Gupt Navratri 2024 : गुप्त नवरात्रि का छठवां दिन दस महाविद्याओं में छठवीं महाविद्या *माता छिन्नमस्ता*को समर्पित है । गुप्त नवरात्रि की साधना में दस महाविद्याओं में छठवीं विद्या देवी छिन्नमस्ता है ।
यह तंत्र शास्त्र की तांत्रिक विद्या है
इनका भयंकर रूप उग्र काली चंडिका का है । चार भुजाओं वाली शरीर पर केवल स्वर्ण के आभूषण धारण किये दाहिने हाथ में खड्ग लिये बायें हाथ में अपने ही सिर को काटकर केशराशि से लहू टपकता है । बिना सिर के धड़ से तीन रक्त की धारायें फूटकर प्रवाहित हो अपने दोनों ओर खड़ी दोनों योगिनियों की क्षुधा शांत करती । तीसरी धारा स्वयं अपनी ही ओर अपने आपको तृप्त कर मिथुन युगल के ऊपर नृत्य मुद्रा में उनका दलन करती । एक हाथ वरद और दूसरा अभय मुद्रा ।
रजप्पा में भैरवी भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर 6000 वर्ष पुराना शक्ति पीठ
कामाख्या देवी के बाद दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ झारखंड की राजधानी रांची से 80किलोमीटर दूर रजप्पा में भैरवी भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर 6000 वर्ष पुराना यह शक्ति पीठ स्थित है ।
Gupt Navratri 2024
पौराणिक कथा :-
एक बार जब माता पार्वती राक्षसों का संहार करने के पश्चात अपनी सखी जया और विजया के साथ मंदाकिनी में स्नान कर रहीं थी। तभी स्नान से निवृत्त होकर तट पर बैठीं जया -विजया ने पार्वती से कहा- माँ हमें भूख लगी है! माँ हमें भोजन दो । पार्वती ने उन्हें सांत्वना देते हुये कहा रुको अभी भोजन में देर है । मैं तुम्हारे लिये भोजन का प्रबंध करती हूं । जब काफी देर तक तलाशने के बाद भी उन्हें कहीं भोजन नहीं मिला तो वह दोनों फिर बोली माँ हमें बहुत जोर से भूख लगी है। अब भूख सहन नहीं होती ! तू कैसी मां है ?जो अपनी संतान की भूख भी नही मिटा सकती । लोग तो अपनी संतान की रक्षा के लिये प्राण तक दे देते हैं । माता पार्वती को उनके यह तीखे शब्द सहन नहीं हुये । उन्होंने उसी समय काली के उग्र रूप प्रचंड चंडिका को धारण कर अपने एक हाथ से केशराशि को पकड़ कर दूसरे हाथ से अपने ही खड्ग से स्वयं अपनी गर्दन पर वार कर उसे धड़ से अलग करते हुये कहा- “लो अब मेरे रक्त से अपनी क्षुधा शांत करो । इस समय उनके धड़ से रक्त की तीन धारायें प्रवाहित हुईं जो अपने दोनों ओर खड़ी जया विजया रूपी योगिनियों के मुख में गिरकर उनकी क्षूधा शांत कर रहीं थी । तीसरी धारा स्वयं उनके ही धड़ में गिर कर स्वयं उनकी क्षुधा शांत कर रही थी ।
माता का यह रूप अत्यंत भयंकर है
Gupt Navratri 2024
माता का यह रूप अत्यंत भयंकर है। इसीलिये इनकी जनसाधारण के लिये भी सार्वजनिक रूप से पूजा वर्जित है । केवल तंत्र शास्त्र के अनुसार ही इनकी तांत्रिक पूजा की जाती है । अपना आत्म बलिदान दूसरों के जीवन की रक्षा के लिये जो हमारे अगल बगल सदा सहयोगी के रूप में उपस्थित रहते हैं पहले उनकी क्षुधा शांत करो तब अपनी इसी में लोक कल्याण के हित की उदात्त भावना निहित है । जो केवल अपने ही निहित स्वार्थ में लिप्त रह कर अपना ही पेट भरते हैं उनका कल्याण कैसे होगा ? जै माता छिन्नमस्तिका सभी का कल्याण करें । अंत में इन पौराणिक कथाओं के पीछे क्या वैज्ञानिक रहस्य है इसे खोजने और उसके तथ्यात्मक विश्लेषण की आवश्यकता है । सनातन काल से हमारे ऋषि मुनियों ने जो अपने समय के बहुत बड़े वैज्ञानिक थे कोई भी बात सीधे से न कह कर सत्य को आवृत करते हुये कथाओं के माध्यम से ही कही थी जिससे कोई भी इसका दुरुपयोग न कर सके । हिरण्येन पात्रेण सत्यं मुख आवृता।। लोकमंगल की भावना रखने वाला ही सोच समझ कर इसका प्रयोग करे ।
उषा सक्सेना
गुप्त नवरात्रि पर इस एक स्त्रोत से पूर्ण होगा सभी महाविद्याओं का पूजन
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