Saturday, 17 May 2025

Information : भारतीय वैज्ञानिकों का कमाल, सिलिकॉन से भी छोटा चिप बनाया

Information : आजकल की डिजिटल दुनिया में, हर एक डिवाइस में चिप्स का अहम रोल होता है। ये चिप्स हमारे…

Information : भारतीय वैज्ञानिकों का कमाल, सिलिकॉन से भी छोटा चिप बनाया

Information : आजकल की डिजिटल दुनिया में, हर एक डिवाइस में चिप्स का अहम रोल होता है। ये चिप्स हमारे स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर, कार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का दिल होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अब तक की सबसे छोटी और सबसे उन्नत चिप डेवलप कर ली है? हां, आपने सही सुना! भारतीय वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन से भी छोटे चिप्स का निर्माण किया है, जो तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। आइए, जानते हैं इस नई चिप के बारे में विस्तार से।

1. क्या है यह नई चिप?

भारतीय वैज्ञानिकों ने जो चिप विकसित की है, वह मौजूदा सिलिकॉन चिप्स से भी 10 गुना छोटी है। यह चिप सिलिकॉन के बजाय 2D मटीरियल्स से बनाई गई है, जो इसे आकार में और भी छोटे और शक्तिशाली बनाती है। इस चिप का उत्पादन Angstrom स्केल तक किया जाएगा, जो कि नैनोमीटर स्केल से भी छोटा है। यह चिप इतनी उन्नत होगी कि सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में एक नया युग शुरू कर सकती है।

2. आईआईएससी के वैज्ञानिकों का योगदान

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के 30 वैज्ञानिकों की टीम ने इस चिप को विकसित किया है। उन्होंने सरकार को इस चिप के निर्माण के लिए एक विस्तृत प्रपोजल और रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह नई चिप मौजूदा 3nm सिलिकॉन चिप्स से भी कहीं अधिक सूक्ष्म और सक्षम होगी।

3. 2D मटीरियल्स का उपयोग

इस चिप को बनाने के लिए 2D मटीरियल्स जैसे ग्रेफिन और ट्रांजिशन मेटल डायकैल्कोजिनाइड्स (TMD) का उपयोग किया जाएगा। ये मटीरियल्स अत्यधिक पतले और मजबूत होते हैं, जो चिप फेब्रिकेशन को Angstrom स्केल तक पहुंचाने में मदद करते हैं। इससे चिप्स की गति, क्षमता और ऊर्जा दक्षता में इन्क्रीमेंट होगा।

4. क्यों है यह चिप महत्वपूर्ण?

यह चिप केवल आकार में छोटी नहीं है, बल्कि इसकी कार्यक्षमता भी बेहद प्रभावशाली है। सिलिकॉन चिप्स का आकार घटाने के साथ-साथ, इनकी स्पीड और परफॉर्मेंस भी बेहतर होती है। यह चिप भविष्य में स्मार्टफोन, लैपटॉप, डेटा प्रोसेसिंग, और यहां तक कि ऑटोमोटिव तकनीक में भी क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

5. भारत का बढ़ता प्रभाव

इस चिप के विकास के बाद, भारत सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में अपनी एक नई पहचान बना सकता है। आजकल के समय में, अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, और ताइवान जैसी कंपनियां सिलिकॉन चिप्स के मामले में विश्वभर में हावी हैं। भारतीय वैज्ञानिकों की यह उपलब्धि भारत को इस क्षेत्र में मजबूत बनाने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर तकनीकी शक्तियों में एक कदम और आगे बढ़ा सकती है।

6. सरकार का सहयोग और विचार-विमर्श

यह प्रपोजल अब सरकार के पास है और MeitY (मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सूचना प्रौद्योगिकी) इसके विकास पर गंभीरता से विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए हुए है और इसे लागू करने के लिए योजनाओं पर विचार कर रही है।

7. भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग की संभावना

भारत अभी भी सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए विदेशों पर निर्भर है, लेकिन इस नई चिप के माध्यम से भारत अपनी तकनीकी क्षमता को मजबूत कर सकता है। वर्तमान में, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे बड़े भारतीय संगठनों ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश शुरू किया है, और विदेशी साझेदारों के साथ मिलकर बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। इससे भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग मजबूत हो सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण है।    Information :

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