Chaitra Navratri 2023 : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के छठे दिन माँ कात्यायनी का पूजन होगा 27 मार्च 2023 सोमवार के दिन माता कात्यायनी की उपासना संपन्न होगी
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
चैत्र नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होती है. इस दिन चैत्र माह की षष्ठी तिथि के दिन माता का प्रादुर्भाव हुआ था. ऋषि कात्यायन के घर में पुत्री स्वरुप जन्म लेकर माता ने दैत्यों का संघार करके धर्म की स्थापना की ओर अपने भक्तों के संकटों का निवारण किया था. देवी कात्यायनी का स्वरुप बेहद ओज पूर्ण है. देवी के आलौक द्वारा समस्त जग प्रकाशित हैं. देवताओं के लिए माता ने ये रुप धर कर उन्हें राक्षसों के अत्याचारों से मुक्ति प्रदान की.
Chaitra Navratri 2023 :
Navratri 2023 6th Day :
कात्यायनी शुभ पूजा मुहूर्त
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ – 26 मार्च 2023 रविवार 16:34 बजे तक
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की समाप्ति 27 मार्च 2023 सोमवार 17:28 बजे तक
देवी कात्यायनी का पूजन 27 मार्च 2023 को संपन्न होगा. इस दिन रोहिणी नक्षत्र की उपस्थिति दोपहर तक रहेगी और उसके पश्चात मृगशिरा नक्षत्र का आगमन होगा. इस दिन आयुषमान नामक योग के होने से शुभता में वृद्धि होगी. चंद्रमा का गोचर उच्च अवस्था में वृष राशि में होने से यह समय साधना के लिए अत्यंत उत्तम होगा. देवी कात्यायनी पूजन के दिन ही स्कंद षष्ठी का पर्व भी भी मनाया जाएगा.
माँकात्यायनी पूजा मंत्र और विधि
माता का पूजन प्रात:काल समय पर आरंभ होकर रात्रि तक संपन्न होता है. देवी क अपूजन प्रदोष काल में करने से व्यक्ति को शक्ति एवं शुभ फलों की प्राप्ति होती है. देवी पूजन में इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा संपन्न करनी चाहिए. चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना । कात्यायनी च शुभदा देवी दानवघातिनी ॥ . देवी कात्यायनी को भोग स्वरुप शहद एवं पान अर्पित किया जाता है. देवी को लाल रंग के वस्त्र एवं शृंगार की वस्तुएं अवश्य अर्पित करनी चाहिए.
देवी कात्यायनी अवतरण कथा
धर्म ग्रंथों में जिसमें स्कंद पुराण, शक्ति पुराण एवं वामन पुराण इत्यादि में देवी की उत्पत्ति के विषय में कथाएं उल्लेखित हैं. इन कथाओं के आधार पर देवी का प्रकाट्य माता दुर्गा की षष्ठी शक्ति के रुप में वर्णित है. देवी की उत्पत्ति ऊर्जाओं के पुंज द्वारा हुई और इस प्रकाश के द्वारा अंधकार का नाश हुआ. देवी कात्यायनी के संदर्भ में एक कथा इस प्रकार है : – एक बार ऋषि कात्यायन जी ने देवी को अपनी पुत्री स्वरुप पाने हेतु इच्छा प्रकट की और उन्होंने देवी की कठोर साधना की, माता ने ऋषि की साधना से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया की वह उनके घर में पुत्री रुप में उत्पन्न होंगी. अत: इस प्रकार कात्यायन ऋषि के घर जन्म लेने के कारण वह कात्यायनी कहलायीं. देवी के जन्म लेने का एक अन्य कारण था दैत्य राज महिषासुर का वध करना अत: देवताओं को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्त करने हेतु माता ने उस दैत्य का अंत करके देवों एवं मनुष्यों को संकट से मुक्त किया एवं पुन: सुख एवं शांति की स्थापना हो पाई. माता का स्वरुप सभी प्रकार के सुखों को प्रदान करने वाला होता है.