Tuesday, 11 March 2025

Govardhan Puja 2023: 13 या 14 नवंबर कब है गोवर्धन पूजा? जानिए शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja 2023 इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर दिन सोमवार को…

Govardhan Puja 2023: 13 या 14 नवंबर कब है गोवर्धन पूजा? जानिए शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja 2023 इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा. ऐसे में गोवर्धन पूजा का पर्व 14 नवंबर को ही मनाया जाएगा ।

पंचांग के अनुसार, इस बार दिवाली का त्योहार 12 नवंबर हैं. इसके बाद 14 नवंबर को गोवर्धन की पूजा तिथि है. इसकी मुख्य वजह सोमवती अमावस्या का होना है. अमावस्या की तिथि इस बार 12 नवंबर और 13 नवंबर रहेगी. ऐसे में एक तिथि अधिक होने की वजह से सोमवार 13 नवंबर को स्नान दान श्राद्ध की सोमवती अमावस्या है. इस दिन पितरों का ध्यान और उनकी पूजा का विशेष महत्व होता है. ज्योतिषाचार्य की मानें तो इस दिन कोई शुभ कार्य नहीं हो सकता है. यही वजह है कि इस बार गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन की जगह तीसरे दिन यानी 14 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी.

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन 56 या 108 तरह के पकवानों का श्रीकृष्ण को भोग लगाना शुभ माना जाता है। इन पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहते हैं।

गोवर्धन पूजा की विधि-

गोवर्धन पूजा करने के लिए आप सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।

मान्यता के अनुसार गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण और गाय की पूजा का महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान कृष्ण को कई प्रकार के व्यंजनों को भोग लगाया जाता है। इसलिए गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गाय और भगवान कृष्ण की पूजा करने से आर्थिक संकट दूर हो जाता है और सुख-समृद्धि का वास होता है।

पौराणिक कथा के अनुसार इंद्र ने अभिमान में आकर गोकुल में भारी वर्ष की, जिससे सभी लोग परेशान हो गए और चारों तरफ हाहाकार मच गया। ऐसे में लोगों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगली से उठाकर लोगों की रक्षा की और उसके बाद लोगों से गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा।विभिन्न व्यंजनों को भोग लाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई।

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