Tariff War : भारत सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से निपटने के लिए एक बड़ा दांव खेला है। मोदी सरकार यह भली-भांति समझ चुकी है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से बचने का एकमात्र तरीका समझौता और रणनीतिक रियायतें हैं। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए, भारत अब अमेरिकी सामानों पर 23 बिलियन डॉलर (करीब 2 लाख करोड़ रुपये) के टैरिफ को हटाने की योजना बना रहा है। हालांकि, इस फैसले के पीछे एक बड़ा रणनीतिक उद्देश्य छिपा है। भारत अमेरिका से होने वाले 66 बिलियन डॉलर के निर्यात को बचाना चाहता है।
भारत का बड़ा फैसला : 23 बिलियन डॉलर की टैरिफ छूट क्यों?
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए टैरिफ में कटौती करने का फैसला लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, भारत उन 55% अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ घटाने या हटाने को तैयार है, जिन पर वर्तमान में 5% से 30% तक कर लगाया जाता है। भारत इस टैरिफ कटौती के जरिए अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत रखना चाहता है। इस कदम से भारत अमेरिकी टैरिफ नीति के प्रभाव को कम कर सकता है, जिससे भारतीय व्यापारियों और निर्यातकों को फायदा होगा। मोदी सरकार जानती है कि अगर उसने टैरिफ में रियायत नहीं दी, तो ट्रंप प्रशासन भारत से 66 बिलियन डॉलर के निर्यात को प्रभावित कर सकता है।
अमेरिका से व्यापार संतुलन बनाए रखने की रणनीति
भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 45.6 बिलियन डॉलर है। इस घाटे को संतुलित करने के लिए अमेरिका भारत पर टैरिफ बढ़ाने का दबाव बना रहा था। हालांकि, भारत ने रणनीतिक वार्ता के जरिए इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की है। अमेरिका का औसत टैरिफ : लगभग 2.2% है, जबकि भारत का औसत टैरिफ: लगभग 12% है। भारत, अमेरिका के साथ व्यापार घाटे को संतुलित करने के लिए टैरिफ सुधारों पर काम कर रहा है, लेकिन वह अपनी राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करना चाहता।
किन सामानों पर हटेगा टैरिफ?
सूत्रों के अनुसार, मोती, खनिज ईंधन, मशीनरी, बॉयलर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों सहित कुछ प्रमुख अमेरिकी वस्तुओं पर 6% से 10% तक टैरिफ में कमी की जा सकती है। हालांकि, भारत डेयरी उत्पादों, मांस, मक्का और गेहूं जैसी संवेदनशील श्रेणियों पर कोई समझौता नहीं करेगा।
टैरिफ कटौती का असर: अमेरिका को फायदा या नुकसान?
अमेरिका इस कदम का स्वागत कर सकता है, क्योंकि इससे उसके उत्पादों की भारत में बिक्री बढ़ेगी। भारत को उम्मीद है कि इससे अमेरिका उसके निर्यात पर नए टैरिफ लगाने से बचेगा। अमेरिका इस कदम को एक बड़ी जीत की तरह पेश कर सकता है, जबकि भारत अपने 66 बिलियन डॉलर के व्यापार को सुरक्षित रखने में कामयाब होगा।
क्या ट्रंप इस समझौते को मानेंगे?
डोनाल्ड ट्रंप भारत को लगातार टैरिफ किंग कहकर निशाना बनाते रहे हैं और उन्होंने टैरिफ हटाने से इनकार किया है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों का मानना है कि यदि अमेरिका को अपने उत्पादों के लिए बड़ा भारतीय बाजार चाहिए, तो उसे कुछ शर्तें माननी ही होंगी।
मोदी सरकार का यह कदम सिर्फ टैरिफ कटौती नहीं, बल्कि एक आर्थिक रणनीति है। भारत कुछ टैरिफ में छूट देकर, अमेरिका से मिलने वाले 66 बिलियन डॉलर के निर्यात को सुरक्षित करना चाहता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है या फिर टैरिफ वॉर और बढ़ता है।
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