शिवभक्त कांवड़ियों के ऊपर खास कारण से मेहरबान हैं योगी बाबा

Kanwariya
Uttar Pradesh Samachar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar21 JUL 2025 11:23 AM
bookmark
Uttar Pradesh Samachar: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री येागी आदित्यनाथ योगी बाबा के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवान शिव के भक्तों पर बहुत मेहरबान हैं। भगवान शिव की भक्ति में डूबकर कांवड़ यात्रा करने वाले कांवड़ियों के स्वागत सत्कार में उत्तर प्रदेश की पूरी सरकार लगी हुई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार कांवड़ यात्रियों के ऊपर फूलों की वर्ष करके उनका स्वागत कर रहे हैं। कांवड़ यात्रियों के ऊपर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी बाबा की मेहरबानी के पीछे एक बहुत ही बड़ा कारण है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी बाबा हैं भगवान शिव के अवतार के अनुयाई

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सनातन धर्म की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। सनातन धर्म ही वास्तव में हिन्दू धर्म है। हिन्दू धर्म के साथ खड़ा होना सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी का टॉप एजेंडा है। भगवान शिव के भक्त कांवड़ियों पर उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी बाबा की मेहरबानी का यह तो एक छोटा पहलू है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शिव भक्तों पर मेहरबान होने का बड़ा कारण यह है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिव भक्त हैं। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थापित गुरू गोरखनाथ के सबसे बड़े मंदिर के पीठाधीश्वर हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिन गुरू गोरखनाथ की परम्परा के अनुयाई हैं उन गुरू गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार माना गया है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिव भक्तों को अपना गुरू भाई मानकर उनका मान-सम्मान करते हैं।

भगवन शिव के अवतार हैं गुरू गोरखनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुरू गोरखनाथ की सेवा का अवसर नाथ परम्परा के तहत अपने गुरू जी से मिला है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के धार्मिक गुरू प्रसिद्ध संत गुरु अवैधनाथ थे। गुरु अवैधनाथ ने ही योगी आदित्यनाथ को गुरू गोरखनाथ के सबसे बड़े मंदिर का पीठाधीश्वर नियुक्त किया था। गुरू गोरखनाथ को देवों के देव महादेव भगवान शिव का अवतार माना जाता है।

अनेक कहानियां प्रचलित हैं गुरू गोरखनाथ को लेकर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरू गोरखनाथ की पूजा तथा भक्ति करते हैं। गुरू गोरखनाथ को लेकर अनेक कहानियां प्रचलित हैं। एक कहानी के मुताबिक गुरु गोरखनाथ को गुरु मत्स्येन्द्रनाथ का मानस पुत्र भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक बार गुरु मत्स्येन्द्रनाथ भिक्षा मांगने एक गांव गए जहां एक घर में भीक्षा देती एक स्त्री बहुत ही उदास नजर आई। जब गुरुदेव ने उससे उदासी का कारण पूछा, तो उसने बताया कि उसकी कोई संतान नहीं है। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने उस स्त्री की मदद हेतु उसे मंत्र पढक़र एक चुटकी भभूत दी और पुत्र प्राप्ति के लिए उसे ग्रहण करने को कहा। लगभग बारह साल के बाद गुरु मत्स्येन्द्रनाथ फिर से उसी गांव में आए और उस स्त्री के घर उसके बारह साल के पुत्र को देखने पहुंचे। तब उस स्त्री ने बताया कि उसे यकीन नहीं था कि वह भभूत काम करेगा, इसलिए उसने उसे खाने के बजाय गोबर में फेंक दिया। उस स्त्री ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि वह गुरुदेव की सिद्धियों से अनजान थी। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने अपनी सिद्धि से उस भभूत को बेकार नहीं जाने दिया। उन्होंने उस स्त्री से वह स्थान दिखाने को कहा। वहां जाकर उन्होंने देखा, तो एक गाय गोबर से भरे एक गड्ढे के ऊपर खड़ी थी और अपना दूध उस गड्ढे में गिरा रही थी। तब गुरुदेव ने उस स्थान पर जाकर बालक को आवाज लगाई। आवाज लगाते ही उस गोबर वाली जगह से एक बारह वर्ष का सुंदर आकर्षक बालक बाहर निकला और हाथ जोडक़र गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के सामने खड़ा हो गया। इस प्रकार बाबा गोरखनाथ का जन्म स्त्री के गर्भ से नहीं बल्कि गोबर से हुआ और इसी कारण इनका नाम गोरखनाथ पड़ा।

