Samsaptak Yoga: मंगल का सिंह राशि में होना और शनि का कुंभ राशि में होना दोनों के मध्य समसप्तक नामक योग का निर्माण करता है. ज्योतिष शास्त्र में इस योग का प्रभाव विशेष परिणाम देने वाला माना गया है. ग्रहों की समसप्तक स्थिति कई मायनों से खास हो सकती है. यह विभिन्न प्रकार के फलों को दर्शाती है. समसप्तक योग से अर्थ ग्रह के आमने सामने होने की स्थिति से होता है. यह स्थिति ग्रह जहां होता है उस स्थान से सातवें भाव में जब कोई ग्रह बैठता है तो इसके कारण दोनों ग्रहों के मध्य आपसी रुप से यह योग निर्मित होता है. समसप्तक योग को शुभ ग्रहों की स्थिति में बनते देखा जा सकता है, तो पाप ग्रहों के योग द्वारा भी इनका निर्माण होता है तो कभी शुभ एवं पाप ग्रहों के मध्य यह निर्मित होता है.
Samsaptak Yoga:
समसप्तक योग में मंगल-शनि का शामिल होना
सभी नव ग्रहों के मध्य यह योग बन सकता है, लेकिन जब कुछ विशेष ग्रहों के मध्य इसका संबंध बनता है तो यह अलग तरह का अपना परिणाम देते हैं. उदाहरण के लिए अगर गुरु और चंद्रमा के मध्य समसप्तक योग बन रहा हो तो यह एक प्रकार का गजकेसरी योग भी होता है जिसे बहुत ही शुभ योगों में से एक माना जाता है. वहीं जब राहु ओर चंद्रमा के मध्य समसप्तक योग बनता है तो यह ग्रहण नामक खराब स्थिति का परिचायक होता है.
30 जून 2023 को 26:16 के करीब मंगल और शनि के मध्य समसप्तक योग का निर्माण होगा. इस समय पर मंगल सिंह राशि में विराजमान होगा और शनि देव की स्थिति कुंभ राशि में होगी. इन दोनों का आमना सामना ही समसप्तक योग होगा. शनि ओर मंगल दोनों को ही पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. अब ऎसे में जब दो पाप ग्रह आमने सामने होंगे तो स्वाभाविक है कि इनके परिणाम भी बेहद विशेष होंगे. यह दोनों ग्रह जब भी युति दृष्टि या अन्य प्रकार से साथ होते हैं तो अपना असर अवश्य दिखाते हैं, जिसका प्रभाव जन मानस के साथ साथ प्रकृति पर भी देखने को मिलता है.
इन घटनाओं का प्रारुप कई तरह से देखने को मिल सकता है. इस समय धार्मिक रुप से कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे. राजनितिक रुप से संघर्ष अधिक होगा. कुछ मौसम की घटनाएं देश दुनिया पर अपना असर डालेंगी, प्राकृतिक रुप से चेंज दिखाई देगा.
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मंगल का सिंह राशि और शनि का कुंभ राशि समसप्तक प्रभाव
कोई भी योग अपना किसी एक कारण से नहीं दिखाता है अपितु इसमें कई तरह के पहलु काम करते हैं. यह युति विनाशकारी होती है क्योंकि इसी मंगल शनि समसप्तक योग के समय बाबरी मस्जिद जैसी बेहद विध्वंसकारी घटना भी होती है लेकिन यह युति कई अन्य योग राशि प्रभाव के द्वारा अपने असर को कम या अधिक कर सकती है. ऎसे में मंगल सिंह राशि जो एक अग्नि तत्व युक्त राशि है और मंगल स्वयं भी अग्नि तत्व युक्त ग्रह है तो इसके कारण मंगल के गुण धर्म बढ़ोत्तरी में होंगे वहीं शनि का कुंभ राशि में होना कुछ स्थिति को नियंत्रित करने का कार्य भी करेगा. ऎसे में घटनाएं होंगी लेकिन उनके निपटारे की स्थिति भी सकारात्मक रुप से सहायक बन सकती है.
आचार्या राजरानी
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