Saturday, 22 March 2025

इस्लाम की अजान में बड़ा कारण है अल्लाहु अकबर बोलने का

Islam : इस्लाम धर्म में बहुत कुछ महत्वपूर्ण है। इस्लाम धर्म में सबसे बड़ा महत्व अजान तथा नमाज का है।…

इस्लाम की अजान में बड़ा कारण है अल्लाहु अकबर बोलने का

Islam : इस्लाम धर्म में बहुत कुछ महत्वपूर्ण है। इस्लाम धर्म में सबसे बड़ा महत्व अजान तथा नमाज का है। अजान में अल्लाहु अकबर  का उच्चारण किया जाता है। इस्लाम धर्म की अजान में अल्लाहु अकबर के उच्चारण का बड़ा महत्व है। इस्लाम धर्म को मानने वाले ढ़ेर सारे लोग यह नहीं जानते कि अजान में अल्लाह के नाम के साथ अकबर शब्द का प्रयोग क्यों किया जाता है? दरअसल अजान में जिस अबकर शब्द का उच्चारण किया जाता है उस शब्द का अकबर बादशाह से कुछ भी लेना-देना नहीं है।

अजान में क्यों बोला जाता है अल्लाहु अकबर

दरअसल अल्लाहु अकबर अरबी भाषा का एक वॉक्यांश (वॉक्स का भाग) है। यहां अल्लाहु का अर्थ तो स्पष्टï है कि इस्लाम के मानने वाले अपने परमपिता परमात्मा यानि अपने GOD को पुकारते हैं। अल्लाहु के आगे अबकर लगाकर अल्लाहु अकबर  बोलने का कारण यह है कि अरबी में अकबर शब्द का अर्थ होता है सबसे बड़ा अथवा सबसे महान। जब अजान में अल्लाहु अकबर बोला जाता है तो उसका मतलब होता है कि अल्लाह ही सबसे बड़ा है। अल्लाह ही सबसे महान है। यही कारण है कि अजान देते समय अल्लाहु अकबर का उद्घोष किया जाता है।

हर  रोज पांच बार दी जाती है अजान

इस्लाम धर्म में हर रोज पांच बार अजान दी जाती है। इस्लाम में अजान को खास महत्व दिया गया है। इस्लाम यह मानता है कि हर मुसलमान को अजान पढऩा चाहिए। इसलिए इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुस्लिम समुदाय अपने दिन भर की पांचों नमाजों को बुलाने के लिए ऊंचे स्वर में जो शब्द कहे जाते हैं, उन्हें अजान कहते हैं। इसे मुसलमान लोग दिन भर में पांच बार अदा करते हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि अजान को इस्लाम में क्यों खास माना गया है? साथ ही इसका वास्तविक मतलब क्या होता है? यदि नहीं! तो आगे इसे जानते हैं।

इस्लाम के अनुसार रोजाना जो अजान दी जाती है वह है- “अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर”। इसका मतलब होता है कि अल्लाह सबसे बड़ा है। मुहम्मद साहब के अनुसार जब कोई अजान दे तो आम मुस्लिम को चाहिए कि वह भी इसे दुहराता जाए। अजान में मुअज़्जऩि कहता है कि मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत नहीं की जानी चाहिए। उसके बाद अजान में मुअज़्जऩि कहता है कि मैं गवाही देता हूं मुहम्मद सल्लम अल्लाह के दूत हैं, वो अल्लाह के बेटे नहीं हैं।

इसके बाद मुअज़्जऩि कहता है कि आओ तुम सब मिलकर अब उस अल्लाह की इबादत सलाह के तरीके से करने के लिए। उसके बाद मुअज़्जऩि कहता है अगर तुम समझते हो कि दुनिया में बिजनेस से कामयाब होगे तो असल कामयाबी ये नहीं है। असल कामयाबी तो ये है कि जिसने तुम्हें पैदा किया अब उसके इबादत का वक्त आ गया है। इसके बाद उस तमाम इंसान को कहता है तुम लोग आते हो अल्लाह के लिए, इबादत के लिए आओ अथवा ना ही आओ किन्तु अल्लाह सबसे बड़ा और शक्तिशाली है।