गुरू गोरखनाथ के अलग-अलग अवतार

ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भी गुरु गोरखनाथ ने अवतार लिया था और जब भगवान राम का राज्यभिषेक था, तब गुरु गोरखनाथ को भी आमंत्रण मिला था और वह भगवान श्री राम के उत्सव में शामिल भी हुए थे। द्वापर युग में भी गुरु गोरखनाथ के अवतार की मान्यता है। कहते हैं कि जब भगवान कृष्ण और रुक्मणि विवाह हुआ था, तब गुरु गोरखनाथ उनके विवाह में सम्मिलित हुए थे। माना जाता है कि कलियुग में बाप्पा रावल नाम के एक राजकुमार घूमते-घूमते घने जंगल में पहुंच गए और वहां उन्होंने जंगल में एक तेजस्वी साधू को तप करते हुए देखा। वह कोई और नहीं बल्कि गुरु गोरखनाथ जी थे।
अगली खबर पढ़ें

कानपुर में दर्जनों पुलिसकर्मी 'गायब'! छुट्टी पर गए जवान नहीं लौटे, मची हलचल

Police 2
Uttar Pradesh Samachar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar21 JUL 2025 11:11 AM
bookmark
Uttar Pradesh Samachar : उत्तर प्रदेश के कानपुर कमिश्नरेट से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। दर्जनों पुलिसकर्मी छुट्टी पर गए... और फिर कभी लौटे ही नहीं! न ड्यूटी जॉइन की, न कोई सूचना दी। अब ये जवान गायब माने जा रहे हैं, और प्रशासन इनकी तलाश में जुट गया है। डीसीपी मुख्यालय कासिम आब्दी के अनुसार, यह गंभीर मामला है और ऐसे पुलिसकर्मियों की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है। थानों और पुलिस लाइनों से रिपोर्ट मंगाई जा रही है, ताकि यह साफ हो सके कि कौन-कौन अधिकारी या जवान ड्यूटी से नदारद हैं।

छुट्टी पर गए लेकिन तस्करा में वापसी दर्ज नहीं!

प्रोटोकॉल के अनुसार, किसी भी पुलिसकर्मी को छुट्टी पर जाते वक्त जीडी (जनरल डायरी) में तस्करा करना होता है। यानी रजिस्टर में उल्लेख करना होता है। ड्यूटी पर लौटने पर फिर से तस्करा डालना होता है। लेकिन बहुत से जवान ऐसे हैं जिन्होंने वापसी दर्ज ही नहीं करवाई। डीसीपी कासिम आब्दी का कहना है, कई बार छुट्टी पर गए पुलिसकर्मी एक्सीडेंट, बीमारी या पारिवारिक समस्याओं के कारण लौट नहीं पाते। लेकिन ऐसे मामलों की सूचना देना अनिवार्य होता है। यदि कोई गलत कारण या अनुशासनहीनता सामने आती है, तो कार्रवाई की जाती है।

अभी सही संख्या साफ नहीं, दर्जनों के लापता होने की आशंका

फिलहाल कितने पुलिसकर्मी लापता हैं, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन अनुमान है कि यह संख्या दर्जनों में हो सकती है। कुछ मामलों में यह भी आशंका है कि छुट्टी को बहाना बनाकर कुछ जवान जानबूझकर ड्यूटी से बच रहे हैं। यह मामला सिर्फ ड्यूटी में लापरवाही का नहीं, बल्कि पूरे पुलिस महकमे की अनुशासन प्रणाली पर सवाल उठा रहा है। यह भी देखा जा रहा है कि क्या यह किसी संगठित चूक या लापरवाही का नतीजा है, या केवल व्यक्तिगत मामलों की श्रृंखला।

