शिवभक्त कांवड़ियों के ऊपर खास कारण से मेहरबान हैं योगी बाबा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी बाबा हैं भगवान शिव के अवतार के अनुयाई
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सनातन धर्म की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। सनातन धर्म ही वास्तव में हिन्दू धर्म है। हिन्दू धर्म के साथ खड़ा होना सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी का टॉप एजेंडा है। भगवान शिव के भक्त कांवड़ियों पर उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी बाबा की मेहरबानी का यह तो एक छोटा पहलू है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शिव भक्तों पर मेहरबान होने का बड़ा कारण यह है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिव भक्त हैं। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थापित गुरू गोरखनाथ के सबसे बड़े मंदिर के पीठाधीश्वर हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिन गुरू गोरखनाथ की परम्परा के अनुयाई हैं उन गुरू गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार माना गया है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिव भक्तों को अपना गुरू भाई मानकर उनका मान-सम्मान करते हैं।भगवन शिव के अवतार हैं गुरू गोरखनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुरू गोरखनाथ की सेवा का अवसर नाथ परम्परा के तहत अपने गुरू जी से मिला है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के धार्मिक गुरू प्रसिद्ध संत गुरु अवैधनाथ थे। गुरु अवैधनाथ ने ही योगी आदित्यनाथ को गुरू गोरखनाथ के सबसे बड़े मंदिर का पीठाधीश्वर नियुक्त किया था। गुरू गोरखनाथ को देवों के देव महादेव भगवान शिव का अवतार माना जाता है।अनेक कहानियां प्रचलित हैं गुरू गोरखनाथ को लेकर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरू गोरखनाथ की पूजा तथा भक्ति करते हैं। गुरू गोरखनाथ को लेकर अनेक कहानियां प्रचलित हैं। एक कहानी के मुताबिक गुरु गोरखनाथ को गुरु मत्स्येन्द्रनाथ का मानस पुत्र भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक बार गुरु मत्स्येन्द्रनाथ भिक्षा मांगने एक गांव गए जहां एक घर में भीक्षा देती एक स्त्री बहुत ही उदास नजर आई। जब गुरुदेव ने उससे उदासी का कारण पूछा, तो उसने बताया कि उसकी कोई संतान नहीं है। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने उस स्त्री की मदद हेतु उसे मंत्र पढक़र एक चुटकी भभूत दी और पुत्र प्राप्ति के लिए उसे ग्रहण करने को कहा। लगभग बारह साल के बाद गुरु मत्स्येन्द्रनाथ फिर से उसी गांव में आए और उस स्त्री के घर उसके बारह साल के पुत्र को देखने पहुंचे। तब उस स्त्री ने बताया कि उसे यकीन नहीं था कि वह भभूत काम करेगा, इसलिए उसने उसे खाने के बजाय गोबर में फेंक दिया। उस स्त्री ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि वह गुरुदेव की सिद्धियों से अनजान थी। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने अपनी सिद्धि से उस भभूत को बेकार नहीं जाने दिया। उन्होंने उस स्त्री से वह स्थान दिखाने को कहा। वहां जाकर उन्होंने देखा, तो एक गाय गोबर से भरे एक गड्ढे के ऊपर खड़ी थी और अपना दूध उस गड्ढे में गिरा रही थी। तब गुरुदेव ने उस स्थान पर जाकर बालक को आवाज लगाई। आवाज लगाते ही उस गोबर वाली जगह से एक बारह वर्ष का सुंदर आकर्षक बालक बाहर निकला और हाथ जोडक़र गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के सामने खड़ा हो गया। इस प्रकार बाबा गोरखनाथ का जन्म स्त्री के गर्भ से नहीं बल्कि गोबर से हुआ और इसी कारण इनका नाम गोरखनाथ पड़ा।गुरू गोरखनाथ के अलग-अलग अवतार
ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भी गुरु गोरखनाथ ने अवतार लिया था और जब भगवान राम का राज्यभिषेक था, तब गुरु गोरखनाथ को भी आमंत्रण मिला था और वह भगवान श्री राम के उत्सव में शामिल भी हुए थे। द्वापर युग में भी गुरु गोरखनाथ के अवतार की मान्यता है। कहते हैं कि जब भगवान कृष्ण और रुक्मणि विवाह हुआ था, तब गुरु गोरखनाथ उनके विवाह में सम्मिलित हुए थे। माना जाता है कि कलियुग में बाप्पा रावल नाम के एक राजकुमार घूमते-घूमते घने जंगल में पहुंच गए और वहां उन्होंने जंगल में एक तेजस्वी साधू को तप करते हुए देखा। वह कोई और नहीं बल्कि गुरु गोरखनाथ जी थे।अगली खबर पढ़ें
