Wednesday, 30 April 2025

AI : DeepMind की चेतावनी:अगले 5 वर्षों में AGI से मिट सकती है मानवता?

AI : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जहां एक ओर आधुनिक युग में क्रांति ला रहा है, वहीं अब यह मानव अस्तित्व…

AI : DeepMind की चेतावनी:अगले 5 वर्षों में AGI से मिट सकती है मानवता?

AI : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जहां एक ओर आधुनिक युग में क्रांति ला रहा है, वहीं अब यह मानव अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी भी बनता जा रहा है। गूगल की AI शाखा DeepMind ने हाल ही में AGI (Artificial General Intelligence) से जुड़े खतरों को लेकर बेहद गंभीर चेतावनी दी है।

क्या है AGI?

AGI, यानि कृत्रिम सामान्य बुद्धिमत्ता, एक ऐसी तकनीक है जो मानव की तरह सोचने, समझने, सीखने और निर्णय लेने की क्षमता रखती है। पारंपरिक AI के विपरीत, AGI किसी एक कार्य तक सीमित नहीं होती – यह बहु-क्षेत्रीय निर्णय ले सकती है।

DeepMind की रिपोर्ट की मुख्य बातें:

 1. मानवता के पूर्ण विनाश का खतरा

DeepMind की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर AGI का विकास नियंत्रित रूप से नहीं हुआ, तो यह मानवता के लिए स्थायी खतरा बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि 2030 तक AGI अस्तित्व में आ सकती है।

2. चार प्रमुख खतरे जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता:

1. दुरुपयोग (Misuse):

जब AI का इस्तेमाल जानबूझकर दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाए, जैसे साइबर अटैक, युद्ध या सामाजिक अफरा-तफरी।

2. मूल्य असंतुलन (Value Misalignment):

AI के उद्देश्यों और मानवीय मूल्यों में सामंजस्य की कमी से विनाशकारी निर्णय संभव हैं।

3. गलतियां (Accidents):

AI द्वारा लिए गए अनजाने निर्णय जो समाज या पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

4. संरचनात्मक जोखिम (Structural Risks):

AGI के कारण सामाजिक ढांचे और वैश्विक शक्ति-संतुलन में बड़े स्तर पर बदलाव हो सकते हैं।

 DeepMind का समाधान: जोखिम को कैसे कम करें?

  • AI के दुरुपयोग पर रोक लगाना।

  • उच्च स्तर की निगरानी प्रणाली विकसित करना।

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियामक संस्था की स्थापना।

  • नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों के बीच सहयोग।

 वैश्विक स्तर पर चेतावनी

फरवरी 2025 में DeepMind के CEO डेमिस हासबिस ने एक अहम बात कही

“मानव के समकक्ष या उससे अधिक बुद्धिमान AGI अगले 5-10 वर्षों में उभर सकता है।”

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि CERN और IAEA की तर्ज पर AGI पर नजर रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था की आवश्यकता है।

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