Wednesday, 1 May 2024

 कामदा एकादशी की कथा श्रवण से मिलता है दुख दरिद्र्ता से छुटकारा

Kamada Ekadashi Vart Katha  : चैत्र मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं । कामदा एकादशी का अर्थ…

 कामदा एकादशी की कथा श्रवण से मिलता है दुख दरिद्र्ता से छुटकारा

Kamada Ekadashi Vart Katha  : चैत्र मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं । कामदा एकादशी का अर्थ है वह एकादशी की तिथि जो विष्णु भगवान को समर्पित है । जिसको करने के उपरांत वरदान में हमारी वह कामना जिसकी इच्छा पूर्ति को लेकर यह व्रत किया है पूर्ण हो । वैसे तो चैत्र मास ही पूरा मधु मास के बाद माधव को समर्पित है । बसंत ऋतु का अंतिम माह जिसमें शुक्ल पक्ष प्रतिपदा नव संवत्सर के प्रारम्भ से लेकर हनुमान जयंती पर जिसकी समाप्ति होती है ।
एकबार जब श्रीकृष्ण पांडवों से मिलने वन में गये तो 12वर्ष के वनवास एवं एक वर्ष का अज्ञातवास का दंड भोगते वन-वन भटककर कष्ट भोगते युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से कहा :-
“हे माधव!ऐसा कौन सा व्रत है जिसके करने से मानव इस संसार मे अपने कष्टों से मुक्ति पाकर कामनाओं की पूर्ति कर सके ।”
श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के प्रश्न का उत्तर देते हुये कहा कि “वैसे तो सभी एकादशियों का व्रत फल दायी होता है किंतु चैत्र मास माधव को ही समर्पित होने के कारण शुक्ल पक्ष नवरात्रि में देवी पूजन एवं दशमी को उनका विसर्जन करने के बाद जो भी मनुष्य इस एकादशी को करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं इसीलिये इसे कामदा एकादशी कहते हैं

Kamada Ekadashi Vart Katha  पौराणिक कथा:-

प्राचीन काल में भोगपुर नगर के राजा पुंडरीक के दरबार में एक ललित नाम का सम्पूर्ण ललित कलाओं में पारंगत संगीतज्ञ गायक था। वह प्रतिदिन राजा के दरबार में तानपूरा के साथ पूरे सुर ताल और लय के साथ छंदबद्ध गायन करता । जिससे प्रसन्न‌ होकर राजा उसे पुरुस्कार देते । उस गायक की पत्नी का नाम भी ललिता था । वह गायक अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता था । एक दिन जब वह गायक राजमहल में गायन कर राजा का मनोरंजन कर रहा था तभी उसकी पत्नी राजमहल पहुंच गई । अपनी पत्नी को देखकर गायक के सुर भंग हो गये । राजा ने इसे अपना अपमान समझ उसे राक्षस होने का शाप देकर अपने राज्य से निष्कासित कर दिया । उसकी पत्नी ललिता बहुत पतिव्रता थी । राक्षस बन जाने पर भी उसने अपने पति का साथ नहीं छोड़ा । ललित राक्षस बन जाने पर मास भक्षण करने लगा धीरे धीरे उसे नरमांस की भी लत लग गई ।यह देख उसकी पत्नी ललिता विंध्याचल में तप कर रहे श्रृंगी ऋषि के पास गई और उनसे अपनी व्यथा कथा कहते हुये अपने पति के शाप मुक्त होने का उपाय पूंछा । तब ऋषि ने कहा कि तुम अपने पति के उद्धार के लिये चैत्र मास शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत श्रद्धा पूर्वक करो जिंससे भगवान तुम्हारे व्रत से प्रसन्न होकर तुम्हारे पति को शाप मुक्त कर देंगे ।Kamada Ekadashi Vart Katha 
यह सुनकर ललिता ने अपने पति के उद्धार के लिये कामदा एकादशी का व्रत किया जिसकी अवधि पूर्ण होने पर भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें शापमुक्त कर दिया और वह गंधर्व जो मानव योनि से राक्षस योनि में आया था शाप मुक्त होकर अपनी पत्नी सहित गंधर्व लोक को गया जहां उसका शाप मुक्त होकर आने पर सभी ने स्वागत किया । अब वह विष्णु भक्त बन चुका था । उसका गायन अपने प्रभु को समर्पित था ।
हे ! धर्मराज आप भी द्रौपदी एवं अपने सभी भाईयों‌ सहित इस व्रत को करके अपने राज्य और सम्मान को पा सकते हैं । श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने इस व्रत को नियम पूर्वक करते हुये महाभारत में विजय प्राप्त कर अपने खोये राज्य को पाया । ऊंँ नमो भगवते वासुदेवाय।
उषा सक्सेना-

कामदा एकादशी, इच्छाओं के पूरा होने का समय,जानें पूजा मुहूर्त और उपाय 

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