सवाल कई, जवाब अभी अधूरे

क्या ये जवान वास्तव में बीमार हैं या जानबूझकर ड्यूटी से बच रहे हैं? क्या पुलिस महकमे में हाजिरी प्रणाली इतनी कमजोर है कि दर्जनों जवान गायब हो जाएं और पता ही न चले? और अगर ये लापता जवान अब तक सामने नहीं आए, तो उनके स्थान पर काम कौन कर रहा है? फिलहाल जांच जारी है। लेकिन एक बात तय है कानून के रखवाले खुद ही अगर कानून से लुका-छिपी खेलें, तो व्यवस्था की साख खतरे में पड़ जाती है।
अगली खबर पढ़ें

8 साल में तीन बच्चों की मां! औरैया के सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है यह मामला

Bachcha
Uttar Pradesh Samachar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar21 JUL 2025 10:25 AM
bookmark
Uttar Pradesh Samachar : क्या आपने कभी सुना है कि कोई लड़की पांच साल की उम्र में मां बन गई हो? छह की होते-होते दूसरा बच्चा और आठ की उम्र में तीसरे की डिलीवरी? यह किसी बाल कथा या विज्ञान-फंतासी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है। ये यूपी सरकार के दस्तावेजों में दर्ज "सत्य" है! इसी के बल पर एक विधवा महिला की जमी न हड़पने का षडयंत्र रचा गया जिसमें सरकारी कर्मचारी भी लिप्त पाए गए हैं। हालांकि अभी जांच की जा रही है और दोषियों का पता लगाया जा रहा है।

रामपुर गांव का मामला : सरकारी कागजों में 'गजब' गड़बड़ी

अजीतमल तहसील के रामपुर गांव में पंचायत रजिस्टर की नकल ने सबको चौंका दिया है। दस्तावेजों के मुताबिक, एक महिला जिसका जन्म 1984 में हुआ, उसके तीन बच्चे 1989, 1990 और... 1792 में पैदा हो गए! यानी एक बच्चा तो 192 साल पहले ही दुनिया में आ चुका था। इस गड़बड़ी से पीड़ित महिला कमलेश का कहना है कि उसके मृत पति के नाम पर किसी और महिला को पत्नी बताकर तीन बच्चों को जोड़ा गया है। आरोप है कि ससुराल पक्ष ने संपत्ति हथियाने के लिए यह सब किया और पंचायत सचिव की मदद से रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करवाई।

पंचायत सचिव की 'कलम' ने रच डाली कहानी!

दर्ज जन्मतिथियाँ इतनी बेतुकी हैं कि एक बार को कोई भी ठहाके लगाए बिना न रह सके। लेकिन जब यही चीज सरकारी रजिस्टर में मिले, तो सवाल बेहद गंभीर हो जाते हैं। क्या पंचायत सचिव ने गलती से कलम चला दी, या ये सुनियोजित धोखाधड़ी है? खंड विकास अधिकारी ने पुष्टि की है कि मामला गंभीर है और उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जांच शुरू कर दी गई है। अगर आरोप सही पाए गए, तो दोषियों पर कार्रवाई तय है।

सवाल सिर्फ कमलेश का नहीं, सिस्टम का है!

यह मामला सिर्फ एक महिला की पहचान के साथ खिलवाड़ नहीं है। यह उस सरकारी व्यवस्था पर सवाल है जो हर साल करोड़ों रुपये डिजिटल रिकॉर्ड और पारदर्शिता के नाम पर खर्च करती है, लेकिन जमीनी हकीकत में 8 साल की मां और 1792 का बच्चा जैसा चमत्कार दर्ज करती है।