Adhik Maas 2023 : इस वर्ष सावन माह के समय एक विशेष घटना होगी जो अधिक मास के रुप में जानी जाएगी, इस कारण से सावन का महिना इस वर्ष अधिक लम्बा होने वाला है. अधिक मास एक विशेष अवधि होती है जो धार्मिक क्रिया कलापों के साथ साथ तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. यह समय अवधि काल गणना की उचित रुप से व्याख्या हेतु अपनाई जाती है. जिस प्रकार लीप ईयर को समय की गणना के उचित क्रम हेतु उपयोग किया जाता है, उसी प्रकार हिंदू धर्म शास्त्रों ने पंचांग गणना के लिए अधिक मास की अवधारणा को अपनाया है. हर तीन साल में आने वाला यह समय अधिक मास के रुप में जाना जाता है जो अपने नाम के अनुरुप माह में वृद्धि का सूचक होता है.
Adhik Maas 2023 :
अधिक मास का समय इस वर्ष श्रावण माह के दौरान होगा, जिसके चलते सावन माह को श्रावण अधिक माह के रुप में भी जाना जाएगा. इस समय पर दो श्रावण पूर्णिमा होंगी और दो ही श्रावण अमावस्या भी प्राप्त होंगी.
वैदिक पद्धिती अनुसार अधिक मास
अधिक मास के संदर्भ में कई ग्रंथ इसकी व्याख्या करते हैं. ब्राह्मण ग्रंथों, तैतरीय संहिता, ऋग्वेद, अथर्ववेद इत्यादि ग्रंथों में अधिक मास का विवरण प्राप्त होता है. यह समय खगोलिय गणना को उपयुक्त रुप से समझने के लिए किया जाता है. इस गणना के अनुसार सूर्य लगभग 30 दिनों में एक राशि पूरी करता है और यह सूर्य का सौर मास है. इसी प्रकार, बारह महीनों का समय, जो लगभग 365 के करीब है और चंद्र माह 29 दिनों का है, इसलिए चंद्र वर्ष 354 दिनों के करीब है. इस तरह दोनों के समय में लगभग 10 से 11 दिनों का अंतर होता है और तीन साल में यह अंतर बहुत अधिक बढ़ जाता है जो एक महीने के करीब का हो जाता है. ऎसे में इसकाल गणना के अंतर को दूर करने के लिए हर तीसरे वर्ष एक माह अधिक का नियम बनाया गया है. जिसके द्वारा सभी व्रत त्यौहार एवं अन्य प्रकार के कार्यों की अवधि निश्चित रुप से हमें प्राप्त हो सके तथा पंचांग गणना भी उचित रुप से हमे प्राप्त हो.
अधिक मास और इसका महत्व
अधिक मास को अनेक नामों से पुकारा जाता है. यह जिस भी माह में आता है इसे उसी माह के नाम से संबोधित करते हैं इसके अलावा इसे पुरूषोत्तम या मल मास, अधिमास, मलिम्लुच, संसर्प, अनहस्पति मास के नाम से भी जाना जाता है. सौर वर्ष और चंद्र वर्ष में उचित रुप से सामंजस्य बैठाने के लिए ही हर तीसरे वर्ष को अधिक मास के रुप में बढ़ाया जाता है.
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अधिकमास में किए जाने वाले कार्य
ज्योतिष गणना के अनुसार हर तीसरे वर्ष एक अधिक मास आता है, तथा इस माह को बेहद विशेष माना गया है. इस माह के दौरान पूजा पाठ एवं साधना के कार्यों को करने का अधिक महत्व होता है. इस समय के दौरान विवाह संस्क्रा, गृह प्रवेश, गृह निर्माण या अन्य प्रकार के मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है, इसके विपरित इस समय के दौरान भगवान का भजन, नाम स्मरण, एवं ध्यान इत्यादि करने को श्रेष्ठ फलप्रद माना गया है. अधिक मास समय पर श्री विष्णु जी के पूजन करने का विशेष विधान है क्योंकि इस मास को भगवान श्री विष्णु जी के एक नाम पुरुषोत्तम मास के रुप में भी जाना जाता है. अत: इस समय पर विष्णु पूजन करने से भक्तों की साधना शीघ्र फल फल प्रदान करने वाली होती है.
आचार्या राजरानी
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