया होता है। फिर वे बताते हैं कि बॉडी बिल्डिंग के लिए प्रोटीन शेक ले रहे हैं।”
पेट रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वीके जैन बताते हैं कि प्रोटीन शेक के अधिक उपयोग का एक और दुष्प्रभाव किडनी स्टोन के रूप में देखने को मिलता है। हाई प्रोटीन सप्लीमेंट जैसे प्रोटीन शेक कैल्शियम कन्संट्रेशन को बढ़ाते हैं, जिसकी वजह से किडनी स्टोन का खतरा बढ़ जाता है। यह सीधे तौर पर आपके लिवर को नुकसान पंहुचा सकता है।
वहीं सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डाक्टर अहमद के अनुसार बहुत से लोग ऐसे हैं जो नफ़ा-नुकसान जाने बिना सप्लिमेंट लेना शुरू कर देते हैं, जबकि उन्हें जरूरत ही नहीं होती। बॉडी बिल्डिंग का तब क्या फायदा जब आप स्वस्थ न हों। आपने देखा होगा कि जिम जाने वाले कई लोगों को कार्डिएक अरेस्ट हुए हैं। हाई प्रोटीन के सेवन से ह्रदय रोगों का खतरा बढ़ता है। यदि आप एक्सरसाइज करने के लिए प्रोटीन शेक का उपयोग कर रहे हैं या फिर किसी भी रूप में एक्स्ट्रा प्रोटीन ले रहे हैं तो आपको दिल संबधी परेशानियां हो सकती हैं। अच्छी डील-डौल ही अच्छे स्वास्थ्य का पैमाना नहीं होती। सबसे जरूरी है संतुलित आहार।
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क्या है प्रोटीन शेक के ऑल्टरनेटिव
प्रोटीन शेक के ऑल्टरनेटिव के बारे में बताते हुए डॉक्टर गणेश कहते हैं कि अगर आप नेचुरल तरीके से प्रोटीन इनटेक करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप एक दिन में 3-5 पीस चिकन के खा सकते हैं। दही यानी ग्रीक योगर्ट खा सकते हैं। इसके अलावा नट्स जैसे बादाम, दालें, पनीर आदि भी नेचुरल प्रोटीन के लिए डाइट में शामिल कर सकते हैं। साथ ही अंडा या एग व्हाइट भी प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स होता है। प्रोटीन एक जरूरी पोषक तत्व है। मांसपेशियां बनाने और उनकी रिपेयर में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रोटीन हड्डियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है साथ ही दिल, दिमाग़ और त्वचा को स्वस्थ रखता है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रीसर्च के अनुसार, भारतीयों के लिए रोज अपने वजन के हिसाब से 0.8 से 1 ग्राम प्रति किलो प्रोटीन काफी है और आपके भोजन का एक चौथाई हिस्सा प्रोटीन होना चाहिए। यह शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन की मानक मात्रा है। उम्र, सेहत, शारीरिक श्रम और व्यायाम के स्तर के आधार पर हर किसी की प्रोटीन की ज़रूरत अलग होती है लेकिन अधिकतर लोगों को सही मात्रा का पता ही नहीं होता। अंडे, दूध, दही, मछली, दाल, मीट, सोया वगैरह प्रोटीन से भरपूर होते हैं और ज्यादातर युवाओं को इसकी जरूरी मात्रा अपने खाने से ही मिल जाती है।
लेबल पर चेतावनी लगाने से आएगा अंतर
अभी ब्रिटेन में इस बात को लेकर फैसला नहीं हुआ है कि वहां प्रोटीन सप्लिमेंट के लेबल पर कोई चेतावनी देनी है या नहीं। लेकिन क्या केवल चेतावनी देना काफी होगा? क्योंकि इससे जुड़ा एक सवाल ये भी है कि भारत में अभी जेनेटिक मैपिंग करवाने का चलन नहीं है जिससे यह पता चल सके कि किसी को कौन सा जेनेटिक डिसऑर्डर है और उसे किन चीजों के सेवन से समस्या हो सकती है। ऐसे में डॉक्टरों के पास अधिकतर मामले तभी आते हैं, जब किसी को उस डिसऑर्डर के कारण गंभीर समस्या हो जाए। फिर लेबल पर चेतावनी देना शायद उतना कारगर साबित न हो। डॉक्टर बताते हैं कि सप्लिमेंट्स लेने की बजाए लोगों को अपनी खुराक का ख़्याल रखना चाहिए और संतुलित आहार लेना चाहिए।
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