UCC : अभी राष्ट्रीय स्तर पर यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने का सीधा रास्ता बंद नहीं है, लेकिन निम्न कारणों से पूरे देश में इसके तत्काल लागू होने की संभावना कम ही दिख रही है। अभी तक UCC केवल रूपरेखा में है। कुछ राज्यों में ड्राफ्ट बने हैं और केंद्र ने लोडिंग का इशारा किया है। लेकिन पूरे देश में लागू करने के लिए अभी भी लंबा विधायी, संवैधानिक और सामाजिक समन्वय का रास्ता तय करना बाकी है। ऐसे में तत्काल राष्ट्रीय स्तर पर UCC लागू होने की संभावना फिलहाल नगण्य है।
संविधान में UCC का स्थान
संविधान का अनुच्छेद 44 UCC को केवल निर्देशात्मक सिद्धांत (डाइरेक्टिव प्रिंसिपल) के रूप में रखता है, जो निगरानी योग्य नहीं बल्कि शासन के लिए मार्गदर्शक है। किसी भी निजी कानून (Personal Law) को हटाकर एकल नागरिक संहिता लागू करने के लिए संसद को नया कानून लाना होगा, और यदि मौलिक अधिकारों से टकराव हो तो संविधान संशोधन की भी आवश्यकता पड़ेगी।
केंद्र सरकार की तैयारियाँ और पारित कार्यवाही
बीजेपी की सरकार ने UCC पर लोडिंग का वीडियो जारी कर संकेत दिया है कि वे इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई राष्ट्रीय UCC विधेयक संसद में पेश नहीं हुआ। असल में, नवंबर 2019 और मार्च 2020 में विधेयक लाने का प्रयास तो हुआ, लेकिन विरोध और आवश्यक संशोधनों के कारण वो वापस ले लिया गया।
राज्यों में मौजूदा स्थिति
उत्तराखंड पहला राज्य है जहाँ राज्य सरकार ने UCC का ड्राफ्ट तैयार किया। राष्ट्रपति की स्वीकृति भी मिल चुकी है, और जल्द ही लागू तिथि घोषित करने की तैयारी है। गुजरात जैसी अन्य भाजपा-शासित राज्य सरकारों ने भी अपने स्तर पर कमेटी बनाकर UCC के मसौदे तैयार करने में दिलचस्पी दिखाई है, ताकि वे इसे केंद्र के लिए ब्लूप्रिंट मान सकें।
राजनीतिक सामाजिक चुनौतियाँ
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा कि बीजेपी हर राज्य में UCC लाएगी, लेकिन इसे वोट बैंक राजनीति करार देने वाले विपक्ष तथा कुछ मुस्लिम संगठनों का तीव्र विरोध भी जारी है। भोपाल जैसे कुछ क्षेत्रीय स्तर पर खुला विरोध देखने को मिला है, जहाँ समुदाय ने शरीयत के संरक्षण का दावा करते हुए सशंकता व्यक्त की है। इसके अलावा, व्यक्तिगत कानूनों में विविधता और संघ राज्य के अधिकारों पर आपसी असहमति बड़ी चुनौती है।
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