Sunday, 22 December 2024

Deshbhkti Geet : देश भक्ति के गीतों में भी अपने व पराए की चिंता, गीत और मुसलमान

रवि अरोड़ा Deshbhkti Geet : तबीयत नासाज थी इसलिए स्वतन्त्रता दिवस पर दिनभर घर पर ही रहा और देश भक्ति…

Deshbhkti Geet : देश भक्ति के गीतों में भी अपने व पराए की चिंता, गीत और मुसलमान

रवि अरोड़ा

Deshbhkti Geet : तबीयत नासाज थी इसलिए स्वतन्त्रता दिवस पर दिनभर घर पर ही रहा और देश भक्ति के गाने सुन कर ही आज़ादी का जश्न मनाया। यूट्यूब पर ऐसे गाने ढूंढने से बचने के लिए स्पॉटीफाई डाउनलोड किया और आराम से गाने सुनने लगा। देख कर हैरानी हुई इन तमाम गानों में से आधे से अधिक तो ए आर रहमान के हैं। जहां ए आर रहमान नहीं है वहां कोई अन्य मुस्लिम नाम नजर आया। पुराने देश भक्ति के गाने ढूंढे तो वहां भी यही सब कुछ देखने को मिला। कहीं गायक मुस्लिम है तो कहीं संगीतकार। कहीं वह गीत किसी मुस्लिम ने लिखा है तो कहीं उसे किसी मुस्लिम फिल्मी सितारे पर फिल्माया गया है। बेशक मेरी इस हैरानी को मेरी कमजर्फी करार दिया जा सकता है और पूछा जा सकता है कि क्या मुझे मुस्लिमों की देश भक्ति पर शक है ?

Deshbhkti Geet

1857 की पहली क्रांति और स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास भी मुझे फिर से पढ़ने की सलाह दी जा सकती है। आप मेरी और अधिक लानत मलानत करें, उससे पहले ही मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मेरी हैरानी की वजह कुछ और ही है। मैं तो हैरान हूं कि दिन रात पानी पी पीकर मुस्लिमाें को कोसने वाले और हर समस्या की जड़ में उन्हें ही खोजने वालों ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने आयोजनों में कौन से गाने बजाए होंगे ?

दुनिया जानती है कि हमारी देशभक्ति दिन त्यौहार पर ही जागती है । स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती पर तो हमारी देशभक्ति हिलौरे ही मारने लगती है और उस दिन हम जी भर के देशभक्ति के गाने जगह जगह लाउड स्पीकर लगा कर बजाते हैं। जाहिर है कि ये तमाम गाने फिल्मी ही होते हैं। भला हो चुनाव आयोग का जो उसने रोक लगा दी वरना चुनावों के दिनों में भी हर प्रत्याशी देश भक्ति के गाने मुख्य सड़कों पर लाउड स्पीकर लगाकर दिन भर बजाता था।

चुनाव कार्यालयों पर ही नहीं बाजारों में भी इन गानों की धूम होती ही थी। ये देश है वीर जवानों का, अपनी आजादी को हम , जहां डाल डाल पर , है प्रीत जहां की रीत सदा, ऐ मेरे वतन के लोगों, कर चले हम फिदा, ऐ मेरे प्यारे वतन जैसे दर्जनों गाने मैने आपने इतनी बार सुने हैं कि उनका एक एक शब्द हमें याद हो गया। इन गानों को मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर, मन्ना डे, महेंद्र कपूर और मुकेश जैसे उम्दा गायकों द्वारा गाया गया था। यह इत्तेफाक ही होगा कि उस दौर में देश भक्ति के सर्वाधिक गाने मोहम्मद रफी के हिस्से आए और ऐसा हर दूसरा गाना उनकी आवाज में है।

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साल 1960 से 1980 तक के समय को देश भक्ति से ओतप्रोत गीतों का स्वर्ण काल कहा जा सकता है और फिर एक दशक के अल्प विराम के बाद इन गानों की वापसी हुई बेहतरीन संगीतकार ए आर रहमान के साथ। उन्होंने रोज़ा, स्वदेश, वीर जारा, रंग दे बसंती और मंगल पांडे जैसी अनेक फिल्मों के गीतों से हमारी देश भक्ति को झिंझौड़ ही डाला। उनके गीत मां तुझे सलाम के बिना तो जैसे देश भक्ति के गीतों की बात ही अधूरी है। आज के दौर के देश भक्ति के आधे से अधिक गीत उन्हीं के द्वारा बनाए गए हैं। वे इकलौते भारतीय संगीतकार हैं जिनकी बदौलत देश की झोली में ऑस्कर जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार आया।

Deshbhkti Geet – अजब इत्तेफाक है कि देश प्रेम के गीतों की बात पहले मोहम्मद रफी से आगे नहीं बढ़ती थी और अब यह तमगा ए आर रहमान के पास है। यह भी इत्तेफाक है कि देश प्रेम के जो फिल्मी गीत आपकी मेरी जबान पर हैं, उनमें से भी अधिकांश साहिर लुधियानवी, कैफ़ी आजमी और जावेद अख्तर जैसों ने लिखे हैं। स्पष्ट करना चाहूंगा कि गायकों, संगीतकारों और गीतकारों के काम को उनके धर्म से जोड़ कर देखने की धृष्टता मैं कतई नहीं कर रहा । मैं तो बस यह विचार कर रहा हूं कि इस्लामिक नाम वालों के मुख से देश भक्ति का पाठ पढ़ना उनको कैसा लगता होगा जिन्हें उनसे जन्मजात चिढ़ है ? उनकी हर बात मुस्लिम विरोध से शुरू होती है और वहीं खत्म होती है। मेरा सवाल तो यह भी है कि स्वतन्त्रता दिवस पर इन चिढ़न जीवियों ने यूं ही बिना सोचे समझे देश भक्ति के गाने बजाए होंगे अथवा छांट छांट कर ‘अपने आदमी’ ढूंढे होंगे ? Deshbhkti Geet

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