Magh kalpwas : माघ पवित्र स्नान के साथ पूर्ण होगा कल्पवास, देश भर के पवित्र स्थानों में दिखाई देगा आस्था भक्ति का सैलाब. माघ माह सबसे पवित्र महिनों में से एक है जहां देखने को मिलता है संगम की स्थली पर भक्तों का जमावड़ा. कल्पवास और माघ स्नान की परंपरा को निभाते हुए भक्त इस पूरे माह में भक्ति से सराओर दिखाई देते हैं. एक बड़े धार्मिक मेले का रंग कल्पवास के अंतिम पड़ाव के रुप में माघी पूर्णिमा के साथ में संपन्न होता है. इस समय पर देश भर में इसका उत्साह दिखाई देता है भक्ति में डूबे भक्त इस दिन को निष्ठा और श्रद्धा के साथ मनाते हैं. आइये जान लेते हैं क्या है इस समय का महत्व और जीवन पर प्रभाव.
माघ पूर्णिमा के दिन पर कल्पवास की साधना पूर्ण होती है. माघ माह में किए जाने वाले स्नान जप तप एवं कल्पवास की महिमा का वर्णन पुराणों में उल्लेखित है. धार्मिक मान्यताओ के अनुसार बारह वर्षों तक कल्पवास की साधना पुर्ण कर लेने पर मोक्ष का द्वार भी खुल जाता है. ऎसे में माघ माह में आने वाला कल्पवास पर्व भक्तों के लिए स्वर्णिम अवसर होता है भक्ति एवं जागरण हेतु. जिसमें हर कोई आस्था की डूबकी लगाने के लिए उत्साहित दिखाई देता है.
माघ माह का कल्पवास साधना तपस्या का उत्सव
माघ माह का कल्पवास एक बहुत बड़े धार्मिक अनुष्ठानों में स्थान पाता है. हिंदुओं में इसकी प्रति बहुत गहरी आस्था रही है. माघ माघ के पर्व में होने वाला कल्पवास एवं स्नान दान से जुड़े कार्य माघ पूर्णिमा के समय पर संपूर्ण हो जाते हैं. माघ पूर्णिमा का समय इस कारण बेहद विशेष होता है जो संपूर्ण माघ माह का सुख प्रदान करता है.
कल्पवास आध्य्यात्मिक पर्व जिसका आकर्षण देश विदेश में सभी को करता है प्रभावित
कल्पवास का समय आत्मिक शुद्धि के साथ चेतना की जागृति का समय होता है. हर कोई इस भक्ति से ओतप्रोत समय को स्वयं में आत्मसात करने की इच्छा भी रखता है. कल्पवास का संकल्प देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भी लिया था. कल्पवास की महत्ता इतनी है कि देश विदेश सभी स्थानों से भक्त संगम स्थल पर आकर इस भक्ति पूर्ण आयोजन में अवश्य भाग लेते हैं.
माघ पूर्णिमा के पवित्र स्नान के साथ पूर्ण होता है अनुष्ठान
माघ माह के समय को संगम स्नान एवं कल्पवास हेतु उत्तम माना गया है. मान्यताओं के अनुसार इस समय पर किया गया कल्पवास भक्तों के जीवन को मुक्ति का मार्ग प्रदान करने में सहायक होता है.माघी पूर्णिमा के दौरान देश भर में आस्था और भक्ति की लहर सब ओर बहती दिखाई देती है.
हिंदू पंचांग प्रणाली को चंद्रमा के चक्र के बाद चंद्र कैलेंडर कहा जाता है. पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा का समय बेहद विशेष होता है. इस समय माघ स्नान के साथ साथ कल्पवास की परंपरा भी होती है. कल्पवास के समय को सभी पापों को धोने वाला माना गया है. वैदिक काल में ऋषि-मुनियों द्वारा कल्पवास की गणना की गई जिसे आज भी भक्ति भाव के साथ संपन्न किया जाता है.
आचार्या राजरानी