इस्लाम में जरूरी है पांच वक्त की नमाज पढऩा

ऊपर हमने अजान तथा अल्लाहु अकबर को समझा है। अब लगे हाथ नमाज के महत्व को भी समझ लेते हैं। इस्लाम के जानकारों का साफ-साफ मत है कि इस्लाम धर्म में पांच वक्त की नमाज पढऩा जरूरी है। यही कारण है कि जो सच्चे मुसलमान वें सभी हर दिन पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं। अभी रमजान का महीना चल रहा है। ऐसे में पांच वक्त की नमाज के अलावा तरावीह की नमाज अदा की जाती है। इसका इस्लाम धर्म में काफी महत्व है, लेकिन नमाज पढ़ते समय भी लोगों को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिनकी अनदेखी करने पर आपकी नमाज अधूरी रह जाती है। नमाज पढ़ते समय छोटी से छोटी बातों का ध्यान रखा जाता है, क्योंकि इसके बिना आपकी नमाज कबूल नहीं होती हैं। इस्लाम धर्म में अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने के बाद सभी लोगों के लिए नमाज पढऩा जरूरी हो जाता है। फिर वो चाहे मर्द हो या फिर औरत, गरीब हो या फिर अमीर सभी लोगों का नमाज पढऩा जरूरी है। नमाज को अरबी भाषा में सलाह कहते हैं, जिसमें अल्लाह की इबादत यानि पूजा की जाती है और कुरआन पढ़ा जाता है। बता दें कि नमाज के अंदर कई तरह की पोजिशन होती हैं, जो मन को शांति देने के साथ-साथ कई तरह के शारीरिक लाभ भी देती हैं। इसलिए नमाज को बहुत ही ध्यान से पढ़ा जाता है, क्योंकि यह इबादत दिल से की जाती है।

नमाज पढऩे से पहले जान लें नमाज का सही-सही तरीका

नमाज में ध्यान लगाना बहुत जरूरी है क्योंकि जब हम सलाह अदा करते हैं, तब हमारा मुंह किबला की तरफ होता है। जब लोग मस्जिद में नमाज अदा करते तो इमाम साहब का रुख किबला की तरफ रहता है। इसलिए मुसलमानों को किबला की तरफ रुख करने में परेशानी नहीं होती है, लेकिन अगर आप अकेले नमाज पढ़ रहे हैं तो किबला की दिशा पता लगाना जरूरी है। इसके अलावा नमाज के दौरान इधर-उधर नहीं देखना चाहिए।

जिस तरह आप खुद को पाक रखते हैं, ठीक उसी तरह नमाज पढऩे की जगह भी पाक होनी चाहिए। आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि नमाज पढऩे से पहले साफ कपड़े ही पहनें और साफ-सुथरी जगह पर ही नमाज पढ़ें। क्योंकि जिस जगह पर आप नमाज अदा करने जा रहे हैं। उसका पाक होना जरूरी है। वैसे तो जमीन पर आप कहीं भी नमाज पढ़ सकते हैं क्योकि जमीन पाक होती है, लेकिन जिस स्थान पर नमाज पढ़ें वहां किसी प्रकार की कोई गंदगी नहीं होनी चाहिए।

इस्लाम धर्म में नमाज के 13 फर्ज हैं

आपको बता दें कि इस्लाम धर्म में नमाज के 13 फर्ज हैं। नमाज के दौरान इन 13 फर्ज का अदा किया जाना जरूरी है। नमाज के 13 फर्ज इस प्रकार हैं-

1. वजू या गुस्ल
2. पाक कपड़े
3. पाक जगह
4. सतर छिपाना
5. नमाज का वक्त
6. किब्ले की तरफ रुख
7. नीयत
8. नमाज शुरू करते हुए तक्बीरे तहरीमा ‘अल्लाहु अकबर’
9. खड़े होना
10. किरात यानी कुरआन मजीद में से कुछ पढऩा
11. रुकूअ
12. दोनों सज्दे
13. नमाज के आखिर में अत्तहीयात पढऩे के लिए बैठना

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