Bulandshahr : कोल्ड स्टोरेज गिरा, तीन मजदूर फंसे, बचाव कार्य जारी

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Cold storage collapses, three laborers trapped, rescue work underway
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calendar02 Dec 2025 03:06 AM
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बुलंदशहर (उप्र)। बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद इलाके में एक शीतगृह (कोल्ड स्टोरेज) का एक हिस्सा गिर अचानक गिर गया। उसमें तीन मजदूर फंस गए। मौके पर राहत एवं बचाव का कार्य जारी है।

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बचाव कार्य में जुटी हैं एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें

जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने रविवार को बताया कि कोल्ड स्टोरेज का एक हिस्सा गिर गया। उसमें तीन मजदूर अब भी फंसे हुए हैं। कोल्ड स्टोरेज का जो हिस्सा गिरा है, उसमें विदेशी गाजर का भंडारण हो रहा था। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान जारी है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्‍य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीम वहां इस काम में जुटी है।

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अंदर से फंसे मजदूरों की आ रही आवाज

जिलाधिकारी ने बताया कि अंदर से फंसे लोगों की आवाज आ रही है। बचाव दल को पूरा विश्वास है कि वह तीनों मजदूरों को सकुशल बचा लेगा। उन्होंने बताया कि घटना की जांच करने और विभिन्न बिंदुओं पर छानबीन के लिए अपर जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया गया है। समिति यह देखेगी कि स्वीकृत मानचित्र से निर्माण में कोई अनियमितता तो नहीं है, और हादसा किन कारणों से हुआ। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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UP News: अतीक को श्रद्धांजलि देने के विषय पर विधानसभा में कार्य मंत्रणा समिति विचार करेगी

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UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 06:15 PM
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UP News: लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा है कि गैंगस्टर से नेता बने पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ को विधानसभा के अगले सत्र में श्रद्धांजलि देने के विषय पर कार्य मंत्रणा समिति विचार करेगी।

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पारंपरिक रूप से सदन के प्रत्येक सत्र की शुरुआत के बाद दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी जाती है। हालांकि, पूर्व विधायक और पूर्व सांसद अतीक अहमद को अपहरण के एक मामले में दोषी ठहराया गया था। राज्य में विधानमंडल के दोनों सत्रों की मानसून सत्र की शुरुआत होगी लेकिन अभी इसके लिए कोई तारीख तय नहीं की गयी है।

अतीक अहमद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक और 2004 से 2009 तक एक बार फूलपुर से लोकसभा सदस्य चुना गया। वह इलाहाबाद पश्चिम से तीन बार निर्दलीय विधायक था। सन् 1996 में वह सपा के टिकट पर चुना गया, जबकि 2002 में उसने अपना दल के टिकट पर सीट बरकरार रखी।

बहुजन समाज पार्टी के तत्कालीन विधायक राजू पाल की हत्या के बाद अतीक के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ 2005 में सपा के टिकट पर उसी सीट से विधायक बना था।

हत्यारों ने पत्रकार बनकर की थी हत्या

प्रयागराज में 15 अप्रैल की रात को जब पुलिसकर्मी अतीक को जांच के लिए एक मेडिकल कॉलेज ले जा रहे थे, तब पत्रकार बनकर आए तीन लोगों ने अतीक (60) और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या अतीक और उसके भाई अशरफ को श्रद्धांजलि दी जाएगी, महाना ने कहा कि मामले का फैसला सदन की कार्य मंत्रणा समिति करेगी। समिति की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष करते हैं।

संवैधानिक विषयों के विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप ने कहा कि इस मामले पर अध्यक्ष को ही फैसला करना है। उत्तर प्रदेश विधान सभा के सूत्रों ने कहा कि ऐसा "दृष्टांत" उनके सामने कभी नहीं आया।

अतीक अहमद और अशरफ का कोई स्पष्ट उल्लेख किए बिना उत्तर प्रदेश के एक पूर्व वरिष्ठ विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एक श्रद्धांजलि संदर्भ, जो सदन के दिवंगत सदस्यों के लिए किया जाता है, संसदीय परंपरा का हिस्सा है। न तो संविधान में और न ही किसी कानून में इसका उल्लेख है। यह विशुद्ध रूप से संसदीय परंपराओं के हिस्से के रूप में किया जाता है।

