Bio-CNG : जहां देश की राजधानी दिल्ली कचरे के पहाड़ों से जूझ रही है, वहीं मध्य प्रदेश का इंदौर शहर इस समस्या को अवसर में बदल रहा है। देश का सबसे साफ शहर कहलाने वाला इंदौर कचरे का ऐसा उपयोग कर रहा है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को फायदा हो रहा है, बल्कि हर महीने लाखों रुपये की कमाई भी हो रही है। इंदौर में कचरे से बायो-सीएनजी (Bio-CNG) तैयार कर शहर की बसों को चलाया जा रहा है, जो स्वच्छता के साथ नवाचार की मिसाल है।
बायो-सीएनजी (Bio-CNG) से चलती हैं सिटी बसें
इंदौर नगर निगम ने साल 2018 में बायो-सीएनजी (Bio-CNG) प्लांट की शुरुआत की थी। शहर की देवी अहिल्याबाई सब्जी मंडी से प्रतिदिन 20-30 टन गीला कचरा निकलता है, जो पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल होता है। इस कचरे को प्लांट में प्रोसेस कर बायो-सीएनजी गैस बनाई जाती है, जिससे सिटी बसों को चलाया जाता है। इससे नगर निगम को ईंधन पर होने वाले खर्च से राहत मिलती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता।
प्लांट से होती है लाखों की कमाई
इंदौर में सिर्फ बसें ही नहीं, अन्य वाहनों के लिए भी रीफिल स्टेशन पर बायो-सीएनजी (Bio-CNG) उपलब्ध कराई जाती है। इससे नगर निगम को हर महीने लाखों रुपये की अतिरिक्त कमाई होती है। इस मॉडल ने इंदौर को स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार नंबर-1 बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है।
GOBARdhan प्लांट बना उदाहरण
सितंबर 2023 में इंदौर नगर निगम ने ‘GOBARdhan’ नाम का एक आधुनिक बायो-सीएनजी (Bio-CNG) प्लांट शुरू किया। यह एशिया का सबसे बड़ा प्लांट है, जो प्रतिदिन 17,000 किलो बायो-सीएनजी तैयार करता है। इससे हर साल लगभग 1.30 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड की बचत होती है। इस गैस का उपयोग शहर में ईंधन के वैकल्पिक स्रोत के तौर पर किया जा रहा है।
जहां एक ओर देश के बड़े शहर कचरा निपटाने में असफल साबित हो रहे हैं, वहीं इंदौर जैसे शहर एक नई राह दिखा रहे हैं। इंदौर मॉडल यह दर्शाता है कि इच्छाशक्ति, योजना और तकनीक के सही इस्तेमाल से कोई भी समस्या अवसर में बदली जा सकती है। Bio-CNG :
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