उत्तर प्रदेश पुलिस की संवेदनशीलता को दर्शाता अलीगढ़ का यह कदम

यह भी पढ़ें :उत्तर प्रदेश पुलिस का चर्चित इंस्पेक्टर निकला बड़ा करोड़पति
मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता
उत्तर प्रदेश पुलिस के पास कई बार ऐसी शिकायतें आती थीं कि जब पुलिस किसी पुराने हिस्ट्रीशीटर के घर जांच या पूछताछ के लिए जाती थी, तो उनके परिवार के सदस्य विशेष रूप से नाती-पोते पुलिस के आने का कारण पूछते थे। इस स्थिति में बुजुर्ग असहज और मानसिक रूप से परेशान हो जाते थे, क्योंकि वे अब वर्षों से किसी आपराधिक गतिविधि से दूर थे, लेकिन उनका पुराना रिकॉर्ड उन्हें परेशान करता था।यह भी पढ़ें :अयोध्या में धर्म ध्वज उत्सव को ऐतिहासिक बनाएगे संत, निमंत्रण भेजा
नई शुरुआत का अवसर
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) नीरज कुमार जादौन ने इस पर ध्यान देते हुए फैसला किया कि जो बुजुर्ग अब किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं हैं, उनकी हिस्ट्रीशीटें बंद कर दी जाएं। यह कदम इन बुजुर्गों को न केवल राहत देता है, बल्कि उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने का एक नया अवसर भी प्रदान करता है। एसएसपी जादौन ने इस पहल पर कहा, हमारा उद्देश्य सिर्फ कार्रवाई नहीं, बल्कि सुधार की राह दिखाना है। यदि कोई व्यक्ति अपनी गलतियों को सुधार चुका है और अब शांतिपूर्वक जीवन जी रहा है, तो हमें उसे नई शुरुआत का अवसर देना चाहिए।यह भी पढ़ें :पत्नी की तलाश में परेशान पति ने दी आत्महत्या की चेतावनी
सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम
उत्तर प्रदेश पुलिस का यह कदम समाज में एक सकारात्मक संदेश भेजता है। सामान्यतः, किसी व्यक्ति का नाम हिस्ट्रीशीट में दर्ज होने के बाद वह हमेशा संदेह के घेरे में रहता है, चाहे उसने वर्षों पहले अपराध किया हो। इससे उनकी सामाजिक और व्यक्तिगत ज़िंदगी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अलीगढ़ पुलिस का यह फैसला एक सुधारात्मक पुलिसिंग मॉडल के रूप में देखा जा रहा है, जहां अपराधियों को सिर्फ अपराधी नहीं, बल्कि एक इंसान समझा जाता है जो सुधार का पात्र हो सकता है।यह भी पढ़ें : प्रेमी ने कर डाला अपनी ही प्रेमिका के साथ बड़ा काण्ड
सामूहिक बैठक में बुजुर्गों का संदेश
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ पुलिस द्वारा आयोजित एक बैठक में इन सभी बुजुर्ग हिस्ट्रीशीटर्स से आग्रह किया गया कि वे अपने अनुभवों और जीवन के सबक को युवाओं के साथ साझा करें। एसएसपी जादौन ने कहा, आप सबके पास जीवन के ऐसे अनुभव हैं जो युवाओं को यह सिखा सकते हैं कि अपराध का अंत हमेशा पश्चाताप में होता है। अगर आप अपने मोहल्ले और गांव में गलत गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो यह समाज के लिए सबसे बड़ा योगदान होगा।यह भी पढ़ें :योगी आदित्यनाथ के विवादास्पद बयान पर बिहार की राजनीति में मचा बवाल
बुजुर्गों का स्वागत और सहयोग
इस निर्णय को बुजुर्ग हिस्ट्रीशीटरों ने खुले दिल से स्वीकार किया और पुलिस की इस पहल का स्वागत किया। कई बुजुर्गों ने यह भी कहा कि अब वे समाज सेवा करना चाहते हैं और अपने अनुभवों के जरिए युवाओं को अपराध से दूर रखने की कोशिश करेंगे।समाज के लिए एक नया दृष्टिकोण
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ पुलिस का यह कदम न केवल पुलिसिंग के दृष्टिकोण से एक अनोखी पहल है, बल्कि यह समाज में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हो सकता है। बुजुर्गों को उनकी गलियों और मोहल्लों में फिर से सम्मानित और सुरक्षित जीवन जीने का अवसर मिल रहा है, और साथ ही वे समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की ओर अग्रसर हैं।अगली खबर पढ़ें