दिया जाता है एक शोक संदर्भ

यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसा कोई प्रावधान है कि सदन (संसद या विधान सभा) कानून की अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए पूर्व सदस्य के निधन का संदर्भ देता है, लोकसभा की पूर्व महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्व सांसदों और सांसदों में किसी की मृत्यु के बारे में कोई सूचना मिलती है, तो सदन में, सत्र में या अगले सत्र में, एक शोक सन्दर्भ दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि मेरे सामने ऐसा कोई मामला नहीं आया है। (कोई सांसद या पूर्व सांसद जिसे सजा सुनायी गयी हो और उसे श्रद्धांजलि दी गयी हो)। 28 मार्च को प्रयागराज में एक सांसद-विधायक अदालत ने अतीक अहमद और दो अन्य को 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और छह अन्य को अदालत ने बरी कर दिया। यह अतीक अहमद की पहली सजा थी, हालांकि उसके खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। UP News

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Nagar Nikay Chunav 2023: सपा की दलितों और अन्य पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश

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Nagar Nikay Chunav 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 02:15 AM
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Nagar Nikay Chunav 2023: लखनऊ। उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (SP) नगर निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) को कड़ी चुनौती देने के लिए अपने परंपरागत मुस्लिम और यादव मतों के साथ ही विस्तार की रणनीति पर कार्य करते हुए दलितों और अन्य पिछड़ी जातियों को साधने की फिर से कोशिश करती दिख रही है।

Nagar Nikay Chunav 2023

अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में नगर निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के जनाधार परखने की एक खास कसौटी है और 2024 के लक्ष्य को ही ध्‍यान में रखते हुए राजनीतिक दल अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं। इस नये राजनीतिक समीकरण में दलितों के उभरते नेता और आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

दिसंबर में अखिलेश ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में यदि सपा सत्ता में आयी तो तीन महीने के अंदर जातीय जनगणना करायेगी।

पिछले वर्ष सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके प्रतिनिधित्व वाली मैनपुरी संसदीय सीट पर उपचुनाव में सभी मतभेदों को भुलाकर पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव के साथ मिलकर सत्तारूढ़ दल को चुनौती देने को खड़े हुए तो सपा को भी अपनी ताकत में इजाफा होने का अहसास हुआ। इस उपचुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की जीत ने इस पर मुहर भी लगाई।

2017 में निकाय चुनाव में खाता नहीं खोल सकी थी सपा

सपा 2017 के नगर निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी और 16 महापौर सीटों में से किसी पर भी खाता नहीं खोल सकी थी। जहां भाजपा ने नगर निगमों के महापौर की 14 सीटें जीती थीं, वहीं बसपा को दो सीटें मिली थीं। पिछले चुनावों से उलट अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव इस बार साथ हैं और पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं।

सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने कहा, "हम (अखिलेश और शिवपाल) पार्टी द्वारा बनाई गई योजना के अनुसार एक साथ प्रचार करेंगे।"

प्रयागराज में 15 अप्रैल की रात पुलिस अभिरक्षा में पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या भाजपा के खिलाफ मुस्लिम वोटों को मजबूत करने में मदद कर सकती है और सपा को फायदा हो सकता है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इसकी तस्दीक करते हुए कहा "निश्चित रूप से, जिस तरह से दोनों को मारा गया, वह संदेह पैदा करता है। आशंका थी कि वे मारे जा सकते हैं, लेकिन सरकार ने कोई उपाय नहीं किया। हम धर्म की राजनीति नहीं करते हैं, लेकिन राज्य के मुस्लिम सपा के साथ थे और रहेंगे।"

जातीय जनगणना की मांग हो सकती मददगार

जातीय जनगणना की मांग को लेकर पूरे राज्य में पार्टी का अभियान भी इन चुनावों में सपा के लिए मददगार हो सकता है, क्योंकि नेता पार्टी के उम्मीदवारों के लिए ओबीसी वोटों की उम्मीद कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप ने कहा, "हमारी एकमात्र पार्टी है जिसने जातीयत जनगणना की मांग करते हुए जमीन पर काम किया। हमारा अभियान बहुत सफल रहा और लोगों ने इसका समर्थन किेया। यह चुनाव का समय है और यह निश्चित रूप से पार्टी उम्मीदवारों के लिए मददगार साबित होगा।"

कश्यप समाजवादी पार्टी के पिछड़ा मोर्चा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्‍यक्ष हैं और उन्‍होंने जातीय जनगणना के मामले को लेकर प्रदेश व्यापी दौरा भी किया था।

दूसरी तरफ सपा मायावती के कोर दलित वोट बैंक में भी सेंध लगाने की कोशिश कर रही है और आक्रामक रूप से खुद को इस समुदाय के हमदर्द के रूप में दिखा रही है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि बसपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 22 फीसदी से ज्‍यादा मत हासिल करते हुए राज्य की 403 सीटों में से 19 पर जीत हासिल की थी, जबकि 2022 में उसके मतों का ग्राफ नीचे गिरकर 12 प्रतिशत से कुछ अधिक ही रहा और सिर्फ एक सीट पर जीत मिली।