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी बाबा हैं भगवान शिव के अवतार के अनुयाई
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सनातन धर्म की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। सनातन धर्म ही वास्तव में हिन्दू धर्म है। हिन्दू धर्म के साथ खड़ा होना सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी का टॉप एजेंडा है। भगवान शिव के भक्त कांवड़ियों पर उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी बाबा की मेहरबानी का यह तो एक छोटा पहलू है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शिव भक्तों पर मेहरबान होने का बड़ा कारण यह है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिव भक्त हैं। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थापित गुरू गोरखनाथ के सबसे बड़े मंदिर के पीठाधीश्वर हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिन गुरू गोरखनाथ की परम्परा के अनुयाई हैं उन गुरू गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार माना गया है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिव भक्तों को अपना गुरू भाई मानकर उनका मान-सम्मान करते हैं।भगवन शिव के अवतार हैं गुरू गोरखनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुरू गोरखनाथ की सेवा का अवसर नाथ परम्परा के तहत अपने गुरू जी से मिला है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के धार्मिक गुरू प्रसिद्ध संत गुरु अवैधनाथ थे। गुरु अवैधनाथ ने ही योगी आदित्यनाथ को गुरू गोरखनाथ के सबसे बड़े मंदिर का पीठाधीश्वर नियुक्त किया था। गुरू गोरखनाथ को देवों के देव महादेव भगवान शिव का अवतार माना जाता है।अनेक कहानियां प्रचलित हैं गुरू गोरखनाथ को लेकर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरू गोरखनाथ की पूजा तथा भक्ति करते हैं। गुरू गोरखनाथ को लेकर अनेक कहानियां प्रचलित हैं। एक कहानी के मुताबिक गुरु गोरखनाथ को गुरु मत्स्येन्द्रनाथ का मानस पुत्र भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक बार गुरु मत्स्येन्द्रनाथ भिक्षा मांगने एक गांव गए जहां एक घर में भीक्षा देती एक स्त्री बहुत ही उदास नजर आई। जब गुरुदेव ने उससे उदासी का कारण पूछा, तो उसने बताया कि उसकी कोई संतान नहीं है। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने उस स्त्री की मदद हेतु उसे मंत्र पढक़र एक चुटकी भभूत दी और पुत्र प्राप्ति के लिए उसे ग्रहण करने को कहा। लगभग बारह साल के बाद गुरु मत्स्येन्द्रनाथ फिर से उसी गांव में आए और उस स्त्री के घर उसके बारह साल के पुत्र को देखने पहुंचे। तब उस स्त्री ने बताया कि उसे यकीन नहीं था कि वह भभूत काम करेगा, इसलिए उसने उसे खाने के बजाय गोबर में फेंक दिया। उस स्त्री ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि वह गुरुदेव की सिद्धियों से अनजान थी। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने अपनी सिद्धि से उस भभूत को बेकार नहीं जाने दिया। उन्होंने उस स्त्री से वह स्थान दिखाने को कहा। वहां जाकर उन्होंने देखा, तो एक गाय गोबर से भरे एक गड्ढे के ऊपर खड़ी थी और अपना दूध उस गड्ढे में गिरा रही थी। तब गुरुदेव ने उस स्थान पर जाकर बालक को आवाज लगाई। आवाज लगाते ही उस गोबर वाली जगह से एक बारह वर्ष का सुंदर आकर्षक बालक बाहर निकला और हाथ जोडक़र गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के सामने खड़ा हो गया। इस प्रकार बाबा गोरखनाथ का जन्म स्त्री के गर्भ से नहीं बल्कि गोबर से हुआ और इसी कारण इनका नाम गोरखनाथ पड़ा।गुरू गोरखनाथ के अलग-अलग अवतार
ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भी गुरु गोरखनाथ ने अवतार लिया था और जब भगवान राम का राज्यभिषेक था, तब गुरु गोरखनाथ को भी आमंत्रण मिला था और वह भगवान श्री राम के उत्सव में शामिल भी हुए थे। द्वापर युग में भी गुरु गोरखनाथ के अवतार की मान्यता है। कहते हैं कि जब भगवान कृष्ण और रुक्मणि विवाह हुआ था, तब गुरु गोरखनाथ उनके विवाह में सम्मिलित हुए थे। माना जाता है कि कलियुग में बाप्पा रावल नाम के एक राजकुमार घूमते-घूमते घने जंगल में पहुंच गए और वहां उन्होंने जंगल में एक तेजस्वी साधू को तप करते हुए देखा। वह कोई और नहीं बल्कि गुरु गोरखनाथ जी थे।संबंधित खबरें
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