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मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता
उत्तर प्रदेश पुलिस के पास कई बार ऐसी शिकायतें आती थीं कि जब पुलिस किसी पुराने हिस्ट्रीशीटर के घर जांच या पूछताछ के लिए जाती थी, तो उनके परिवार के सदस्य विशेष रूप से नाती-पोते पुलिस के आने का कारण पूछते थे। इस स्थिति में बुजुर्ग असहज और मानसिक रूप से परेशान हो जाते थे, क्योंकि वे अब वर्षों से किसी आपराधिक गतिविधि से दूर थे, लेकिन उनका पुराना रिकॉर्ड उन्हें परेशान करता था।यह भी पढ़ें :अयोध्या में धर्म ध्वज उत्सव को ऐतिहासिक बनाएगे संत, निमंत्रण भेजा
नई शुरुआत का अवसर
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) नीरज कुमार जादौन ने इस पर ध्यान देते हुए फैसला किया कि जो बुजुर्ग अब किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं हैं, उनकी हिस्ट्रीशीटें बंद कर दी जाएं। यह कदम इन बुजुर्गों को न केवल राहत देता है, बल्कि उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने का एक नया अवसर भी प्रदान करता है। एसएसपी जादौन ने इस पहल पर कहा, हमारा उद्देश्य सिर्फ कार्रवाई नहीं, बल्कि सुधार की राह दिखाना है। यदि कोई व्यक्ति अपनी गलतियों को सुधार चुका है और अब शांतिपूर्वक जीवन जी रहा है, तो हमें उसे नई शुरुआत का अवसर देना चाहिए।यह भी पढ़ें :पत्नी की तलाश में परेशान पति ने दी आत्महत्या की चेतावनी
सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम
उत्तर प्रदेश पुलिस का यह कदम समाज में एक सकारात्मक संदेश भेजता है। सामान्यतः, किसी व्यक्ति का नाम हिस्ट्रीशीट में दर्ज होने के बाद वह हमेशा संदेह के घेरे में रहता है, चाहे उसने वर्षों पहले अपराध किया हो। इससे उनकी सामाजिक और व्यक्तिगत ज़िंदगी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अलीगढ़ पुलिस का यह फैसला एक सुधारात्मक पुलिसिंग मॉडल के रूप में देखा जा रहा है, जहां अपराधियों को सिर्फ अपराधी नहीं, बल्कि एक इंसान समझा जाता है जो सुधार का पात्र हो सकता है।यह भी पढ़ें : प्रेमी ने कर डाला अपनी ही प्रेमिका के साथ बड़ा काण्ड
सामूहिक बैठक में बुजुर्गों का संदेश
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ पुलिस द्वारा आयोजित एक बैठक में इन सभी बुजुर्ग हिस्ट्रीशीटर्स से आग्रह किया गया कि वे अपने अनुभवों और जीवन के सबक को युवाओं के साथ साझा करें। एसएसपी जादौन ने कहा, आप सबके पास जीवन के ऐसे अनुभव हैं जो युवाओं को यह सिखा सकते हैं कि अपराध का अंत हमेशा पश्चाताप में होता है। अगर आप अपने मोहल्ले और गांव में गलत गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो यह समाज के लिए सबसे बड़ा योगदान होगा।यह भी पढ़ें :योगी आदित्यनाथ के विवादास्पद बयान पर बिहार की राजनीति में मचा बवाल
बुजुर्गों का स्वागत और सहयोग
इस निर्णय को बुजुर्ग हिस्ट्रीशीटरों ने खुले दिल से स्वीकार किया और पुलिस की इस पहल का स्वागत किया। कई बुजुर्गों ने यह भी कहा कि अब वे समाज सेवा करना चाहते हैं और अपने अनुभवों के जरिए युवाओं को अपराध से दूर रखने की कोशिश करेंगे।समाज के लिए एक नया दृष्टिकोण
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ पुलिस का यह कदम न केवल पुलिसिंग के दृष्टिकोण से एक अनोखी पहल है, बल्कि यह समाज में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हो सकता है। बुजुर्गों को उनकी गलियों और मोहल्लों में फिर से सम्मानित और सुरक्षित जीवन जीने का अवसर मिल रहा है, और साथ ही वे समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की ओर अग्रसर हैं।संबंधित खबरें
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