दलितों को मुहिम के तौर पर साधने की पहल

बसपा के परंपरागत मतों में कमी देखते हुए सपा ने दलितों को मुहिम के तौर पर साधने की पहल की और अंबेडकर जयंती पर 14 अप्रैल को अखिलेश यादव अपने चंद्रशेखर आजाद के साथ बाबा साहब के जन्म स्थल महू (मध्य प्रदेश) में श्रद्धांजलि अर्पित करने भी गये थे। इसी महीने के प्रारंभ में अखिलेश यादव ने दलित नेता कांसीराम की मूर्ति का अनावरण किया था।

राजनीतिक विश्लेषक सिद्धार्थ कलहंस ने कहा कि कांशीराम की प्रतिमा के अनावरण से लेकर महू (एमपी) में डॉ भीम राव आंबेडकर के जन्मदिन में शामिल होने तक, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पार्टी ने दलितों को सपा को अपनी पसंद मानने का विकल्प देने की कोशिश की।

अखिलेश यादव, रालोद प्रमुख जयंत चौधरी और आज़ाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे पश्चिम उप्र में दलित वोटों पर प्रभाव रखते हैं, एक साथ भाजपा के खिलाफ हैं।

कलहंस ने कहा कि 2017 में राज्य में महापौर के 16 पदों में से कुल 213 उम्मीदवार मैदान में थे और केवल 18 ही अपनी जमानत बचा सके। उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में भाजपा का गढ़ होने की वजह से सपा-कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल पाई और ज्यादातर सीटों पर सभी की जमानत जब्त हो गई।

2024 के चुनाव से पहले लोगों का रुझान भांपना

उन्होंने कहा कि इस बार महापौर पद की 17 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं और सपा ने स्थानीय जनसांख्यिकी सहित सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए अच्छे उम्मीदवार उतारे हैं। कलहंस ने कहा कि यह सिर्फ चुनावी जीत और हार का ही मसला नहीं है बल्कि एक आकलन भी है और सपा का मुख्‍य उद्देश्‍य 2024 के चुनावों से पहले लोगों की रुझान को भांपना और अपने मतों में इजाफा करना भी होगा। उन्होंने कहा कि भले ही वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये, पर वह इस चुनाव से सबक लेते हुए अपनी रणनीति फिर से तैयार कर सकती है।

राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में 16 महापौर सीटों में से 10 सीटों पर सपा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई, जबकि कांग्रेस और बसपा उम्मीदवारों की 11-11 सीटों पर जमानत जब्त हुई। नामांकन के समय हर उम्मीदवार एक निश्चित राशि जमा करता है। यदि वह कुल वैध मतों का 1/6 प्राप्त करने में विफल रहता/रहती है, तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है। यदि वह 1/6 से अधिक वोट प्राप्त करता है तो जमा राशि वापस कर दी जाती है। उम्मीदवार की मृत्यु, नामांकन रद्द या वापस लेने की स्थिति में भी राशि वापस कर दी जाती है।

घर घर दस्तक देने का फैसला

पिछले रिकॉर्ड को देखें तो महापौर और अध्यक्ष के कुल 652 पदों पर सपा के उम्मीदवारों की 51.19 फीसदी सीटों पर, बसपा की 73.35 फीसदी सीटों पर और 86.97 फीसदी सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। भाजपा ने 184 सीटों में बहुमत हासिल किया और उसके उम्मीदवार 38.94 सीटों पर हारे भी, जबकि भाजपा के पास स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य हैं और उन्होंने "घर-घर दस्तक" देने का फैसला किया है। सपा अपने पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव पर निर्भर होगी।

शिवपाल सिंह यादव ने कहा, "पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उनके संबंधित क्षेत्रों में पहले ही जिम्मेदारियां दी जा चुकी हैं। हम नगरीय निकाय चुनाव जीतने में निश्चित रूप से सफल होंगे।"

नगर निकाय चुनावों में सपा की पैठ बनाने के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर, भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा, "लोग ट्रैक रिकॉर्ड देखते हैं। जब राज्य में सपा की सरकार थी तो उसने अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों के लिए कुछ नहीं किया। 2012 से 2017 के बीच वास्तव में सपा शासन में दलित अत्याचार के सबसे अधिक मामले देखे गए थे। और सच यह भी है कि नगर निकाय चुनाव में सपा कभी भी दौड़ में नहीं रहती है।' Nagar Nikay Chunav 2023

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