अदम गोंडवी
काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में।
पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में।
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में।
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में।
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में।
————————————————
यदि आपको भी कविता, गीत, गजल और शेर ओ शायरी लिखने का शौक है तो उठाइए कलम और अपने नाम व पासपोर्ट साइज फोटो के साथ भेज दीजिए चेतना मंच की इस ईमेल आईडी पर- [email protected]
हम आपकी रचना को सहर्ष प्रकाशित करेंगे।