Sadhguru Jagdish Jaggi Vasudev : सदगुरू यानी कि जगदीश जग्गी वासुदेव का नाम तो सुना ही होगा। जी हां वही सदगुरू जिनके प्रवचन तथा विचार आज पूरी दुनिया में धूम मचा रहे हैं। सदगुरू को लोगों ने योग गुरु, आध्यात्मिक गुरू तथा मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी बड़ी पहचान दी है। हाल ही में सदगुरू ने बच्चों को पालने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पैरेंटिंग टिप्स दिए हैं। सदगुरू का कहना है कि जो कोई भी माता-पिता उनके बताए हुए पांच नियम मान लेगा उन माता-पिता के बच्चे सर्वश्रेष्ठ बच्चे बन जाएंगे।
Sadhguru Jagdish Jaggi Vasudev
बच्चों को बनाएं सर्वश्रेष्ठ
सदगुरू का कहना है कि बच्चों को सर्वश्रेष्ठ बनाने का काम कोई मुश्किल काम नहीं है। सदगुरू की माने तो केवल माता-पिता अपने जीवन में पांच नियम बना लें तो आपके बच्चे दुनिया में महान तथा सर्वश्रेष्ठ नागरिक बन सकते हैं। नीचे हम एक-एक करके सदगुरू के बताए गए पांच नियम आपको बता रहे हैं। आशा है आप इन नियमों का पालन करके अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ नागरिक जरूर बनाएंगे।
सदगुरू का पहला नियम
सदगुरू कहते हैं कि आपको कभी भी अपने बच्चे के सामने गुस्सा नहीं करना चाहिए। बच्चे के लिए उसके सबसे पहले और अहम रोल मॉडल मां-बाप ही होते हैं और वो जो भी करते हैं, बच्चे उसे बड़ी बारीकी से देखते हैं। इसलिए मां-बाप को अपने बच्चे के सामने ऐसा कोई भी व्यवहार नहीं करना चाहिए, जो उचित न हो। सदगुरू आगे कहते हैं कि बच्चों के सामने भूलकर भी कभी क्रोध यानि गुस्सा नहीं करना चाहिए। कुछ भी उपाय करें किन्तु अपने बच्चे के सामने माता-पिता कभी भी गुस्सा ना करें।
सदगुरू का दूसरा नियम
सदगुरू बड़े ही आसान नियम बता रहे हैं। सदगुरू कहते हैं कि बच्चों का मन और दिमाग बहुत कोमल एवं नाजुक होता है। उनके ऊपर तनाव का बुरा असर पड़ता है। मां-बाप को कभी भी अपने बच्चे को यह नहीं दिखाना चाहिए कि वो तनाव में हैं। इससे आपका बच्चा भी दुखी और उदास हो सकता है। कितनी भी खराब परिस्थिति हो जाए किन्तु बच्चे के सामने तनाव को जाहिर नहीं होने देना है।
सदगुरू का तीसरा नियम
सदगुरू कहते हैं कि हर कोई बच्चों से यही अपेक्षा करता है कि बच्चे उनका सम्मान और आदर करें फिर भले ही वो खुद बच्चों के साथ तमीज से पेश न आएं। अगर आप भी अपने बच्चे से ऐसी ही अपेक्षा रखते हैं, तो उसका सम्मान करना शुरू कर दें। जिस घर में बच्चों का भी सम्मान किया जाता है, वहां बच्चे कभी भी अपने से बड़ों का अपमान नहीं करते हैं।
सदगुरू का चौथा नियम
सदगुरू कहते हैं कि अपने बच्चे को इग्नोर नहीं करना है। कहने का मतलब है कि अगर आपके दो बच्चे हैं और आपको उनमें से एक की आदतें ज्यादा पसंद हैं, तो इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप अपने दूसरे बच्चे को इग्नोर करेंगे या उसके वयक्तित्व को समझने का प्रयास नहीं करेंगे। आपको यह समझना होगा कि हर बच्चा अलग होता है और उसकी पर्सनैलिटी और गुण-अवगुण भी एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। आपको अपने बच्चों को स्वीकार करना होगा।
सदगुरू का पांचवां नियम
सदगुरू कहते हैं कि बच्चों के लिए घर का माहौल खुशहाल और सकारात्मक होना चाहिए। आपको उसे यह नहीं दिखाना है कि घर में कोई परेशानी है। जब तक कि बच्चा समझदार न हो जाए, उससे घर या परिवार की परेशानियों के बारे में बात न करें। ये कहा नहीं जा सकता कि बच्चे के नाजुक मन पर कौन-सी बात कैसे असर करे इसलिए संभलकर करें।
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