सार
Independence Day 2023: 77 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब हमारा देश अपनी उपलब्धियों पर इतरा रहा है और स्वर्णिम भविष्य की इबारत गढ़ने के लिए आंखों में सपने लिए तैयार खड़ा है, तो ये वक्त भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई के उन वीर योद्धाओं को याद करने का भी है जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए बड़े से बड़ा त्याग किया था।
विस्तार
नोएडा के नलगढ़ा गांव से खास रिश्ता
इसी कड़ी में आज हम याद कर रहे हैं आजाद हिंद फौज के रणबांकुरे मेजर सूरजमल खोल को जिनका नोएडा के नलगढ़ा गांव से खास रिश्ता रहा है । नलगढ़ा वही गांव है जहां वह बम तैयार किया गया था जिसे बहरी अंग्रेज सरकार को सुनाने के लिए असेंबली में फैंका गया था। नोएडा के सेक्टर 142 और 143 के पास स्थित नलगढ़ा गांव शहीदों की शरण स्थली भी रहा है ।
आज आपको कहानी सुनाते हैं भारत मां के वीर सपूत मेजर सूरजमल खोल की। यह बात है फरवरी 1942 की जब सिंगापुर में हजारों भारतीय सैनिक अंग्रेजों की फौज में लड़ रहे थे । फरवरी महीने में जापानियों ने सिंगापुर में अंग्रेजों को धूल चटा दी थी। 17 फरवरी 1942 को अंग्रेजों की ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल हंट ने जापानी अफसर मेजर फुजीवारा को 42000 सैनिक युद्ध बंदियों के रूप में सौप दिये थे। मेजर फुजीवारा ने भारतीय सैनिकों को अपना एशियाई भाई बताते हुए उन्हें अपनी आजादी के लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया। मेजर फुजिवारा ने इन सैनिकों को भारतीय सेना के कप्तान मोहन सिंह को सौंप दिया और आजाद हिंद फौज बनाने में मदद की । थोड़े समय में बहुत से जवान और अफसर आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए ।
Independence Day 2023आजाद हिंद फौज में हुए शामिल
1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस दक्षिण पूर्वी एशिया पहुंचे और 15 जुलाई 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद फौज के गठन की घोषणा की। इस क्रांतिकारी सेना की कमान 25 अगस्त 1943 को नेता जी ने अपने हाथों में ले ली थी। आजाद हिंद फौज में हरियाणा के लगभग 3000 सैनिक शामिल थे जिसमे 398 अफसर और 2317 जवान थे। तत्कालीन रोहतक जिले से सबसे ज्यादा 149 अफसर और 724 सैनिकों समेत 873 योद्धा इस सेवा में शामिल हुए । गुड़गांव जिले से 106 अफसर और 580 जवानों सहित कुल 686 सैनिक इस मुक्ति सेवा का हिस्सा बने। इन वीरों ने मित्र राष्ट्रों की सेना से जमकर लोहा लिया। जनवरी 1944 में आजाद हिंद फौज की सुभाष ब्रिगेड को जनरल शाहनवाज खान के नेतृत्व में अंग्रेजों से सशस्त्र युद्ध करने का अवसर प्राप्त हुआ इस ब्रिगेड की दूसरी बटालियन का नेतृत्व झज्जर जिले में जन्मे लेफ्टिनेंट कर्नल रण सिंह ने किया।
मेजर सूरजमल ने कलादान घाटी से अंग्रेजों को खदेड़ा था
इस ब्रिगेड की प्रथम बटालियन में हरियाणा से मेजर सूरजमल ने कलादान घाटी से अंग्रेजों को खदेड़ा था। इस बटालियन ने मोदोक पर अधिकार कर लिया । आजाद हिंद फौज द्वारा मई 1944 में मुक्त कराया गया मोदोक क्षेत्र, भारत का प्रथम क्षेत्र था जो इस मुक्त सेवा के द्वारा छुड़वाया गया था ।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने “सरदार ए जंग” के तमगे से सम्मानित किया
मेजर सूरजमल ने सितंबर 1944 तक मोदक में अंग्रेजों को फटकने नहीं दिया इससे खुश होकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने मेजर सूरजमल को “सरदार ए जंग” के तमगे से सम्मानित किया । इसके अलावा गुप्तचर विभाग के इंचार्ज रहे हरियाणा निवासी करनाल रामस्वरूप को भी “सरदार ए जंग” के तमगे से सम्मानित किया गया था। तीसरी बटालियन की प्रथम कंपनी के कप्तान कमल सिंह ने लगी के युद्ध में तथा मेजर चंद्रभान यादव ने पागन के युद्ध में अपनी जोहर दिखाएं । लेफ्टिनेंट कं. दिल सुख मान ने डिप्टी क्वार्टर मास्टर के रूप में अपनी सेवाएं दी और नायक मौलढ़ सिंह ने मातृभूमि को मुक्त करने के इस यज्ञ में अपनी शहादत दी थी। नेताजी ने इस वीर नायक को “शहीद ए भारत” के तमगे से विभूषित किया । कप्तान हरिराम को उनकी असाधारण वीरता के लिए नेताजी ने “तमगा ए बहादुरी” से सम्मानित किया। आजाद हिंद फौज की ओर से लड़ते हुए इस पवित्र युद्ध में हरियाणा के कुल 22 वीर अफसर और 324 बहादुर जवान वीरगति को प्राप्त हुए शेष बचे हुए सैनिकों पर अंग्रेजी सरकार ने मुकदमे लाद कर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी कर रखी थी लेकिन व्यापक जन विरोध के कारण इनको मुक्त करना पड़ा । आपको बता दे आजाद हिंद फौज के हरियाणवी commander-in-chief थे मेजर सूरजमल
आजाद हिंद फौज के इस शूरवीर ने मणिपुर की धरती पर पहली बार तिरंगा फहराया
देश जब आजाद हुआ तो आजाद हिंद फौज के कई सेनानियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर पहली बार तिरंगा लहराया था। इसी क्रम में मेजर सूरजमल खोल ने मणिपुर की धरती पर पहली बार तिरंगा फहराया था । वह एक ऐतिहासिक दिन था जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में दर्ज हो गया था
Independence Day 2023
जब परिवार वालों ने कर दी थी तेरहवीं
आपको यह भी बता दे की एक समय ऐसा भी आया जब उनकी कोई खोज खबर उनके घर वालों को नहीं मिली तब मेजर सूरजमल को शहीद जान कर उनके परिवार वालों ने उनकी 13वीं भी मना ली थी । लेकिन जब भारत आजाद हुआ तो भारत मां के वीर सपूत ने अपने गांव की धरती में कदम रखा ,वे आजाद भारत में अपने गांव पहुंचे थे, तब इन्हे जीवित देखकर पूरे गांव भर में हर्षोल्लास का माहौल हो गया था।
नोएडा के नलगढ़ा गांव में बिताया शेष जीवन
कुछ दिन अपने गांव रहने के बाद इन्होंने नोएडा के नलगढ़ा का रुख किया और नलगढ़ा गांव इन्हें इतना भाया कि इन्होंने अपना शेष जीवन वही बिताने का फैसला किया और वह जीवन भर नलगढा के ही होकर रह गए। Independence Day 2023