Saturday, 16 November 2024

क्या होता है समलैंगिक विवाह, क्यों मचा है इतना बवाल ?

Same Sex Marriage : पिछले कुछ समय से भारत में समलैंगिक विवाह को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस मामले…

क्या होता है समलैंगिक विवाह, क्यों मचा है इतना बवाल ?

Same Sex Marriage : पिछले कुछ समय से भारत में समलैंगिक विवाह को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी केस चल रहा है। आज हम आपको बताएंगे कि समलैंगिक विवाह क्या होता है और भारत में इसे लेकर क्यों बवाल मचा है।

आपको बता दें कि विश्व में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले में ​नीदरलैंड पहला देश है। वर्ष 2001 में नीदरलैंड में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त हुई। अब भारत में भी समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग उठ रही है तो वहीं इसके विरोध में धार्मिक और सामाजिक संगठन भी सामने आ गए हैं। कुछ महिला संगठनों ने इसे कानून का दर्जा न दिए जाने के लिए राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठियां तक लिखी हैं।

Same Sex Marriage

समलैंगिक लोग हमेशा ही विषमलिंगी लोगों की तुलना में नगण्य रहे हैं अत: उनको कभी भी सामाजिक मान्यता नहीं मिली थी। इतना ही नहीं, अधिकतर धर्मों में समलैंगिक संबंधों पर प्रतिबंध था एवं इसे नैतिक पतन का लक्षण माना जाता था। इस कारण पकड़े जाने पर समलैंगिकों को हमेशा कठोर सजा दी जाती थी।

आज धीरे-धीरे कर देश इस तरह के एक ही सेक्स की शादियों को स्वीकार करने लगा है। यानि कि पुरुष, पुरुष से और स्त्री, स्त्री से शादी करत सकती है। समलैंगिकता को अब कानूनी दर्जा मिल रहा है। एक ही सेक्स के दो लोग अब शादी रचाकर एक साथ रहने के लिए आजाद है, लेकिन ये शादी न केवल समाज के नियमों को तोड़ती है बल्कि प्रकृति के नियमों का भी उल्लघंन करती है।

आपको बता दें कि प्राकृतिक नियमों के मुताबिक शादी हमेशा एक स्त्री और पुरुष के बीच होती है। समाज उन शादियों को नहीं मानता जिनमें इन मान्यताओं को नहीं माना नहीं जाता। समलैगिंक शादियां न केवल समाज के नियमों को तोड़ती है, ब्लकि ये प्रकृति के बनाए कानून का भी उल्लंघन करती है।

दो इंसानों के बीच का संबंध

शादी दो इंसानों के बीच का संबंध है, जिसे समाज द्वारा जोड़ा जाता है और उसे प्रकृति के नियमों के साथ आगे चलाया जाता है। समाज में शादी का उदेश्य शारीरिक संबंध बनाकर मानव श्रृखंला को चलाना है। यहीं नेचर का नियम है, जो सदियों से चलता आ रहा है। लेकिन समलैंगिक शादियां मानव श्रृंखला के इस नियम को बाधित करती है।

अधर में बच्चे का भविष्य

समान्यता बच्चों का भविष्य मां-बाप के संरक्षण में पलता है। समलैगिंक विवाह की स्थिति में बच्चों का विकास प्रभावित होता है। वो या तो मां का प्यार पाते है या पिता का सहारा। मां-बाप का प्यार उन्हें एक साथ नहीं मिल पाता तो उनके विकास को प्रभावित करता है। समलैंगिक शादी उस मूलभूत विचार को बिल्कुल खत्म कर देगा कि हर बच्चे को मां और बाप दोनों चाहिए।

समलैंगिक जीवन शैली को बढ़ावा देता है

एक ही सेक्स में विवाह की कानूनी मान्यता जरूरी है। ये शादियां समाज के नियम के साथ-साथ पारंपरिक शादियों को नुकसान पहुंचाती है। लोगों के सोचने के नजरिए को प्रभावित करती है। बुनियादी नैतिक मूल्यों , पारंपरिक शादी के अवमूल्यन और सार्वजनिक नैतिकता को कमजोर करता है।

बांझपन को बढ़ावा देता है

चिकित्सकों की मानें तो प्राकृतिक शादियों में महिलाएं बच्चे को जन्म देती है। अगर वो ना चाहे तो कृत्रिम साधनों जैसे कि गर्भनिरोधक का इस्तेमाल कर इसे रोक सकती है, लेकिन समलैंगिक शादियों में दंपत्ति प्राकृतिक तौर पर बांझपन का शिकार होता है।

सेरोगेसी के बाजार को बढ़ावा

एक ही लिंग की शादियों में दंपत्ति बच्चा पैदा करने में प्राकृतिक तौर पर असमर्थ होता है। ऐसे में वो सेरोगेसी या किराए की कोख का इस्तेमाल कर अपनी मुराद को पूरा करना का प्रयास करता है। समलैंगिक विवाह के कारण सेरोगेसी के बाजार को बढ़ावा मिल सकता है।

समाज पर दबाव

समलैंगिक शादियां समाज पर अपनी स्वीकृति के लिए दबाव डालती है। कानूनी मानय्ता के कारण समाज को जबरन इन शादियों को मंजूर करना ही होता है। हालांकि भारत में अभी इस तरह का कोई कानून नहीं है, लेकिन बहुत से देश ऐसे है जहां समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता मिल चुकी है। उन देशों में समलैंगिक शादियों से पैदा हुए बच्चों को शिक्षा देनी ही होती है। अगर कोई व्यक्ति या अधिकारी इसका विरोध करता है तो उसे विरोध का सामना करना पड़ता है।

आंदोलन का ले रहा है रुप

1960 का दशक था जब हमारा समाज सिर्फ स्त्री-पुरुष के बीच के शारीरिक संबंधों को ही स्वीकार करता था, लेकिन 1960 के बाद पहली बार न्यूजीलैंड द्वारा समलैंगिक विवाह को मंजूरी मिलने से वैश्विक स्तर पर इसका चलन बढ़ता चला गया। अब तो इसने आंदोलन का रुप ले दिया है। एक के बाद एक देश को इनके सामने झुकना पड़ रहा है। अमेरिका, ब्रिट्रेन जैसे देशों नेभी समलैंगिकता का स्वीकार कर लिया है।

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