वर्क फ्रॉम होम के चलते 41% लोगों की रीढ़ हो गई कमजोर
स्पाइन (Spine) यानी रीढ़ में होने वाला किसी भी तरह का नुकसान इंसान को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से…
Anzar Hashmi | October 17, 2021 10:39 PM
स्पाइन (Spine) यानी रीढ़ में होने वाला किसी भी तरह का नुकसान इंसान को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से काफी असर डालता है। ऐसा होने पर मांसपेशियों में कमजोरी, शरीर के कई हिस्सों में दर्द के साथ डिप्रेशन (Depression) की शिकायत होना शुरु हो जाती है। कोरोना के दौरान संस्थानों में वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) का कल्चर बढ़ता जा रहा है। इससे भी स्पाइन को खासा नुकसान पहुंच चुका है।
पीएमसी लैब में एक शोध किया गया है, कोविड-19 के दौरान वर्क फ्रॉम होम वाले 41.2 फीसदी लोगों ने पीठ दर्द और 23.5 फीसदी लोगों ने गर्दन दर्द की शिकायत हुई थी। सिटिंग (Sitting) में प्रति घंटे के बाद यदि 6 मिनट की वॉक की जाए तो रीढ़ को नुकसान पहुंच सकता है। इसके साथ रोजाना चाइल्ड पोज, कैट और काऊ पोज जैसे योगासन कर सकते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का शोध में बताते हैं कि कि स्पाइन में गड़बड़ी का प्रभाव व्यक्ति पर शारीरिक एवं भावनात्मक दोनों रूप से पड़ने लगता है।
लगातार झुककर बैठने से स्पाइन की डिस्क कम्पैक्ट होने लगती है। साथ ही शारीरिक गतिविधियां कम होने से स्पाइन के आसपास के लिगामेंट टाइट होने से काफी नुकसान होता है। इससे स्पाइन की फ्लैक्सेबिलिटी (Flexibility) घट जाती है। इसके अलावा काफी समय तक बैठने से पीठ में दर्द होना शुरु हो जाता है।
ब्रेन फॉग से होता है नुकसान
मूवमेंट न होने पर मस्तिष्क में पहुंचने वाले रक्त और ऑक्सीजन
(Oxyen) की मात्रा घटने लगती है। सोचने की क्षमता प्रभावित हो जाती है।
व्यवहार पर भी पड़ता है प्रभाव
ज्यादा देर तक बैठे रहने की वजह से न्यूरोप्लास्टिसिटी (Neuroplasticity) प्रभावित होना शुरु हो जाती है। न्यूरॉन्स की एक्टिविटी भी कमजोर होने लगती है जिससे व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है और डिप्रेशन का असर बढ़ने लगता है।