Wednesday, 30 April 2025

Delhi : क्या जज के खिलाफ FIR दर्ज की जा सकती है? पूरी प्रक्रिया समझें

Delhi :  हाल ही में एक दिल्ली के जज के आवास पर बेहिसाब धन मिलने की खबरें सुर्खियों में रही…

Delhi : क्या जज के खिलाफ FIR दर्ज की जा सकती है? पूरी प्रक्रिया समझें

Delhi :  हाल ही में एक दिल्ली के जज के आवास पर बेहिसाब धन मिलने की खबरें सुर्खियों में रही हैं। इस मामले ने आम जनता के मन में यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या किसी पदस्थ न्यायाधीश के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है? इस प्रश्न का उत्तर कानूनी दृष्टिकोण से समझना आवश्यक है।

कानूनी स्थिति और प्रक्रिया

भारतीय न्यायपालिका में पदस्थ किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई सीधे तौर पर नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने के. वीरस्वामी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1991) मामले में यह स्पष्ट किया था कि किसी भी जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अनुमति आवश्यक होती है।

इन-हाउस प्रक्रिया क्या है?

यदि किसी जज पर आपराधिक आरोप लगाए जाते हैं, तो उसके खिलाफ जांच की अनुमति देने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसे ‘इन-हाउस प्रक्रिया’ कहा जाता है। इस प्रक्रिया के तहत:

  1. आरोपों की समीक्षा भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
  2. यदि आरोप प्रारंभिक तौर पर सही प्रतीत होते हैं, तो CJI राष्ट्रपति को पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देने की सिफारिश कर सकते हैं।
  3. अंतिम निर्णय राष्ट्रपति द्वारा लिया जाता है, लेकिन राष्ट्रपति CJI की सिफारिश मानने के लिए बाध्य नहीं होते।

1991 का ऐतिहासिक मामला

1991 में एक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इन-हाउस प्रक्रिया को स्पष्ट किया था और यह निर्णय दिया था कि पीसी अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत कार्यरत किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति केवल राष्ट्रपति ही दे सकते हैं।

रविशंकर अय्यर बनाम जस्टिस ए.एम. भट्टाचार्य (1995)

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुनः इन-हाउस प्रक्रिया को मान्यता दी और इसे न्यायपालिका की आंतरिक अनुशासनात्मक प्रक्रिया बताया। इसका उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखते हुए किसी भी संभावित दुरुपयोग को रोकना था।

क्या दिल्ली के जज के घर से नकदी मिली?

हाल ही में एक दिल्ली के न्यायाधीश के घर में आग लगने की घटना के बाद, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वहां से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई। हालांकि, दिल्ली फायर सर्विस के प्रमुख ने इस दावे को खारिज कर दिया।

घटना का विवरण:

  • 14 मार्च की रात 11:35 बजे आग लगने की सूचना मिली।
  • दमकल की दो गाड़ियाँ 11:43 बजे घटनास्थल पर पहुँचीं।
  • फायर ब्रिगेड ने स्पष्ट किया कि आग बुझाने के दौरान किसी प्रकार की नकदी बरामद नहीं हुई। Delhi : 

 

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